मालदीव चुनाव: जीत गए चीन की हिमायत करने वाले मोहम्मद मुईज
२ अक्टूबर २०२३मालदीव में हुए चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार मोहम्मद मुईज ने जीत हासिल की है. स्थानीय मीडिया के मुताबिक मुईज को 53 फीसदी वोट मिले. वहीं मालदीव के पिछले राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को 46 फीसदी वोट मिले. दोनों उम्मीदवारों के बीच मतों का अंतर 18 हजार रहा. मुईज की जीत के बाद चीन ने उन्हें बधाई भी दी.
मालदीव में इस बार का चुनाव दोनों उम्मीदवारों के बीच एक तरह के जनमत संग्रह में बदल गया था. सवाल यह था कि हिंद महासागर में बसे इस द्वीपसमूह में भारत का प्रभाव ज्यादा होगा या चीन का. चुनाव जीतने वाले मुईज चीन समर्थक माने जाते हैं, जो मालदीव के चीन के साथ मजबूत संबंधों की वकालत करते हैं.
अपने चुनाव प्रचार में मुईज ने लोगों से कहा कि अभी मालदीव पर भारत का प्रभाव ज्यादा है और अगर वह सत्ता में आए, तो वह भारतीय सैनिकों को देश से हटा देंगे और कारोबारी रिश्तों में भी संतुलन लाएंगे.
तस्वीर में भी नहीं थे मुईज
अपनी चुनावी जीत पर मुईज ने कहा, "आज के नतीजे से हमें देश का भविष्य संवारने का मौका मिला है. मालदीव के लोगों की आजादी सुनिश्चित करने की ताकत मिली है. अब वक्त आ गया है कि हम अपने मतभेदों को एक किनारे रखकर साथ आएं. हमें एक शांतिपूर्ण समाज बनाने की जरूरत है." चुनाव जीतने के बाद मुईज ने पिछले राष्ट्रपति सोलिह से मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को जेल से निकालकर नजरबंद करने की गुजारिश की.
इस चुनाव की शुरुआत में मुईज की छवि तुलनात्मक रूप से कमजोर उम्मीदवार की थी. जब सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में सजा काट रहे यामीन को चुनाव लड़ने से रोक दिया था, तब मुईज ने नामांकन की अवधि खत्म होने से कुछ ही समय पहले वैकल्पिक उम्मीदवार के रूप में पर्चा दाखिल किया था. वहीं यामीन के समर्थक दावा करते हैं कि उन्हें राजनीतिक कारणों से जेल भेजा गया है.
इससे पहले सितंबर में पहले राउंड की वोटिंग के बाद मुईज और सोलिह में से किसी को भी 50 फीसदी से ज्यादा वोट नहीं मिले थे.
मालदीव में क्या था चुनावी चर्चा
2018 में राष्ट्रपति चुने गए सोलिह पद संभालने के बाद से ही मुईज के आरोप झेल रहे थे कि उन्होंने भारत को मालदीव में खुली छूट दी हुई है. मुईज की पार्टी 'पीपल्स नेशनल कांग्रेस' को चीन की जोरदार समर्थक माना जाता है. सोलिह इस बात पर जोर देते आए हैं कि मालदीव में भारतीय सेना की मौजूदगी दोनों सरकारों के बीच एक पोतगाह बनाने के समझौते के तहत है और मालदीव की संप्रभुता का उल्लंघन नहीं किया जाएगा.
इंजनीयरिंग की पढ़ाई करने वाले मुईज ने सात सालों तक आवास मंत्री का पद संभाला है और राष्ट्रपति चुनाव में खड़े होते समय वह राजधानी माले के मेयर थे. चुनाव की शुरुआत में उन्हें तब झटका लगा, जब करिश्माई नेता और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने उनकी 'मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी' के नाता तोड़ लिया और पहले राउंड के चुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया. दूसरे राउंड में वह तटस्थ रहने का फैसला लिया.
मालदीव के पूर्व विदेशमंत्री अहमद शहीद ने चुनावी नतीजे को भारतीय प्रभाव पर चिंता का नतीजा नहीं, बल्कि आर्थिक और प्रशासनिक अपेक्षाएं पूरी करने में सरकार की विफलता के खिलाफ विद्रोह बताया है. शहीद ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि लोगों ने भारत को ध्यान में रखकर वोट दिया है."
भारत और चीन क्यों हैं मुद्दा
शहीद का यह भी मानना है कि मुईज मालदीव की भारत को अहमियत देने की विदेश नीति को ज्यादा नहीं बदल पाएंगे. वह मानते हैं कि मुईज चीनी परियोजनाओं का विरोध कम करेंगे. मालदीव अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल में चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना का हिस्सा बना था. यामीन 2013 से 2018 के बीच मालदीव के राष्ट्रपति थे.
सोलिह को वोट देने का दावा करने वाले एक मतदाता अब्दुल मुहूसिन कहते हैं, "ये पांच साल हमारे अब तक के देखे सबसे शांतिपूर्ण और समृद्धि लाने वाले पांच साल रहे हैं. हमारे यहां राजनीतिक स्थिरता थी. विपक्ष के नेताओं को रोजाना जेल नहीं भेजा जा रहा था."
वहीं मुईज को वोट देने वाले एक मतदाता सईद हुसैन कहते हैं, "मैंने मुईज को इसलिए चुना, क्योंकि मैं चाहता हूं कि भारतीय सेना मालदीव से चली जाए. मुझे नहीं लगता कि मालदीव की सेना के पास कोई ताकत है. सिर्फ मुईज ही हालात बदल सकते हैं और भारतीय सेना को मालदीव से बाहर कर सकते हैं."
हिंद महासागर में स्थित मालदीव मूंगों के 1,200 द्वीपों से बना है, जो पूरब और पश्चिम के बीच शिपिंग के मुख्य रास्ते में पड़ता है. मालदीव में 2,82,000 से ज्यादा मतदाता हैं. मतदान खत्म होने से एक घंटे पहले तक करीब 78% मतदाताओं ने वोट डाला था.
वीएस/ओएसजे (एएफपी)