90 हजार नौकरियां, ढाई करोड़ अर्जियां
३० मार्च २०१८भारतीय रेल देश में सबसे ज्यादा कर्मचारियों वाली संस्था है. 13 लाख लोग रेलवे के लिए काम करते हैं. इसके बावजूद हजारों पद करीब 20 साल से खाली पड़े हैं. अब रेलवे बड़े पैमाने पर भर्ती कर रहा है. इंजन ड्राइवर, तकनीशियन, कारपेंटर, ट्रैक इंस्पेक्शन क्रू जैसे पद भरे जाने हैं. भारतीय रेल दुनिया का चौथा बड़ा रेल नेटवर्क है और खराब सेफ्टी रिकॉर्ड से जूझ रहा है.
फरवरी में रेलवे भर्ती बोर्ड ने 90,000 नौकरियों के लिए विज्ञापन दिए. भारतीय रेलवे बोर्ड के चैयरमैन अश्विनी लोहानी के मुताबिक अब तक 2.5 करोड़ लोग ऑनलाइन आवेदन कर चुके हैं. आवेदन की आखिरी तारीख 31 मार्च 2018 रखी गई है. मोदी सरकार के चार साल के कार्यकाल में यह सबसे बड़ी सरकारी भर्ती प्रक्रिया है.
आर्थिक मामलों के थिंक टैंक सीएमआईई के चीफ एक्जीक्यूटिव महेश व्यास कहते हैं, "एप्लीकेशनों की इतनी बड़ी संख्या तनाव के स्तर को दिखाती है. इससे पता चलता है कि नौकरियों के मामले में एक विराम लगा हुआ है और यह भी पता चलता है कि भारतीय सरकारी नौकरी को बहुत ज्यादा तरजीह दे रहे हैं."
आवेदनकर्ताओं को 15 भाषाओं में परीक्षा देनी होगी. लिखित परीक्षा के साथ साथ शारीरिक दक्षता भी परखी जाएगी. ढाई करोड़ युवाओं का इम्तिहान लेना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है. इसके बाद भी कुछ बड़ी मुश्किलें सामने आएंगी. ब्रिटेन स्थित इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर के कंट्री डायरेक्टर प्रोनब सेन कहते हैं, "जब आप एक साथ 90,000 लोगों को भर्ती करें तो आपके पास वैसी ट्रेनिंग सुविधा ही नहीं है." 130 अरब डॉलर खर्च कर भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण की योजना है.
रेल मंत्रालय सामान्य वर्ग के आवेदकों से 500 रुपये की फीस ले रहा है जबकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और कुछ अन्य वर्गों के लिए फीस 250 रुपये हैं. फीस से रेलवे ने अनुमानतः 10 अरब रुपये इकट्ठा किया है.
सुशासन और रोजगार का नारा देकर सत्ता में आए नरेंद्र मोदी नौकरी पैदा करने के मामले में जूझ रहे हैं. हर महीने देश में 10 लाख युवा रोजगार बाजार में आते हैं. इतने बड़े पैमाने पर नौकरियां पैदा करना सरकार के लिए खासा मुश्किल हो रहा है. मेक इन इंडिया का नारा देने वाली केंद्र सरकार चाहती है कि 2,000 अरब डॉलर की भारतीय अर्थव्यवस्था में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की भागीदारी 17 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी की जाए. ऐसा करने पर 10 करोड़ नौकरियां पैदा होने के अनुमान था. लेकिन यह लक्ष्य बहुत दूर दिखता है. सीएमआईई के मुताबिक भारत में इस वक्त बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी है. 15 महीने बाद यह उच्चतम स्तर पर है. 2019 में मोदी सरकार के पांच साल पूरे होंगे और देश में आम चुनाव होंगे.
ओएसजे/एमजे (रॉयटर्स)