अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने भुखमरी से निपटने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें मजदूरी में गेहूं दी जाएगी. देश अकाल और भुखमरी के बेहद बुरे दौर से गुजर रहा है.
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अफगानिस्तान में भुखमरी से लोगों को बचाने के लिए तालिबान सरकार ने एक नई योजना शुरू की है. इस योजना के तहत मजदूरों को काम के बदले गेहूं दी जाएगी. तालिबान के मुख्य प्रवक्ता ने रविवार को बताया कि मुख्य शहरों और कस्बों में यह योजना शुरू की जाएगी.
काम के बदले अनाज की इस योजना के तहत सिर्फ राजधानी काबुल में 40 हजार पुरुषों को काम दिया जाएगा. प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा, "बेरोजगारी से लड़ने के लिए यह एक अहम कदम है.” उन्होंने कहा कि मजदूरों को कड़ी मेहनत करनी होगी.
देखें, तालिबान राज में आम जिंदगी
तालिबान राज में कुछ ऐसी है आम जिंदगी
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार की स्थापना के बाद लोगों को कट्टरपंथी मिलिशिया के तहत जीवन में वापस लौटना पड़ा है. लोगों के लिए बहुत कुछ बदल गया है, खासकर महिलाओं के लिए.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
बुर्के में जिंदगी
अभी तक महिलाओं के लिए बुर्का पहनना अनिवार्य नहीं है, लेकिन कई महिलाएं कार्रवाई के डर से ऐसा करती हैं. इस तस्वीर में दो महिलाएं अपने बच्चों के साथ बाजार में पुराने कपड़े खरीद रही हैं. देश छोड़कर भागे हजारों लोग अपने पुराने कपड़े पीछे छोड़ गए हैं, जो अब ऐसे बाजारों में बिक रहे हैं.
तस्वीर: Felipe Dana/AP Photo/picture alliance
गलियों और बाजारों में तालिबानी लड़ाके
पुराने शहर के बाजारों में चहल-पहल है, लेकिन सड़कों पर तालिबान लड़ाकों का भी दबदबा है. वे गलियों में सब कुछ नियंत्रित करते हैं और उनके विचारों या नियमों के खिलाफ कुछ होने पर तुरंत दखल देते हैं.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
दाढ़ी बनाने पर रोक
तालिबान ने नाइयों को दाढ़ी काटने और शेव करने से मना किया है. यह आदेश अभी हाल ही में हेलमंद प्रांत में लागू किया गया है. यह अभी साफ नहीं है कि इसे देश भर में लागू किया जाएगा या नहीं. 1996 से 2001 तक पिछले तालिबान शासन के दौरान पुरुषों की दाढ़ी काटने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था.
तस्वीर: APTN
महिलाओं के चेहरे मिटाए जा रहे
ब्यूटी पार्लर के बाहर तस्वीरें हों या विज्ञापन तालिबान महिलाओं की ऐसी तस्वीरों को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करता है. ऐसी तस्वीरें हटा दी गईं या फिर उन्हें छुपा दिया गया.
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लड़कियों को अपनी शिक्षा का डर
तालिबान ने लड़कियों को प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने की इजाजत दी है, लेकिन लड़कियों ने अभी तक माध्यमिक विद्यालयों में जाना शुरू नहीं किया है. यूनिवर्सिटी में लड़के और लड़कियों को अलग-अलग बैठने को कहा गया है.
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क्रिकेट का खेल
क्रिकेट खेलने के लिए काबुल के चमन-ए-होजरी पार्क में युवकों का एक समूह इकट्ठा हुआ है. जबकि महिलाओं को अब कोई खेल खेलने की इजाजत नहीं है. क्रिकेट अफगानिस्तान में सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है.
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बढ़ती बेरोजगारी
अफगानिस्तान गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. विदेशी सहायता रुकने से वित्त संकट खड़ा हो गया है. इस तस्वीर में ये दिहाड़ी मजदूर बेकार बैठे हैं.
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नमाज भी जरूरी
जुमे की नमाज के लिए लोग इकट्ठा हुए हैं. मुसलमानों के लिए शुक्रवार का दिन अहम होता है और जुमे की नमाज का भी खास महत्व होता है. इस तस्वीर में एक लड़की भी दिख रही है जो जूते पॉलिश कर रोजी-रोटी कमाती है.
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आम नागरिक परेशान, तालिबान खुश
अफगान नागरिक एक अजीब संघर्ष में जिंदगी बिता रहे हैं, लेकिन तालिबान अक्सर इसका आनंद लेते दिखते हैं. इस तस्वीर में तालिबान के लड़ाके स्पीडबोट की सवारी का मजा ले रहे हैं.
