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संसद सत्र पर अदाणी विवाद की छाया

२५ नवम्बर २०२४

भारत की संसद के शीतकालीन सत्र का पहला दिन अदाणी विवाद की बलि चढ़ गया. पीठासीन अधिकारियों द्वारा अदाणी विवाद पर चर्चा की इजाजत ना दिए जाने की वजह से हंगामा हुआ और दोनों सदनों की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित हो गई.

अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी
विपक्ष अदाणी विवाद को संसद के सत्र के दौरान मजबूती से उठाना चाह रहा हैतस्वीर: Sam Panthaky/AFP/Getty Images

दोनों सदनों में विपक्ष के सांसदों की मांग की थी कि अदाणी समूह पर लगे अमेरिका में रिश्वत देने के आरोपों पर चर्चा हो. हालांकि दोनों ही सदनों में पीठासीन अधिकारियों ने इसकी इजाजत नहीं दी, जिसके बाद विपक्ष के सांसद विरोध करने लगे.

इसी हंगामे को लेकर दिन शुरू होने के महज एक घंटे के बाद दोनों सदनों की कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया. राज्यसभा अध्यक्ष और भारत के उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्हें इस विषय पर चर्चा करवाने के 13 नोटिस मिले हैं, लेकिन उनमें से कोई भी नोटिस नियमों के मुताबिक नहीं हैं.

विपक्ष का सरकार पर आरोप

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सत्र शुरू होने से पहले एक्स पर लिखा था कि इस विषय पर सबसे पहले चर्चा होनी चाहिए क्योंकि यह मुद्दा पूरी दुनिया में भारत की छवि खराब कर सकता है.

बाद में खड़गे ने एक बयान में कहा, "जहां-जहां मोदी जी जाते हैं, जिस भी देश में जाते हैं, वहां-वहां अदाणी को कॉन्ट्रैक्ट मिलते हैं, ऐसी बहुत लंबी लिस्ट है. इसीलिये हम चाहते थे कि इस पर निष्पक्ष रूप से सदन में चर्चा हो."

अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी पर अमेरिका में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं. अमेरिकी न्याय विभाग ने बुधवार, 20 नवंबर को अदाणी और सात अन्य लोगों के खिलाफ आरोप तय किए. इनमें उनके भतीजे सागर अदाणी का नाम भी शामिल है.

इन सभी पर भारत में सोलर एनर्जी परियोजनाओं के ठेके हासिल करने के लिए 26.5 करोड़ डॉलर (लगभग 2,200 करोड़ रुपये) की घूस देने का आरोप है.

क्या होगा बाकी मुद्दों का

भारत सरकार ने अभी तक इस मामले पर कुछ नहीं कहा है. सत्ताधारी बीजेपी ने बस इतना कहा है कि यह मामला अदाणी समूह का है और कानून अपना काम करेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्र की शुरुआत से पहले संसद के बाहर पत्रकारों को संबोधित किया, लेकिन इस मामले पर कुछ नहीं कहा.

उन्होंने विपक्षी पार्टियों की आलोचना करते हुए कहा कि मुट्ठी भर लोग संसद को नियंत्रित करना चाहते हैं. इनकी वजह से नए सांसदों को अपने विचार रखने का मौका नहीं मिलता. प्रधानमंत्री ने कहा , "जो लोगों के द्वारा 80-90 बार ठुकराए जा चुके हैं वो संसद में चर्चा नहीं होने नहीं देते. वो लोगों की आकांक्षाओं को नहीं समझते. मुझे उम्मीद है कि शीतकालीन सत्र में हर पार्टी के नए सदस्यों को अपने विचार साझा करने का मौका मिलेगा."

विपक्ष इस मुद्दे को संसद में मजबूती से उठाना चाह रहा है, इसलिए मुमकिन है कि 27 नवंबर को सत्र के दूसरे दिन भी यही मुद्दा गर्म रहेगा. 26 नवंबर को संविधान दिवस की वजह से किसी भी सदन की कार्यवाही नहीं होगी.

लेकिन इन सब का खामियाजा सरकार के विधायी अजेंडा को भुगतना पड़ेगा. 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक चलने वाले इस सत्र में सिर्फ 19 ही बैठकें होंगी और इनमें कम से कम 16 बिलों पर चर्चा होनी है.

11 बिल पहले से लंबित हैं जिन पर चर्चा होनी है और पारित करने पर विचार किया जाना है. इनमें वक्फ (संशोधन) विधायक, 2024 भी शामिल है. इनके अलावा सरकार की पांच नए बिल भी लाने की योजना है.

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