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समाज

अहम सीमा चौकी पर तालिबान का कब्जा

१५ जुलाई २०२१

तालिबान के लड़ाकों ने अफगानिस्तान में पाकिस्तान के साथ सीमा पर एक-दूसरे देश में आने-जाने वाला एक अहम रास्ता कब्जा लिया है. अमेरिकी फौजों के चले जाने के बाद तालिबान की यह बड़ी जीत मानी जा रही है.

तस्वीर: Asghar Achakzai/AFP/Getty Images

तालिबान द्वारा जारी एक वीडियो में उनके कुरान की आयत लिखे सफेद झंडे को पाक सीमा से सटे वेश शहर पर क्रॉसिंग पर देखा जा सकता है, जहां अफगानिस्तान का झंडा होता था. सीमा के दूसरी ओर पाकिस्तान का चमन शहर है.

इस वीडियो में एक तालिबानी लड़ाका बोल रहा है, "दो दशकों तक अमेरिका और उनके पिट्ठुओं की क्रूरता सहने के बाद तालिबान ने यह दरवाजा और स्पिलन बोलदाक जिला कब्जा लिया है. मुजाहिदीन और उसके लोगों के मजबूत प्रतिरोध ने दुश्मन को यह इलाका छोड़ने पर मजबूर कर दिया है. जैसा कि आप देख सकते हैं, इस्लामिक अमीरात का झंडा है, वह झंडा जिसे फहराने के लिए हजारों मुजाहिदीन ने अपना लहू बहाया है.”

तालिबान की बड़ी जीत

अफगानिस्तान के दक्षिणी शहर कंधार के पास स्पिन बोलदाक जिले में पाकिस्तान सीमा पर यह क्रॉसिंग देश के दक्षिणी हिस्सों और पाकिस्तान की बंदरगाहों के बीच दूसरे सबसे व्यवस्त रास्ता है. अफगानिस्तान सरकार के आंकड़ों के मुताबिक यहां से हर रोज 900 ट्रक सीमा पार करते हैं.

अफगान अधिकारियों ने कहा है कि सरकार ने तालिबान को धकेल दिया है और जिले पर उन्हीं का कब्जा है. लेकिन नागरिक और पाकिस्तान अधिकारियों का कहना है कि क्रॉसिंग पर तालिबान का कब्जा बना हुआ है.

सीमा पर तैनात एक पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारी ने कहा, "पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान के व्यापार के लिए वेश बहुत अहमियत रखता है. और उसे तालिबान ने कब्जा लिया है.” चमन में पाक अधिकारियों ने कहा कि तालिबान ने रास्ते पर सारी आवाजाही रोक दी है.

तस्वीरों मेंः कचरा छोड़ गए अमेरिकी

हाल के दिनों में तालिबान ने हेरात, फराह और कुंदूज प्रांतों में सीमाओं पर कई अहम रास्तों पर कब्जा किया है. काबुल स्थित अफगानिस्तान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इन्वेस्टमेंट के अध्यक्ष शफीकुल्ला अताई कहते हैं कि सीमा पर स्थित चौकियों पर कब्जे का अर्थ है कि तालिबान अब शुल्क वसूल सकता है.

20 वर्ष लंबा संघर्ष

2001 में अमेरिका द्वारा सत्ता से बाहर कर दिए जाने से पहले लगभग पांच साल तक तालिबान ने देश पर राज किया था. लेकिन 11 सितंबर 2001 के हमले के लिए अमेरिका ने अल कायदा को जिम्मेदार माना और उसे खत्म करने के लिए अफगानिस्तान पर हमला किया. तब तालिबान को सरकार से बाहर कर दिया गया. तब से तालिबान देश पर कब्जा पाने के लिए लड़ रहे हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ऐलान किया है कि सितंबर से पहले सारी अमेरिकी फौजों को स्वदेश बुला लिया जाएगा. अपने मुख्य सैन्य अड्डे बगराम को अमेरिकी सैनिक दो हफ्ते पहले ही खाली कर चुके हैं, जिसके बाद तालिबान के हौसले बढ़े हैं और वे तेजी से विभिन्न इलाकों पर कब्जा करते जा रहे हैं.

अमेरिकी अधिकारियों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि इस महीने के आखिर में एक चार्टर्र विमान भेजा जाएगा और अमेरिकी सेना के साथ काम कर रहे ढाई हजार लोगों को अफगानिस्तान से निकाल लिया जाएगा. इस योजना को ‘ऑपरेशन अलाइज रिफ्यूज' नाम दिया गया है.

देखिए, तालिबान से पहले का अफगानिस्तान

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने मंगलवार को उत्तरी प्रांत बाल्ख का दौरा किया और वहां की सुरक्षा हालात का जायजा लिया. 72 वर्षीय गनी नागरिकों से भी मिले और उन्हें भरोसा दिलाया कि "तालिबान की रीढ़ तोड़ दी जाएगी.”. तोलो न्यूज नेटवर्क की खबर के मुताबिक गनी ने दावा किया कि सरकारी फौजें जल्दी ही खोए इलाकों को तालिबान से छीन लेंगी.

उप राष्ट्रपति अमरुल्ला साले ने कहा है कि तालिबान बदख्शां प्रांत में एक अल्पसंख्य समुदाय के लोगों को धर्म बदलने या घरों से चले जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं. ट्विटर पर उन्होंने कहा, "ये अल्पसंख्य किरगिज लोग हैं जो सदियों से वहां रह रहे हैं. वे अब ताजिकिस्तान में हैं और अपनी किस्मत का इंतजार कर रहे हैं.”

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

अफगानिस्तान की विधवाओं का दर्द

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