पत्रकारों का कहना है कि तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद से देश में मीडिया कर्मियों के लिए स्थिति काफी खराब हो गई है. कई को देश छोड़ना पड़ा, तो कई छिपकर रह रहे हैं.
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अफगानिस्तान में अगस्त में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद देश के आम लोगों की जिंदगी पूरी तरह बदल गई है. पुरुषों को दाढ़ी कटवाने पर रोक लगा दी गई है, तो महिलाएं अब बुर्के में नजर आ रही हैं. उदारवादी समूह और एलजीबीटी समुदाय के सदस्य भी तालिबान के अतीत से खौफजदा हैं. इन सब के साथ-साथ मीडिया समूह और मीडिया कर्मियों की स्थिति दयनीय हो चुकी है. वे भी डर के साये में जी रहे हैं.
ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है. इसके मुताबिक, कई अफगान पत्रकार देश छोड़कर चले गए हैं. जो नहीं जा पाए हैं, उन्हें "तालिबान के नियमों के अधीन काम करना पड़ रहा है. ये नियम काफी अस्पष्ट हैं. इनके तहत, किसी भी तरह से तालिबान की आलोचना नहीं करनी है." कुछ मामलों में कई मीडिया कर्मियों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया, तो कुछ के साथ हिंसा भी हुई है.
फिलहाल, अफगानिस्तान के सभी इलाकों में तालिबान के नियम एक समान रूप से लागू नहीं हुए हैं, चाहे वह सामान्य लोगों के लिए हो या मीडिया के लिए. ऐसे में पत्रकारों को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरह की स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. फिर भी, वे ऐसी समस्याओं की रिपोर्ट कर रहे हैं जिनके स्रोत हमेशा तालिबान नहीं होते.
पूर्वी अफगान प्रांत नंगरहार के एक पत्रकार ने डीडब्ल्यू को बताया, "अब तक तालिबान ने मेरे काम में सीधे तौर पर हस्तक्षेप नहीं किया है और मैं अब भी रिपोर्ट कर सकता हूं. हालांकि, तालिबान हमारे साथ कोई जानकारी साझा नहीं करता है. इससे हमारा काम मुश्किल हो जाता है."
कई पत्रकारों को झेलनी पड़ी परेशानी
नंगरहार प्रांत के ही एक दूसरे पत्रकार कहते हैं, "नंगरहार में एक के बाद एक कई बम धमाके और हत्याएं होने के बाद, मैं कुछ समय के लिए काबुल चला गया." उन्होंने बताया कि उन्हें सीधे तौर पर धमकी नहीं दी गई थी, लेकिन पत्रकार निशाना बन सकते हैं. उन्होंने छोटे-छोटे हमलों का संदर्भ दिया, जिनमें से अधिकांश हमलों की जिम्मेदारी तथाकथित इस्लामिक स्टेट आतंकी संगठन ने ली थी. यह संगठन प्रांत में कई वर्षों से सक्रिय है.
तालिबान राज में कुछ ऐसी है आम जिंदगी
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार की स्थापना के बाद लोगों को कट्टरपंथी मिलिशिया के तहत जीवन में वापस लौटना पड़ा है. लोगों के लिए बहुत कुछ बदल गया है, खासकर महिलाओं के लिए.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
बुर्के में जिंदगी
अभी तक महिलाओं के लिए बुर्का पहनना अनिवार्य नहीं है, लेकिन कई महिलाएं कार्रवाई के डर से ऐसा करती हैं. इस तस्वीर में दो महिलाएं अपने बच्चों के साथ बाजार में पुराने कपड़े खरीद रही हैं. देश छोड़कर भागे हजारों लोग अपने पुराने कपड़े पीछे छोड़ गए हैं, जो अब ऐसे बाजारों में बिक रहे हैं.
तस्वीर: Felipe Dana/AP Photo/picture alliance
गलियों और बाजारों में तालिबानी लड़ाके
पुराने शहर के बाजारों में चहल-पहल है, लेकिन सड़कों पर तालिबान लड़ाकों का भी दबदबा है. वे गलियों में सब कुछ नियंत्रित करते हैं और उनके विचारों या नियमों के खिलाफ कुछ होने पर तुरंत दखल देते हैं.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
दाढ़ी बनाने पर रोक
तालिबान ने नाइयों को दाढ़ी काटने और शेव करने से मना किया है. यह आदेश अभी हाल ही में हेलमंद प्रांत में लागू किया गया है. यह अभी साफ नहीं है कि इसे देश भर में लागू किया जाएगा या नहीं. 1996 से 2001 तक पिछले तालिबान शासन के दौरान पुरुषों की दाढ़ी काटने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था.
