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90 संदिग्ध कर चोरों की जानकारी भारत को मिली

२१ फ़रवरी २०११

मॉरिशस ने भारत को कर चोरी और काले धन के 90 मामलों में जानकारी दी है. इन संदिग्ध लोगों के पिछले तीन साल के बैंक खातों और बाकी वित्तीय लेन देन की जानकारी मॉरिशस ने मुहैया कराई है.

तस्वीर: Fotolia/Yuri Arcurs

मॉरिशस ने जोर देकर कहा है कि उसने भारत को काले धन के बारे में जानकारी देने के लिए निर्णायक उपाय किए हैं. पीटीआई समाचार एजेंसी ने मॉरिशस से वित्त मंत्रालय के हवाले से बताया कि अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक भारतीय अधिकारियों को जानकारी दे दी गई है. भारत ने मॉरिशस से यह जानकारी मांगी थी.

मॉरिशस के वित्त मंत्रालय ने माना कि कुछ लोग फिर भी काले धन का लेन देन कर सकते हैं. लेकिन उन्होंने यह भी दावा किया कि उसने भारत के सिलसिले में अतिरिक्त उपाय किए हैं. मंत्रालय के मुताबिक, "हमने भारत से बातचीत के बाद एक व्यवस्था तैयार की है. इसके अंतर्गत मॉरिशस में भारतीय उच्चायोग में सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस के अधिकारी की नियुक्ति भी शामिल है."

कई बार मॉरिशस पर संदेह किया गया है कि वह काले धन को विदेश भेजने वालों को पनाह देता है या वहां के रास्ते कई भारतीय अपना धन अवैध रूप से विदेशी बैंकों में जमा कर देते हैं.

तस्वीर: bilderbox

काले धन के बारे में मॉरिशस के वित्त और आर्थिक विकास मंत्रालय ने बताया कि भारत के साथ कर समझौते के तहत बैंक की जानकारी साझा किए जाने का प्रावधान है. "पिछले तीन साल में हमसे 64 लोगों की बैंक जानकारी देने के लिए अनुरोध किया गया. यह जानकारी भारत को दे दी गई है. 2007 के अंत से अब तक फाइनेन्शियल इंटेलिजेंस ब्यूरो ने 10 आवेदन भेजे हैं."

एफआईयू वह संस्था है जो संदिग्ध वित्तीय लेनदेन के बारे में जानकारी लेने, उस पर कार्रवाई करने और विश्लेषण करने की जिम्मेदार है. साथ ही यही संस्था संदिग्ध लेन देन के बारे में प्रवर्तन एजेंसियों और विदेशी एफआईयू संस्थाओं को भी जानकारी देती है.

इसके अलावा सितंबर 2009 से अब तक सेबी ने मॉरिशस के वित्त सेवा आयोग को 17 आवेदन भेजे हैं.

हालांकि दोनों देशों के बीच इस तरह का समझौता है कि कर चोरी या अवैध धन के बारे में वह भारत से जानकारी साझा करें. लेकिन आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने पिछले महीने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दो ऐसे देश भी हैं जिनके साथ काला धन रखने वालों या टैक्स चोरों के बारे में जानकारी देने के लिए भारत का समझौता है लेकिन वे इस बारे में जानकारी देने से इनकार करते हैं. ओईसीडी के मुताबिक मॉरिशस ने भी पिछले तीन साल में तुरंत जानकारी साझा नहीं की, जबकि भारत ने मॉरिशस को इस मामले में सबसे ज्यादा आवेदन भेजे.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः ए कुमार

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