ई-कॉमर्स कंपनी अमेजॉन अपने ग्राहकों का डाटा सेव करती है. लेकिन उसमें कैसी-कैसी जानकारियां रिकॉर्ड होती हैं, यह जानकर लोग हैरान रह गए. निजता और सुविधा के बीच की यह उलझन बहुत बड़ी है.
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अमेरिका के वर्जीनिया में सांसद इब्राहिम समीरा को ये तो पता था कि अमेजॉन उनकी निजी जानकारियां जमा करती है लेकिन जब उनके सामने आया कि यह ई कॉमर्स कंपनी उनके बारे में क्या-क्या जानती है, तो समीरा के होश फाख्ता हो गए. अमेरिकी ई कॉमर्स कंपनी अमेजॉन के पास समीरा के फोन में मौजूद 1,000 से ज्यादा कॉन्टैक्ट नंबर थे. उसे ये पता था कि समीरा ने पिछले साल 17 दिसंबर को कुरान का कौन सा हिस्सा सुना था. कंपनी को हर उस चीज की जानकारी थी जो उन्होंने इंटरनेट पर सर्च की थी. इनमें वे सर्च भी शामिल थीं जिन्हें समीरा निजी मानते हैं. वर्जीनिया के हाउस ऑफ डेलीगेट्स के सदस्य इब्राहिम समीरा पूछते हैं, "वे सामान बेच रहे हैं या आम लोगों की जासूसी कर रहे हैं?”
डॉयचे वेले की टीशर्ट
डॉयचे वेले ने कपड़ों की एक कलेक्शन 'अनसेंसर्ड कलेक्शन' नाम से जारी की है. इसका मकसद है सूचना की आजादी के बारे में जागरूकता फैलाना.
तस्वीर: Peter Sebastian Sander/DW
मुश्किल में है इंटरनेट की आजादी
सितंबर में एक गैर सरकारी संस्था फ्रीडम हाउस ने एक सर्वे के बाद कहा कि दुनिया में 3.8 अरब लोग इंटरनेट प्रयोग करते हैं. इनमें से 56 प्रतिशत लोग उन देशों में रहते हैं जहां राजनीतिक, सामाजिक या धार्मिक सामग्री पर पाबंदियां हैं. 46 प्रतिशत लोगों को सरकारी पाबंदियों के कारण सोशल मीडिया उपलब्ध नहीं है. डॉयचे वेले ने ऑनलाइन सेंसरशिप से लड़ने के लिए अनूठा हथियार चुना हैः फैशन.
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अनसेंसर्ड कलेक्शन
डीडबल्यू ने बर्लिन स्थित डिजाइनर मार्को शायानो के साथ मिलकर कपड़ों की यह कलेक्शन जारी की है. यह एक अभियान है जिसमें रोजमर्रा के कपड़ों के जरिए इंटरनेट की आजादी पर हो रहे हमलों के बारे में जागरूकता फैलाई जाएगी.
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आजादी की थीम पर कपड़े
इस तस्वीर में दिख रही टीशर्ट की तरह तमाम कपड़ों पर ऐसे प्रतीक नजर आएंगे जो अभिव्यवक्ति की आजादी से जुड़े हैं. लेकिन बात बस इतनी नहीं है. कपड़ों के अंदर एक टूलकिट छिपी है, जो बताती है कि सेंसरशिप को कैसे चकमा दिया जा सकता है.
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यह है टूलकिट
हर कपड़े के भीतर यह टैग छिपा है जिस पर ऐसे तरीके बताए गए हैं जो सेंसर की गई सामग्री को देखने के लिए प्रयोग किए जा सकते हैं. इनमें ऑनलाइन राउटर या टोर जैसे टूल हैं. साइफन जैसी अन्य एप्लिकेशन भी हैं जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं.
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टोर और साइफन का प्रयोग
तकनीक पर पाबंदी लगाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तरीके दिन ब दिन आधुनिक होते जा रहे हैं. ईरान और भारत जैसे देशों ने कई बार विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए इंटरनेट बंद किया है. चीन तो पूरे इंटरनेट पर ही सेंसरशिप लगाए हुए है. ऐसे में टोर (TOR) और साइफन (Psiphon) जैसे टूल बहुत काम आ सकते हैं.
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अभिव्यक्ति की आजादी के लिए
डॉयचे वेले की यह नई कलेक्शन सोशल मीडिया पर अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन अभियान के रूप में पेश की जाएगी. इन्हें ऑनलाइन बेचा जाएगा और इनसे जो मुनाफा होगा उसे पत्रकारों के लिए काम करने वाली संस्था कमिटी टु प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) को दिया जाएगा.
