संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन भी अदाणी विवाद दोनों सदनों की कार्यवाही पर हावी रहा. इस बीच अदाणी समूह ने कहा है कि गौतम अदाणी और उनके भतीजे सागर अदाणी के खिलाफ व्यक्तिगत रूप से आरोप नहीं लगे हैं.
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संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन भी लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही अदाणी विवाद की वजह से प्रभावित रही. दोनों सदनों में कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही मिनटों के अंदर दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई. 25 नवंबर को सत्र के पहले दिन भी ऐसा ही हुआ था.
इस बीच अदाणी समूह ने एक बयान जारी कर कहा है कि अमेरिका के कानून मंत्रालय ने अपनी जांच में समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी, उनके भतीजे सागर अदाणी और वरिष्ठ अधिकारी विनीत जैन के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाए हैं.
आरोपों को बताया बेबुनियाद
समूह के मुताबिक इन तीनों पर "अमेरिका के कानून मंत्रालय के अभियोग या अमेरिका के एसईसी विभाग की सिविल कंप्लेंट में 'फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट' (एफसीपीए) के किसी भी तरह के उल्लंघन के आरोप नहीं लगाए गए हैं" और अभियोग की "गलत समझ" की वजह से भारतीय और विदेशी मीडिया ने इन तीनों पर आरोप लगाए जाने की गलत खबर दी है.
इतिहास की सबसे बड़ी धोखाधड़ी के आरोप का सामना कर रहे गौतम अदाणी
गौतम अदाणी कभी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति थे लेकिन एक रिपोर्ट ने उनके व्यापार को इतना नुकसान पहुंचा दिया कि अदाणी समूह की पूंजी 8000 अरब से ज्यादा गिर गई. जानिए गौतम अदाणी और उनके साम्राज्य के बारे में.
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अपार संपत्ति
अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी को कभी एशिया के सबसे अमीर और दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में जाना जाता था. अहमदाबाद के एक मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले और शिक्षा भी पूरी ना कर पाने वाले एक व्यक्ति के लिए इसे एक अचंभित करने वाली उपलब्धि माना जाता था.
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सादा शुरुआत
कहा जाता है कि गौतम अदाणी ने कॉलेज शिक्षा छोड़ कर मुंबई में हीरों का कारोबार शुरू किया. बाद में अहमदाबाद लौट कर उन्होंने अपने भाई के साथ मिल कर प्लास्टिक आयात करने का व्यापार किया. फिर 1980 के दशक में उन्होंने अदाणी एंटरप्राइजेज की स्थापना की.
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आर्थिक सुधारों का लाभ
1990 के दशक में जब भारतीय अर्थव्यवस्था में उदारीकरण और वैश्वीकरण का दौर आया तब अदाणी ने अपने व्यापार का विस्तार किया और बंदरगाहों, निर्माण और कोयला खनन में निवेश करना शुरू किया. उनकी पहली बड़ी परियोजना मुंद्रा बंदरगाह आज भारत का सबसे बड़ा व्यावसायिक बंदरगाह है और वो देश के सबसे बड़े निजी बंदरगाह ऑपरेटर हैं.
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तेजी से विस्तार
इसके बाद एक दशक के अंदर ही वो भारत में कोयला खदानों के सबसे बड़े डेवलपर और ऑपरेटर बन गए. आज अदाणी समूह बड़े शहरों में एयरपोर्ट चलाता है, सड़कें, बिजली, सैन्य उपकरण, कृषि उपकरण और उत्पाद आदि बनाता है और मीडिया संस्थान भी चलाता है. अदाणी समूह का लक्ष्य है 2030 तक अक्षय ऊर्जा में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनना.
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ऋण पर खड़ा साम्राज्य
शेयर बाजार में अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयरों के दाम सिर्फ पांच सालों में 1,000 प्रतिशत बढ़ गए. लेकिन समीक्षकों का कहना है कि अदाणी समूह का इतनी तेजी से हुआ विस्तार ऋण के दम पर हुआ है. समूह के ऊपर करीब 2,400 अरब रुपयों का ऋण है, जिसमें से करीब 730 अरब रुपयों का ऋण भारतीय बैंकों से लिया गया है.
