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मछलियों के लिए घंटी बजाते इंसान

२० मार्च २०२५

नीदरलैंड्स मछलियों के दरवाजे की घंटी बनाने वाला पहला देश है. एक नहर पर मछलियों के लिए लगाई गई घंटी को दुनिया का कोई भी इंसान बजा सकता है.

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तस्वीर: Nature Picture Library/imago images

मछलियों की आजाद आवाजाही, पूरे जलीय तंत्र और इकोसिस्टम के लिए महत्वपूर्ण है. लेकिन बीते 100 साल में इंसान के बनाए बांधों, बैराजों और लॉकों ने इस आवाजाही को बाधित किया है. मछलियों समेत कई जलीय जीव इन बाधाओं की वजह से ज्यादातर जगहों पर आर-पार नहीं जा सकते. इससे उनका प्रजनन प्रभावित होता है और दूसरे छोर पर उन पर निर्भर रहने वाले कई जीवों व वनस्पतियों पर बुरा असर पड़ता है.

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बीते 50 साल से ऐसी कई कोशिशें की जा रही हैं कि बांधों के बगल में मछलियों के लिए अलग और आसान रास्ता छोड़ा जाए.

जलीय जीवों की आवाजाही रोक देते हैं कई बड़े बांधतस्वीर: Minasse Wondimu Hailu/AA/picture alliance

कैसे काम करती मछलियों के लिए बनाई डोरबेल

इस क्रम में यूरोपीय देश नीदरलैंड्स ने मछलियों के लिए दुनिया की पहली डोरबेल यानी दरवाजे की घंटी ईजाद की है. डच शहर यूटरेक्ट में एक लॉक पर पानी के भीतर एक कैमरा लगाया गया है. राइन की एक शाखा को जोड़ने वाली नहर के वीर्डश्लुइस लॉक पर लगाया गया ये कैमरा लगातार एक वेबसाइट पर पानी के भीतर से लाइव फुटेज भेजता रहता है. इस बेवसाइट पर अगर किसी भी भी आम यूजर फंसी हुई मछलियां दिखती हैं तो वह क्लिक करके एक घंटी बजा सकता है.

घंटी बजाते ही निर्धारित लोगों के पास एक स्क्रीनशॉट पहुंचता है. स्क्रीनशॉट में अगर कई मछलियां फंसी दिखती हैं तो लॉक कर्मचारी को सूचित किया जाता है. इसके बाद मैनुअली काम करने वाले कर्मचारी कनेक्टिंग नहर का लॉक खोल देते हैं और मछलियां अपने आगे के सफर पर निकल पड़ती हैं.

यूटरेक्ट शहर में कई नहरें हैं और उन पर लॉक या फाटक लगे हैंतस्वीर: Hugo Kurk/Zoonar/IMAGO

मछलियों को बचाने में मदद करती तकनीक

मछलियों के लिए डोरबेल सिस्टम की शुरुआत पांच साल पहले एक ट्रायल के तौर पर की गई. तब से यह नियमित प्रक्रिया बन चुका है. लाइव स्ट्रीमिंग में ज्यादातर वक्त नहर में हरा गंदला सा पानी दिखता है, लेकिन जैसे ही पानी का तापमान बढ़ने लगता है, वैसे ही मछलियां लॉक के पास जमा होने लगती हैं.

मछलियों के लॉक पर फंसने के बाद अगर समय पर लॉक न खोला जाए तो वे वंसत में शिकारी पंछियों के लिए आसान दावत बन जाती हैं. आम तौर पर वंसत में लॉक तभी खोले जाते हैं, जब कभी-कभार कोई नाव वहां से गुजर रही हो.

लॉक के पास जमा हुई मछलियां अक्सर शिकारी परिंदों का आसान शिकार बनती हैं.तस्वीर: AP

सरंक्षण में आम लोगों की हिस्सेदारी बढ़ाना

बीते बरसों में इस वेबसाइट को करोड़ों लोग देख चुके हैं. इसे पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करने और तड़क-भड़क से दूर रहने वाली वीडियो स्ट्रीमिंग के तौर पर सराहा जा रहा है.

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मछलियों के लिए डोरबेल कॉन्सेप्ट लाने वाले इकोलॉजिस्ट मार्क फान हॉकेलुम कहते हैं, लॉक के पास ब्रेम, पाइक और बास जैसी मूल प्रजातियों की मछलियां बड़ी संख्या में इकट्ठा होती हैं. फान हॉकेलुम खुशी के साथ कहते हैं कि, "मुझे लगता है कि एक अच्छी वजह और एक खूबसूरत कहानी का संगम ही इस साधारण से आइडिया की तरफ इतना ध्यान खींचता है."

यूटरेक्ट म्युनिसिपैलिटी की इकोलॉजिस्ट आना नियस कहती हैं, "हमें लोगों के तारीफों से भरे कई ईमेल आते हैं, उन्हें लगता है कि ये स्लो टीवी है, जिससे उन्हें सकून मिलता है. अगर लोगों मदद करने का मौका मिलता है तो उन्हें खुशी होती है."

ओएसजे/आरएस (एएफपी)

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