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इसी साल की शुरुआत में वर्जीनिया ने एक कानून पास किया है. अमेजॉन का ही बनाया यह कानून राज्य के निजता अधिकारों के बारे में है. समीरा उन सांसदों में से हैं जिन्होंने इस कानून का विरोध किया था. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुरोध पर समीरा ने अमेजॉन से पूछा कि बतौर ग्राहक कंपनी ने उनके बारे में क्या-क्या जानकारियां जमा की हैं.
अमेरिका में अमेजॉन अपने ग्राहकों के बारे में बहुत विस्तृत जानकारियां जमा करती है. नए नियम हैं कि ग्राहक अमेजॉन से पूछ सकते हैं कि उनकी क्या-क्या जानकारियां जमा की गई हैं. इस रिपोर्ट के लिए रॉयटर्स के सात संवाददाताओं ने भी कंपनी से अपनी जानकारियां मांगीं.
अमेजॉन अपनी डिवाइस आलेक्सा के अलावा अपनी विभिन्न ऐप जैसे किंडल ई-रीडर, ऑडिबल, वीडियो और म्यूजिक प्लैटफॉर्म आदि के जरिए ग्राहकों के बारे में बहुत सा डेटा जमा करती है. आलेक्सा से जुड़ी डिवाइस के घर के अंदर की रिकॉर्डिंग होती है और बाहर लगे कैमरे हर आने जाने वाले को रिकॉर्ड करते हैं.
सब जानती है अमेजॉन
इन जानकारियों के आधार पर अमेजॉन आपकी कद-काठी, वजन, नस्ल, रंग, राजनीतिक झुकाव, पसंद-नापसंद आदि का आसानी से अंदाजा लगा सकती है. उसे यह भी पता है कि आप किस तारीख को किससे मिले थे और क्या बात की थी.
रॉयटर्स के एक रिपोर्टर के बारे में मिली जानकारियों के मुताबिक दिसंबर 2017 और जून 2021 के बीच अलेक्सा ने 90 हजार रिकॉर्डिंग की थीं, यानी रोजाना लगभग 70 रिकॉर्डिंग. इनमें उस रिपोर्टर के बच्चों के नाम और उनके पसंदीदा गाने तक जाहिर थे.
यूजर डाटा का बड़ा कारोबार
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अमेजॉन ने बच्चों की आपसी बातचीत भी रिकॉर्ड की, जिसमें वे कह रहे थे कि मम्मी-पापा को खेलने जाने के लिए या वीडियो गेम खरीदने के लिए कैसे मनाएं. कुछ रिकॉर्डिंग परिवार के सदस्यों की आपसी बातचीत की भी थीं जिनमें वे आलेक्सा के जरिए घर के अलग-अलग हिस्सों में बैठकर एक दूसरे से बात कर रहे थे. एक रिकॉर्डिंग में एक बच्चे को आलेक्सा से पूछते सुना जा सकता है, "आलेक्सा, वजाइना क्या होता है.”
रिपोर्टर को अंदाजा नहीं था कि अमेजॉन इन सारी रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखती है. कंपनी का कहना है है कि आलेक्सा को इस तरह डिजाइन किया गया है कि वह कम से कम चीजें रिकॉर्ड करे.
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ग्राहकों की सुविधा के लिए
एक बयान अमेजॉन ने कहा कि उसके वैज्ञानिक और इंजीनियर सेवाओं और तकनीक को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं. कंपनी की सफाई है कि जब ग्राहक अपना खाता बनाते हैं तो उन्हें बताया जाता है कि रिकॉर्डिंग सुरक्षित रखी जाएंगी.
अमेजॉन ने कहा कि निजी जानकारियों का डेटा ग्राहकों के लिए सेवाओं को बेहतर बनाता है और उनके हिसाब के प्रॉडक्ट उपलब्ध करवाने के काम आता है. जब कंपनी से पूछा गया कि समीरा के कुरान सुनने की रिकॉर्डिंग क्यों सुरक्षित रखी गई तो उसने कहा कि ऐसा डाटा यह सुविधा देता है कि ग्राहक ने जहां से छोड़ा था, दोबारा वहीं से शुरू कर सके.
आप अपना पासवर्ड कहां रखते हैं?
