अपने पूर्व पार्टनर की आखिरी पिटाई से आहत और जख्मी मारिसेला ओलिवा मैक्सिकन राजधानी में एक अदालत के बाहर अकेले इंतजार कर रही हैं. ताकि यह फैसला हो पाए कि वह अकेले जिंदगी में चलेंगी की नहीं.
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मारिसेला ओलिवा की जिंदगी का एक ही लक्ष्य है. इंसाफ पाना. मैक्सिको जैसे देश में मारिसेला जैसी महिलाओं के लिए इंसाफ पाना बेहद मुश्किल है, समस्या से निपटने के लिए गठित एक सरकारी आयोग के अनुसार महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 94 प्रतिशत मामलों में न्याय नहीं हो पाता है.
58 साल की मारिसेला सवाल करती हैं, "अगर अधिकारी उसे छोड़ देते हैं, तो मैं अपनी रक्षा के लिए कहां जाऊंगी? अगर मुझे मौत की धमकी का सामना करना पड़ रहा है तो मैं कहां छिपूंगी?"
मारिसेला के पूर्व पार्टनर ने उनकी इतनी बेरहमी से पिटाई की कि उन्हें चोटों के कारण सहारा लेकर चलना पड़ता है.
मारिसेला का मामला देश की हजारों महिलाओं जैसा ही है जो लैंगिंक हिंसा का सामना कर रही हैं और अदालतों के चक्कर लगा रही हैं.
सरकार ने इस साल जनवरी और मई के बीच फेमिसाइड के 423 मामले दर्ज किए. जो कि साल 2020 की इसी अवधि की तुलना में सात प्रतिशत अधिक है. पूरे 2020 में फेमिसाइड के 967 मामले दर्ज किए गए थे.
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कोर्ट में इंसाफ के लिए भी जद्दोजहद
मारिसेला को इंसाफ के लिए कोर्ट जाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. वे बताती हैं कि मध्य मैक्सिको राज्य में पुलिस ने उसके मामले को एक प्रेमी के झगड़े के रूप में माना और पूरा बयान लेने की जहमत तक नहीं उठाई.
उन्होंने एक मानवाधिकार कार्यकर्ता से संपर्क कर न्याय पाने की दिशा में कदम बढ़ाया. मारिसेला पूछती हैं, "न्याय व्यवस्था किसका इंतजार कर रही है? कि वह मुझे मार डाले?" कोर्ट में सुनवाई के बाद आरोपी को हिरासत में भेज दिया गया है.
37 वर्षीय सरकारी कर्मचारी डेनिएला सांचेज अपने पूर्व पार्टनर द्वारा सालों तक शारीरिक और मनोवैज्ञानिक शोषण के खिलाफ न्याय की मांग कर रही हैं. उन्हें लगता है कि वह दंडाभाव की दीवार का सामना कर रही हैं.
देखें: इन देशों में कानून के सहारे सजा से बच जाते हैं रेपिस्ट
इन देशों में कानून के सहारे सजा से बच जाते हैं रेपिस्ट
यूएन की एक रिपोर्ट के अनुसार 2021 में भी कई ऐसे देश हैं जहां बलात्कारी अगर पीड़िता से शादी कर लें तो वे सजा से बच सकते हैं. इस कानून के आलोचक इसे "मैरी योर रेपिस्ट" कानून कहते हैं. डालते हैं एक नजर ऐसे कुछ देशों पर.
तस्वीर: Mohammad Ponir Hossain/REUTERS
रूस
रूस की दंड संहिता के अनुच्छेद 134 के अनुसार अगर बलात्कार के दोषी सिद्ध हुए पुरुष की उम्र 18 वर्ष है और पीड़िता की उम्र 16 वर्ष से कम, तो वह पीड़िता से शादी करने पर बलात्कार की सजा से मुक्त हो सकता है. हालांकि कानून ऐसा विकल्प केवल पहली बार अपराध करने वालों को देता है.
