तालिबान को अफगानिस्तान पर काबिज हुए एक महीना भी नहीं हुआ है. पर देश बदला जा रहा है. काबुल की दीवारें अलग रंग में रंगी जा रही हैं. और कभी उन पर चित्र बनाने वाले शरीफी दूर से बेबस देख रहे हैं.
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कला के लिए काम करने वाले अफगान कार्यकर्ता ओमैद शरीफी की संस्था आर्टलॉर्ड्स कलेक्टिव ने बम धमाकों में बर्बाद हुईं काबुल की दीवारों को सजाने संवारने में सात साल गुजारे. दीवारें जब सुंदर नजर आने लगीं और उन पर लगे बारूद के धब्बे मिट गए, तो तालिबान फिर से आ गए.
शरीफी की रंगी काबुल की कई दीवारों से कलाकृतियां हटा दी गई हैं. उन पर तालिबान के प्रचार वाले नारे छाप दिए गए हैं. इन दीवारों को पोतते मजदूरों की तस्वीरें जब शरीफी तक पहुंचीं तो उनका दिल बैठ गया. आर्टलॉर्ड्स कलेक्टिव ने 2014 से अब तक दीवारों पर 2,200 से ज्यादा चित्र बनाए थे.
तस्वीरों मेंः अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध
अमेरिका का सबसे लंबा युद्ध
अमेरिका ने सबसे ज्यादा समय तक किसी विदेशी धरती पर युद्ध लड़ा है तो वह है अफगानिस्तान. अमेरिका 9/11 के आतंकी हमले के बाद अफगानिस्तान पर धावा बोला था. तस्वीरों में देखिए अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध.
तस्वीर: U.S. Central Command/dpa/picture alliance
अफगानिस्तान युद्ध
अफगानिस्तान में अमेरिका का अभियान साल 2001 से शुरू होकर 2021 में खत्म हुआ. यह करीब 20 साल तक चला. अफगानिस्तान में 2400 के करीब अमेरिकी सैनिकों की मौत हुई जबकि 20,660 अमेरिकी सैनिक युद्ध के दौरान घायल हुए. तालिबान का कहना है कि उसकी जंग में जीत हुई है.
तस्वीर: Isaiah Campbell/US MARINE CORPS/AFP
वियतनाम युद्ध
वियतनाम में 1964 तक सीआईए और दूसरे स्रोतों से मिली जानकारी को ध्यान में रखते हुए अमेरिका ने उत्तरी और दक्षिणी वियतनाम में लुकी छिपी जंग शुरू कर दी. जमीन पर 1965 में युद्ध तेज हुआ और 1969 में चरम पर पहुंचा. उस समय तक करीब साढ़े पांच लाख सैनिक इसमें शामिल हो चुके थे. 10 साल की लड़ाई और 58,000 अमेरिकी सैनिकों के मरने के बाद 30 अप्रैल 1975 को साइगोन (हो-ची मिन्ह सिटी) पर वियतनाम का कब्जा हो गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/UPI
इराक युद्ध
इराक में अमेरिकी फौज साल 2003 से लेकर 2012 तक जंग लड़ी. अमेरिकी हमले के बाद इराक को सद्दाम हुसैन से छुटकारा तो मिला लेकिन लाखों लोग युद्ध के बाद मारे गए. अमेरिका का आरोप था कि इराक के पास सामूहिक विनाश के हथियार हैं. हालांकि इसको साबित नहीं कर पाया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S.Zaklin
द्वितीय विश्व युद्ध
अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध में 8 सितंबर 1941 को प्रवेश किया और 1945 तक युद्ध में रहा. करीब तीन साल 8 महीने अमेरिका ने जंग में भाग लिया और उस दौरान हजारों अमेरिकी सैनिक मारे गए.
तस्वीर: picture alliance/Usis-Dite/Lee
कोरियाई युद्ध
अमेरिका ने कोरियाई युद्ध 1950 से लेकर 1953 तक लड़ा. यह युद्ध 3 साल एक महीने तक चला था.
तस्वीर: picture-alliance/CPA Media/Pictures From History
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शरीफी अब यूएई में हैं. उनके बनाए चित्रों को कई जगह सफेद कपड़ों से ढक दिया गया है. उन्होंने फोन पर बातचीत में बताया, "मेरे जहन में जो तस्वीर उभर रही है वो ऐसी है कि तालिबान शहर पर कफन ढक रहे हैं.”
‘चुप नहीं बैठेंगे'
शरीफी अफगानिस्तान छोड़कर चले गए हैं. हालांकि, उनका कहना है कि वह अपना अभियान बंद नहीं करेंगे. 34 वर्षीय कलाकार शरीफी कहते हैं, "हम कभी चुप नहीं बैठेंगे. हम सुनिश्चित करेंगे कि दुनिया हमारी बात सुने. हम सुनिश्चित करेंगे कि तालिबान को हर एक दिन शर्मसार होना पड़े.”
जो तस्वीरें मिटाई गई हैं उनमें अमेरिका के विशेष दूत जालमे खलीलजाद और तालिबान के सह-संस्थापक अब्दुल गनी बरादर का 2020 में समझौते के हाथ मिलाते हुए एक चित्र भी था.
