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समाजजर्मनी

जर्मनी: चुनाव बाद अबॉर्शन कानून को लचीला बनाना मुश्किल होगा?

यूली ग्रेगसन
५ दिसम्बर २०२४

जर्मनी में सेंटर-लेफ्ट पार्टियां अबॉर्शन को अपराध की श्रेणी से हटाने की एक मुहिम चला रही हैं. इसमें कई दल शामिल हैं. सर्वेक्षण बताते हैं कि लोगों में भी भारी समर्थन है, लेकिन क्या रूढ़िवादी सांसद राजी होंगे?

जर्मनी की राजधानी बर्लिन के पास ब्रैंडनबुर्ग गेट के सामने अबॉर्शन अधिकार के समर्थक एक प्रदर्शन करते हुए
सर्वेक्षण दिखाते हैं कि बड़ी संख्या में लोग अबॉर्शन कानूनों को उदार बनाने के पक्षधर हैंतस्वीर: Carsten Koall/Getty Images

जर्मनी की सेंटर-लेफ्ट पार्टियां देश में गर्भपात को कानूनी दर्जा देना चाहती हैं. प्रेग्नेंसी के शुरुआती तीन महीनों में अबॉर्शन का विकल्प देना इसी दायरे में लाने की कोशिश है. जर्मनी में क्रिमिनल कोड का पैराग्राफ 218, गर्भपात संबंधी प्रावधानों से जुड़ा है. यह पहले-पहल 1871 में कानूनी दस्तावेजों का हिस्सा बना.

अबॉर्शन लंबे समय से देश में विवादित मुद्दा रहा है. वैसे तो गर्भपात कराना गैरकानूनी है, लेकिन 1990 के दशक से महिलाओं को अनुमति है कि वे गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीनों में अबॉर्शन करवा सकती है. यह करवाने से कम-से-कम तीन दिन पहले अगर वे काउंसिलिंग में हिस्सा लें, तो उनपर कार्रवाई नहीं होगी. रेप या फिर संबंधित महिला के मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य पर किसी खतरे की स्थिति में भी गर्भपात करवाए जाने पर सजा से छूट का प्रावधान है.

खुद से गर्भपात की कोशिश कर रही हैं अमेरिका की औरतें

एसपीडी और ग्रीन पार्टी के लाए प्रस्ताव को लेफ्ट पार्टी समर्थन दे रही हैतस्वीर: Carsten Koall/Getty Images

अबॉर्शन के मुद्दे पर किस पार्टी का क्या रुख

ग्रीन पार्टी की उले शाउस और सोशल डेमोक्रैट्स (एसपीडी) की कारमन वेगे पैराग्राफ 218 को खत्म किए जाने के अभियान का नेतृत्व कर रही हैं. अनिवार्य काउंसलिंग का प्रावधान इसलिए बरकरार रखा जा रहा है, ताकि अन्य दलों का भी समर्थन मिल सके. हालांकि, कम-से-कम तीन दिन इंतजार करने की अनिवार्यता खत्म कर दी जाएगी.

चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने इस प्रस्ताव पर दस्तखत कर दिया है. आगामी चुनाव में उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी, सीडीयू-सीएसयू के उम्मीदवार फ्रीडरिष मैर्त्स ने उनकी तीखी आलोचना की है. मैर्त्स, कैथोलिक परंपरावादी हैं. उन्होंने एसपीडी-ग्रीन पार्टी के सांसदों द्वारा शुरू किए गए इस अभियान का सख्त विरोध किया और इसे "लोगों का अपमान" बताया. मैर्त्स ने कहा कि यह ऐसा विषय है, जिसने देश में "किसी भी और मसले से ज्यादा ध्रुवीकरण किया है और संभावना है कि यह जर्मनी में एक और पूरी तरह से गैरजरूरी सामाजिक संघर्ष खड़ा करेगा."

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सर्वेक्षण इससे उलट तस्वीर दिखाते हैं. आरटीएल/एनटीवी-ट्रेंड बैरोमीटर सर्वे के ताजा संस्करण में 74 फीसदी प्रतिभागियों ने प्रेगनेंसी के शुरुआती तीन महीनों में बिना रोक-टोक गर्भपात कराने की सुविधा तक पहुंच देने का समर्थन किया. 