एटीएम पिन, बैंक खाता नंबर, डेबिट कार्ड या फिर क्रेडिट कार्ड डिटेल्स हो या आधार और पैन कार्ड जैसी संवेदनशील निजी जानकारी, भारतीय बेहद लापरवाह तरीके से इन्हें रखते हैं. एक सर्वे में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
तस्वीर: BR
33 प्रतिशत भारतीय रखते हैं असुरक्षित तरीके से डेटा
लोकल सर्किल के सर्वे में यह पता चला है कि करीब 33 प्रतिशत भारतीय संवेदनशील डेटा असुरक्षित तरीके से ईमेल या कंप्यूटर में रखते हैं.
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ईमेल और फोन में रखते हैं पासवर्ड
सर्वे में शामिल लोगों ने बताया कि वे संवेदनशील डेटा जैसे कि कंप्यूटर पासवर्ड, बैंक अकाउंट से जुड़ी जानकारी, क्रेडिट और डेबिट कार्ड के साथ ही साथ आधार और पैन कार्ड जैसी निजी जानकारी भी ईमेल और फोन के कॉन्टैक्ट लिस्ट में रखते हैं. 11 फीसदी लोग फोन कॉन्टैक्ट लिस्ट में ऐसी जानकारी रखते हैं.
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याद भी करते हैं और लिखते भी हैं
लोकल सर्किल ने देश के 393 जिलों के 24,000 लोगों से प्रतिक्रिया ली, सर्वे में शामिल 39 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपनी जानकारियां कागज पर लिखते हैं, वहीं 21 फीसदी लोगों ने कहा कि वे अहम जानकारियों को याद कर लेते हैं.
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डेबिट कार्ड पिन साझा करते हैं
लोकल सर्किल के सर्वे में शामिल 29 फीसदी लोगों ने कहा कि वे अपने डेबिट कार्ड पिन को अपने परिवार के सदस्यों के साथ साझा करते हैं. वहीं सर्वे में शामिल चार फीसदी लोगों ने कहा कि वे पिन को घरेलू कर्मचारी या दफ्तर के कर्मचारी के साथ साझा करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Ohlenschläger
बड़ा वर्ग साझा नहीं करता एटीएम पिन
सर्वे में शामिल एक बड़ा वर्ग यानी 65 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उन्होंने एटीएम और डेबिट कार्ड पिन को किसी के साथ साझा नहीं किया. दो फीसदी लोगों ने ही अपने दोस्तों के साथ डेबिट कार्ड पिन साझा किया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Warmuth
फोन में अहम जानकारी
कुछ ऐसे भी लोग हैं जो बैंक खातों से जुड़ी जानकारी, आधार या पैन कार्ड जैसी जानकारी फोन में रखते हैं. सर्वे में शामिल सात फीसदी लोगों ने इसको माना है. 15 प्रतिशत ने कहा कि उनकी संवेदनशील जानकारियां ईमेल या कंप्यूटर में है.
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डेटा के बारे में पता नहीं
इस सर्वे में शामिल सात फीसदी लोगों ने कहा है कि उन्हें नहीं मालूम है कि उनका डेटा कहां हो सकता है. मतलब उन्हें अपने डेटा के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं है.
तस्वीर: Imago/Science Photo Library
बढ़ रहे साइबर अपराध
ओटीपी, सीवीवी, एटीएम, क्रेडिट या डेबिट कार्ड क्लोनिंग कर अपराधी वित्तीय अपराध को अंजाम दे रहे हैं. ईमेल के जरिए भी लोगों को निशाना बनाया जाता है और संवेदनशील जानकारियों चुराई जाती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/chromorange/C. Ohde
डेटा सुरक्षा में जागरूकता की कमी
लोकल सर्किल का कहना है कि देश के लोगों में अहम डेटा के संरक्षण को लेकर जागरूकता की कमी है. कई ऐप ऐसे हैं जो कॉन्टैक्ट लिस्ट की पहुंच की इजाजत मांगते हैं ऐसे में डेटा के लीक होने का खतरा अधिक है. लोकल सर्किल के मुताबिक वह इन नतीजों को सरकार और आरबीआई के साथ साझा करेगा ताकि वित्तीय साक्षरता की दिशा में ठोस कदम उठाया जा सके.
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कंपनी के मुताबिक ग्राहकों के लिए इस डाटा को डिलीट करने का एकमात्र तरीका अपना खाता बंद कर देना है. हालांकि, उसके बाद भी कानूनी आवश्यकता के तहत कुछ डेटा जैसे कि ग्राहक ने क्या खरीदा, यह जानकारी रखी जाती है.