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अफगानिस्तान एक बेहद बुरी आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है. देश में गरीबी, अकाल और भुखमरी जैसी समस्याएं हैं. बिजली की सप्लाई नहीं है और अर्थव्यवस्था विफल हो रही है. ऐसे में सर्दियां आ रही हैं जो लोगों के लिए काफी मुश्किल हो सकती हैं.
दो महीने चलेगी योजना
तालिबान की काम के बदले अनाज योजना में मजदूरों को पैसा नहीं दिया जाएगा. इसका मकसद उन लोगों को काम देना है जिनके पास फिलहाल कोई काम नहीं है और सर्दियों में भुखमरी का खतरा झेल रहे हैं.
यह योजना दो महीने चलेगी. इस दौरान 11,600 टन गेहूं तो सिर्फ राजधानी काबुल में बांटा जाएगा. हेरात, जलालाबाद, कंधार, मजार ए शरीफ और पोल ए खोमरी जिलों में 55,000 टन गेहूं बांटा जाएगी. काबुल में मजदूरों को नहरें खोदने और बर्फ के लिए खंदकें बनाने जैसे काम दिए जाएंगे.
रविवार को काबुल में जबीउल्लाह मुजाहिद, कृषि मंत्री अब्दुल रहमान और शहर के मेयर हमदुल्लाह नोमानी ने गुलाबी रिबन काटकर इस योजना की शुरुआत की.
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ढह सकता है अफगानिस्तान
तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया था. तब से देश के आर्थिक हालात नाजुक बने हुए हैं. शनिवार को पाकिस्तान और स्वीडन ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान कभी भी ढह सकता है.
स्वीडन के विकास मंत्री पेर ओलसन फ्रिद ने दुबई में कहा, "देश ढह जाने के कगार पर है और ऐसा हमारी कल्पना से कहीं तेजी से हो सकता है.” उन्होंने कहा कि आर्थिक बदहाली आतंकवादी संगठनों को पनपने के लिए माहौल दे सकती है. हालांकि फ्रिद ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार तालिबान के जरिए देश में मदद नहीं पहुंचाएगी बल्की देश की सामाजिक संस्थाओं के जरिए मदद करेगी.
तस्वीरों मेंः तालिबान की नई सरकार
तालिबान की नई सरकार
15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करने के साथ ही तालिबान ने अफगानिस्तान पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया था. सरकार बनाने को लेकर माथापच्ची करने के बाद आखिरकार 7 सितंबर को अंतरिम सरकार का ऐलान किया गया. देखिए, कौन-कौन हैं अहम पदों पर.
तस्वीर: HOSHANG HASHIMI/AFP via Getty Images
प्रधानमंत्री
अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार के मुखिया मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद होंगे. अखुंद को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया है. अखुंद अतीत में तालिबान आंदोलन के संस्थापक नेता मुल्ला मोहम्मद उमर के करीबी सहयोगी रहे हैं.
तस्वीर: SAEED KHAN/AFP
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर
तालिबान के सह-संस्थापक और दूसरे नंबर के नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर देश के अंतरिम उपप्रधान मंत्री होंगे. बरादर तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख हैं.
तस्वीर: SOCIAL MEDIA/REUTERS
अब्दुल सलाम हनफी
गनी बरादर के अलावा अब्दुल सलाम हनफी को भी उप प्रधानमंत्री का कार्यभार सौंपा गया है.
तस्वीर: AFP/Getty Images/K. Jaafar
मुल्ला मोहम्मद याकूब
मुल्ला मोहम्मद याकूब को रक्षा मंत्री के रूप में चुना गया है. वे तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे हैं.
तस्वीर: IRNA
सिराजुद्दीन हक्कानी
हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक के बेटे सिराजुद्दीन हक्कानी को नया गृह मंत्री बनाया गया है. अमेरिका ने हक्कानी नेटवर्क को एक आतंकवादी संगठन नामित किया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Bagram Air Base
आमिर खान मुत्तकी
तालिबान की नई सरकार में आमिर खान मुत्तकी को अंतरिम विदेश मंत्री बनाया गया है.
तस्वीर: Omar Haj Kadour/AFP/Getty Images
जबीउल्लाह मुजाहिद
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद को उप सूचना मंत्री का जिम्मा दिया गया है. तालिबान की बात दुनिया तक पहुंचाने का काम वहीं करते आ रहे हैं.
तस्वीर: AAMIR QURESHI/AFP/Getty Images
शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई
शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई को देश का उप विदेश मंत्री का प्रभार सौंपा गया है. स्टानिकजई ने तालिबान की तरफ से अमेरिका के साथ बातचीत में अहम भूमिका निभाई थी.