तस्वीर: APTN
महिलाओं के चेहरे मिटाए जा रहे
ब्यूटी पार्लर के बाहर तस्वीरें हों या विज्ञापन तालिबान महिलाओं की ऐसी तस्वीरों को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करता है. ऐसी तस्वीरें हटा दी गईं या फिर उन्हें छुपा दिया गया.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
लड़कियों को अपनी शिक्षा का डर
तालिबान ने लड़कियों को प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने की इजाजत दी है, लेकिन लड़कियों ने अभी तक माध्यमिक विद्यालयों में जाना शुरू नहीं किया है. यूनिवर्सिटी में लड़के और लड़कियों को अलग-अलग बैठने को कहा गया है.
तस्वीर: Felipe Dana/AP Photo/picture alliance
क्रिकेट का खेल
क्रिकेट खेलने के लिए काबुल के चमन-ए-होजरी पार्क में युवकों का एक समूह इकट्ठा हुआ है. जबकि महिलाओं को अब कोई खेल खेलने की इजाजत नहीं है. क्रिकेट अफगानिस्तान में सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
बढ़ती बेरोजगारी
अफगानिस्तान गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. विदेशी सहायता रुकने से वित्त संकट खड़ा हो गया है. इस तस्वीर में ये दिहाड़ी मजदूर बेकार बैठे हैं.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
नमाज भी जरूरी
जुमे की नमाज के लिए लोग इकट्ठा हुए हैं. मुसलमानों के लिए शुक्रवार का दिन अहम होता है और जुमे की नमाज का भी खास महत्व होता है. इस तस्वीर में एक लड़की भी दिख रही है जो जूते पॉलिश कर रोजी-रोटी कमाती है.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
आम नागरिक परेशान, तालिबान खुश
अफगान नागरिक एक अजीब संघर्ष में जिंदगी बिता रहे हैं, लेकिन तालिबान अक्सर इसका आनंद लेते दिखते हैं. इस तस्वीर में तालिबान के लड़ाके स्पीडबोट की सवारी का मजा ले रहे हैं.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
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देश के उत्तर-पूर्वी प्रांत बदख्शां के एक पत्रकार का भी कुछ ऐसा ही कहना है. वह कहते हैं, "मुझे सीधे धमकी नहीं मिली, लेकिन स्थिति खतरनाक है. उदाहरण के लिए, अगर मैं एक रिपोर्ट लिखूं जो तालिबान को पसंद नहीं है, तो मैं मुश्किल में पड़ जाऊंगा क्योंकि तालिबान से जुड़े स्थानीय लोग मुझे अच्छी तरह से जानते हैं. उन्हें मेरा घर भी पता है."
कई पत्रकारों को सीधे तौर पर भी धमकियां दी गई हैं. कुनार प्रांत के एक पत्रकार कहते हैं, "कुछ हथियारबंद लोग मेरे पिता के घर आए. उन्होंने मेरे बारे में पूछा. वजह ये थी कि मैंने कभी-कभी विदेशी पत्रकारों के साथ काम किया था. मुझ पर जिहाद विरोधी प्रचार प्रकाशित करने का आरोप लगाया गया था." इस घटना के बाद से यह पत्रकार छिपकर रह रहा है.
महिला पत्रकारों के कैमरे के सामने आने पर रोक
बदख्शां प्रांत की एक महिला पत्रकार ने डीडब्ल्यू को बताया, "हमारे प्रांत में स्थानीय मीडिया समूहों को परोक्ष रूप से अपना काम बंद करने का दबाव बनाया जा रहा है. जब तालिबान ने बदख्शां की प्रांतीय राजधानी फैजाबाद पर कब्जा कर लिया, तो उन्होंने घोषणा की कि महिला पत्रकारों को कैमरे पर आने की अनुमति नहीं है."
वह आगे कहती हैं, "उन्होंने महिलाओं को रेडियो पत्रकार के रूप में काम करना जारी रखने की अनुमति दी, लेकिन सिर्फ उस स्थिति में जब कार्यक्रम के लिए काम करने वाले सभी कर्मचारी महिलाएं हों. व्यवहारिक रूप से यह शायद ही संभव है. हमारे रेडियो स्टेशन के कुछ तकनीकी कर्मचारी पुरुष हैं, इसलिए हमें मजबूर होकर कार्यक्रम बंद करना पड़ा."
