म्यांमार की जेलों में बंद पत्रकार और अधिकार कार्यकर्ताओं की रिहाई सैन्य जुंटा ने बुधवार से शुरू कर दी है. देश में सैन्य तख्तापलट का विरोध करने वाले हजारों लोगों को जेलों में डाल दिया गया था.
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म्यांमार के अधिकारियों का कहना है कि म्यांमार की सरकार ने लगभग 2,300 कैदियों की रिहाई बुधवाार से शुरू कर दी है. रिहाई पाने वाले कैदियों में 1 फरवरी 2021 को म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट का विरोध करने वाले लोग और इस पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों समेत 2300 लोग शामिल हैं.
बुधवार की सुबह यंगून की जेलों से कैदियों से भरी बसें निकलीं. कैदियों की रिहाई के इंतजार में सुबह से ही परिवार और दोस्त इंतजार कर रहे थे. जेल से कैदियों को उस पुलिस स्टेशन ले जाया गया जहां मूल मामला दर्ज किया गया था. इस तरह से कैदियों को थाने ले जाना देश में मानक नियम है.
पत्रकार और अधिकार कार्यकर्ताओं की रिहाई
यंगून जेल के प्रमुख जॉजॉ ने 720 कैदियों की रिहाई की पुष्टि की है. यह जेल दशकों से राजनीतिक कैदियों के लिए मुख्य जेल रही है. देश की मीडिया पर आधिकारिक घोषणाओं के मुताबिक रिहाई पाने वाले ज्यादातर कैदियों पर विरोध करने से संबंधित आरोप लगाए गए थे. म्यांमार दंड संहिता की धारा 505 (ए) के मुताबिक सार्वजनिक अशांति या भय या झूठी खबर फैलाने वाले को तीन साल की सजा हो सकती है.
हालांकि, ऐसा लगता है कि अज्ञात संख्या में लोग इस धारा के तहत जेलों में बंद हैं. ऐसे लोगों की पूरी जानकारी अभी भी उपलब्ध नहीं है. आने वाले दिनों में कई और कैदियों की रिहाई की उम्मीद की जा रही है. सेना की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि 2,296 कैदियों को रिहा किया जा रहा है.
देखें: झंडों, बंदूकों और पहियों से विरोध
झंडों, बंदूकों और पहियों से विरोध
हालांकि विरोध प्रदर्शन करना एक गंभीर मामला है, लेकिन बीते 24 घंटों में आई विरोध की तस्वीरें का एक हल्का पहलू भी है. हांग कांग से लेकर अफगानिस्तान और वेस्ट बैंक तक, देखिए दुनिया के अलग अलग हिस्सों की कुछ दिलचस्प तस्वीरें.
तस्वीर: Mussa Qawasma/REUTERS
एक अखबार की मौत
हांग कांग में 26 साल के प्रकाशन के बाद लोकतंत्र का समर्थन करने वाला अखबार "एप्पल डेली" बंद हो गया. अमूमन अखबार की रोज 80,000 प्रतियां छपती थीं, लेकिन प्रकाशन के आखिरी दिन 10 लाख प्रतियां छपीं और सारी हाथों हाथ बिक गईं.
तस्वीर: Lam Yik/REUTERS
एक आइकन का अंत
मैकएफी एंटीवायरस सॉफ्टवेयर के जनक जॉन मैकएफी स्पेन के बार्सिलोना की एक जेल में मृत पाए गए. ऐसी संभावना जताई जा रही है कि उन्होंने आत्महत्या की हो. वो टैक्स चोरी के जुर्म में अक्टूबर 2020 से उस जेल में थे और उन्हें प्रत्यर्पण के तहत अमेरिका भेजा जाना था. 1980 के दशक में उन्होंने अपने सॉफ्टवेयर से करोड़ों कमाए थे.
तस्वीर: LiPo Ching/Bay Area News Group/MCT/ABACA/picture alliance
प्राइड के समर्थन में
यूरो 2020 फुटबॉल प्रतियोगिता में जर्मनी-हंगरी के मैच से पहले जर्मनी की शर्ट पहने एक आदमी हंगरी की टीम के सदस्यों के आगे से एलजीबीटीक्यूआई के समर्थन वाला इंद्रधनुषी झंडा ले कर दौड़ा. पिछले सप्ताह एक एलजीबीटीक्यूआई-विरोधी कानून पास करने पर हंगरी की काफी आलोचना हुई. पूरे जर्मनी में स्टेडियमों को इंद्रधनुषी रंगों में रोशन कर दिए जाने के बाद हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने वहां जाना रद्द कर दिया.
तस्वीर: Matthias Hangst/AP Photo/picture alliance
आतंकवाद के खिलाफ
अफगानिस्तान में सैकड़ों लोग हाथों में हथियार लेकर तालिबान के खिलाफ और देश के सुरक्षाबलों के समर्थन में इकठ्ठा हुए. जैसे जैसे अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने की तारीख करीब आती जा रही है, तालिबान देश पर अपनी पकड़ जमाते जा रहा है.
तस्वीर: Str./REUTERS
गजा में नाजुक युद्ध-विराम
वेस्ट बैंक में इस्राएल के खिलाफ आयोजित किए गए रात भर चलने वाले एक विरोध प्रदर्शन में भाग लेता एक फलस्तीनी. मई में 11 दिनों तक दोनों पक्षों के बीच चली लड़ाई के बाद अभी युद्ध-विराम है, लेकिन इलाके में अभी भी अशांति है.
