फुकुशिमा प्लांट से रोबोट ने निकाला रेडियोएक्टिव मलबा
६ नवम्बर २०२४
जापान के फुकुशिमा न्यूक्लियर पावर प्लांट की सफाई की दिशा में एक बड़ी कामयाबी मिली है. एक रोबोट की मदद से प्लांट से मलबे का एक छोटा सा टुकड़ा निकाला गया है.
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2011 में आई सुनामी के बाद जापान के फुकुशिमा दाइची न्यूक्लियर प्लांट पर हुए भयंकर हादसे के 13 साल बाद अब एक अहम कामयाबी हासिल हुई है. पहली बार रिमोट से नियंत्रित एक रोबोट की मदद से प्लांट के अंदर से रेडियोएक्टिव मलबे का छोटा सा टुकड़ा बाहर लाया गया है. यह जटिल सफाई परियोजना का बड़ा कदम है, जिससे आगे के रिसर्च की राह आसान हो सकती है.
टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (टेपको) फुकुशिमा प्लांट की सफाई की जिम्मेदारी संभाल रही है. कंपनी ने बताया है कि एक खास तरह के "फिशिंग रॉड" जैसे रोबोट से यह काम कराया गया. इस रोबोट की मदद से मलबे का छोटा टुकड़ा निकाला गया, जो लगभग 5 मिलीमीटर का है. यह टुकड़ा न्यूक्लियर रिएक्टर नंबर 2 के मलबे के ढेर में से लिया गया है, जो अभी तक रिएक्टर के अंदर पड़ा था.
रिएक्टर के हालात समझने की दिशा में एक कदम
2011 में भूकंप और सुनामी की वजह से फुकुशिमा के तीन रिएक्टरों में रेडिएशन फैल गया था. तब से ही टेपको और जापानी सरकार ने यहां सफाई और डी-कमीशनिंग के लिए कई रोबोटिक मशीनों का इस्तेमाल किया है. लेकिन रेडिएशन के खतरनाक स्तर के चलते यह काम हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है. हाल के महीनों में टेपको ने एक खास रोबोट "टेलिस्को" की मदद से मलबे की सफाई का यह काम शुरू किया है.
फुकुशिमा के मछुआरे
जापान की ऊर्जा कंपनी तेप्को बंद हो चुके फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से 10 लाख टन उपचारित पानी समुद्र में छोड़ना चाहती है. क्या इससे इलाके में मछली पकड़ने का काम बंद हो जाएगा?
तस्वीर: Kim Kyung-Hoon/REUTERS
मछुआरों का पीढ़ियों पुराना काम
71 साल के मछुआरे हरुओ ओनो शिनचिमाची नाम के छोट से बंदरगाह पर खुद पकड़ी हुई मछलियां उतार रहे हैं. शिनचिमाची फुकुशिमा दाईची परमाणु संयंत्र से सिर्फ 55 किलोमीटर दूर स्थित है, जहां 2011 में दुनिया को दहला देने वाला परमाणु हादसा हुआ था. ओनो का परिवार तीन पीढ़ियों से मछली पकड़ने का काम करता है. वो खुद करीब 50 सालों से यह काम कर रहे हैं.
तस्वीर: Kim Kyung-Hoon/REUTERS
मछली पालन से जीवन यापन
नूडल मछली साफ करते करते ओनो हादसे को याद करते हैं. 11 मार्च, 2011 को रिक्टर स्केल पर नौ की तीव्रता वाले एक भूकंप की वजह से जापान के पूर्वी तट पर सुनामी आ गई थी. ओनो तो समुद्र में अपनी नाव पर बच गए लेकिन जमीन पर उनका घर नष्ट हो गया. उनके एक छोटे भाई की मृत्यु हो गई. वही सुनामी फुकुशिमा संयंत्र से भी टकराई थी, जिसके बाद धमाके हुए थे और संयंत्र में परमाणु दुर्घटना हो गई थी.
