एमपॉक्स को यूएन ने घोषित किया ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी
१५ अगस्त २०२४
मंकीपॉक्स के तेजी से फैलने के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सबसे ऊंचे स्तर की चेतावनी जारी की है. डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और तीन अन्य देशों में आपातकाल की घोषणा की गई है.
विज्ञापन
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को अफ्रीका में मंकीपॉक्स के तेजी से फैलने के कारण वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया, और चेतावनी दी कि वायरस अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार कर सकता है. यह घोषणा डब्ल्यूएचओ के निदेशक जनरल तेद्रोस अधानोम गैब्रेयेसुस ने यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की आपातकालीन समिति की बैठक के बाद की.
अफ्रीकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने मंगलवार को महाद्वीप में मंकीपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था. संगठन के अनुसार, इस साल अफ्रीका में मंकीपॉक्स के 14,000 से अधिक मामले और 524 मौतें दर्ज की गई हैं, जो पिछले साल के आंकड़ों से ज्यादा हैं.
ब्राजील में ओरोपाउच वायरस पर बढ़ती चिंता
दक्षिण और मध्य अमेरिका में एक चिंताजनक वायरस चर्चा में है - ओरोपाउच वायरस. वैज्ञानिकों के अनुसार, गर्भवती महिलाओं में इस वायरस के संक्रमण से बच्चे की मृत्यु हो सकती है.
तस्वीर: Ueslei Marcelino/REUTERS
कैसे फैलता है ओरोपाउच वायरस?
ओरोपाउच वायरस मुख्य रूप से मिज नामक कीड़े या क्यूलेक्स मच्छर के काटने से इंसानों में फैलता है. अध्ययनों में पता चला है कि ओरोपाउच वायरस इंसान के दिमाग को संक्रमित कर सकता है और तंत्रिका संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है. इसका कोई सबूत नहीं है कि यह बीमारी इंसानों से इंसानों में फैलती है. हां लेकिन गर्भवती महिला के जरिए यह वायरस उनके शिशु को संक्रमित जरूर कर सकता है.
तस्वीर: PongMoji/IMAGO
चिंताजनक वायरस
2022 के अंत से ओरोपाउच बुखार के मामले बढ़ रहे हैं, जिससे यह एक चिंताजनक विषय बन गया है. जनवरी से जुलाई 2024 के बीच अमेरिका के पांच देशों में लगभग 7,700 मामले रिपोर्ट हुए हैं. सबसे अधिक मामले ब्राजील (6,976) में हैं, इसके बाद बोलीविया, पेरू, क्यूबा और कोलंबिया हैं.
तस्वीर: Ueslei Marcelino/REUTERS
डेंगू जैसे लक्षण
इस वायरस के लक्षण डेंगू से मिलते-जुलते हैं, जैसे अचानक बुखार, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द और ऐंठन. कुछ मामलों में प्रकाश संवेदनशीलता, मतली और उल्टी हो सकती है. लक्षण चार से आठ दिन बाद शुरू होते हैं और पांच से सात दिनों तक रहते हैं. ज्यादातर लोग सात दिनों में ठीक हो जाते हैं. गंभीर मामलों में मस्तिष्क की सूजन, चक्कर आना और थकावट हो सकती है.
तस्वीर: Ueslei Marcelino/REUTERS
गर्भवती महिलाएं रहें सावधान
गर्भवती महिलाओं को खास ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि यह वायरस संक्रमित मां से शिशु तक पहुंच सकता है. शोधकर्ताओं ने एक मृत बच्चे की नाल, दिमाग, लीवर, किडनी, फेफड़े, और दिल में ओरोपाउच वायरस पाया है, जो दर्शाता है कि वायरस मां से बच्चे में गया है.
तस्वीर: Armsamsung/Pond5 Images/IMAGO
वायरस पर रोकथाम
ओरोपाउच वायरस के लिए कोई टीका या दवा नहीं है. इसे रोकने के लिए, पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने देशों को सलाह दी है कि वे मच्छरों को नियंत्रित करें. मच्छर रोकने के लिए घरों को बारीक जाल वाली मच्छरदानियों से ढकना, पूरे बाजू और पैरों वाले कपड़े पहनना, और डीईईटी, आईआर3535, इकारिडिन कंपाउंड वाले रिपेलेंट्स का उपयोग शामिल है.