तस्वीर: Mohamad Torokman/REUTERS
पोप, मिलिए स्पाइडरमैन से
वैटिकन में पोप फ्रांसिस से हाथ मिलाता यह शख्स कॉमिक्स की दुनिया के इस सुपरहीरो की पोशाक पहन पूरे इटली में घूम घूम कर अस्पतालों में भर्ती बच्चों का दिल बहलाता है. इस 28-वर्षीय युवक ने पोप को भी एक मास्क दिया.
तस्वीर: Andrew Medichini/AP/dpa/picture alliance
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उप सूचना मंत्री मेजर जनरल जॉ मिन तुन ने चीन की शिन्हुआ समाचार एजेंसी को पहले कहा था, ''रिहा किए गए कैदियों में वो शामिल हैं जिन्होंने प्रदर्शन में भाग लिया था लेकिन हिंसा नहीं की थी या दंगों को नहीं भड़काया था.'' एसिसटेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स एक्टिविस्ट समूह के मुताबिक करीब 5,224 लोगों को तख्तापलट के बाद से अब तक सुरक्षाबलों ने अलग-अलग धाराओं में हिरासत में लिया है. ग्रुप राजनीतिक संघर्ष के बाद से ही गिरफ्तार लोगों और मृतकों की सूची तैयार करता है.
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जेल से रिहाई की वजह कोरोना?
म्यांमार कोरोना के बढ़ते मामले से भी जूझ रहा है. देश में अब तक 1,55,000 से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. भीड़भाड़ की स्थिति जेलों को वायरस के लिए उच्च जोखिम वाले क्षेत्र बनाती है, हालांकि रिहाई के लिए कोरोना संक्रमण ने खतरे के रूप में अहम भूमिका निभाई है इसपर कोई आधिकारिक बयान नहीं है.
म्यांमार की सेना ने 1 फरवरी को सैन्य तख्तापलट कर दिया था और स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची और उनके सत्तारूढ़ एनएलडी के अन्य सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया था. विद्रोह से पहले, सेना ने सू ची की पार्टी पर पिछले साल के चुनाव में धांधली का आरोप लगाया था. सू ची पर इस समय अपने अंगरक्षकों के लिए अवैध रूप से वॉकी-टॉकी आयात करने और कोरोना महामारी के नियमों का उल्लंघन करने का मुकदमा चल रहा है.
एए/सीके (एपी)
अखबार, टीवी या इंटरनेट: कौन है खबरों की दुनिया का बादशाह
रॉयटर्स इंस्टीट्यूट द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में भारत में समाचारों की खपत को लेकर दिलचस्प नतीजे सामने आए हैं. आइए देखते हैं भारत में लोग किस माध्यम से खबरें देखना ज्यादा पसंद करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/P. Kumar
खबरों पर भरोसा कम
संस्थान ने पाया कि भारत में सिर्फ 38 प्रतिशत लोग खबरों पर भरोसा करते हैं. यह अंतरराष्ट्रीय स्तर से नीचे है. पूरी दुनिया में 44 प्रतिशत लोग खबरों पर भरोसा करते हैं. फिनलैंड में खबरों पर भरोसा करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है (65 प्रतिशत) और अमेरिका में सबसे कम (29 प्रतिशत). भारत में लोग टीवी के मुकाबले अखबारों पर ज्यादा भरोसा करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Pacific Press/S. Pan
खोज कर खबरें देखना
45 प्रतिशत लोगों को परोसी गई खबरों के मुकाबले खुद खोज कर पढ़ी गई खबरों पर ज्यादा भरोसा है. सोशल मीडिया से आई खबरों पर सिर्फ 32 प्रतिशत लोगों को भरोसा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee
इंटरनेट पसंदीदा माध्यम
82 प्रतिशत लोग खबरें इंटरनेट पर देखते हैं, चाहे मीडिया वेबसाइटों पर देखें या सोशल मीडिया पर. इसके बाद नंबर आता है टीवी का (59 प्रतिशत) और फिर अखबारों का (50 प्रतिशत).
तस्वीर: DW/P. Samanta
स्मार्टफोन सबसे आगे
खबरें ऑनलाइन देखने वाले लोगों में से 73 प्रतिशत स्मार्टफोन पर देखते हैं. 37 प्रतिशत लोग खबरें कंप्यूटर पर देखते हैं और सिर्फ 14 प्रतिशत टैबलेट पर.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
व्हॉट्सऐप, यूट्यूब की लोकप्रियता
इंटरनेट पर खबरें देखने वालों में से 53 प्रतिशत लोग व्हॉट्सऐप पर देखते हैं. इतने ही लोग यूट्यूब पर भी देखते हैं. इसके बाद नंबर आता है फेसबुक (43 प्रतिशत), इंस्टाग्राम (27 प्रतिशत), ट्विटर (19 प्रतिशत) और टेलीग्राम (18 प्रतिशत) का.
तस्वीर: Javed Sultan/AA/picture alliance
साझा भी करते हैं खबरें
48 प्रतिशत लोग इंटरनेट पर पढ़ी जाने वाली खबरों को सोशल मीडिया, मैसेज या ईमेल के जरिए दूसरों से साझा भी करते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP
सीमित सर्वेक्षण
यह ध्यान देने की जरूरत है कि ये तस्वीर मुख्य रूप से अंग्रेजी बोलने वाले और इंटरनेट पर खबरें पढ़ने वाले लोगों की है. सर्वेक्षण सामान्य रूप से ज्यादा समृद्ध युवाओं के बीच किया गया था, जिनके बीच शिक्षा का स्तर भी सामान्य से ऊंचा है. इनमें से अधिकतर शहरों में रहते हैं. इसका मतलब इसमें हिंदी और स्थानीय भाषाओं बोलने वालों और ग्रामीण इलाकों में रहने वालों की जानकारी नहीं है.