कोविड-19: तेजी के साथ फैलती लहर से जूझ रहा अफ्रीका
२५ जून २०२१
अफ्रीका दोबारा विनाशकारी कोरोना वायरस के उछाल का सामना कर रहा है. कोविड-19 के ताजे संक्रमण पिछले चरम को तेजी से पार कर जाएंगे. महाद्वीप के छोटे देश भी टीके की कमी से जूझ रहे हैं.
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अफ्रीका के लिए डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. मत्शिदिसो मोएती के मुताबिक, "कोरोना की तीसरी लहर गति पकड़ रही है, वह तेजी से फैल रही है और बुरी मार मार रही है." उन्होंने कहा, "तेजी से बढ़ते मामलों की संख्या और गंभीर बीमारी की बढ़ती रिपोर्ट के साथ, नवीनतम उछाल से अफ्रीका में सबसे खराब हालात होने का खतरा है."
अफ्रीका अभी भी इन तेजी से बढ़ते संक्रमणों के प्रभाव को कुंद कर सकता है, लेकिन अवसर की खिड़की बंद हो रही है. हर जगह हर कोई वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सावधानी बरतकर अपना काम कर सकता है.
डब्ल्यूएचओ अफ्रीका के मुताबिक मई की शुरुआत से नए मामले बढ़ रहे हैं और जुलाई की शुरुआत तक नए आंकड़े पिछली लहरों को पार कर जाएंगे. सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों का कम पालन होना, बिना मास्क सामाजिक आयोजन और कोरोना के नए वेरिएंट ने मामलों को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई है.
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डेल्टा वेरिएंट ने मचाई तबाही
मोएती ने सरकारों को आबादी को मास्क और स्वच्छता सुविधाओं तक आसान पहुंच बनाने के लिए अपील की है. डेल्टा वेरिएंट जिसने भारत में बड़ी तबाही मचाई थी, वही वेरिएंट 14 अफ्रीकी देशों में पाया गया है, जिनमें कांगो, मोजाम्बिक, नामिबिया और युगांडा शामिल हैं.
अफ्रीका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (अफ्रीका सीडीसी) के निदेशक जॉन नकेनगसोंग कहते हैं कि अफ्रीका के कम से कम 20 देशों में डेल्टा वेरिएंट ने विनाशकारी तीसरी लहर में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो सकती है. उन्होंने कहा, ''तीसरी लहर अत्यंत क्रूर है.'' उनके मुताबिक अधिक से अधिक स्वास्थ्य केंद्र कह रहे हैं कि उनपर अत्यधिक बोझ है.
उन्होंने कहा कि अफ्रीकी देशों को इस बीमारी से लड़ने में मदद के लिए तत्काल टीकों की जरूरत है. नकेनगसोंग के मुताबिक, ''हम पूरी तरह से पिछड़ रहे हैं, हमारे पास टीके नहीं हैं.'' अफ्रीका सीडीसी के मुताबिक अफ्रीका में 52 लाख से अधिक पुष्ट कोरोना के मामले हैं और बीमारी से एक लाख 40 हजार के करीब लोगों की मौत हो चुकी है.
महामारी की वजह से दुनिया में बढ़े संघर्ष
वैश्विक शांति सूचकांक के मुताबिक महामारी के दौरान दुनिया में संघर्ष के स्तरों में बढ़ोतरी हुई है. जानिए कहां कहां और किस किस तरह के संघर्ष के स्तर में इजाफा हुआ है.
तस्वीर: Saifurahman Safi/Xinhua/picture alliance
लगातार बढ़ रहे झगड़े
इंस्टिट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने कहा है कि 2020 में पिछले 12 सालों में नौवीं बार दुनिया में झगड़े बढ़ गए. संस्थान के वैश्विक शांति सूचकांक के मुताबिक कुल मिला कर संघर्ष और आतंकवाद के स्तर में तो गिरावट आई, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता और हिंसक प्रदर्शन बढ़ गए.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
हिंसक घटनाएं
जनवरी 2020 से अप्रैल 2021 के बीच सूचकांक ने पूरी दुनिया में हुई महामारी से संबंधित 5,000 से ज्यादा हिंसक घटनाएं दर्ज की. 25 देशों में हिंसक प्रदर्शनों की संख्या बढ़ गई, जबकि सिर्फ आठ देशों में यह संख्या गिरी. सबसे खराब हालात रहे बेलारूस, म्यांमार और रूस में, जहां सरकार ने प्रदर्शनकारियों का हिंसक रूप से दमन किया.