तस्वीर: Kim Kyung-Hoon/REUTERS
दूषित पानी से उद्योग ठप्प
उस हादसे में जो रेडिएशन निकली उसने इस इलाके में मछलीपालन उद्योग को पूरी तरह से ठप्प कर दिया. 12 सालों बाद थोड़ी से बहाली के संकेत नजर आए हैं और मछलियों के दाम धीरे धीरे फिर से बढ़ने लगे हैं. ओनो ऊर्जा कंपनी तेप्को की दूषित पानी को समुद्र में छोड़ने की योजना को "असहनीय" मानते हैं. उन्हें डर है कि वो फिर से उसी स्थिति में पहुंच जाएंगे जहां वो सालों पहले थे.
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पानी पर विवाद
संयंत्र पर मौजूद अनगिनत पानी के टैंकों पर काफी विवाद छिड़ा हुआ है. इनमें मौजूद पानी का मुख्य रूप से हादसे के बाद रिएक्टरों को ठंडा करने के लिए इस्तेमाल किया गया था. अधिकारियों के मुताबिक संयंत्र के पुनर्निर्माण से पहले इन टैंकों को हटाना जरूरी है.
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मछुआरों का डर
ऊर्जा कंपनी का एक कर्मचारी उपचारित पानी का एक सैंपल दिखा रहा है. पानी का उपचार किया जा चुका है, उसे फिल्टर और पतला भी किया जा चुका है. कंपनी और सरकार का दावा है की यह पानी अब सुरक्षित है. हालांकि उसमें रेडियोएक्टिव पदार्थ ट्राइटियम के अवशेष मौजूद हैं. वैसे तो इसे तुलनात्मक रूप से नुकसान न देने वाला माना जाता है, लेकिन मछुआरों को डर है कि इसके पानी में घुलने के बाद उनका धंधा फिर से बर्बाद हो जाएगा.
तस्वीर: Kim Kyung-Hoon/REUTERS
सब काबू में है?
ऊर्जा कंपनी और टोक्यो की सरकार का कहना है कि दूसरे देश भी उपचारित पानी को समुद्र में छोड़ते हैं लेकिन जापान में रेडिएशन की जांच के मानक उन देशों से ज्यादा कड़े हैं. और पानी छोड़े जाने का अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी भी अनुमोदन कर चुकी है. कंपनी के प्रवक्ता तोमोहिको मायुजुम ने बताया, "हमारे पास पानी को सुरक्षित बनाने के लिए उपकरण हैं."
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संयंत्र के अंदर मछली पालन
उपचारित पानी कितना सुरक्षित है यह दिखाने के लिए कंपनी बंद हो चुके संयंत्र के अंदर पानी के टैंकों में फ्लाउंडर मछली पाल रही है. फुकुशिमा विश्वविद्यालय के तोशिशिरो वाडा मछुआरों की चिंताओं को समझते हैं. उनका कहना है कि इलाके के बस अभी ही उबरना शुरू हुए मछलीपालन उद्योग के लिए ऊर्जा कंपनी द्वारा दूषित पानी को समुद्र में छोड़ने की घोषणा "दुर्भाग्यपूर्ण" है.
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जिंदा रहने का सवाल
मछलियों को बेचने से पहले हारुओ ओनो उन्हें पानी के एक टैंक में डालते हैं. वो ऊर्जा कंपनी तेप्को से नाराज हैं. वो कहते हैं, "समुद्र कोई कूड़ेदान नहीं है...पानी को फुकुशिमा समुद्र में ही क्यों छोड़ना है, टोक्यो या ओसाका में क्यों नहीं?" उनका कहना है कि इस इलाके के लोग पहले ही बहुत भुगत चुके हैं और अब उन्हें और भुगतने पर मजबूर किया जा रहा है.