ग्रीन पार्टी की उले शाउस, एसपीडी की एक सांसद कारमन वेगे के साथ मिलकर यह प्रस्ताव लाई हैं तस्वीर: ErwinxPottgiesser/Funke/IMAGO

सुरक्षित गर्भपात करने वाले पेशेवरों की कमी?

जो चिकित्साकर्मी अबॉर्शन करने में सक्षम हैं, उनकी संख्या कम है. मेडिकल छात्रों को नियमित तौर पर यह नहीं सिखाया जाता कि यह सर्जिकल प्रक्रिया कैसे की जाए. 2003 से अब तक अबॉर्शन की सर्विस देने वाले डॉक्टरों की संख्या तकरीबन आधी रह गई है. दक्षिणी जर्मनी के हिस्सों में यह स्थिति खासतौर पर मुश्किल है. इसका मतलब है कि कई लोगों को यह विकल्प मिल ही नहीं पाता.

साल 2021 में जब एसपीडी, ग्रीन्स और एफडीपी की गठबंधन सरकार आई, तो इसने सुधार करने का वादा किया. 2022 में सांसदों ने क्रिमिनल कोड के पैराग्राफ 219ए को खत्म कर दिया. इसे गर्भपात के विज्ञापन, या इस सेवा की उपलब्धता पर जानकारी देने से जुड़ा प्रतिबंध कहा जाता था. इस कानून की शुरुआत नाजी दौर में हुई थी. इसके अंतर्गत, सार्वजनिक रूप से अबॉर्शन सर्विस देने की "पेशकश, एलान या विज्ञापन" करने वाले शख्स को दो साल तक की सजा देने या जुर्माना लगाने का प्रावधान था.

फ्रांस: क्यों ऐतिहासिक है गर्भपात के लिए मिली संवैधानिक आजादी

श्टेफानी श्लिट, 'प्रो फामिलिया' नाम की संस्था की उपाध्यक्ष हैं. यह एक स्वतंत्र संस्था है, जो 1970 के दशक से कानूनी बदलावों की मांग करती आई है. श्लिट बताती हैं कि कानूनी पाबंदियां, सजा मिलने का खतरा और गर्भपात विरोधी कार्यकर्ताओं की ओर से तंग किए जाने की आशंकाएं भी डॉक्टरों को हतोत्साहित करती हैं. हालांकि, हाल ही में एक लागू "साइडवॉक हरैसमेंट बैन" में परामर्श केंद्रों, अस्पतालों या क्लिनिकों के पास आक्रामक तरीके से प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया.

जर्मनी की धुर-दक्षिणपंथी एएफडी पार्टी गर्भपात विरोधी अभियानों में भी हिस्सा लेती हैतस्वीर: Carsten Koall/Getty Images

महिलाओं और डॉक्टरों पर असर

श्लिट बताती हैं कि गर्भपात अब भी एक जटिल प्रक्रिया है. इसमें काफी खर्च आता है, काफी कागजी कार्रवाई करनी पड़ती है और यह अब भी "कलंक" की तरह देखा जाता है. स्वास्थ्य बीमा देने वाली कंपनियां आमतौर पर अबॉर्शन का खर्च नहीं उठाती हैं. अबॉर्शन की गोली जर्मनी में केवल गर्भ ठहरने के 49 दिन बाद तक ही मिल सकती है.

अप्रैल 2024 में सरकार ने एक समिति गठित की. इसमें चिकित्सा और नैतिकता के 18 विशेषज्ञ थे. समिति इस नतीजे पर पहुंची कि संवैधानिक, अंतरराष्ट्रीय और यूरोपीय कानूनों की कसौटी पर रखें, तो अबॉर्शन को अपराध के दायरे में रखना सही नहीं है. हालांकि, एफडीपी के कुछ सदस्यों के विरोध के बाद समिति की सिफारिशों को अमल में लाने की प्रक्रिया टल गई. अब तो एफडीपी सरकार में ही नहीं है.

रूस में गर्भपात विरोधी मुहिम के पीछे क्या है?