तस्वीर: Jonathan Alpeyrie
जलवायु का संभावित प्रभाव
ओरोपाउच वायरस के बारे में अभी ज्यादा जानकारी नहीं है, इसलिए यह वायरस कितनी फैल सकती है और कहां-कहां जा सकती है इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती. ज्यादातर ओरोपाउच बुखार के मामले गर्म और नमी वाली जगहों पर होते हैं, लेकिन कुछ जगहों पर यह वायरस वहां भी फैले है जहां उम्मीद नहीं थी. जंगलों का कम होना भी इसके फैलने की वजह हो सकता है.
तस्वीर: Andre Muggiati/AP/picture alliance
समान मामले
ओरोपाउच वायरस के मामले जीका वायरस की समस्याओं की याद दिलाते हैं.
ब्राजील में 2015 और 2016 के दौरान जीका के कारण 3,500 से ज्यादा बच्चों में माइक्रोसेफली की पुष्टि हुई थी. उस समय करीब 15 लाख लोग संक्रमित हुए थे.
तस्वीर: Antonio Lacerda/dpa/picture alliance
7 तस्वीरें1 | 7
अब तक, 96 फीसदी से अधिक मामले और मौतें सिर्फ कांगो में ही हुई हैं. वैज्ञानिकों की चिंता इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि कांगो में एक नए प्रकार का मंकीपॉक्स फैल रहा है जो अधिक आसानी से फैल सकता है.
मंकीपॉक्स क्या है?
एमपॉक्स को पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था. 2022 में ब्राजील में इसके कारण दर्जनों बंदरों को कत्ल कर दिया गया क्योंकि लोगों में अफवाह थी कि यह वायरस बंदरों के कारण फैल रहा है.
इस वायरस को पहली बार 1958 में तब पहचाना गया जब बंदरों में एक "चेचक जैसा" रोग फैल रहा था. हाल के सालों तक अधिकांश मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उन लोगों में पाए जाते थे जो संक्रमित जानवरों के संपर्क में आते थे.
मंकीपॉक्स के बारे में अब तक इतना पता है
साल 2022 में मई से अगस्त तक करीब 90 देशों में मंकीपॉक्स वायरस के इंसानों में संक्रमण के मामले सामने आए. जुलाई में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे इंटरनेशनल इमरजेंसी घोषित कर दिया. जानिए इसके संक्रमण पर लगाम कैसे लगे.
तस्वीर: Davor Puklavec/PIXSELL/picture alliance
नया नहीं है मंकीपॉक्स वायरस
इसके संक्रमण का पहला मामला 1970 में पाया गया था. यह तस्वीर 1971 की है जिसमें अफ्रीकी देश लाइबेरिया की एक 4 साल की मरीज में वायरस ने ऐसे लक्षण दिखाए थे. भले ही इसका नाम मंकी यानि बंदर के ऊपर पड़ा है लेकिन संक्रमण केवल बंदरों से ही इंसानों में नहीं आता, बहुत से दूसरे जानवरों और इंसानों से भी आता है.
तस्वीर: Gemeinfrei/CDC's Public Health Image Library
किसे है सबसे ज्यादा खतरा
संक्रमित हुए ज्यादातर लोग बिना किसी इलाज के ही कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं. लेकिन कुछ मामले गंभीर होते हैं जिनमें मरीज के मस्तिष्क में संक्रमण हो जाता है और उससे मौत भी हो सकती है. खासकर बच्चों, गर्भवती महिलाओं और कैंसर, टीबी या एड्स जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों को मंकीपॉक्स वायरस ज्यादा नुकसान पहुंचाता है.