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रचनात्मक पुनर्निर्माण
71 साल के ओनो उस जगह पर खड़े हैं जहां कभी उनका घर हुआ करता था. सुनामी के बाद इस जगह को एक पार्क में बदल दिया गया. उनका नया घर तट से काफी दूर है, फिर भी उनका कहना है वो मरते दम तक समुद्र में ही काम करते रहेंगे. उनके हिसाब से मछली पालन का भविष्य उज्ज्वल नहीं है. "प्राथमिक और निचली कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों का क्या होगा? उनके लिए इससे आजीविका चलाना बेहद अस्थिर काम है."
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अगस्त में शुरू हुआ यह मिशन दो हफ्तों में पूरा होना था, लेकिन तकनीकी समस्याओं के चलते इसे कई बार रोका गया. खासतौर पर रोबोट के कैमरे में आई खराबी की वजह से मिशन में देरी हुई. लेकिन पिछले हफ्ते टेलिस्को ने मलबे का टुकड़ा निकालने में सफलता पाई.
सफाई के अगले चरण की तैयारी
निकाले गए नमूने का वजन 3 ग्राम से भी कम है, लेकिन इससे रेडिएशन का स्तर और रिएक्टर के अंदर की स्थिति के बारे में अहम जानकारी मिल सकती है. प्लांट के प्रमुख, अकीरा ओनो का कहना है कि यह छोटा सा टुकड़ा ही सफाई की योजना को समझने और आगे के लिए तकनीकी तैयारियां करने में मदद करेगा.
ओनो ने बताया, "सैंपल की वापसी एक पहला कदम है, लेकिन बहुत महत्वपूर्ण है. इससे डी-कमीशनिंग के अगले चरण के लिए बेहतर तैयारी की जा सकेगी और रेडियोएक्टिव मलबे को सुरक्षित तरीके से संभालने में मदद मिलेगी.”
सैंपल के डेटा का विश्लेषण करने के बाद इसे सुरक्षित ढंग से हटाने की योजना बनाई जाएगी. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि सफाई का सफर अभी लंबा और अनिश्चित है.
स्वास्थ्य और पर्यावरण से जुड़े मुद्दे
फुकुशिमा में रेडिएशन की वजह से प्लांट के आस-पास की साफ-सफाई दुनिया की सबसे मुश्किल परियोजनाओं में से एक है. 2012 में टेपको और जापान की सरकार ने सफाई का समय लगभग 30 से 40 साल तक तय किया था. लेकिन कई विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के बड़े और खतरनाक काम के लिए ये समय सीमा बहुत कम है.
फिर बोतल से निकला फुकुशिमा का जिन्न
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प्लांट में ठंडा करने के लिए इस्तेमाल हुए पानी का बड़ा भंडार भी एक चुनौती है. 2023 में जापान ने इस पानी को समुद्र में छोड़ने की प्रक्रिया शुरू की थी, जिस पर चीन और रूस ने आपत्ति जताई थी. चीन ने तो जापान से आने वाले समुद्री उत्पादों पर प्रतिबंध भी लगा दिया था. हाल ही में चीन ने कुछ हद तक जापानी समुद्री उत्पादों पर लगे प्रतिबंध को हटाने का संकेत दिया है.
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सफाई प्रोजेक्ट की समय सीमा पर सवाल
तकनीकी प्रगति और ताजा मलबा निकालने की कामयाबी के बावजूद, फुकुशिमा सफाई की समय सीमा पर कई सवाल खड़े होते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि 30-40 साल का लक्ष्य बहुत मुश्किल है, क्योंकि इस तरह के खतरनाक मलबे को सुरक्षित तरीके से हटाना बेहद जटिल काम है.
इसके साथ ही टेपको और जापानी सरकार को जनता की चिंताओं का भी सामना करना पड़ता है, खासतौर पर फुकुशिमा के पास के इलाकों में रहने वाले लोग इस परियोजना को लेकर बहुत चिंतित हैं. लंबे सफाई प्रोजेक्ट के चलते इस प्रोजेक्ट पर जनता की नजर बनी हुई है, और सरकार को पारदर्शिता बनाए रखने के लिए दबाव का सामना करना पड़ रहा है.