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समाज

वायरस के शहर में फंसे लोगों ने कहा "जेल जैसे हालात हैं"

२८ जनवरी २०२०

चीन के औद्योगिक शहर वुहान को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. वहां रह रहे लोगों का कहना है कि ऐसे हालात जेल में रहने से कम नहीं हैं. ये लोग जल्द से जल्द चीन छोड़ना चाहते हैं.

BG Alltag in der abgeriegelten Stadt Wuhan
तस्वीर: Getty Images/AFP/H. Retamal

चीन के वुहान शहर के बाजार में आमतौर पर हलचल रहती है लेकिन कोरोना वायरस फैलने के बाद शहर में सन्नाटा पसरा हुआ है. तंजानिया के डॉक्टर खमीस हसन बाकरी ने गली में चलते हुए दो दुकानदारों को देखा और उनके शरीर में अचानक डर से सिरहन हो गई. 39 साल के डॉक्टर बाकरी समाचार एजेंसी असोसिएट प्रेस से बात करते हुए कहते हैं, "शहर में लोग डरे हुए हैं. हर किसी को देखकर डर लगता है."

प्रशासन के मुताबिक कोरोना वायरस की शुरूआत वुहान शहर से हुई. वायरस बाहर ना फैले इस वजह से एक करोड़ की आबादी वाले शहर को बंद कर दिया गया है. परिवहन के सारे रास्ते बंद कर दिए गए हैं. सड़कों से लेकर दुकानों तक सन्नाटा पसरा हुआ है. डॉक्टर बाकरी कहते हैं, "सुपरमार्केट में सामान लेने जाते हैं तो आप चाहते हैं कि कोई आपके खरीदे उत्पादों को ना छुए." बाकरी वुहान विश्वविद्यालय के कर्मचारी आवास में रहते हैं.

"जेल जैसे हालात"

चीन में इस साल नए साल के जश्न को कोरोना वायरस ने गम में बदल दिया. वुहान में हजारों विदेशी नागरिक फंस गए हैं. इनमें से कई अमेरिका, जापान जैसे विकसित देशों के हैं. ये देश अपने नागरिकों को चीन से बाहर निकालने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं. वहीं वुहान में शोध के छात्र अपने अफ्रीकी साथियों के साथ वुहान शहर से भागने की योजना बना रहे हैं. वुहान यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में इथियोपिया से आए छात्र हाबिल ने बताया, "मैं यहां फंस गया हूं." हाबिल जैसे कई छात्रों को चिंता है कि अगर उन्होंने यहां से भागने की कोशिश की तो इस कदम से चीन और उनके देश के अधिकारी नाराज हो सकते हैं. जिससे उन्हें छात्रवृत्ति से भी हाथ धोना पड़ सकता है. चीन के शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक अफ्रीकी महाद्वीप के छात्र चीन में बड़ी संख्या में पढ़ने आते हैं. 2018 में अफ्रीकी छात्रों की संख्या करीब 80 हजार थी. अकेले वुहान में चार हजार से ज्यादा अफ्रीकी छात्र हैं. कोई नहीं जानता कि प्रशासन वुहान शहर को कब तक बंद रखेगा.

तस्वीर: Getty Images

दक्षिण अफ्रीकी देश बोत्सवाना ने भी अपने नागरिकों को भोजन और पानी की आपूर्ति को लेकर चिंता जताई है. डॉक्टर बाकरी और उनके पूर्वी अफ्रीकी देश के साथी डॉक्टरों की समिति वुहान में फंसे 400 से ज्यादा तंजानिया के छात्रों के बारे में सोशल मीडिया पर बताते रहते हैं. डॉक्टर बाकरी कहते हैं, "इन छात्रों को नहीं पता कि क्या हो रहा है." वहीं अफ्रीका के एसोसिएशन ने अफ्रीकी लोगों को एहतियात बरतने को कहा है. चिंताएं जायज हैं. यहां तक कि अफ्रीकी महाद्वीप की सबसे विकसित अर्थव्यवस्था दक्षिण अफ्रीका ने संकेत दे दिए हैं कि वह अपने नागरिकों को वापस नहीं बुला रहा है. चीन ने विश्वविद्यालय के छात्रों को निर्देशों का पालन करने के लिए कहा है. प्रशासन ने चेतावनी दी है कि बिना अनुमति चीन छोड़ने के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं.