तस्वीर: CHARLES BOUESSEL/AFP
कैसे फैल रहा है वायरस
अफ्रीका के बाहर इसके 98 फीसदी मामले उन पुरुषों में सामने आए हैं जो पुरुषों के साथ सेक्स करते हैं. आम तौर पर यह तब फैलता है जब किसी संक्रमित व्यक्ति की त्वचा से किसी और की त्वचा या त्वचा से मुंह का संपर्क हो. संक्रमित व्यक्ति के पहने कपड़ों या चादर वगैरह से भी दूसरे को संक्रमण हो सकता है. बहुत दुर्लभ मामलों में हवा से सांस के जरिए भी यह फैल सकता है.
तस्वीर: Institute of Tropical Medicine/dpa/picture alliance
क्या संक्रमण रोका जा सकता है
ऐसा करना संभव है क्योंकि वायरस बहुत आसानी से नहीं फैलता इसीलिए इसके कोरोना की तरह पैनडेमिक यानि महामारी बनने की संभावना कम है. इसके लिए दो डोज वाला एक टीका पहले से मौजूद है. हालांकि उसकी कम सप्लाई और केवल गिनी चुनी कंपनियों का इसका उत्पादन करना एक समस्या है.
तस्वीर: CHARLES BOUESSEL/AFP
यूरोप और अमेरिका में कहां से पहुंचा
वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तरी अमेरिका और यूरोप में दिखाई दे रहे मंकीपॉक्स के ताजा मामले अफ्रीका से नहीं पहुंचे हैं. वायरसों की जांच से पता चला है कि उनमें इन्हीं महाद्वीपों में कई बार म्यूटेशन हो चुका है. उनका अनुमान है कि वायरस तो कई महीने या सालों पहले ही अफ्रीका से वहां पहुंचे चुके थे और एंडेमिक के स्तर तक पहुंचने तक चुपचाप फैल रहे थे.
तस्वीर: Aditya Irawan/NurPhoto/picture alliance
वायरस का अफ्रीका-कनेक्शन
सेंट्रल और वेस्ट अफ्रीका में कई दशकों से यह बीमारी एंडेमिक बनी हुई है. जंगली चूहे या गिलहरियों के संपर्क में आने से लोग संक्रमित होते हैं. गे और बायसेक्शुअल पुरुषों में सेक्स संबंध कम से कम अफ्रीका में इसके संक्रमण का कारण नहीं माने जा रहे है. बल्कि पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में नए संक्रमणों के 40 फीसदी मामले महिलाओं में आये हैं.
तस्वीर: CDC/Getty Images
कहीं कम तो कहीं ज्यादा जानलेवा है वायरस
मंकीपॉक्स की जो किस्म यूरोप और उत्तरी अमेरिका में फैली है उससे जान जाने का खतरा बहुत कम है. वहीं अफ्रीका में जैसा वायरस फैला है वह कहीं ज्यादा जानलेवा है. अफ्रीका में अब तक कम से कम 100 लोगों की इससे जान जा चुकी है. वहीं जिन देशों में यह वायरस नया नया पहुंचा है वहां भी कुछ लोगों की जान जाने की खबरें आ रही हैं.
तस्वीर: National Institute of Allergy and Infectious Diseases/AP/picture alliance
7 तस्वीरें1 | 7
2022 में, एमपॉक्स वायरस के यौन संपर्क के माध्यम से फैलने की पुष्टि की गई और 70 से ज्यादा देशों में इसका प्रकोप हुआ. इनमें बहुत से ऐसे देश थे जिनमें पहले एमपॉक्स के मामले नहीं देखे गए थे. एमपॉक्स, चेचक के समान वायरस परिवार का है लेकिन इसके लक्षण उतने गंभीर नहीं होते. इसके लक्षणों में बुखार, ठंड लगना और शरीर में दर्द शामिल हैं. गंभीर मामलों में चेहरे, हाथों, छाती और जननांगों पर घाव हो सकते हैं. 2022 में भारत में भी इसके कई मामले मिले थे.
विज्ञापन
अफ्रीका में क्या हो रहा है?
एमपॉक्स के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है. पिछले सप्ताह, अफ्रीकी सीडीसी ने रिपोर्ट किया कि एमपॉक्स अब कम से कम 13 अफ्रीकी देशों में पाया गया है. पिछले साल की समान अवधि की तुलना में, मामलों में 160 प्रतिशत और मौतों में 19 फीसदी की वृद्धि हुई है.
