भारत की संसद के शीतकालीन सत्र का पहला दिन अदाणी विवाद की बलि चढ़ गया. पीठासीन अधिकारियों द्वारा अदाणी विवाद पर चर्चा की इजाजत ना दिए जाने की वजह से हंगामा हुआ और दोनों सदनों की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित हो गई.
विज्ञापन
दोनों सदनों में विपक्ष के सांसदों की मांग की थी कि अदाणी समूह पर लगे अमेरिका में रिश्वत देने के आरोपों पर चर्चा हो. हालांकि दोनों ही सदनों में पीठासीन अधिकारियों ने इसकी इजाजत नहीं दी, जिसके बाद विपक्ष के सांसद विरोध करने लगे.
इसी हंगामे को लेकर दिन शुरू होने के महज एक घंटे के बाद दोनों सदनों की कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया. राज्यसभा अध्यक्ष और भारत के उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्हें इस विषय पर चर्चा करवाने के 13 नोटिस मिले हैं, लेकिन उनमें से कोई भी नोटिस नियमों के मुताबिक नहीं हैं.
विज्ञापन
विपक्ष का सरकार पर आरोप
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सत्र शुरू होने से पहले एक्स पर लिखा था कि इस विषय पर सबसे पहले चर्चा होनी चाहिए क्योंकि यह मुद्दा पूरी दुनिया में भारत की छवि खराब कर सकता है.
बाद में खड़गे ने एक बयान में कहा, "जहां-जहां मोदी जी जाते हैं, जिस भी देश में जाते हैं, वहां-वहां अदाणी को कॉन्ट्रैक्ट मिलते हैं, ऐसी बहुत लंबी लिस्ट है. इसीलिये हम चाहते थे कि इस पर निष्पक्ष रूप से सदन में चर्चा हो."
अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी पर अमेरिका में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं. अमेरिकी न्याय विभाग ने बुधवार, 20 नवंबर को अदाणी और सात अन्य लोगों के खिलाफ आरोप तय किए. इनमें उनके भतीजे सागर अदाणी का नाम भी शामिल है.
इन सभी पर भारत में सोलर एनर्जी परियोजनाओं के ठेके हासिल करने के लिए 26.5 करोड़ डॉलर (लगभग 2,200 करोड़ रुपये) की घूस देने का आरोप है.
इतिहास की सबसे बड़ी धोखाधड़ी के आरोप का सामना कर रहे गौतम अदाणी
गौतम अदाणी कभी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति थे लेकिन एक रिपोर्ट ने उनके व्यापार को इतना नुकसान पहुंचा दिया कि अदाणी समूह की पूंजी 8000 अरब से ज्यादा गिर गई. जानिए गौतम अदाणी और उनके साम्राज्य के बारे में.
तस्वीर: Amit Dave/REUTERS
अपार संपत्ति
अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी को कभी एशिया के सबसे अमीर और दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में जाना जाता था. अहमदाबाद के एक मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले और शिक्षा भी पूरी ना कर पाने वाले एक व्यक्ति के लिए इसे एक अचंभित करने वाली उपलब्धि माना जाता था.
तस्वीर: Amit Dave/REUTERS
सादा शुरुआत
कहा जाता है कि गौतम अदाणी ने कॉलेज शिक्षा छोड़ कर मुंबई में हीरों का कारोबार शुरू किया. बाद में अहमदाबाद लौट कर उन्होंने अपने भाई के साथ मिल कर प्लास्टिक आयात करने का व्यापार किया. फिर 1980 के दशक में उन्होंने अदाणी एंटरप्राइजेज की स्थापना की.
तस्वीर: Jack Guez/AFP
आर्थिक सुधारों का लाभ
1990 के दशक में जब भारतीय अर्थव्यवस्था में उदारीकरण और वैश्वीकरण का दौर आया तब अदाणी ने अपने व्यापार का विस्तार किया और बंदरगाहों, निर्माण और कोयला खनन में निवेश करना शुरू किया. उनकी पहली बड़ी परियोजना मुंद्रा बंदरगाह आज भारत का सबसे बड़ा व्यावसायिक बंदरगाह है और वो देश के सबसे बड़े निजी बंदरगाह ऑपरेटर हैं.
तस्वीर: Indranil Aditya/NurPhoto/picture alliance
तेजी से विस्तार
इसके बाद एक दशक के अंदर ही वो भारत में कोयला खदानों के सबसे बड़े डेवलपर और ऑपरेटर बन गए. आज अदाणी समूह बड़े शहरों में एयरपोर्ट चलाता है, सड़कें, बिजली, सैन्य उपकरण, कृषि उपकरण और उत्पाद आदि बनाता है और मीडिया संस्थान भी चलाता है. अदाणी समूह का लक्ष्य है 2030 तक अक्षय ऊर्जा में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनना.
