हिंद महासागर में कछुओं का स्वर्ग
२३ नवम्बर २०१८A haven for sea turtles in the Indian Ocean
यहां कछुए करते हैं इंसानों का स्वागत
यहां कछुए करते हैं इंसानों का स्वागत
स्पेन के नाविक पहली बार 1535 में गालापागोस द्वीपों पर पहुंचे थे. इंसान इस सुंदर इलाके के वन्यजीवन के लिए खतरा रहे हैं, लेकिन अब संरक्षण की कोशिशें रंग ला रही हैं. यहां सैलानी भी आ रहे हैं और इस द्वीप को खतरा भी नहीं है.
आग से जन्म
यह तस्वीर दिखाती है कि गालापागोस कैसे अस्तित्व में आया. लगभग 50 लाख साल पहले धरती की कोख से निकलने वाले लावा ने ठंडा होकर इस द्वीप का आकार लिया. दक्षिण अमेरिका में इक्वाडोर के तट से लगभग एक हजार किलोमीटर दूर समंदर में ये द्वीप हैं.
इंसानी दखल नहीं
इंसानी बस्ती से इतनी दूर होने के कारण इन द्वीपों पर पेड़ पौधे और जीव जंतुओं बिना दखल के पलते और बढ़ते रहे हैं. इसलिए इस इलाके में कई दुर्लभ प्रजातियां हैं. कई जीव तो ऐसे हैं जो बाकी दुनिया में कहीं और नहीं मिलते.
पानी वाली छिपकली
यहां मिलने वाले अद्भुत जीवों में पानी में रहने वाली यह छिपकली भी शामिल है. यह दुनिया की अकेली छिपकली है जिसकी जिंदगी समंदर के पानी में बीतती है. यह काई खाती है और नौ मीटर गहराई तक गोता लगा सकती है. लेकिन इसे इंसानी गतिवधियों से खतरा है और उनके साथ आने वाले सूअर, कुत्तों और बिल्लियों से भी, जो कई बार इसके अंडे चट कर जाते हैं.
एक दूसरे पर निर्भर
ये लाल केंकड़े भी सिर्फ इसी द्वीप पर मिलते हैं. ये केंकड़े समुद्री छिपकली से मिलने वाले पिस्सुओं को खाते हैं. इससे दोनों का फायदा होता है, छिपकली का भी और इन केंकड़ों का भी.
परिंदों की पसंद
फ्रिगेटबर्ड कहे जाने वाले इन परिंदों को प्रजनन के लिए ऐसे दूरदराज के द्वीप बहुत पसंद आते हैं. यहां ये हजारों की संख्या में प्रजनन करते हैं. ये पक्षी एक समय में हजारों किलोमीटर की उड़ान भर सकते हैं.
विशाल कछुए
ये विशाल कछुए दुनिया में दो ही जगह मिलते हैं. एक गालापागोस पर और दूसरे हिंद महासागर में अलदाबरा द्वीपों पर. ये कछुए सौ से भी ज्यादा साल तक जीवित रह सकते हैं.
कम हुआ खतरा
16वीं सदी में गालापागोस पर इन कछुओं की तादाद ढाई लाख हुआ करती थी, जिनकी संख्या शिकार के कारण 1970 के दशक में घटकर सिर्फ तीन हजार रह गई. अब संरक्षण के बाद इनकी तादाद लगभग बीस हजार हो गई है.
कोशिशें
हर साल लाखों सैलानी गालापागोस जाते हैं. लेकिन इस बात के लिए खास कदम उठाए जा रहे हैं कि सैलानियों के कारण इस इलाके की जीव विविधता पर कम से कम असर पड़े. यहां आने वाले लोग अपने साथ खाने की चीजें नहीं ला सकते और न ही उन्हें जीव जंतुओं को छूने की अनुमति है. गालापागोस के ज्यादातर जीवों को इंसानों से कोई डर नहीं होता.
मस्त और बिंदास
गालापागोस के ये सी लाइंस बहुत ही मस्त रहने वाले जीव हैं और इसीलिए सैलानियों के पसंदीदा जानवर हैं. इन्हें भी इंसानों से ज्यादा डर नहीं लगता है. लेकिन जब ये पानी में होती हैं तो इन्हें बहुत ध्यान रखना पड़ता है, वरना वो शार्क या फिर किलर व्हेल का भोजन बन सकते हैं.