शरीफी 2014 में आर्टलॉर्ड्स की स्थापना की थी. इसका मकसद था कला का शांति, सामाजिक न्याय और जवाबदेही के लिए इस्तेमाल करना. इस संस्था की बनाई तस्वीरों ने अक्सर अफगानिस्तान के भ्रष्ट नेताओं और देश के ताकतवर लोगों को शर्मिंदा किया.
साथ ही चित्रों के जरिए अफगान नायकों को मान दिया गया, हिंसा की जगह शांति से मसले सुलझाने की बात की गई और महिलाओं के लिए अधिकार मांगे गए. संस्था के सदस्यों को जान से मारने की धमकियां भी मिलती रहीं.
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15 अगस्त की सुबह
15 अगस्त की सुबह जह तालिबान काबुल के दरवाजे पर थे, शरीफी और उनके पांच साथी एक सरकारी इमारत के बाहर चित्र बनाने गए थे. कुछ ही घंटों में उन्होंने लोगों को दफ्तरों से भागते हुए देखा तो वे भी अपनी संस्था के दफ्तर में लौट आए.
उस मरहले को याद करते हुए शरीफी कहते हैं, "सारी सड़कें बंद थीं. हर तरफ से सेना और पुलिसवाली आ रहे थे. लोग अपनी कारें छोड़कर भाग रहे थे. हर कोई भाग रहा था.” शरीफी और उनके साथियों को दफ्तर पहुंच कर पता चला कि तालिबान का काबुल पर कब्जा हो गया है.
1996 में जब यह संगठन पहली बार सत्ता में आया था तब शरीफी 10 साल के थे. उन्होंने तालिबान का पांच साल का कठोर और क्रूर शासन देखा. फिर उन्होंने अमेरिका का हमला भी देखा. वह कहते हैं, "मुझे तो नहीं लगता कि बहुत कुछ बदला है.”
उन्हें अपने बचपन के वे दिन याद हैं जब काबुल के फुटबॉल स्टेडियम में लोगों को सरेआम सजा दी जाती थी. वह बताते हैं, "मैं सेट्रल मार्किट में अपनी साइकल से जा रहा होता तो कितने ही टूटे हुए टीवी, कैसेट प्लेयर और टेप देखता था. वो आज भी मेरे जहन में है. वो कभी नहीं भूलता.”
अब अफगानिस्तान छोड़कर जाने का फैसला शरीफी के लिए आसान नहीं था. वह कहते हैं, "मुश्किल फैसला था. मैं बस उम्मीद कर सकता हूं कि हर कोई महसूस करे, हम जिससे गुजरे हैं. अफगानिस्तान मेरा घर है, मेरी पहचान है. मैं अपनी जड़ें उखाड़कर दुनिया के किसी और हिस्से में नहीं ले जा सकता.”
वीके/सीके (एएफपी)
देखिए, तालिबान के राज में कैसा है अफगानिस्तान
तालिबान के राज में कैसा है अफगानिस्तान
अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद जीवन सामान्य दिखने लगा है. देखिए, अब कैसा है अफगानिस्तान...
तस्वीर: West Asia News Agency/REUTERS
समर्थक खुश
तालिबान समर्थक खुश हैं. सड़कों पर हथियारबंद तालिबान के साथ वे फोटो खिंचवा रहे हैं.
तस्वीर: West Asia News Agency/REUTERS
हर जगह तालिबान
हथियारबंद तालिबान सड़कों पर गश्त लगाते घूमते हैं. उन्हें गली-बाजारों, चौक-चौराहों पर देखा जा सकता है.
तस्वीर: West Asia News Agency/REUTERS
आधुनिक हथियार
सैकड़ों की संख्या में ये युवा लड़ाके आधुनिक हथियारों से लैस हैं और हर जगह मौजूद हैं.
तस्वीर: West Asia News Agency/REUTERS
काम धंधे शुरू
आम जन जीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है. लोग अपने काम धंधे शुरू कर रहे हैं.
तस्वीर: HOSHANG HASHIMI/AFP/Getty Images
नारेबाजी नई बात
सब्जी भाजी खरीदना-बेचना यूं तो आम जीवन का हिस्सा है लेकिन सब्जीवाले का तालिबान और इस्लामिक अमीरात के समर्थन में नारे लगाना नई बात है.
तस्वीर: U.S. Air Force/Senior Airman Taylor Crul/REUTERS
खोस्त में जुलूस
31 अगस्त को खोस्त शहर में एक विशाल जुलूस निकाला गया जिसमें नाटो, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के झंडों से ढंके ताबूत उठाए लोग नजर आए.
तस्वीर: ZHMAN TV via REUTERS
बैंकों के बाहर कतारें
बैंकों के बाहर लंबी कतारें हैं. बैंकों में नकदी की समस्या है. महंगाई बढ़ गई है और एक व्यक्ति 20 हजार अफगानी (करीब 17 हजार रुपये) ही निकाल सकता है.
तस्वीर: REUTERS
जन जीवन सामान्य
इस बीच शहर की गलियां सामान्य लगने लगी हैं. लोग आ रहे हैं, जा रहे हैं और सड़क किनारे नमाज अदा कर रहे हैं.