एफडीपी की सांसद काटरीन हैलिंग-प्लार ने मौजूदा मुहिम का विरोध किया है. जर्मनी में रोमन कैथलिक चर्च के एक ऑनलाइन पोर्टल "कैटोलिश.डीई" से बात करते हुए हैलिंग ने कहा कि "संसद के मौजूदा कार्यकाल के निर्णायक दिनों में इतने जटिल मुद्दे को सामने रखना" उचित नहीं है. हालांकि, एफडीपी के युवा संगठन ने अपनी पार्टी के सभी सांसदों से इस बहस में हिस्सा लेने की अपील की है.

'प्रो फामिलिया' की उपाध्यक्ष श्टेफानी श्लिट ने उन राजनीतिक कोशिशों की आलोचना की, जिनमें कहा जा रहा है कि मौजूदा अभियान को आनन-फानन में शुरू किया गया. डीडब्ल्यू से बातचीत में श्लिट ने कहा, "यह बहुत पहले हो जाना चाहिए था. जर्मनी, यूरोप के उन देशों में है जहां अबॉर्शन पर सबसे ज्यादा पाबंदी लगाने वाले कानून लागू हैं."

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अबॉर्शन पर खुला मतदान

संसद में गर्भपात संबंधी प्रस्ताव को सख्त विरोध का सामना करना पड़ सकता है. ना केवल मुख्य विपक्षी दल सीडीयू-सीएसयू की तरफ से, बल्कि धुर-दक्षिणपंथ की ओर से भी. अपने चुनावी घोषणापत्र में एएफडी "प्रो-लाइफ" है. यह मत "प्रो-चॉइस," यानी सुरक्षित अबॉर्शन करवाने के महिला के अधिकार का विरोध करता है और अजन्मे बच्चे की रक्षा, उसके जन्म लेने के अधिकार को वरीयता देता है. एएफडी, सरकार की ओर से अबॉर्शन में किसी भी तरह की मदद या समर्थन को खारिज करती है.

एसपीडी और ग्रीन पार्टी के लाए प्रस्ताव को लेफ्ट पार्टी समर्थन दे रही है. ग्रीन पार्टी अपने चुनावी घोषणापत्र में पैराग्राफ 218 को क्रिमिनल कोड से हटाने और मुफ्त गर्भनिरोधक मुहैया कराने जाने का समर्थन करती है. पार्टी का मानना है कि मौजूदा पाबंदियां, महिलाओं के अधिकार और अपने लिए फैसला लेने के हक के मुताबिक नहीं हैं. साथ ही, ये प्रतिबंध सबसे ज्यादा कम आमदनी वाले परिवारों पर असर डालती हैं.

एसपीडी की कारमन वेज का अनुमान है कि नई पॉपुलिस्ट पार्टी जारा वागननेष्ट अलायंस (बीएसडब्ल्यू) या तो मतदान में हिस्सा नहीं लेगी या फिर अभियान का समर्थन करेगी. उधर, श्टेफानी श्लिट का मानना है कि संसद के आगे अभी "ऐतिहासिक मौका" है क्योंकि आगामी चुनाव के बाद शायद नीतियां दक्षिणपंथ की ओर मुड़ें. वह चेतावनी के स्वर में कहती हैं, "अगर कानून अपने मौजूदा रूप में बरकरार रहा, तो समाज में ध्रुवीकरण की ज्यादा संभावना है क्योंकि महिलाएं, बच्चे को जन्म देने वालियां देखेंगी कि उनके हितों की कोई गिनती नहीं है."

अगर यह प्रस्ताव मतदान के लिए संसद में पेश हुआ, तो इसपर खुली वोटिंग होगी. यानी, इसपर गुप्त मतदान नहीं होगा. फिर शायद साफ तस्वीर दिखेगी कि सीडीयू-सीएसयू और एएफडी साथ मिलकर इसका विरोध कर रहे हैं. यह सीडीयू-सीएसयू के लिए द्वंद्व की स्थिति होगी. पार्टी पहले कहती रही है कि वह एएफडी का साथ नहीं देगी. हालांकि, उस इनकार का संदर्भ गठबंधन सरकार बनाने से जुड़ा था. 

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