तस्वीर: Munsif Vengattil/REUTERS
ऋण पर खड़ा साम्राज्य
शेयर बाजार में अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयरों के दाम सिर्फ पांच सालों में 1,000 प्रतिशत बढ़ गए. लेकिन समीक्षकों का कहना है कि अदाणी समूह का इतनी तेजी से हुआ विस्तार ऋण के दम पर हुआ है. समूह के ऊपर करीब 2,400 अरब रुपयों का ऋण है, जिसमें से करीब 730 अरब रुपयों का ऋण भारतीय बैंकों से लिया गया है.
तस्वीर: Sam Panthaky/AFP/Getty Images
मोदी से संबंध
समीक्षकों का यह भी कहना है कि नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब गौतम अदाणी ने उनसे हाथ मिलाया और जब मोदी प्रधानमंत्री बने तब उनके करीब संबंधों का फायदा अडानी को राष्ट्रीय स्तर पर मिला. पहली बार प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी चुनाव अभियान में अक्सर अदाणी के चार्टर्ड विमान में यात्रा करते हुए नजर आते थे.
तस्वीर: Siddharaj Solanki/Hindustan Times/IMAGO
सरकारी समर्थन के आरोप
आलोचकों का कहना है कि मोदी से दोस्ती होने की वजह से अदाणी अपने प्रतिद्वंदियों से आगे निकल पाए, व्यापार का विस्तार किया और बिना पर्याप्त निगरानी के ज्यादा से ज्यादा ऋण भी उठाया. गौतम अदाणी ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है.
अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने जनवरी 2023 में एक रिपोर्ट जारी कर अदाणी समूह पर इतिहास की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट धोखाधड़ी का आरोप लगाया. हिंडनबर्ग का आरोप है कि गौतम अदाणी ने लेखा धोखाधड़ी की है और ऑफशोर कर पनाह वाले देशों के रास्ते पैसे लगा कर अपनी कंपनियों के शेयरों के दामों को कृत्रिम रूप से बढ़ाया.
एक रिपोर्ट का असर
अदाणी समूह ने इन आरोपों का भी खंडन किया है लेकिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद समूह को बड़ा धक्का लगा है. बाजार में समूह की पूंजी में 8000 अरब से ज्यादा की गिरावट आई है और गौतम अदाणी ने भी सबसे अमीर लोगों की सूची में अपना स्थान खो दिया है.
तस्वीर: Hindustan Times/imago images
9 तस्वीरें1 | 9
क्या होगा बाकी मुद्दों का
भारत सरकार ने अभी तक इस मामले पर कुछ नहीं कहा है. सत्ताधारी बीजेपी ने बस इतना कहा है कि यह मामला अदाणी समूह का है और कानून अपना काम करेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्र की शुरुआत से पहले संसद के बाहर पत्रकारों को संबोधित किया, लेकिन इस मामले पर कुछ नहीं कहा.
उन्होंने विपक्षी पार्टियों की आलोचना करते हुए कहा कि मुट्ठी भर लोग संसद को नियंत्रित करना चाहते हैं. इनकी वजह से नए सांसदों को अपने विचार रखने का मौका नहीं मिलता. प्रधानमंत्री ने कहा , "जो लोगों के द्वारा 80-90 बार ठुकराए जा चुके हैं वो संसद में चर्चा नहीं होने नहीं देते. वो लोगों की आकांक्षाओं को नहीं समझते. मुझे उम्मीद है कि शीतकालीन सत्र में हर पार्टी के नए सदस्यों को अपने विचार साझा करने का मौका मिलेगा."
विपक्ष इस मुद्दे को संसद में मजबूती से उठाना चाह रहा है, इसलिए मुमकिन है कि 27 नवंबर को सत्र के दूसरे दिन भी यही मुद्दा गर्म रहेगा. 26 नवंबर को संविधान दिवस की वजह से किसी भी सदन की कार्यवाही नहीं होगी.
लेकिन इन सब का खामियाजा सरकार के विधायी अजेंडा को भुगतना पड़ेगा. 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक चलने वाले इस सत्र में सिर्फ 19 ही बैठकें होंगी और इनमें कम से कम 16 बिलों पर चर्चा होनी है.
11 बिल पहले से लंबित हैं जिन पर चर्चा होनी है और पारित करने पर विचार किया जाना है. इनमें वक्फ (संशोधन) विधायक, 2024 भी शामिल है. इनके अलावा सरकार की पांच नए बिल भी लाने की योजना है.