तालिबान अधिकारी: जिंदा चीजों की तस्वीरें लेना "बड़ा गुनाह"
२२ फ़रवरी २०२४
अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि जिंदा चीजों की तस्वीरें लेना "घोर पाप" है. तालिबान के न्याय मंत्रालय के इस अधिकारी का कहना है कि प्रेस के लोग हमेशा इस "पाप" में लगे रहते हैं.
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तालिबान के न्याय मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी मोहम्मद हाशिम शहीद वरोर ने बुधवार को काबुल में एक सेमिनार में कहा, "तस्वीरें लेना बहुत बड़ा गुनाह है."
स्थानीय मीडिया के मुताबिक एक बयान में मोहम्मद हाशिम ने कहा, "तस्वीरें लेना बहुत बड़ा पाप है, भले ही पत्रकार तस्वीरें ले रहे हों." उन्होंने कहा, "मीडिया में हमारे दोस्त और अफगान नागरिक भी हमेशा इस पाप में लगे रहते हैं और हमेशा अनैतिकता की ओर आकर्षित होते हैं."
1996 से 2001 के बीच अफगानिस्तान पर तालिबान के पिछले शासन के दौरान जानवरों की तस्वीरों और टेलीविजन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन 2021 में अफगानिस्तान में दोबारा सत्ता संभालने के बाद से तालिबान सरकार ने ऐसा कोई आदेश लागू नहीं किया. उस दौर में जिंदा लोगों की तस्वीरें लेने पर पाबंदी थी और टीवी तक बैन था.
कंधार सरकार ने तस्वीरें न लेने का आदेश जारी किया
तालिबान के गढ़ कंधार में अधिकारियों ने इस सप्ताह की शुरुआत में किसी भी जिंदा चीज की तस्वीर या वीडियो नहीं बनाने का आदेश जारी किया. कंधार से निकलकर ही तालिबान पूरे देश में फैला था और उसने इस्लाम की अपनी समझ के अनुसार कई कानून भी बनाए थे.
नागरिक और सैन्य अधिकारियों को लिखे एक पत्र में प्रांतीय गृह मंत्रालय ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि "अपनी औपचारिक और अनौपचारिक बैठकों में जीवित चीजों की तस्वीरें लेने से बचें, क्योंकि इससे फायदे की तुलना में नुकसान अधिक होता है."
निर्देश में कहा गया है कि अधिकारियों की बैठकों में टेक्स्ट और ऑडियो की इजाजत है.
कंधार के गवर्नर मोहम्मद आजम के एक प्रवक्ता ने समाचार एएफपी को बताया कि कंधार में अधिकारियों को इस सप्ताह आदेश दिया गया था कि वे जिंदा चीजों की कोई भी तस्वीर न लें, लेकिन प्रतिबंध अभी तक मीडिया या जनता पर लागू नहीं किया गया है.
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तालिबान की वापसी के बाद से कई नियम लागू
इस्लामी कला में आम तौर पर इंसानों और जानवरों की तस्वीरों के इस्तेमाल से बचा जाता है. हालांकि, कुछ हालात में जीवित चीजों की तस्वीरों की अनुमति है.
दो साल से अधिक समय पहले तालिबान के सत्ता में आने के बाद से कई अफगान मीडिया संस्थानों ने इंसानों और जानवरों की तस्वीरों का इस्तेमाल करने से परहेज किया है. हालांकि तालिबान सरकार के सरकारी विभाग अक्सर शीर्ष अधिकारियों की विदेशी मेहमानों से मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट और शेयर करते हैं.
अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद से तालिबान द्वारा देश में अधिक उदार स्थिति लाने के वादे के बावजूद, उसके पिछले नियमों की तुलना में इस बार के नियम और भी कठिन हैं. तालिबान ने ऐसे सख्त कानून को लागू किया है जिससे देश की महिलाओं का जीवन मुश्किल हो गया है.
उसने महिलाओं की शिक्षा पर पाबंदी लगा दी और उसके बाद 2022 में काबुल के पार्कों और जिमों में महिलाओं के जाने पर लोक लगा दी गई. तालिबान ने जुलाई 2023 में एक आदेश जारी कर देश में हजारों ब्यूटी पार्लरों को बंद कर दिया. आदेश के बाद ब्यूटी पार्लरों में काम करने वाली हजारों महिलाओं के रोजगार भी खत्म हो गए.
एए/सीके (एएफपी)
अफगानिस्तान: ब्यूटी पार्लर बैन होने से 60,000 महिलाओं के सामने खड़ा हुआ संकट
तालिबान के आदेश के बाद अफगानिस्तान के हजारों ब्यूटी पार्लर 25 जुलाई से बंद कर दिए गए. इन ब्यूटी पार्लरों के बंद होने से वहां काम करने वाली महिलाओं की आय का जरिया तो बंद ही हो गया,साथ ही अन्य महिलाओं से संपर्क भी टूट गया.