तस्वीर: AP/picture alliance
सबसे कम शांतिपूर्ण देश
रिपोर्ट ने अफगानिस्तान को दुनिया का सबसे कम शांतिपूर्ण देश पाया. इसके बाद यमन, सीरिया, दक्षिण सूडान और इराक को सबसे कम शांतिपूर्ण देशों में पाया गया. अफगानिस्तान, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और मेक्सिको में आधी से भी ज्यादा आबादी ने उनकी रोज की जिंदगी में हिंसा सबसे बड़ा जोखिम बनी हुई है.
तस्वीर: WAKIL KOHSAR/AFP
सबसे शांतिपूर्ण देश
आइसलैंड को एक बार फिर सबसे शांतिपूर्ण देश पाया गया. आइसलैंड ने यह स्थान 2008 से अपने पास ही रखा हुआ है. पूरे यूरोप को ही कुल मिला कर सबसे शांतिपूर्ण प्रांत का दर्जा दिया गया है. हालांकि संस्थान के मुताबिक वहां भी राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई है.
तस्वीर: Getty Images/M. Cardy
अमेरिका में भी बढ़ी अशांति
इस अवधि में अमेरिका में भी नागरिक अशांति काफी तेजी से बढ़ी. हालांकि ऐसा सिर्फ महामारी की वजह से ही नहीं हुआ. इसमें ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के विस्तार और जनवरी 2021 में यूएस कैपिटल पर हुए हमले का भी योगदान है.
तस्वीर: Leah Millis/REUTERS
कई मोर्चों पर स्थिति बेहतर
दुनिया में कई स्थानों पर हत्या की दर, आतंकवाद की वजह से होने वाली मौतों की संख्या और जुर्म के मामलों में काफी गिरावट देखने को मिली.
तस्वीर: Hadi Mizban/AP/picture alliance
और बढ़ेगी अनिश्चितता
संस्थान के संस्थापक स्टीव किल्लीलिया का कहना है कि महामारी के आर्थिक असर की वजह से अनिश्चितता और बढ़ेगी, विशेष रूप से ऐसे देशों में जहां महामारी के पहले से ही हालात अच्छे नहीं थे. इस आर्थिक संकट से बाहर निकलने की प्रक्रिया भी काफी असमान रहेगी, जिससे मतभेद बढ़ेंगे. (डीपीए)
तस्वीर: Jorge Saenz/AP Photo/picture alliance
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सिर्फ एक प्रतिशत को मिला टीका
130 करोड़ की आबादी वाला यह महाद्वीप ऐसे समय में टीके की गंभीर कमी का सामना कर रहा है जब यहां महामारी की नई लहर लोगों को बेहद प्रभावित कर रही है. डब्ल्यूएचओ और अफ्रीका सीडीसी के मुताबिक फिलहाल महाद्वीप के एक प्रतिशत आबादी को ही टीका लग पाया है. विश्वभर में 2.7 अरब वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी हैं.
अधिकारियों का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र समर्थित कोवैक्स निम्न और मध्य आय वाले देशों को टीके देने की पहल के अपने लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाया है. कोवैक्स वैक्सीन आपूर्ति का 80 प्रतिशत से अधिक केवल 18 अफ्रीकी देशों द्वारा उपयोग किया गया है, जिनमें से आठ स्टॉक से बाहर चल रहे हैं.
मोएती कहती हैं, ''कोवैक्स में हमारे काम को टीके की उपलब्धता से बेहद चुनौती मिली है.'' उन्होंने यह भी कहा कि डब्ल्यूएचओ सभी उपलब्ध टीकों पर विचार करने को तैयार है और साथ ही सुनिश्चित करेगा कि टीके वैश्विक स्तर पर उपलब्ध हों इसके लिए वह हर संभव प्रयास किया जाए.