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मोदी से संबंध
समीक्षकों का यह भी कहना है कि नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब गौतम अदाणी ने उनसे हाथ मिलाया और जब मोदी प्रधानमंत्री बने तब उनके करीब संबंधों का फायदा अडानी को राष्ट्रीय स्तर पर मिला. पहली बार प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी चुनाव अभियान में अक्सर अदाणी के चार्टर्ड विमान में यात्रा करते हुए नजर आते थे.
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सरकारी समर्थन के आरोप
आलोचकों का कहना है कि मोदी से दोस्ती होने की वजह से अदाणी अपने प्रतिद्वंदियों से आगे निकल पाए, व्यापार का विस्तार किया और बिना पर्याप्त निगरानी के ज्यादा से ज्यादा ऋण भी उठाया. गौतम अदाणी ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है.
अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने जनवरी 2023 में एक रिपोर्ट जारी कर अदाणी समूह पर इतिहास की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट धोखाधड़ी का आरोप लगाया. हिंडनबर्ग का आरोप है कि गौतम अदाणी ने लेखा धोखाधड़ी की है और ऑफशोर कर पनाह वाले देशों के रास्ते पैसे लगा कर अपनी कंपनियों के शेयरों के दामों को कृत्रिम रूप से बढ़ाया.
एक रिपोर्ट का असर
अदाणी समूह ने इन आरोपों का भी खंडन किया है लेकिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद समूह को बड़ा धक्का लगा है. बाजार में समूह की पूंजी में 8000 अरब से ज्यादा की गिरावट आई है और गौतम अदाणी ने भी सबसे अमीर लोगों की सूची में अपना स्थान खो दिया है.
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समूह ने कहा कि अभियोग सिर्फ इन दावों पर आधारित है कि रिश्वत की बात की गई थी या वादा किया गया था और उसमें इस बात का कोई सबूत नहीं है कि अदाणी समूह के अधिकारियों ने भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत दी थी. अदाणी समूह की तरफ से पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि चार्जशीट में यह नहीं बताया गया है कि किसे रिश्वत दी गई.
समूह ने अपने बयान में यह भी कहा कि "बेबुनियाद" अमेरिकी कार्रवाई और "लापरवाह और गलत" मीडिया रिपोर्टों की वजह से उसे काफी नुकसान उठाना पड़ा है. समूह के मुताबिक उसकी 11 लिस्टेड कंपनियों को बाजार पूंजीकरण में करीब 55 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है.
अमेरिकी न्याय विभाग ने बुधवार, 20 नवंबर को गौतम अदाणी और सात अन्य लोगों के खिलाफ आरोप तय किए थे, जिनमें उनके भतीजे सागर अदाणी का नाम भी शामिल है. इन सभी पर भारत में सोलर एनर्जी परियोजनाओं के ठेके हासिल करने के लिए 26.5 करोड़ डॉलर (लगभग 2,200 करोड़ रुपये) की घूस देने का आरोप है.
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बीजेपी ने बनाई दूरी
हालांकि इस मामले पर तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा है कि एफसीपीए के तहत सिर्फ अमेरिकी कंपनियों पर आरोप लगाए जाते हैं जबकि गौतम अदाणी पर रिश्वत देने का आरोप "सेक्युरिटीज एक्सचेंज एक्ट" के तहत लगाए गए हैं. मोइत्रा के मुताबिक अदाणी पर अमेरिकी अधिकारियों से झूठ बोलने के आरोप भी लगाए गए हैं.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि गौतम अदाणी को गिरफ्तार कर लिया जाना चाहिए. उन्होंने संसद के बाहर पत्रकारों को बताया, "इन श्रीमान पर अमेरिका में आरोप लगाए गए हैं...और सरकार उसे बचा रही है." भारत सरकार ने अभी तक इस मामले पर कोई बयान नहीं दिया है लेकिन सत्ताधारी बीजेपी ने इस विवाद से दूरी बनाने की कोशिश की है.
बीजेपी के प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने मंगलवार को कहा, "वो अपनी सफाई खुद दें. हम उद्योगपतियों के खिलाफ नहीं हैं. हम उन्हें राष्ट्र-निर्माण में साझेदार मानते हैं. लेकिन अगर वो कुछ गलत करते हैं तो कानून अपना काम करेगा."