तस्वीर: ALI KHARA/REUTERS
ब्यूटी पार्लर आय का एक जरिया
अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत तो पहले से ही पतली है, लेकिन तालिबान के आदेश के बाद 25 जुलाई को देश के सभी ब्यूटी पार्लर बंद कर दिए गए. उद्योग से जुड़े जानकारों का अनुमान है कि देश में कुल 12 हजार ब्यूटी पार्लर हैं.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
खत्म हो गई आर्थिक आजादी
34 साल की मरजिया रेयाजी पिछले आठ साल से अफगानिस्तान में केवल महिलाओं का ब्यूटी पार्लर चलाती आ रही थीं. ब्यूटी पार्लर के सहारे वो अपने परिवार का समर्थन करती रही हैं लेकिन अब ब्यूटी पार्लर का बिजनेस बंद होने से उनके पास कोई और विकल्प नहीं बचेगा. उन्होंने अपना बिजनेस शुरू करने के लिए करीब 18 हजार डॉलर खर्च किए थे.
तस्वीर: ALI KHARA/REUTERS
"हम काम करना चाहते हैं"
रेयाजी कहती हैं, "अब हम यहां काम नहीं कर पाएंगे. हम अपने परिवार का पेट नहीं पाल पाएंगे. हम काम करना चाहते हैं." रेयाजी अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए महिलाओं द्वारा ब्यूटी पार्लर चलाने वाली हजारों महिलाओं में से एक हैं. एक अनुमान के मुताबिक तालिबान के इस आदेश के बाद इस सेक्टर से जुड़ीं 60,000 महिलाएं प्रभावित होंगी.
तस्वीर: ALI KHARA/REUTERS
तालिबान छीन रहा अधिकार
काबुल के एक ब्यूटी पार्लर में बहारा नाम की ग्राहक ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "हम यहां आकर अपने भविष्य के बारे में बातें कर समय बिताते थे. लेकिन अब हमसे यह अधिकार भी छीन लिया गया है."
तस्वीर: ALI KHARA/REUTERS
अफगान समाज से गायब होती महिलायें
ब्यूटी सलून में बतौर मेक अप आर्टिस्टि काम करने वाली एक महिला ने नम आंखों से कहा, "तालिबान दिन-ब-दिन महिलाओं को समाज से खत्म करने की कोशिश कर रहा है. हम भी तो इंसान हैं." इस महिला ने सुरक्षा कारणों से अपना नाम नहीं बताया.
तस्वीर: ALI KHARA/REUTERS
देश की महिला उद्यमियों का क्या होगा
अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि रोजा इसाकोवना ओटुनबायेवा ने तालिबान के आदेश पर चिंता जताते हुए कहा, "यह महिला उद्यमियों पर प्रभाव डालेगा, गरीबी में कमी लाने के कदम और आर्थिक सुधार के लिए यह एक झटका है."
तस्वीर: Rahmat Gul/AP/picture alliance
कम हो जाएंगी कमकाजी महिलाएं
अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (आईएलओ) ने रॉयटर्स को बताया कि प्रतिबंध से महिलाओं के रोजगार में भी "महत्वपूर्ण" कमी आएगी. आईएलओ के मुताबिक अफगानिस्तान की विदेश समर्थित सरकार के शासन के दौरान औपचारिक कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी 23 प्रतिशत के आसपास थी.
तस्वीर: ALI KHARA/REUTERS
तालिबान का बेतुका तर्क
अफगानिस्तान के नैतिकता मंत्रालय की ओर से चार जुलाई को ब्यूटी पार्लर को बैन करने संबंधी आदेश में कहा गया था कि उसने यह आदेश इसलिए दिया क्योंकि मेकअप पर बहुत ज्यादा खर्च हो रहा है और गरीब परिवारों को कठिनाई होती है. तालिबान का कहना है कि सैलून में होने वाले कुछ ट्रीटमेंट गैर-इस्लामी हैं.
तस्वीर: ALI KHARA/REUTERS
महिलाओं के लिए बदतर होते हालात
अगस्त 2021 में सत्ता कब्जाने के बाद से तालिबान ने महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियां लगाई हैं. उनका हाई स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पढ़ना बंद कर दिया गया है. उन्हें पार्कों, मेलों और जिम आदि सार्वजनिक स्थानों पर जाने की मनाही है.
तस्वीर: Felipe Dana/AP Photo/picture alliance
महिलाओं के लिए क्या है तालिबान की सोच
तालिबान के सुप्रीम लीडर अखुंदजादा ने जून 2023 में कहा था कि इस्लामिक नियमों को अपनाकर महिलाओं को पारंपरिक अत्याचारों से बचाया जा रहा है और उनके "सम्मानित और स्वतंत्र इंसान" के दर्जे को फिर से स्थापित किया जा रहा है. तालिबान का कहना है कि वह इस्लामी कानून और अफगान संस्कृति की अपनी व्याख्या के मुताबिक ही महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करता है.