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समाजजर्मनी

शराब से दूरी बनाती जर्मनी की नई पीढ़ी

३१ जुलाई २०२३

पारिवारिक मुलाकातें हों या दोस्तों के साथ बाहर जाना, कई लोगों के लिए शराब ऐसे मौकों का अहम हिस्सा है. मगर जेनरेशन जी, यानी 1995 से 2010 के बीच पैदा हुई पीढ़ी में से कई शराब से दूरी रख रहे हैं. क्या है इस बदलाव की वजह?

म्यूनिख के कॉखर्लबाल में भाग लेती तीन सहेलियां. 1880 में शुरू हुए इस डांस आयोजन में तड़के म्यूनिख के घरों में काम करने वाली कुक और मेड सर्वेंट भाग लेती थीं. अब ये शहर का पारंपरिक आयोजन बन गया है.
जर्मन सेंटर फॉर हेल्थ एजुकेशन 2004 से ही "बिंज ड्रिंकिंग" पर सर्वे कर रहा है. सर्वेक्षण में पाया गया कि मिलेनियल्स और जेन जी पीढ़ियों में शराब के लिए रुझान कम हुआ है. तस्वीर: Matthias Balk/dpa/picture alliance

क्या जेन जी की शराब में कम दिलचस्पी है? क्या इस पीढ़ी के युवाओं में शराब ना पीने, या शराब कम पीने का चलन जोर पकड़ रहा है?

जर्मनी में 12 से 25 साल के किशोरों और युवाओं के बीच हुए एक सर्वे के नतीजे इसी रुझान का संकेत देते हैं. जर्मन सेंटर फॉर हेल्थ एजुकेशन 2004 से ही "बिंज ड्रिंकिंग" पर सर्वे कर रहा है. किसी पार्टी में कम-से-कम पांच ड्रिंक लेना बिंज ड्रिंकिंग कहलाता है. इसी से जुड़े एक सर्वे में पता चला कि 12 से 25 साल के आयुवर्ग में शराब का सेवन घट रहा है.

2004 में जहां 12 से 17 साल के किशोरों में 21 फीसदी का कहना था कि वे हफ्ते में कम-से-कम एक बार जमकर पीते हैं, वहीं 2021 में यह आंकड़ा घटकर करीब नौ फीसदी ही रह गया. 18 से 25 साल के "मिलेनियल" युवाओं में भी यही रवैया दर्ज किया गया. इस आयुवर्ग में यह आंकड़ा 2004 में 44 फीसदी था, वहीं 2021 में घटकर 32 प्रतिशत पाया गया.

क्या है वजह?

आमतौर पर 1995 से 2010 के बीच पैदा हुई पीढ़ी को जेन जी या जूमर्स कहा जाता है. वहीं 1980 से 1994 के बीच पैदा हुई पीढ़ी मिलेनियल कहलाती है. दोनों पीढ़ियों में शराब का सेवन कम हुआ है, लेकिन मिलेनियल्स की तुलना में  जेन जी ज्यादा शराब पीने से बच रहे हैं.

हाइनो श्टोवर, फ्रेंकफर्ट यूनिवर्सिटी ऑफ अप्लायड साइंसेज में सोशल साइंटिस्ट हैं. वह बताते हैं, "समाजशास्त्र के नजरिये से, नियंत्रण खोने की स्थिति से बचना मुख्य कारणों में से एक है." श्टोवर बताते हैं कि सोशल मीडिया के असर में जी रही पीढ़ी के लिए खुद पर नियंत्रण होना एक अहम चीज है.

श्टोवर उदाहरण देते हैं इन दिनों वॉट्सऐप मेसेज में लिखे गए कुछ खराब शब्द दोस्ती खत्म कर सकते हैं. उनका मानना है कि ऐसे ही कारणों से शराब के नशे में खराब हरकतें करना या गलत दिखना, किशोरों और युवाओं के लिए सामाजिक तौर पर बड़ा भार हो सकता है.

2004 में जहां 12 से 17 साल के किशोरों में 21 फीसदी का कहना था कि वे हफ्ते में कम-से-कम एक बार जमकर पीते हैं, वहीं 2021 में यह आंकड़ा घटकर करीब नौ फीसदी ही रह गया.तस्वीर: Johannes Simon/Getty Images

सोशल मीडिया का असर?

श्टोवर ने जो बताया, उसे बर्लिन में रहने वाली 21 साल की जेरिन के उदाहरण से समझना आसान होगा. जेरिन 2002 में पैदा हुईं. जेरिन बताती हैं कि अपने दोस्तों के ग्रुप में शराब छोड़ने वाली वो अकेली नहीं हैं. वह कहती हैं कि उनके ज्यादातर दोस्त या तो बहुत कम पीते हैं या बिल्कुल भी नहीं पीते.

जेरिन मानती हैं कि ज्यादातर लोग पीने के बाद अपने खोल से बाहर आते हैं. जेरिन कहती हैं कि लोगों को अपने आत्मविश्वास पर काम करना चाहिए, ना कि शराब से उसकी भरपाई करनी चाहिए.

लेकिन क्या सचमुच शराब ना पीकर नई पीढ़ी सोशल एंग्जाइटी या चिंताओं से आजाद हो रही है? श्टोवर कहते हैं कि आजकल युवाओं के लिए खुद को पेश करने का तरीका और अपना बेहतरीन पक्ष दिखाना बेहद अहम है. ऐसे में वो इंस्टाग्राम पर बहुत सोच-समझकर, बड़े जतन से तैयार की गई फीड के पीछे खुद को छिपाते हैं.

श्टोवर कहते हैं, "खूब शराब पीना और फोटोशॉप इस्तेमाल करना, दोनों में समानताएं हैं." श्टोवर का यह भी मानना है कि नई पीढ़ी वर्चुअल दुनिया में काफी सक्रिय है. डिजिटल युग में जश्न या खुशी मनाने के लिए शारीरिक तौर पर मिलना-जुलना कम हो गया है. नतीजतन, शराब पीने में भी कमी आई है.

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एसएम/एसबी (डीपीए)

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