नये अफगानिस्तान की झलक
तालिबान के राज में कैसा है अफगानिस्तान, इसकी एक झलक इन चंद तस्वीरों में मिल सकती है. देखिए...
तस्वीर: Bernat Armangue/dpa/picture alliance
नया अफगानिस्तान
नया अफगानिस्तान कैसा होगा अभी स्पष्ट नहीं है. फिलहाल जो तस्वीरें आ रही हैं वे ढकी छिपी हैं. पर्दे से क्या निकलेगा, उसकी बस झलक मिल रही है.
तस्वीर: AAMIR QURESHI/AFP/Getty Images
मर्दों की दुनिया
अफगानिस्तान से जो तस्वीरें और वीडियो आ रहे हैं उनमें दिख रहा है जन-जीवन सामान्य हो रहा है. हेरात के इस रेस्तरां में ग्राहकों को भोजन का आनंद लेते देखा जा सकता है. लेकिन एक चीज पहले से अलग है. ग्राहकों में कोई महिला नहीं है.
तस्वीर: WANA NEWS AGENCY/REUTERS
पर्दे की दीवार
कॉलेजों से ऐसी तस्वीरें लगातार आ रही हैं जिनमें लड़के और लड़कियों के बीच एक पर्दे की दीवार खींच दी गई है. यह अब आधिकारिक नीति है.
तस्वीर: AAMIR QURESHI AFP via Getty Images
आजादी का सवाल
हेरात में ये महिलाएं मस्जिद जा रही हैं. लेकिन बाकी कहीं जाने के लिए उनके पास आजादी कम ही है. जैसे कि देश के संस्कृति आयोग के उपाध्यक्ष अहमदुल्लाह वासिक ने कहा है कि महिलाओं के लिए खेलों की दुनिया में अब जगह नहीं है.
तस्वीर: WANA NEWS AGENCY/REUTERS
संघर्ष भी जारी
कुछ लोगों ने संघर्ष जारी रखा है. कई शहरों में महिलाएं विरोध प्रदर्शन करती दिख रही हैं.
तस्वीर: REUTERS
दूसरा रुख
कुछ महिलाएं कहती हैं कि वे तालिबान के राज में खुश हैं. पिछले दिनों ऐसी महिलाओं ने भी एक मार्च निकाला. इस मार्च तो तालिबानी बंदूकाधारियों की सुरक्षा मिली थी.
तस्वीर: AAMIR QURESHI/AFP/Getty Images
जगह जगह जांच
तालिबान के बंदूकधारी जगह जगह नाके लगाए खड़े दिखते हैं. पश्चिमी कपड़े और जीवनशैली धीरे-धीरे गायब होती जा रही है.
तस्वीर: Haroon Sabawoon/AA/picture alliance
काम की तलाश
काबुल में ये मजदूर काम का इंतजार कर रहे हैं. देश के आर्थिक हालात बद से बदतर हो रहे हैं. बेरोजगारी बढ़ रही है. 98 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे जा सकते हैं, जो फिलहाल 72 फीसदी पर है.
तस्वीर: Bernat Armangue/dpa/picture alliance
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उन्होंने अपने प्रांत की स्थिति के बारे में बताते हुए कहा, "बदख्शां में कोई स्वतंत्र मीडिया नहीं बचा है. जो रिपोर्ट करते हैं, वे तालिबान की बातों को ही दोहराते हैं. इससे अच्छा है कि हम ये काम ही न करें." बदख्शां के एक पुरुष पत्रकार ने यह भी कहा कि इस क्षेत्र के कई मीडिया संगठन तालिबान के कारण बंद नहीं हुए, बल्कि इसलिए बंद हो गए क्योंकि वे विदेशी फंडिंग पर निर्भर थे. तालिबान के सत्ता में आने के बाद उन्हें आर्थिक सहायता मिलनी बंद हो गई.
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चिंताजनक स्थिति
एचआरडब्ल्यू की रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से कम से कम 32 पत्रकारों को अस्थायी रूप से हिरासत में लिया गया है. काबुल स्थित प्रसिद्ध समाचार पत्र 'एतिलात्रोज' के दो पत्रकारों की बुरी तरह पिटाई की गई. एक को तब तक पीटा गया, जब तक कि वह बेहोश नहीं हो गया. कई अन्य मामलों में, दूसरे पत्रकारों के साथ न सिर्फ दुर्व्यवहार किया गया, बल्कि मनमाने ढंग से हिरासत में भी लिया गया.
