युनाइटेड अरब अमीरात ने पुष्टि की है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी उसके यहां हैं. तालिबान के काबुल में घुसने के बाद गनी देश छोड़कर चले गए थे. उन्होंने कहा था कि वह खून खराबा टालने के लिए ऐसा कर रहे हैं.
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काबुल से जाने के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पहली बार फेसबुक पर एक संदेश पोस्ट किया है. इस वीडियो संदेश में गनी ने कई बातों की सफाई दी है और तालिबान की पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई से हो रही बातचीत की भी सराहना की है.
सोशल मीडिया पर ऐसी अफवाहें थीं कि गनी चार कारों और एक हेलीकॉप्टर में धन भरकर देश से भागे हैं. गनी ने इन अफवाहों को बकवास बताते हुए कहा कि वह जूते तक नहीं बदल पाए और सैंडल में ही रविवार रात को काबुल स्थित राष्ट्रपति भवन से निकले.
देखेंः काबुल की दिल दहलाती तस्वीरें
काबुल की दिल दहलाती तस्वीरें
15 अगस्त की तारीख अफगानिस्तान के इतिहास में दर्ज हो गई है. लेकिन इस तारीख को मनस पटल पर उन तस्वीरों और वीडियो ने अंकित किया, जो तालिबान के काबुल में घुसने के बाद आईं. देखिए ऐसी ही कुछ दिल दहला देने वाली तस्वीरें.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
काबुल की दिल दहलाती तस्वीरेंः आ गया तालिबान
तालिबान ने जैसे ही युद्ध खत्म होने का ऐलान किया, काबुल में भगदड़ मच गई. भीड़ की भीड़ शहर और देश से निकल जाने के रास्ते खोज रही थी.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
एयरपोर्ट पर भीड़
एक साथ सैकड़ों लोग एयरपोर्ट पहुंच गए. सब के सब किसी न किसी विमान पर सवार हो जाना चाहते थे.
तस्वीर: Wakil Kohsar/AFP
धक्का मुक्की
एयरपोर्ट पर पूरी तरह अव्यवस्था फैल चुकी थी. रनवे पर हुजूम जमा था. लोग किसी भी तरह, किसी भी विमान में घुस जाना चाहते थे.
तस्वीर: Wakil Kohsar/AFP/Getty Images
कोई जगह मिल जाए
आलम ऐसा हो गया था कि कौन कहां घुस रहा है, समझ नहीं आ रहा था. लोग एक दूसरे के ऊपर चढ़े जा रहे थे.
तस्वीर: Wakil Kohsar/AFP/Getty Images
विमान के पीछे दौड़
एक वीडियो सामने आया जिसमें कुछ लोग रनवे पर चलते विमान के साथ-साथ दौड़ते और उसके ऊपर चढ़ते नजर आए.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
आखरी कोशिश
अमेरिकी वायु सेना का यह विमान बहुत से लोगों को आखरी उम्मीद नजर आ रहा था और वे जान की बाजी लगाने को भी तैयार थे.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
कई मौतें
ऐसी खबरें हैं कि काबुल एयरपोर्ट पर पांच लोगों की मौत हुई है. दो लोगों के विमान से गिरने की बात भी कही जा रही है, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है.
तस्वीर: ASVAKA NEWS via REUTERS
काबुल बंद
इस अफरा तफरी के बाद काबुल से व्यावसायिक उड़ानों पर रोक लगा दी गई और शहर में भी कर्फ्यू लगा दिया गया. यानी जो नहीं जा सके, वे वहीं रह गए.
तस्वीर: Maxar Technologies/REUTERS
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गनी के जाने के बाद से ही उनके वहां होने को लेकर कयास लगाए जा रहे थे. बुधवार को यूएई ने उनके अपने यहां होने की पुष्टि की. यूएई के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "यूएई का विदेश और अंतरराष्ट्रीय सहयोग मंत्रालय इस बात की पुष्टि कर सकता है कि राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके परिवार का मानवीय आधार पर स्वागत किया गया है.”
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भागा नहीं, निकाला गया
गनी ने कहा, "जो कहे कि आपके राष्ट्रपति ने आपको बेच दिया है और अपने फायदे के लिए व अपनी जान बचाने के लिए भाग गया है, उसका यकीन मत कीजिएगा. ये आरोप निराधार हैं. मैं इन्हें पूरी तरह खारिज करता हूं.”
गनी ने बताया कि उन्हें किन हालात में निकलना पड़ा. उन्होंने कहा, "मुझे तो इस तरह अफगानिस्तान से निकाला गया कि मुझे चप्पल निकालकर जूते पहनने तक का वक्त नहीं मिला.”
गनी ने स्पष्ट किया कि उनका दुबई में निर्वासित जीवन जीने का कोई इरादा नहीं है और वह घर लौटने के लिए बातचीत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें अफगानिस्तान से निकाला गया है और अगर काबुल ना छोड़ते तो उन्हें फांसी पर लटका दिया जाता.
गनी ने कहा, "अगर मैं वहीं रहता तो एक बार फिर अफगानिस्तान के एक चुने हुए राष्ट्रपति को अफगानों की आंखों के सामने फांसी पर लटका दिया जाता.” गनी पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नजीबुल्लाह के संदर्भ में ऐसा कह रहे थे, जिनका शव 27 सितंबर 1996 को काबुल में एक खंभे से लटका मिला था.
