11 देशों से पैदल गुजर कर अमेरिका पहुंच रहे हैं सैकड़ों अफगान
२ फ़रवरी २०२३
तालिबान के शासन से बाहर निकलने के लिए सैकड़ों लोग अफगानिस्तान छोड़ने के लिए कई रास्ते आजमा रहे हैं. सैकड़ों अफगान लैटिन अमेरिका पहुंच कर वहां के 11 देशों से पैदल गुजर कर अवैध रूप से अमेरिका जा रहे हैं.
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यह तालिबान के शासन से बच निकलने के लिए अफगान लोगों के पास उपलब्ध आखिरी रास्तों में से है. उनकी यात्रा ब्राजील के लिए मानवीय वीजा से शुरू होती है. यात्रा का अंत होता है लैटिन अमेरिका के 11 देशों से होते हुए अमेरिका की सीमा तक पहुंचने और वहां मौजूद दीवार लांघ कर अमेरिकी धरती पर कूद के पहुंचने पर.
अफगानिस्तान से अमेरिका के अव्यवस्थित तरीके से निकल जाने के एक साल बाद अमेरिका-मेक्सिको की सीमा पार कर अमेरिका में शरण लेने की कोशिश करने वाले अफगान लोगों की संख्या बहुत बढ़ गई है.
हर महीने सैकड़ों लोग अपनी जान को जोखिम में डाल कर एक ऐसे रास्ते से वहां पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं जो अपहरण, चोरी और हमलों के लिए बदनाम है. अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक सीमा अधिकारियों ने पिछले साल 2,132 अफगान लोगों को पकड़ा.
शरणार्थियों के लिए मदद में कमी
यह एक साल में इस तरह पकड़ने जाने वाले अफगान लोगों की संख्या में 30 गुना उछाल है. इनमें से आधे तो नवंबर और दिसंबर 2022 में ही अमेरिका पहुंचे.
रॉयटर्स ने इस यात्रा को पूरा करने वाले एक दर्जन अफगान लोगों से बात की. उनमें से 11 ने कहा कि वो अमेरिका पहुंचने में सफल रहे. एक व्यक्ति के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है. रॉयटर्स ने इस व्यक्ति का मेक्सिको में साक्षात्कार किया था. इन सब ने कहा कि वो ब्राजील में एक नई जिंदगी शुरू नहीं कर पाए तो जमीन के रास्ते अमेरिका की तरफ चल दिए.
कई शरणार्थी अधिवक्ताओं और पूर्व अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि इस रास्ते को लेने वाले अफगान लोगों की संख्या का बढ़ना अफगानिस्तान के अंदर मानवीय संकट को संबोधित करने में असफलता को दिखाता है. साथ ही यह अफगानिस्तान छोड़कर जाने वालों के लिए मदद में कमी को भी दिखाता है.
इन लोगों का कहना है कि अमेरिका में वीजा का काम धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है जबकि अमेरिका को शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के साथ मिल कर अफगान शरणार्थियों की मदद करने के लिए दूसरे देशों की भी मदद करनी चाहिए.
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ब्राजील में शरणस्थानों पर दबाव
रॉयटर्स के सवालों के जवाब में अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने "पिछले दो दशकों से अमेरिका के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने वाले बहादुर अफगानों के लिए" वीजा के काम को तेजी से आगे बढ़ाने की कोशिश की है.
अपना वतन छोड़ने को मजबूर अफगान सिख
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मंत्रालय ने यह भी कहा कि उसने "अनियमित प्रवासन" को रोकने के लिए दूसरे देशों की सरकारों को मदद का प्रस्ताव भी दिया है. मंत्रालय ने अलग अलग मामलों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि मानवीय ब्राजीलियाई वीजा कार्यक्रम एक "बेहद महत्वपूर्ण योगदान" है लेकिन देश में शरणस्थानों में पहले से बहुत लोग हैं. इस कार्यक्रम के तहत दो साल की रेसीडेंसी और काम करने, पढ़ने और शरणार्थी दर्जे के लिए आवेदन देना का मौका मिलता है.
ब्राजील की सरकार ने टिप्पणी देने के अनुरोध का जवाब नहीं दिया. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस कार्यक्रम की शुरुआत सितंबर 2021 में की गई थी और तब से मानवीय वीजा पर करीब 4,000 अफगान ब्राजील में प्रवेश कर चुके हैं.
पिछले साल 2,200 अफगान लोगों ने डैरियन गैप नाम के कोलंबिया और पनामा के बीच के जंगली इलाके को पार किया. यह अमेरिका की सीमा तक ले जाने वाला एकमात्र रास्ता है.
पनामा की सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2021 में सिर्फ 24 अफगान लोगों ने यह रास्ता लिया था. तालिबान प्रशासन के प्रवक्ता ने इस बढ़ते हुए पलायन पर अपनी टिप्पणी देने के अनुरोध का जवाब नहीं दिया.
सीके/एए (रॉयटर्स)
अफगान शरणार्थियों का स्वागत करता एक छोटा सा शहर
तालिबान के चंगुल से खुद को बचाकर काबुल से भागा एक परिवार अमेरिका के केंटकी राज्य के एक छोटे से शहर में आ पहुंचा है. देखिए कैसे ये शरणार्थी और यह शहर एक दूसरे को समझने की कोशिश कर रहे हैं.
