लेबनान की राजधानी बेरूत में धमाके को हुए एक महीना बीत चुका है और वहां सामाजिक और राजनीतिक हालात बदल गए हैं. राजधानी बेरूत अब भी खंडहर है. लेकिन इसी खंडहर के बीच मलबे के नीचे एक ऐसा संकेत मिला है जिससे बचाव दल की उम्मीदें बढ़ गई हैं कि वहां एक जिंदगी हो सकती है. दरअसल चीली का खोजी और बचाव दल गुरुवार को गेमम्याह स्ट्रीट के पास मलबे के ढेर से गुजर रहा था. दल का एक खोजी कुत्ते अचानक सक्रिय हो गया और उसके बाद खोजी दल मलबे के पास पहुंचा. 4 अगस्त को हुए विस्फोट में गेमम्याह भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ था.
टीम ने ऑडियो डिटेक्शन उपकरण का इस्तेमाल सिग्नल या दिल की धड़कन को पकड़ने के लिए किया. उसने धड़कन को पकड़ा, जो कि 18 से 19 पल्स प्रति मिनट थी. धड़कन का सिग्नल कहां से आ रहा था इसका तत्काल पता नहीं चला लेकिन इसके बाद बचाव दल में जिंदगी बचाने की नई उम्मीद जग गई.
ऐसी बहुत कम ही संभावना है कि धमाके के एक महीने बाद कोई अब तक जिंदा मिलेगा. 4 अगस्त को हुए धमाके में 191 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 6,000 से अधिक लोग घायल हो गए थे. बंदरगाह पर रखा 6,000 टन अमोनियम नाइट्रेट धमाके का कारण बना था. इस धमाके को अब तक का सबसे बड़ा गैर-परमाणु विस्फोट माना जा रहा है. धमाके के कारण हजारों मकानों को नुकसान भी पहुंचा था.
नागरिक सुरक्षा कर्मी युसूफ मलाह कहते हैं, ''99 फीसदी वहां कुछ नहीं है लेकिन एक फीसदी से भी कम उम्मीद है तो हमें तलाश जारी रखना चाहिए.'' चीली के बचाव दल के एक सदस्य ने जिंदगी तलाशने वाली मशीन के बारे में बताया कि वह इंसान की सांस और धड़कन की पहचान करती है ना कि जानवरों की. उसके मुताबिक मशीन ने इंसान की धड़कन का पता लगाया है. पूरी रात बचाव दल मौके पर रहा और दल वहां मौजूद पत्रकारों और लोगों से बार-बार फोन बंद करने और शांत रहने को कहता जिससे धड़कन को मशीन द्वारा पकड़ा जा सके.
हाल के हफ्ते लेबनान में गर्म रहे, बीते दिनों बेरूत में लू भी चल रही थी और आर्द्रता का स्तर भी अधिक था. शुक्रवार की सुबह तक बचाव दल को मलबे के नीचे जिंदगी को तलाशने में कामयाबी नहीं मिली थी.
एए/सीके (एएफपी)
लेबनान की राजधानी बेरूत में दो बम धमाकों की वजह से कम से कम 78 लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोगों घायल हो गए हैं. धमाके इतने भीषण थे कि उनकी आवाज 240 किलोमीटर दूर साइप्रस तक सुनाई दी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Amroधमाके शहर के बंदरगाह में गोदामों में हुए. प्रधानमंत्री हस्सन दिआब ने बताया कि 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट खाद में विस्फोट हो गया, जिसे पोत के पास एक गोदाम में रखा गया था. उसकी वजह से धमाका विध्वंस में बदल गया. बेरूत के बाजार और नाइटलाइफ के इलाके वहां से बस मिनटों दूर हैं और वहां काफी बर्बादी हुई है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/STRधमाके की वजह से बेरूत में कई इमारतें ढह गईं और चारों तरफ बर्बादी फैल गई. भूकंप विज्ञानियों ने धमाकों के असर की तुलना 3.3 तीव्रता के भूकंप से की है. खून से सने, घायल और स्तब्ध लोग केंद्रीय बेरूत में इमारतों के मलबे, कांच के टुकड़ों और जलती इमारतों के बीच गिरते-पड़ते नजर आ रहे थे.
तस्वीर: Getty Images/AFP/STRअधिकारियों ने यह नहीं बताया कि वो आग कैसे लगी जिसकी लपटों की वजह से धमाके हुए. बताया जा रहा है कि गोदामों में वेल्डिंग का काम चल रहा था और संभव है की उसकी चिंगारियों से आग लग गई हो.
तस्वीर: Getty Images/AFP/STRपोत पर तैनात एक सैनिक ने बताया कि अंदर बर्बादी का मंजर है. जमीन पर लाशें पड़ी हैं और एम्बुलेंस कर्मचारी अभी भी शव उठा रहे हैं.
तस्वीर: Reuters/M. Azakirकोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से शहर के अस्पतालों पर पहले से काफी बोझ है. धमाके के बाद घायल लोगों के आने से अस्पतालों में हालात और चिंताजनक हो गए. लेबनान में रेड क्रॉस ने तुरंत रक्तदान की अपील की है.
तस्वीर: Getty Images/M. Tahtahराष्ट्रपति मिचेल आउन ने तीन दिनों के शोक की घोषणा की है और 6.6 करोड़ डॉलर की आपात राशि तुरंत देने का वादा किया है. दुनिया भर के देशों ने धमाकों पर शोक व्यक्त किया है और मदद भेजने का प्रस्ताव दिया है. इस्राएल, जो लेबनान से कई युद्ध लड़ चुका है, ने भी धमाके में शामिल होने से इनकार किया और मदद का प्रस्ताव दिया.
तस्वीर: Getty Images/D. Cardeराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि खाद को उन गोदामों में छह सालों से पर्याप्त सुरक्षा के इंतजाम के बिना रखा गया था और ये अस्वीकार्य है. उन्होंने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/J. Eidलेबनान पहले से एक आर्थिक संकट से गुजर रहा है जिसकी वजह से देश की आधे से भी ज्यादा आबादी गरीब हो गई है. पिछले कुछ दिनों से सरकार के खिलाफ गंभीर विरोध प्रदर्शन चल रहे थे.
तस्वीर: Getty Images/AFP/STRस्थानीय मुद्रा के मूल्य में भारी गिरावट आ चुकी है और कई व्यापार बंद हो चुके हैं. गरीबी और बेरोजगारी भयानक दर से बढ़ रही हैं. धमाकों के लिए इससे बुरा वक्त नहीं हो सकता था.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Amro __________________________
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