चीन ने चेताया भागने के होंगे दुष्परिणाम

परमाणु चिकित्सा के विशेषज्ञ डॉक्टर बाकरी कहते हैं कि डॉक्टर होने के नाते वो इस तरह के तनाव झेल सकते हैं. बाकि लोगों के लिए ऐसी परिस्थितियों का सामना करने के लिए भी उन्होंने तरीका खोज लिया है. तंजानिया की डॉक्टरों की समिति ने लोगों से दिन में कम से कम 20 मिनट कसरत करने का सुझाव दिया है. ज्यादा ऑनलाइन रहने से बचने के लिए कहा है. समिति ने ऑनलाइन वीडियो जारी किया है जिसमें चीन के अस्पताल में एक बीमार कांगो के छात्र को दिखाया. जो कोरोना वायरस होने के शक से डरा हुआ है. डॉक्टर बाकरी बताते हैं, "उस छात्र को गुर्दे में पथरी की शिकायत थी." वुहान विश्वलिद्यालय में किसी भी विदेशी छात्र को वायरस होने की शिकायत नहीं मिली है. विश्वविद्यालय के प्रशासन ने छात्रों को चीन के मशहूर मैसेजिंग ऐप वीचैट पर कोरोना वायरस से संबंधित किसी भी संदेश, वीडियो को भेजने से मना किया है. ऐसा करने पर वाईफाई कनेक्शन को काटने की धमकी दी गई है.

तस्वीर: Getty Images/AFP/H. Retamal

छात्र अपना पक्ष रखते हुए कहते हैं कि वह सिर्फ हालातों को जानने की कोशिश कर रहे हैं. छात्र का कहना है कि परिवहन शुरु होते ही वह चीन छोड़ना चाहते हैं. घाना के चीन में राजदूत एडवर्ड बोटेंग ने छात्रों से कहा, "यह साहसी होने का समय नहीं है. किसी को ऐसी प्रक्रिया से घबराना नहीं चाहिए." बीजिंग में अफ्रीका के राजनयिक छात्रों की मदद करने के लिए विकल्प खोज रहे हैं. तंजानिया के ही डॉक्टर हिलाल किजवी इस स्थिति को भयावह मानते हैं. खासतौर पर उन छात्रों के लिए जो अभी चीन की भाषा नहीं बोलते.

वुहान में कोरोना वायरस फ्लू की तरह शुरू हुआ उस वक्त अधिकारियों ने लोगों को सावधान रहने और मुंह ढकने के लिए कहा. जैसे ही मरीजों का मरना शुरू हुआ और रोगियों की संख्या बढ़ गई वैसे ही मास्क की आपूर्ति कम होने लगी. डॉक्टर किजवी कहते हैं, "ऐसा लग रहा है जैसे मैं जेल में हूं." वो कहते हैं कि तंजानिया में रह रहे परिवार को ढाढस ही बंधा पाते हैं कि वो ठीक हैं. तंजानिया के दूतावास में छात्रों की भीड़ पहुंच रही है. ये जल्द से जल्द वुहान छोड़ना चाहते हैं. इन छात्रों से कहा जा रहा है कि अधिकारी इस पर काम कर रहे हैं.

डॉक्टर किजवी हताश स्वर में कहते हैं, "मैं ज्यादा उम्मीद नहीं कर रहा हूं. इन हालातों में ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता." तंजानिया के ही डॉक्टर बाकरी के मुताबिक चीन की पुलिस उन लोगों पर निगरानी रख रही है जो बाहर जा रहे हैं. वुहान में अब ज्यादातर सुपरमार्केट और फार्मेसी बंद हैं. जो दुकानें खुलती भी हैं वहां सामान चंद घंटों में बिक जाता है. डॉक्टर बाकरी कहते हैं कि फिलहाल वो अपने कमरे से बाहर नहीं जाना चाहते. वह सुपरमार्केट से वायरस से निपटने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन खरीद कर लाए हैं. फल, सब्जियां, दूध पाउडर, और दाल से वह वायरस का मुकाबला करने को तैयार हैं. वह कहते हैं कि कोरोना वायरस जानवरों से मनुष्यों में आ रहा है इसलिए अंडे, मछली या मांस खाना विकल्प नहीं रह गया है. आजकल वह कई भूमिकाएं एक साथ निभा रहे हैं. एक अन्वेषक, आधे-चिकित्सक और मीडिया आउटलेट इनमें से कुछ हैं. वह कहते हैं कि यह भूमिकाएं थका देने वाली हैं लेकिन सच्चाई यह है कि वो इन दिनों सोते नहीं हैं.

एसबी/आरपी (एपी)

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