एए/वीके (एपी)
जी-सात देशों में किसने कितने टीके दान करने का किया वादा
कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ विकासशील और गरीब देशों में टीकाकरण की रफ्तार बहुत धीमी है. जानिए जी-सात समूह के शक्तिशाली सदस्य देशों ने दुनिया को टीकों की कितने खुराक देने का वादा किया है.
तस्वीर: Bernd Riegert/DW
अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि वो अमेरिकी कंपनी फाइजर के टीके की 50 करोड़ खुराक खरीद कर 90 से भी ज्यादा देशों को दानस्वरूप देंगे. फाइजर और उसकी सहयोगी जर्मन कंपनी बायोएनटेक 2021 में 20 करोड़ खुराक उपलब्ध कराएंगी और 2022 के पहले छह महीनों में बाकी 30 करोड़ खुराक.
तस्वीर: Toby Melville/Reuters
ब्रिटेन
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने वादा किया है कि उनके देश के पास टीकों का जो अतिरिक्त भंडार है उसमें से वो कम से कम 10 करोड़ खुराक अगले एक साल में दुनिया के कई देशों को देंगे. इसमें से 50 लाख खुराक अगले कुछ हफ्तों में ही दी जा सकती हैं. जॉनसन ने यह भी कहा है कि वो उम्मीद कर रहे हैं कि जी-सात के सदस्य देश एक अरब खुराक तक उपलब्ध कराएंगे ताकि 2022 में महामारी को खत्म किया जा सके.
तस्वीर: Simon Dawson/Avalon/Photoshot/picture alliance
ईयू, जर्मनी, फ्रांस, इटली
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला उर्सुला फॉन डेय लाएन ने कहा है कि यूरोपीय संघ ने इसी साल के अंत तक मध्य आय और कम आय वाले देशों को कम से कम 10 करोड़ खुराक देने का लक्ष्य बनाया है. इसमें फ्रांस और जर्मनी द्वारा तीन-तीन करोड़ खुराक और इटली द्वारा 1.5 करोड़ खुराक का योगदान शामिल है. फ्रांस ने कहा है कि वो कोवैक्स टीका-साझेदारी कार्यक्रम के तहत सेनेगल को ऐस्ट्राजेनेका टीके की 1,84,000 खुराक दे चुका है.
जापान ने कहा है कि वो देश के अंदर बनने वाले टीकों की करीब तीन करोड़ खुराक कोवैक्स के जरिए ही दानस्वरूप देगा. पिछले सप्ताह जापान ने ताइवान को ऐस्ट्राजेनेका के टीके की 12.4 लाख खुराक निशुल्क दीं.
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कनाडा
कनाडा ने अभी तक वैक्सीन की खुराक दूसरे देशों को देने के बारे में कोई घोषणा नहीं की है.
तस्वीर: picture-alliance/S. Kilpatrick
वैश्विक स्थिति
विश्व स्वास्थ्य संगठन और टीकों के लिए बने वैश्विक गठबंधन गावी के समर्थन से कोवैक्स कार्यक्रम ने इस साल के अंत तक कम आय वाले देशों के लिए दो अरब खुराक सुरक्षित करने का लक्ष्य रखा है. इस सप्ताह की घोषणाओं के पहले कोवैक्स को सिर्फ 15 करोड़ खुराक का वादा पाया था. यह कार्यक्रम के सितंबर तक 25 करोड़ खुराक और साल के अंत तक एक अरब खुराक के पुराने लक्ष्य से भी बहुत पीछे था.
तस्वीर: Akhtar Soomro/REUTERS
वैक्सीन अन्याय
अभी तक दुनिया में टीकों की 2.2 अरब खुराक दी जा चुकी हैं, जिनमें से अकेले जी-सात देशों में ही करीब 56 करोड़ खुराक दी गई हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के महासचिव तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस ने कहा है कि टीके के वितरण में हो रहा "लज्जाजनक अन्याय" महामारी को बनाए रख रहा है. - रॉयटर्स