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थाईलैंड
थाईलैंड में शादी बलात्कार के लिए एक समझौता माना जाता है. अगर अपराधी 18 वर्ष से ज्यादा उम्र का है और पीड़िता 15 वर्ष से ऊपर है और उसने सेक्स संबंध के लिए "सहमति" दी थी या अदालत विवाह की अनुमति देती है तो भी बलात्कारी सजा से बच सकता है.
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वेनेजुएला
वेनेजुएला के पीनल कोड में अगर बलात्कारी पीड़िता से कानूनी रूप से शादी कर ले तो वह बलात्कार की सजा से बच सकता है. सामाजिक कार्यकर्ता इसके खिलाफ कहते रहे हैं कि इस कानून से महिलाओं के खिलाफ बलात्कार जैसे अपराध को अंजाम देने को बढ़ावा मिलता है.
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कुवैत
कुवैत की दंड संहिता के अनुच्छेद 182 में भी बलात्कार के दोषियों के लिए सजा से बचने का प्रावधान है, अगर वह उस महिला से शादी कर ले जिसका उसने बलात्कार किया था. इस कानून को 1960 में लागू किया गया था.
तस्वीर: Yasser Al-Zayyat /Getty Images/AFP
फिलीपींस
सन 1997 में फिलीपींस में रिपब्लिक एक्ट या एंटी रेप लॉ लागू किया गया था. इस कानून के अनुच्छेद 266-D के अनुसार अगर रेपिस्ट पीड़िता से कानूनी तौर पर शादी कर लेता है तो सजा माफ हो सकती है.
तस्वीर: Ezra Acayan/Getty Images
इराक
इराक की दंड संहिता के अनुच्छेद 398 के अनुसार अगर बलात्कारी पीड़ित से कानूनी रूप से शादी कर लेता है, तो वह बलात्कार की सजा से बच सकता है. यह कानून 1969 में लागू किया गया था. मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे निरस्त करने की मांग करते रहे हैं.
तस्वीर: Ahmad al-Rubaye/Getty Images/AFP
बहरीन
बहरीन की दंड संहिता के अनुच्छेद 353 के तहत बलात्कारियों को सजा से छूट मिल सकती है अगर वे पीड़िता से शादी कर लें. इस कानून को 1976 में लागू किया गया था. हालांकि संसद ने 2016 को इसे समाप्त करने के लिए मतदान किया, लेकिन सरकार अभी भी इसका विरोध कर रही है.
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सांचेज कहती हैं, "पहले ही पल से अधिकारी हमारे शब्दों और मेरे शरीर पर जख्मों के निशान पर संदेह करते आए हैं."
नागरिक संगठन इक्विस जस्टिसिया की सह-निदेशक फातिमा गैम्बोआ का कहना है कि मैक्सिको में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के रूप में "एक जटिल घटना का जवाब देने" में सक्षम संस्थागत ढांचे का अभाव है.
विश्लेषण से पता चलता है कि ज्यादातर मामलों में न्यायिक अधिकारी संभावित स्थितियों या व्यवहार की पहचान करने में विफल होते हैं जो महिलाओं को जोखिम में डालते हैं या फिर आवश्यक सुरक्षा आदेश जारी करने में भी विफल होते हैं.
गैम्बोआ कहती हैं, "न्याय को लैंगिक दृष्टिकोण से प्रशासित नहीं किया जाता है."
मैक्सिको में न्याय से दूर महिलाएं
सरकार ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के उद्देश्य से कई पहल शुरू की हैं. उनमें कानूनी केंद्र शामिल हैं. अधिकारियों का कहना है कि इन केंद्रों में इस साल एक लाख लोगों को कानूनी सलाह दी गई. साथ ही जोखिम वाली महिलाओं के लिए आश्रय भी खोले गए हैं.
मोनिका बोर्रेगो की 21 साल की बेटी यांग क्यूंग जूनो की मौत 2014 में हुई थी. बोर्रेगो को लगता है कि उसकी हत्या फेमिसाइड की कोशिश के आरोपी ने ही की है.
