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थोड़ा जश्न, थोड़ी चुप्पी: अयोध्या के दो रंग

२२ जनवरी २०२४

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय अयोध्या में एक तरफ जश्न का माहौल है तो दूसरी तरफ एक ऐसी चुप्पी भी है जो लगता है कुछ कहना चाह रही है. अयोध्या से डीडब्ल्यू हिंदी की ग्राउंड रिपोर्ट.

अयोध्या
प्राण प्रतिष्ठा से एक दिन पहले राम मंदिरतस्वीर: Rajesh Kumar Singh

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर शहर में खुशनुमा माहौल है. देश के अलग अलग इलाकों से हजारों श्रद्धालु आ चुके हैं, लेकिन अब अयोध्या की सीमाओं को बंद कर दिया गया है. करीब 20,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं और 10,000 सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई पुरोहितों के साथ प्राण प्रतिष्ठा में हिस्सा लेंगे. कम से कम 7,500 अतिथियों को निमंत्रण दिया गया है, जिनमें जाने माने उद्योगपति, फिल्मी सितारे और राजनेता शामिल हैं. मंदिर अधिकारियों का कहना है कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर को लोगों के लिए खोल जाएगा. उन्हें उम्मीद है कि रोज 1,00,000 श्रद्धालु राम के दर्शन करने मंदिर आएंगे.

"प्राण प्रतिष्ठा" के लिए मंदिर में प्रवेश करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीतस्वीर: India's Press Information Bureau/REUTERS

कभी एक दूसरे पर चढ़ते मकानों और पुरानी दुकानों वाले अयोध्या का विस्तृत रूप परिवर्तन हो चुका है. संकरी सड़कों की चार लेन का चौड़ा रास्ता बन चुका है जो सीधे मंदिर तक ले जाता है. शहर को नया एयरपोर्ट मिला है. रेलवे स्टेशन का भी विस्तार किया गया है और कई बड़ी होटल कंपनियां यहां होटल भी बना रही हैं.

जश्न का माहौल

जश्न का माहौल स्पष्ट है. दिल्ली से ही शुरू हो जाता है. दिल्ली एयरपोर्ट पर राम मंदिर के छोटे प्रतिरूप और राम के नाम से कई तरह की चीजें बिक रही हैं. फ्लाइट के अंदर एयरलाइन कंपनी की अनाउंसर "जय श्री राम" का नारा लगा रही है. यात्री भी बड़ी संख्या में यही नारा बार बार दोहरा रहे हैं. हनुमान चालीसा भी पढ़ी जा रही है. नारे लगाने और चालीसा पढ़ने वालों में पत्रकार भी शामिल हैं.

अयोध्या के निर्माणाधीन एयरपोर्ट पर भी मंदिर से जुड़े पोस्टर आने वालों का स्वागत कर रहे हैं. एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही शहर की तरफ जाने वाली सड़क के किनारे लगे बिजली के खम्भों पर दो हस्तियों के आदमकद कटआउट लगे हैं - एक हैं राम और दूसरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.

अयोध्या में मौजूद है हर रंग

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इसी सड़क पर आगे चल कर आप अयोध्या के जुड़वां शहर फैजाबाद में कदम रखते हैं. शहर में जहां तक नजर जाती है वहां भगवा झंडे लहरा रहे हैं. बाजार को भी राम के नाम के मुनाफे में हिस्सा चाहिए. कंपनियों ने अपने प्रचार के लिए लगाए गए होर्डिंगों को भी राम से जोड़ दिया है.

चुप्पी भी है

लोगों का उत्साह भी स्पष्ट है. फैजाबाद में राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की छात्रा तनु दुबे ने डीडब्ल्यू से कहा कि अब "बहुत प्राउड फील होता है कि हम अयोध्या से हैं...देश में नहीं विदेशों में भी लोग अयोध्या को इस मंदिर के नाम से जानते हैं." तनु के हमउम्र और इसी विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले हर्ष ठाकुर ने बताया कि मंदिर के बनने से उन्हें एक "अलग तरीके की खुशी है" और इससे अयोध्या का और वहां रहने वालों का नाम होगा.

लेकिन इस समय जश्न ही अयोध्या का एकलौता रंग नहीं है. शहर के माहौल में थोड़ी चुप्पी, थोड़ी हिचक, थोड़ी शंकाएं और थोड़ा सा विरोध भी घुला मिला सा लगता है. हर्ष ठाकुर के मित्र और इसी विश्वविद्यालय के छात्र मोहम्मद कैफ खान की बातों में कोई विरोध का स्वर नहीं है, लेकिन एक हिचक सी नजर आती है. वो कहते हैं, "अच्छी ही चीज है. जिसका हक था उसको मिला. उसके बारे में क्या कहा जाए. विरोध भी नहीं कर सकते."

अयोध्या में आए हजारों राम-भक्तों में से एकतस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW

कैफ शायद अकेले मुसलमान नहीं हैं जो इस असमंजस से गुजर रहे हैं. स्थानीय अखबार जनमोर्चा की सम्पादक सुमन गुप्ता बताती हैं कि एक तरफ जश्न है तो दूसरी तरफ जिन्होंने 1992 की घटनाएं देखी हैं वो भविष्य को लेकर चिंतित हैं. गुप्ता यह भी कहती हैं कि जहां तक मुसलमानों का सवाल है, तो अयोध्या ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश का मुसलमान चुप है.

राजनीतिक असर

बीजेपी को उम्मीद है कि राम मंदिर के नाम पर जो माहौल बनाया गया है, उसका फायदा उसे आने वाले लोकसभा चुनावों में होगा और मोदी के नेतृत्व में पार्टी को लगातार तीसरी बार जीत हासिल होगी. कई लोगों का तो मानना है कि बीजेपी की जीत सुनिश्चित है, अब बस यह देखना है कि पार्टी 2019 में जीती गई 303 सीटों से ज्यादा जीत पाती है या नहीं.

राम मंदिर परिसर में बिकते भगवा झंडेतस्वीर: Goutam Hore/DW

दिलचस्प है कि देश के कई राज्यों में मंदिर को लेकर इस तरह का माहौल नहीं है और लगभग इन सभी राज्यों में बीजेपी अपनी चुनावी उपस्थिति बढ़ाने में संघर्ष कर रही है. शायद इसलिए बीते दिनों अयोध्या के समारोह से ठीक पहले मोदी ने दक्षिण भारत में ऐसे कई स्थानों की यात्रा की, जिनके रामायण से संबंधित होने की मान्यता है.

एक तरफ जहां बीजेपी का मंदिर को ही अपना अजेंडा बनाने का आत्मविश्वास स्पष्ट है, वहीं दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियां अब भी तय नहीं कर पाईं कि मंदिर के प्रति कैसा रवैया अपनाया जाए.

कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने अयोध्या में समारोह में शामिल होने के न्योते को ठुकरा दिया, लेकिन उसकी उत्तर प्रदेश और हरियाणा इकाई के कई नेता समारोह से तीन दिन पहले ही अयोध्या गए और मंदिर के दर्शन किए. ऐसे में देखना होगा कि आने वाले लोकसभा चुनावों में मंदिर का मुद्दा बीजेपी और विपक्षी पार्टियों के प्रदर्शन को किस तरह से प्रभावित करता है.

 

 

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