वैज्ञानिकों ने इस साल की शुरुआत में कांगो के एक खनन कस्बे में एमपॉक्स के एक नए रूप की पहचान की, जो 10 प्रतिशत लोगों को मार सकता है और अधिक आसानी से फैल सकता है. नए रूप के लक्षण हल्के होते हैं और यह जननांगों पर घाव पैदा करता है. इससे पहचान मुश्किल हो जाती है और लोग बिना जाने दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं.
डब्ल्यूएचओ के अनुसार एमपॉक्स हाल ही में पूर्वी अफ्रीका के चार देशों - बुरुंडी, केन्या, रवांडा और युगांडा - में पहली बार पहचाना गया है. ये सभी प्रकोप कांगो में फैली महामारी से जुड़े हैं.
डब्ल्यूएचओ की आपातकाल की घोषणा का उद्देश्य दान एजेंसियों और देशों को कार्रवाई के लिए प्रेरित करना है. हालांकि, पिछले आपातकालों पर वैश्विक प्रतिक्रिया मिली-जुली रही है. अफ्रीकी सीडीसी के निदेशक जनरल डॉ. ज्यां कासेया ने कहा कि उनकी एजेंसी की आपातकाल की घोषणा का उद्देश्य "संस्थाओं, सामूहिक इच्छाशक्ति और संसाधनों को त्वरित और निर्णायक रूप से कार्रवाई के लिए जुटाना" है.
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के प्रोफेसर माइकल मार्क्स ने कहा कि अगर आपातकाल की घोषणा इस तरह के प्रयासों को प्रेरित करने का एक तरीका है, तो यह सही है.
2022 से क्या अलग है?
2022 के वैश्विक प्रकोप के दौरान, अधिकांश मामले समलैंगिक और उभयलिंगी पुरुषों में थे और वायरस मुख्य रूप से करीबी संपर्क के माध्यम से फैल रहा था. इससे यह भ्रम भी हुआ कि यह रोग सिर्फ सेक्स के कारण फैलता है. हालांकि अफ्रीका में कुछ समान मामले देखे गए हैं. लेकिन कांगो में अब 15 साल से कम उम्र के बच्चे 70 फीसदी मामलों और 85 फीसदी मौतों के लिए जिम्मेदार हैं.
डॉ. तेद्रोस ने कहा कि अधिकारियों को विभिन्न देशों में एमपॉक्स के प्रकोप का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें "संक्रमण के विभिन्न तरीके और जोखिम स्तर" शामिल हैं.
सिर्फ बीमारी नहीं फैलाते हैं चमगादड़
कोरोना वायरस का स्रोत माने जाने की वजह से चमगादड़ बड़े बदनाम हो गए हैं, लेकिन असल में धरती पर इनकी काफी उपयोगिता भी है. क्या आप जानते हैं ये सब इनके बारे में?
तस्वीर: DW
ना कैंसर और ना बुढ़ापा छू सके
साल में केवल एक ही संतान पैदा कर सकने वाले चमगादड़ ज्यादा से ज्यादा 30 से 40 साल ही जीते हैं. लेकिन ये कभी बूढ़े नहीं होते यानि पुरानी पड़ती कोशिकाओं की लगातार मरम्मत करते रहते हैं. इसी खूबी के कारण इन्हें कभी कैंसर जैसी बीमारी भी नहीं होती.
ऑस्ट्रेलिया की झाड़ियों से लेकर मेक्सिको के तट तक - कहीं पेड़ों में लटके, तो कहीं पहाड़ की चोटी पर, कहीं गुफाओं में छुपे तो कहीं चट्टान की दरारों में - यह अंटार्कटिक को छोड़कर धरती के लगभग हर हिस्से में पाए जाते हैं. स्तनधारियों में चूहों के परिवार के बाद संख्या के मामले में चमगादड़ ही आते हैं.