पुलिस ने जूनो की मौत के मामले को आत्महत्या बताकर बंद कर दिया था. हालांकि उसके शरीर पर जख्मों के निशान थे. परिवार को केस दोबारा खुलवाने के लिए लड़ाई लड़नी पड़ी. परिवार की कोशिश के कारण संदिग्ध आरोपी की सुनवाई कोर्ट में चल रही है.
जूनो की मां को आज भी याद है कि कैसे एक अधिकारी ने उन्हें "हिस्टीरिया मां" कहकर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था.
एए/वीके (एएफपी)
महिलाओं को क्यों नहीं है अपने ही शरीर पर अधिकार?
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि दुनिया में 50 प्रतिशत महिलाओं को अपने ही शरीर पर अधिकार नहीं है. महिलाएं ऐसा लंबे समय से महसूस करती रही हैं, लेकिन संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष ने इसे पहली बार उठाया है.
तस्वीर: Karim Sahib/AFP
अपने शरीर पर स्वायत्ता
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की इस रिपोर्ट में पहली बार महिलाओं के अपने ही शरीर पर स्वायत्ता की कमी के विषय को संबोधित किया है गया. अध्ययन का शीर्षक है "मेरा शरीर मेरा अपना है" और इसमें 57 देशों में महिलाओं के हालात पर रोशनी डाली गई है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Pförtner
हर दूसरी महिला पर है प्रतिबंध
रिपोर्ट के अनुसार चाहे यौन संबंध हों, गर्भ-निरोध हो या स्वास्थ्य सेवाओं को हासिल करने का सवाल, इन 57 देशों में लगभग 50 प्रतिशत महिलाओं को कई तरह के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है.
तस्वीर: Remo Casilli/Reuters
कोई और लेता है फैसले
रिपोर्ट के लिए इन देशों में महिलाओं पर लगे उन प्रतिबंधों का अध्ययन किया गया है जो महिलाओं को बिना किसी डर के अपने शरीर से संबंधित फैसले लेने से रोकते हैं. कई प्रतिबंधों का नतीजा यह भी होता है कि महिलाओं के शरीर से जुड़े फैसले कोई और ले लेता है.
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महिलाओं के खिलाफ हिंसा
रिपोर्ट में इन 57 देशों में महिलाओं पर अंकुश लगाने के लिए बलात्कार, जबरन वंध्यीकरण या स्टेरलाइजेशन, कौमार्य परीक्षण और जननांगों को अंगभंग करने जैसे हमलों के बारे में भी बताया गया है.
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व्यापक असर
यूएनएफपीए ने कहा है कि शरीर पर स्वायत्ता की इस कमी की वजह से महिलाओं और लड़कियों को गंभीर क्षति तो पहुंचती ही है, इससे आर्थिक उत्पादकता भी कम होती है और स्वास्थ्य प्रणाली और न्यायिक व्यवस्था का खर्च भी बढ़ता है.
तस्वीर: Daniel Mihaulescu/AFP/Getty Images
कानून भी नहीं देता साथ
रिपोर्ट में 20 ऐसे देशों के बारे में बताया गया है जहां ऐसे कानून हैं जिनकी मदद से कोई बालात्कारी पीड़िता से शादी करके कानूनन सजा से बच सकता है. रिपोर्ट में 43 ऐसे देशों के बारे में भी बताया गया है जहां शादीशुदा जोड़ों के बीच बलात्कार को लेकर भी कोई कानून नहीं है. इसके अलावा 30 से भी ज्यादा ऐसे देश हैं जहां महिलाओं के घर से बाहर आने जाने पर तरह-तरह के प्रतिबंध हैं.
तस्वीर: Michael McCoy/Reuters
सिर्फ आधे देशों में हैं सेक्स एजुकेशन
रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययन किए गए देशों में से सिर्फ 56 प्रतिशत देशों में व्यापक सेक्स एजुकेशन उपलब्ध कराने को लेकर कानून या नीतियां हैं. यूएनएफपीए की निदेशक नटालिया कनेम कहती हैं, "इसका सारांश यह है कि करोड़ों महिलाओं और लड़कियों का अपने ही शरीर पर हक नहीं है. उनकी जिंदगी दूसरों के अधीन है." - एएफपी