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अपराधअफगानिस्तान

इस साल पहले से कहीं ज्यादा कमाएंगे अफगान के अफीम किसान

२ नवम्बर २०२२

संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स और अपराध निरोधक कार्यालय का कहना है कि अफगानिस्तान में अफीम की फसल में कई सालों की तुलना में इस साल तीन गुना वृद्धि हुई है.

अफगानिस्तान में अफीम की खेती करते किसान
अफगानिस्तान में अफीम की खेती करते किसानतस्वीर: Imago Images/ZUMA Press/

इस साल की शुरुआत से अफगानिस्तान में अफीम की खेती में करीब तीन गुना वृद्धि हुई है. संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स और अपराध निरोधक कार्यालय (यूएनओडीसी) के अनुसार यह वर्ष अफगान के अफीम किसानों के लिए सबसे अधिक लाभदायक वर्षों में से एक होगा. यूएन एजेंसी का कहना है अफगानिस्तान में अफीम की खेती पिछले साल की तुलना में 32 फीसदी बढ़कर 2 लाख 33 हजार हेक्टेयर तक फैल गई है.

3400 साल पहले भी इस्तेमाल होती थी अफीम

अफीम की खेती के क्षेत्र की निगरानी की प्रक्रिया 1994 में इस संयुक्त राष्ट्र एजेंसी द्वारा शुरू की गई थी और तब से 2022 की फसल को अफगानिस्तान में तीसरा सबसे बड़ा खेती वाला क्षेत्र घोषित किया गया है. इससे पहले सिर्फ 2018 और 2019 ऐसे साल थे जिनमें इस क्षेत्र से अधिक पर अफीम की फसल की खेती की जाती थी.

तालिबान के सत्ता में आने के बाद बढ़ा उत्पादन

यूएनओडीसी के मुताबिक तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफीम का उत्पादन बढ़ा है और यह वर्ष अफगान अफीम किसानों के लिए सबसे अधिक लाभदायक वर्षों में से एक होगा. एजेंसी की मंगलवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार 2021 में अफीम की बिक्री से किसानों ने 42 करोड़ 50 लाख डॉलर कमाए थे, अब 2022 में कमाई तीन गुना से अधिक एक अरब 40 करोड़ डॉलर तक पहुंच गई है. ये नए आंकड़े कृषि क्षेत्र के पूरे 2021 वर्ष की आय के 29 प्रतिशत के बराबर हैं.

एजेंसी का कहना है कि अफगानिस्तान के किसान अब नवंबर की शुरुआत में तय करेंगे कि प्रतिबंध के बावजूद अगले साल पोस्ता उगाना है या नहीं और कितना उगाना है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान के किसान "अवैध अफीम की अर्थव्यवस्था में फंस गए हैं."

फैक्ट चेक: अपने वादों पर कितना खरा उतरा तालिबान?

यूएनओडीसी की कार्यकारी निदेशिका गादा वॉली के मुताबिक, "अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान की जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए एकजुट होना होगा. दुनिया भर में हेरोइन की तस्करी करने वाले और लोगों को नुकसान पहुंचाने वाले आपराधिक समूहों को रोकने के लिए अधिक प्रयास करने होंगे."

तालिबान ने अफीम की खेती पर रोक लगाई थी

तालिबान सरकार अफीम की खेती और अफीम के व्यापार पर प्रतिबंध लगा चुकी है, लेकिन अफीम की ऊंची कीमतें किसानों को अफीम की फसल उगाने का जोखिम उठाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं. यह न केवल अफगान किसानों के लिए बल्कि उनके नेताओं के लिए भी एक लाभदायक कारोबार है. उसी अफीम की फसल से हेरोइन का उत्पादन होता है. दुनिया भर में उत्पादित अफीम और हेरोइन पर अफगानिस्तान का लगभग एकाधिकार है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक दुनिया भर में कुल अफीम उत्पादन का 80 से 90 प्रतिशत अकेले अफगानिस्तान में पैदा होता है.

जब साल 2000 में तालिबान पहली बार सत्ता में आया तो उसने इस फसल की खेती पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया. अफगानिस्तान पर आक्रमण के बाद अमेरिका और नाटो बलों ने भी लगभग दो दशकों तक अफीम की खेती को रोकने की कोशिश की. इस बीच किसानों को गेहूं या केसर जैसी वैकल्पिक फसल उगाने के लिए भी भुगतान किया गया, लेकिन ऐसे सभी प्रयास असफल साबित हुए.

विशेषज्ञों के मुताबिक उस समय विदेशी ताकतों के इन कोशिशों को तालिबान ने विफल कर दिया क्योंकि उन्होंने महत्वपूर्ण अफीम उगाने वाले क्षेत्रों को नियंत्रित किया और इसके व्यापार से लाखों डॉलर कमाए. उसी डॉलर का इस्तेमाल विदेशी ताकतों से लड़ने और हथियार खरीदने के लिए भी किया जाता था.

अफगानिस्तान में पैदा होने वाली अफीम दुनिया के अलग-अलग देशों में पहुंचती है और इसकी तस्करी के लिए अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के रास्तों का इस्तेमाल किया जाता है.

एए/वीके (एएफपी, एपी)

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