तस्वीर: Amira Karaoud/Reuters
काबुल से केंटकी तक
बोलिंग ग्रीन नाम का यह शहर शरणाथियों को पनाह देने के लिए जाना जाता है. काबुल से आया जदरान परिवार को इंटरनैशनल सेंटर नाम की स्थानीय पुनर्वास संस्था की मदद से यहां एक घर मिल गया है और बच्चों को एक स्कूल में दाखिला भी.
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कभी नेता, अब शरणार्थी
41 साल के वजीर खान जदरान अफगानिस्तान में एक कबायली नेता थे जिन्होंने तालिबान के हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. वो बताते हैं कि अगस्त 2020 में अमेरिकियों ने उन्हें और उनके परिवार को एक चिनूक हेलीकॉप्टर में बिठा कर काबुल हवाई अड्डे तक पहुंचाया, जहां से वो अफगानिस्तान छोड़ सके.
तस्वीर: Amira Karaoud/Reuters
बाहें फैलाने वाला शहर
जदरान और उनकी पत्नी नूरीना का बोलिंग ग्रीन में स्वागत हुआ है. इस शहर ने पिछले चार दशकों में कई शरणार्थियों को पनाह दी है. सबसे पहले 1980 के दशकों में कंबोडिया से शरणार्थी आए, फिर 90 के दशकों में बॉस्निया से. बाद में इराक, म्यांमार, रवांडा और फिर कॉन्गो जैसी जगहों से लोगों ने यहां बस कर मात्र 72,000 की आबादी के इस शहर को विविधताओं से भर दिया और आर्थिक रूप से संपन्न बना दिया.
तस्वीर: Amira Karaoud/Reuters
स्थानीय लोगों से मिली मदद
जदरान यहां खुश हैं. उनके छह बच्चे यहां स्कूल जा रहे हैं, अंग्रेजी में गाने सीख रहे हैं, लाइब्रेरी से किताबें उधार ले रहे हैं और उन्होंने सैंटा क्लॉस को चिट्ठियां भी लिखी हैं. जदरान कहते हैं, "हम बोलिंग ग्रीन में बहुत खुश हैं. स्थानीय लोग हमारी मदद कर रहे हैं और यहां की संस्कृति से हमारा परिचय करा रहे हैं."
तस्वीर: Amira Karaoud/Reuters
घुलते-मिलते बच्चे
सुपरमैन की पोशाक पहने छह साल के सनाउल्ला खान जदरान, चार साल की जहरा जदरान और 13 साल के समीउल्ला खान जदरान खेल रहे हैं. यह वियतनाम युद्ध के बाद अमेरिकी सरकार का सबसे बड़ा शरणार्थी निकास कार्यक्रम है. इसके तहत अमेरिका में 75,000 लोगों को बसाया जाना है. उम्मीद है कि अकेले बोलिंग ग्रीन में ही 2022 में 350 अफगान आएंगे.
तस्वीर: Amira Karaoud/Reuters
अमेरिका से हो रहा परिचय
परिवार अमेरिका में रहने के तौर तरीके सीख रहा है, जैसे गाड़ी चलाना, क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करना जैसी चीजें. इसके अलावा जब बवंडर आए तो क्या करना है, वो भी. दिसंबर में केंटकी में जो बवंडर आए थे उन्होंने इस परिवार की सुरक्षा के एहसास को एक झटका दिया. जदरान कहते हैं, "हमने पहले कभी इस तरह का तूफान नहीं देखा था...हमें लगा जैसे हम फिर किसी युद्ध में जा रहे हों. लेकिन अल्लाह ने हमें बचा लिया."
तस्वीर: Amira Karaoud/Reuters
सुरक्षा का एहसास
बवंडरों को हटा दें, तो जदरान परिवार सुरक्षित है और खुशकिस्मत है कि उसे स्वागत करने वाले लोगों के बीच बगीचे वाला एक घर मिल गया है. बोलिंग ग्रीन के नए निवासियों के लिए यहां कई नौकरियां भी हैं. यह कृषि और औद्योगिक गतिविधियों का एक केंद्र है जिसे शायद सबसे ज्यादा जाना जाता है जनरल मोटर्स कंपनी के असेंबली प्लांट के लिए जहां उसकी लोकप्रिय कोरवेट स्पोर्ट्स कार बनती है.
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ताकि अपनी पहचान भी बाकी रहे
बोलिंग ग्रीन शरणार्थियों को अपनी पहचान बरकरार रखने की भी इजाजत देता है. यहां सब अपना अपना धर्म भी मान सकते हैं और एक पारिवारिक जीवन जी सकते हैं.
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एक नई संस्कृति
जदरान परिवार में बच्चे तेजी से यहां की नई संस्कृति में ढल रहे हैं. सबसे बड़ी 15 साल की जुलेखा अपने भाई बहनों को अंग्रेजी गाना "व्हाट आर यू थैंकफुल फॉर" सीखा रही हैं. बच्चे अपने ही प्रदर्शन पर तालियां बजाते हैं और "हो गया!" कहती हुई सुलेखा के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कुराहट खिल जाती है. (केविन मर्टेन्स, रॉयटर्स से जानकारी के साथ)