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मानवाधिकारअफगानिस्तान

कहां जाएं प्रताड़ित अफगान महिलाएं

७ जनवरी २०२२

अफगान महिलाओं की दुर्दशा के बावजूद देश भर में केवल 24 आश्रय गृह हैं जहां महिलाएं शरण ले सकती हैं. ये केंद्र अंतरराष्ट्रीय संगठनों के वित्तीय सहयोग से चलाए जा रहे हैं.

तस्वीर: Wakil Kohsar/AFP/Getty Images

फातिमा ने बलात्कार, पिटाई और भुखमरी को सहा. जब यह सब सहन के बाहर हो गया तो उसने एक दिन खुद को मारने का फैसला किया. अब 22 साल की फातिमा अफगानिस्तान में पीड़ित महिलाओं के लिए एक आश्रय गृह में रहती है.

जब वह दस साल की थी तो उसे इस कद्र पीटा गया और फिर दीवार की तरफ धकेला दिया गया. वह कहती है, "मेरा सिर एक कील से टकरा गया... मैं लगभग मर गई." वह आश्रय में सुरक्षित महसूस करती है, लेकिन डरती है कि तालिबान सरकार आश्रय को बंद कर सकती है. फातिमा की कहानी लाखों अफगान महिलाओं की कहानी है.

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 87 प्रतिशत अफगान महिलाओं ने किसी न किसी रूप में यौन, शारीरिक या मानसिक शोषण का सामना किया है. फातिमा का अपने परिवार से संपर्क टूट गया है और ससुराल वालों ने उसे जान से मारने की धमकी दी है. उसके पास इस आश्रय के अलावा और कहीं जाने के लिए नहीं है.

तालिबान का खौफ

अफगान महिलाओं की दुर्दशा के बावजूद देश भर में केवल 24 आश्रय गृह हैं जहां महिलाएं शरण ले सकती हैं. ये केंद्र अंतरराष्ट्रीय संगठनों के वित्तीय सहयोग से चलाए जा रहे हैं. तालिबान के देश पर कब्जा करने से पहले कुछ केंद्रों ने महिलाओं को प्रमुख शहरों में आश्रयों में स्थानांतरित कर दिया था. जिन महिलाओं ने अपने परिवार को सुरक्षित महसूस किया, उन्हें वापस भेज दिया गया. लगभग 100 महिलाओं को काबुल भेजा गया लेकिन काबुल भी तालिबान के हाथों में आ गया.

फातिमा के शेल्टर होम की निदेशक कहती हैं, ''हमें शुरू से ही सब कुछ करना होगा.'' तालिबान का कहना है कि वे महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करता है, लेकिन हकीकत कुछ और है. इस युद्धग्रस्त देश में छात्राओं के लिए अधिकांश माध्यमिक विद्यालय बंद हैं. कुछ क्षेत्रों को छोड़कर महिलाएं काम नहीं कर सकती हैं और हाल के आदेशों के मुताबिक महिलाएं पुरुषों के बिना लंबी यात्रा पर नहीं जा सकती हैं.

आशा की किरण

अफगानिस्तान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने जबरन विवाह को हतोत्साहित किया है. संयुक्त राष्ट्र के दूत के लिए तालिबान के नामित सोहेल शाहीन ने एमनेस्टी इंटरनेशनल को बताया कि हिंसा की शिकार महिलाएं अदालत जा सकती हैं.

अभी तक तालिबान ने महिला शेल्टर होम को लेकर कोई बयान नहीं दिया है. लेकिन तालिबान अधिकारियों ने उस केंद्र का दौरा किया जहां फातिमा 20 अन्य प्रभावित महिलाओं के साथ रह रही है. शेल्टर होम के एक कर्मचारी ने कहा, "जब वे यहां आए, तो उन्होंने देखा कि कोई पुरुष नहीं हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि यह जगह महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है. उन्हें अपने घरों में होना चाहिए."

एए/सीके (एएफपी)

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