तस्वीर: Imago/Bluegreen Pictures
क्या सारे चमगादड़ अंधे होते हैं
इनकी आंखें छोटी होने और कान बड़े होने की बहुत जरूरी वजहें हैं. यह सच है कि ज्यादातर की नजर बहुत कमजोर होती है और अंधेरे में अपने लिए रास्ता तलाशने के लिए वे सोनार तरंगों का सहारा लेते हैं. अपने गले से ये बेहद हाई पिच वाली आवाज निकालते हैं और जब वह आगे किसी चीज से टकरा कर वापस आती है तो इससे उन्हें अपने आसपास के माहौल का अंदाजा होता है.
तस्वीर: picture-alliance/Mary Evans Picture Library/J. Daniel
काले ही नहीं सफेद भी होते हैं चमगादड़
यह है होंडुरान व्हाइट बैट, जो यहां हेलिकोनिया पौधे की पत्ती में अपना टेंट सा बना कर चिपका हुआ है. दुनिया में पाई जाने वाली चमगादड़ों की 1,400 से भी अधिक किस्मों में से केवल पांच किस्में सफेद होती हैं और यह होंडुरान व्हाइट बैट तो केवल अंजीर खाते हैं.
चमगादड़ों को आम तौर पर दुष्ट खून चूसने वाले जीव समझा जाता है लेकिन असल में इनकी केवल तीन किस्में ही सचमुच खून पीती हैं. जो पीते हैं वे अपने दांतों को शिकार की त्वचा में गड़ा कर छेद करते हैं और फिर खून पीते हैं. यह किस्म अकसर सोते हुए गाय-भैंसों, घोड़ों को ही निशाना बनाते हैं लेकिन जब कभी ये इंसानों में दांत गड़ाते हैं तो उनमें कई तरह के संक्रमण और बीमारियां पहुंचा सकते हैं.
कुदरती तौर पर चमगादड़ कई तरह के वायरसों के होस्ट होते हैं. सार्स, मर्स, कोविड-19, मारबुर्ग, निपा, हेन्ड्रा और शायद इबोला का वायरस भी इनमें रहता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इनका अनोखा इम्यूम सिस्टम इसके लिए जिम्मेदार है जिससे ये दूसरे जीवों के लिए खतरनाक बीमारियों के कैरियर बनते हैं. इनके शरीर का तापमान काफी ऊंचा रहता है और इनमें इंटरफेरॉन नामका एक खास एंटीवायरल पदार्थ होता है.
तस्वीर: picture-lliance/Zuma
ये ना होते तो ना आम होते और ना केले
जी हां, आम, केले और आवोकाडो जैसे फलों के लिए जरूरी परागण का काम चमगादड़ ही करते हैं. ऐसी 500 से भी अधिक किस्में हैं जिनके फूलों में परागण की जिम्मेदारी इन पर ही है. तस्वीर में दिख रहे मेक्सिको केलंबी नाक वाले चमगादड़ और इक्वाडोर के ट्यूब जैसे होंठों वाले चमगादड़ अपनी लंबी जीभ से इस काम को अंजाम देते हैं. (चार्ली शील्ड/आरपी)
तस्वीर: picture-alliance/All Canada Photos
7 तस्वीरें1 | 7
2022 में, कई देशों में एमपॉक्स के प्रकोप को टीकों और उपचारों के उपयोग से नियंत्रित किया गया था, लेकिन अफ्रीका में टीकों और उपचारों की उपलब्धता बहुत सीमित है.
प्रोफेसर मार्क्स ने कहा कि टीकाकरण मददगार साबित हो सकता है. इसमें चेचक के खिलाफ इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन भी शामिल है. कांगो में दानदाताओं के साथ संभावित टीका दान के बारे में बातचीत की जा रही है और ब्रिटेन और अमेरिका से कुछ वित्तीय सहायता भेजी गई है. डब्ल्यूएचओ ने अफ्रीका में एमपॉक्स की प्रतिक्रिया के लिए अपने आपातकालीन फंड से 14.5 लाख डॉलर जारी किए हैं, लेकिन प्रतिक्रिया के लिए प्रारंभिक डेढ़ करोड़ की आवश्यकता है.