तालिबान को ताकत कहां से मिलती है
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गनी ने तालिबान पर समझौता तोड़ने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि तालिबान ने काबुल में न घुसने का समझौता किया था. उन्होंने कहा कि वह सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण चाहते थे लेकिन उन्हें निकाल दिया गया.
गनी अब अहम नहीं: अमेरिका
अशरफ गनी भले ही अफगानिस्तान लौटना चाहते हैं लेकिन अमेरिका ने कहा है कि वह अब एक अहम नहीं हैं. अमेरिकी उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमन ने पत्रकारों से कहा, "अब वह अफगानिस्तान में अहम नहीं हैं.”
इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा है कि तालिबान के साथ संपर्क बना हुआ है. उन्होंने कहा कि अमेरिका के लगभग 4,500 सैनिक काबुल में हैं. अमेरिका ने पहले 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से सारे सैनिक वापस बुलाने की बात कही थी लेकिन अब राष्ट्रपति जो बाइडेन का कहना है कि यह समयसीमा बढ़ानी पड़ सकती है.
जो बाइडेन ने कहा कि अमेरिकी नागरिकों और उनके सहयोगियों को बचाकर लाने की पूरी कोशिश की जा रही है. एबीसी न्यूज से बातचीत में उन्होंने कहा, "अगर 31 अगस्त के बाद कोई अमेरिकी नागरिक अफगानिस्तान में हुआ तो हम तब तक वहां रहेंगे जब तक उन्हें निकाल न लें.”
देखिएः तालिबान के सरगना
ये 6 हैं तालिबान के सरगना
जिस तालिबान ने अमेरिका के जाते ही अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया है, उसका नेतृत्व छह लोगों के हाथ में है. जानिए, कौन हैं ये लोग...
तस्वीर: Sefa Karacan/AA/picture alliance
हैबतुल्लाह अखुंदजादा
इस वक्त तालिबान का सुप्रीम लीडर है हैबतुल्लाह अखुंदजादा. 2016 में मुल्लाह मंसूर अख्तर के एक अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद उसे नेतृत्व मिला था. उससे पहले वह पाकिस्तान के कुलचक शहर में एक मस्जिद में मौलवी था. तालिबान में अखुंदजादा का कहा ही पत्थर की लकीर होता है.
तस्वीर: CPA Media/picture alliance
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर (दाएं) तालिबान के संस्थापकों में से है. कतर में तालिबान की निर्वासित सरकार का अध्यक्ष वही था और अमेरिका के साथ शांति वार्ता में शामिल रहा. 2010 में पश्चिमी सेनाओं ने उसे पकड़ लिया था लेकिन 2018 में छोड़ दिया गया.
तस्वीर: Sefa Karacan/AA/picture alliance
सिराजुद्दीन हक्कानी
बड़े कमांडर जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा सिराजुद्दीन हक्कानी शक्तिशाली हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख है. यही संगठन अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर सक्रिय है और तालिबान की आर्थिक और सैन्य संपत्तियों की देखरेख करता है. हक्कानी इस वक्त संगठन का उप प्रमुख भी है.
तस्वीर: Ameer Sultan Tarrar/EPA/STR/dpa/picture alliance
शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई
स्तानिकजई पिछले करीब एक दशक से दोहा में रह रहा है. उसे पाकिस्तानी सेना और आईएसआई से प्रशिक्षण मिला है. 1996 में वह क्लिंटन प्रशासन से तालिबान की तत्कालीन सरकार को मान्यता दिलाने के प्रयास में अमेरिका भी गया था.
तस्वीर: Sefa Karacan/AA/picture alliance
मुल्ला मोहम्मद याकूब
मोहम्मद याकूब तालिबान के संस्थापक मुल्ला मोहम्मद उमर का बेटा है. उसका काम संगठन के सैन्य अभियान को देखना है. माना जाता है कि उसकी उम्र 31 साल है. 2020 में उसे संगठन का सैन्य प्रमुख बनाया गया था. उसे उदारवादी गुट का माना जाता है, जिसने अमेरिका से बातचीत की.
तस्वीर: Sefa Karacan/AA/picture alliance
अब्दुल हकीम हक्कानी
तालिबान के शांतिवार्ता दल का प्रमुख अब्दुल हकीम हक्कानी 2001 से पाकिस्तान के क्वेटा में रहा. उसे सितंबर 2020 में अफगानिस्तान में हो रही बातचीत के लिए नियुक्त किया गया. वह तालिबान के न्याय विभाग का प्रमुख है.
तस्वीर: Sefa Karacan/AA/picture alliance
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ऐसी खबरें हैं कि तालिबान ने काबुल में कर्फ्यू लगा रखा है और जगह जगह चेक पोस्ट लगाए गए हैं जिस कारण लोग एयरपोर्ट तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. हालांकि बाइडेन ने कहा कि तालिबान अमेरिकी नागिरकों को निकालने में सहयोग कर रहा है लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि अफगान नागरिकों को बचाकर लाने में ज्यादा मुश्किलें हैं.
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बताया कि पिछले दो दिनों में अमेरिकी सेना ने कम से कम 2,000 लोगों को वहां से निकाला है.