तस्वीर: Sefa Karacan/AA/picture alliance
अब्दुल बकी हक्कानी
उच्च शिक्षा के कार्यवाहक मंत्री अब्दुल बकी हक्कानी बनाए गए हैं. नई सरकार में एक भी महिला मंत्री नहीं हैं.
तस्वीर: AAMIR QURESHI/AFP
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तालिबान के देश पर कब्जा करने के बाद से बहुत से देशों ने अफगानिस्तान को दी जा रही सहायता रोक दी है. हालांकि इस दौरान मानवीय मदद बढ़ाई गई है.
लेकिन पाकिस्तान चाहता है कि तालिबान सरकार से बातचीत की जाए. पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि तालिबान के साथ सीधा संपर्क ही मानवीय आपदा को रोकने का एकमात्र तरीका है. उन्होंने विदेशों में जब्त पड़े देश के अरबों डॉलरों को जारी करने का भी अनुरोध किया.
दुबई में पत्रकारों से चौधरी ने कहा, "हम अफगानिस्तान को अव्यवस्था की ओर धकेल देंगे या वहां स्थिरता लाने की कोशिश करेंगे?” उन्होंने कहा कि सरकार के साथ सीधे संवाद ने मानवाधिकारों की सुरक्षा और एक समावेशी संवैधानिक सरकार बनाने में भी मदद मिलेगी.
वीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स)
अमेरिका की सात गलतियां
अफगानिस्तान में अमेरिका की 7 गलतियां
जिस तालिबान को हराने के लिए अमेरिका ने 20 साल जंग लड़ी, आज वह अफगानिस्तान पर काबिज है. अमेरिकी संस्था स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल फॉर अफगानिस्तान रिकंस्ट्रक्शन ने इसी महीने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें सात सबक बताए गए हैं.
तस्वीर: Shah Marai/AFP/Getty Images
स्पष्ट रणनीति नहीं
सिगार के मुताबिक विदेश और रक्षा मंत्रालय के पास कोई स्पष्ट रणनीति नहीं थी. तालिबान का खात्मा, देश का पुनर्निर्माण जैसे लक्ष्यों में कोई स्पष्टता नहीं थी.
तस्वीर: Michael Kappeler/AFP/Getty Images
संस्कृति और राजनीति की समझ नहीं
सिगार की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका अफगानिस्तान की संस्कृति और राजनीति को समझ नहीं पाया. इस कारण गलतियां हुईं. जैसे कि वहां ऐसी न्याय व्यवस्था बना दी जिसके अफगान आदि नहीं थे. या फिर अनजाने में एक पक्ष का साथ देकर स्थानीय विवादों को और उलझा दिया.
तस्वीर: Shah Marai/AFP/Getty Images
दूरदृष्टि नहीं
अमेरिका के फैसलों में दूरदृष्टि की कमी को सिगार की रिपोर्ट ने रेखांकित किया है. सफलता के लिए कितना वक्त चाहिए, कितना धन चाहिए, कहां कितने लोग चाहिए इसकी कोई रणनीति नहीं थी. इस कारण ‘20 साल लंबी एक कोशिश’ के बजाय अभियान ‘एक-एक साल लंबी 20 कोशिशों’ में तब्दील हो गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/ISAF
अधूरी योजनाएं
सिगार कहता है कि बहुत सारी विकास योजनाएं शुरू तो हुईं लेकिन पूरी नहीं की गईं. सड़कें, अस्पताल, बिजली घर आदि बनाने पर अरबों डॉलर खर्चे गए लेकिन उनकी देखभाल के लिए कोई जवाबदेही नहीं थी. लिहाजा वे या तो अधूरे रह गए या बर्बाद हो गए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Marai
कुशल लोगों की कमी
सिगार की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिकी सेना और मददगार संस्थाओं के पास जमीन पर कुशल लोगों की कमी थी. इस कारण एक साल बाद जब एक दल घर गया तो नए लोग आए जिनके पास समुचित अनुभव नहीं था. इस कारण प्रशिक्षण में कमी रह गई.
तस्वीर: DW/S. Tanha
परेशान लोग
अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर लोग हिंसा से परेशान और डरे हुए थे जो आर्थिक विकास के रास्ते में बड़ी बाधा बना. अफगान सेना को तैयारी का कम समय मिला और उसकी तैनाती जल्दबाजी में हुई.
तस्वीर: AP/picture alliance
गलतियों से सीख नहीं
सिगार का आकलन है कि अमेरिकी सरकार ने योजनाओं की समीक्षा पर समय नहीं बिताया और गलतियों से सबक नहीं लिया. इसलिए वही गलतियां दोहराई जाती रहीं.