नंगरहार के एक पत्रकार ने बताया, "सितंबर महीने में हमारे एक साथी पत्रकार को हिरासत में लिया गया था. पत्रकार संगठनों के काफी प्रयास के बाद, उन्हें आठ दिन बाद रिहा करवाया गया. तालिबान ने उस पत्रकार पर इस्लामिक स्टेट से संबंध रखने का आरोप लगाया, जो सच नहीं था."
तालिबान की नई सरकार
15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करने के साथ ही तालिबान ने अफगानिस्तान पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया था. सरकार बनाने को लेकर माथापच्ची करने के बाद आखिरकार 7 सितंबर को अंतरिम सरकार का ऐलान किया गया. देखिए, कौन-कौन हैं अहम पदों पर.
तस्वीर: HOSHANG HASHIMI/AFP via Getty Images
प्रधानमंत्री
अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार के मुखिया मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद होंगे. अखुंद को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया है. अखुंद अतीत में तालिबान आंदोलन के संस्थापक नेता मुल्ला मोहम्मद उमर के करीबी सहयोगी रहे हैं.
तस्वीर: SAEED KHAN/AFP
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर
तालिबान के सह-संस्थापक और दूसरे नंबर के नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर देश के अंतरिम उपप्रधान मंत्री होंगे. बरादर तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख हैं.
तस्वीर: SOCIAL MEDIA/REUTERS
अब्दुल सलाम हनफी
गनी बरादर के अलावा अब्दुल सलाम हनफी को भी उप प्रधानमंत्री का कार्यभार सौंपा गया है.
तस्वीर: AFP/Getty Images/K. Jaafar
मुल्ला मोहम्मद याकूब
मुल्ला मोहम्मद याकूब को रक्षा मंत्री के रूप में चुना गया है. वे तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे हैं.
तस्वीर: IRNA
सिराजुद्दीन हक्कानी
हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक के बेटे सिराजुद्दीन हक्कानी को नया गृह मंत्री बनाया गया है. अमेरिका ने हक्कानी नेटवर्क को एक आतंकवादी संगठन नामित किया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Bagram Air Base
आमिर खान मुत्तकी
तालिबान की नई सरकार में आमिर खान मुत्तकी को अंतरिम विदेश मंत्री बनाया गया है.
तस्वीर: Omar Haj Kadour/AFP/Getty Images
जबीउल्लाह मुजाहिद
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद को उप सूचना मंत्री का जिम्मा दिया गया है. तालिबान की बात दुनिया तक पहुंचाने का काम वहीं करते आ रहे हैं.
तस्वीर: AAMIR QURESHI/AFP/Getty Images
शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई
शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई को देश का उप विदेश मंत्री का प्रभार सौंपा गया है. स्टानिकजई ने तालिबान की तरफ से अमेरिका के साथ बातचीत में अहम भूमिका निभाई थी.
तस्वीर: Sefa Karacan/AA/picture alliance
अब्दुल बकी हक्कानी
उच्च शिक्षा के कार्यवाहक मंत्री अब्दुल बकी हक्कानी बनाए गए हैं. नई सरकार में एक भी महिला मंत्री नहीं हैं.
तस्वीर: AAMIR QURESHI/AFP
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अफगानिस्तान में पत्रकारों के साथ इस तरह की मनमानी नई बात नहीं है. पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार के दौरान भी कई ऐसी घटनाएं हुई हैं. जिस पत्रकार को तालिबान ने सितंबर महीने में हिरासत में लिया था, उसी पत्रकार को गनी की सरकार में भी हिरासत में लिया गया था. उस समय पत्रकार के ऊपर तालिबान के साथ सहयोग करने का आरोप लगा था. हालांकि, पहले के मुकाबले अभी पत्रकारों के लिए हालात और ज्यादा खराब हो गए हैं. उनके सामने 'तालिबान के सामने झुको या देश छोड़ो' की स्थिति पैदा हो गई है.
(हमने इस रिपोर्ट में डॉयचे वेले के साथ बात करने वाले पत्रकारों का नाम नहीं लिखा है, ताकि उन्हें भविष्य में किसी तरह की परेशानी न हो.)