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क्या 20 साल राज करने के बाद टूट रहा है पुतिन का तिलिस्म

९ अगस्त २०१९

पुतिन को रूस की सत्ता संभाले हुए 20 साल हो गए हैं. इन 20 सालों में पुतिन दुनिया में रूस की धाक जमाने में लगे हुए हैं हालांकि अब उनके अपने देश में उनके विरोध के सुर बुलंद होने लगे हैं.

Japan Osaka | G20 Gipfel | Wladimir Putin
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Sputnik/I. Pitalev

व्लादिमीर पुतिन ने 20 साल पहले प्रधानमंत्री के रूप में रूस की सत्ता की बागडोर संभाली. 9 अगस्त 1999 को पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. उस समय पुतिन रूस में इतने लोकप्रिय नहीं थे. फिलहाल पुतिन का राष्ट्रपति के रूप में चौथा कार्यकाल चल रहा है. इसके अलावा वो एक बार बीच में देश के प्रधानमंत्री भी रहे हैं. लेकिन रूस की राजनीति और वहां की जनता के मानस में अभी पुतिन के बराबर लोकप्रिय राजनेता कोई नहीं है. रूस में एक कहावत है कि जार तो अच्छा है लेकिन उसका आदर्शवाद खराब है. जार रूस के राजा हुआ करते थे. यही कहावत पुतिन के लिए भी चलती है. पुतिन निजी रूप से अपनी सरकार से ज्यादा लोकप्रिय हैं.

पुतिन खुद इस मिथक को तोड़ने की कोशिश करते हैं. वो कहते हैं, "रूस में कहा जाता है कि जार तो अच्छे हैं लेकिन बोयर्स (उनके सलाहकार) ठीक नहीं हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. अगर देश में कुछ सही नहीं हो रहा तो उसकी जिम्मेदारी सभी लोगों की है." ये उन्होंने रूस में लोगों की आमदनी के अंतर के बारे में अपनी वार्षिक प्रेस वार्ता में कहा था. जून की इस प्रेस वार्ता में उन्होंने घरेलू मुद्दों पर अपनी जिम्मेदारी की चर्चा भी की.

पुतिन का ये बयान थोड़ा अनुमान लगाने वाला लगता है क्योंकि चुनावों में इस बार उनकी लोकप्रियता पहली जैसी रह पाने की उम्मीद कम ही है. उनके दूसरे कार्यकाल के खत्म होने के बाद रूसी लोगों की नजरों में राष्ट्रपति पर लोगों का भरोसा सरकार से 35 प्रतिशत ज्यादा था. लेकिन अब ये फासला घटकर 23 प्रतिशत पर आ गया है. सरकारी एजेंसी के सर्वे के मुताबिक  इस साल लोगों का भरोसा पुतिन के ऊपर घट कर महज 30 प्रतिशत रह गया है जो साल 2006 के बाद सबसे कम है.

रूस में पिछले दिनों में प्रदर्शन सामान्य हो गए हैं.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Zemlianichenko

रूस एक महाशक्ति के रूप में

पुतिन की लोकप्रियता रूस के एक महाशक्ति के रूप में फिर से उभरने  की इच्छा से जुड़ी है. ये राष्ट्रवाद की भावना से ओत प्रोत है. पुतिन ने 90 के दशक में सत्ता संभाली. ये पूरा दशक रूस के लिए बेहद बुरा था. जब सोवियत यूनियन का विघटन हुआ तो रूस के सामने बहुत सारे आर्थिक और सामाजिक संकट पैदा हो गए. देश के कई लोगों को ऐसा लगने लगा कि उन्होंने अपनी राष्ट्रीय पहचान ही खो दी है. स्वतंत्र पोलिंग ऑर्गेनाइजेशन लेवाडा सेंटर के निदेशक लेव गुदकोव कहते हैं , "पुतिन का लक्ष्य कम से कम रूस के लोगों की नजरों में रूस को फिर से एक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने का रहा है. वो दुनिया में फिर से सोवियत संघ जैसी धाक जमाना चाहते हैं." 2014 में क्राईमिया का अधिग्रहण करने के बाद पुतिन की अप्रूवल रेटिंग सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई थी. इस कदम की चाहे पश्चिम में कितनी भी निंदा हुई लेकिन रूसी लोगों में यह बहुत लोकप्रिय हुआ.

जिम्मेदारी निभा रहे पुतिन

रूस में बदल रहे राजनीतिक माहौल का मतलब ये है कि अपनी विदेश नीति को मजबूत करने के नाम पर वो स्थानीय मुद्दों से भाग नहीं सकते हैं गुदकोव कहते हैं, "स्थानीय हालातों की जिम्मेदारी ना लेना पुतिन के काम तो आया ही है. लेकिन जैसे ही पुतिन ने पेंशन में हुए बदलावों के बिल पर हस्ताक्षर किए, उन्होंने कहीं ना कहीं स्थानीय हालातों की जिम्मेदारी ले ही ली."

रूस में पेंशन सुधार का बिल सितंबर, 2018 में आया था और पुतिन ने अक्टूबर की शुरुआत में इस पर हस्ताक्षर किए थे. इस बिल के विरोध में पूरे देशभर में प्रदर्शन हुए. पिछले कुछ महीनों में देश की जनता में बढ़ रहे आक्रोश के कई और उदाहरण साने आए हैं. उत्तरी रूस और मॉस्को के इलाके में कचरा जमीन में दबाने की योजना का भारी विरोध हुआ था. साथ ही स्थानीय गवर्नरों के चुनाव में कथित घपले को लेकर भी पूरे देश में प्रदर्शन हुए. लोगों ने सड़कों पर आकर इसका विरोध किया और मॉस्को की शहरी संसद के चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों को भी उतरने देने की मांग की.

तस्वीर: Getty Images/AFP/G. Fuentes

बढ़ रहा आक्रोश

गुदकोव पुतिन की लोकप्रियता के पीछे अलग-अलग वजहें देखते हैं. आर्थिक ठहराव और कम हो रही आमदनी इसकी पहली वजह है. दूसरी वजह वो मानते हैं कि लोगों में अन्याय और भ्रष्टाचार की समझ बढ़ रही है. उन्हें लगने लगा है कि उच्च पदों पर बैठे लोग चोरी कर रहे हैं और वो आम जनता का पैसा खा रहे हैं. गुदकोव कहते हैं, "ये सरकार के नैतिक पतन जैसा लगता है. पुतिन अब एक काम कर सकते हैं. वो भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की कोशिश करें और सामाजिक नीतियों पर धयान देकर लोगों की मांगों को संतुष्ट करने की कोशिश करें."

राजनीतिक विश्लेषक अलेकसेई कुरतोव  का मानना है कि जनता पुतिन से ज्यादा जवाबदेही की मांग कर रही है क्योंकि अब ऐसे सारे मुद्दों को मीडिया में प्रमुखता से जगह मिल रही है. वो कहते हैं, "पहले पुतिन ऐसे मुद्दों पर कोई जवाब नहीं दिया करते थे. या फिर वो किसी और पर ऐसे मामलों की जिम्मेदारी थोप देते थे. लेकिन अब ऐसे बहुत सारे मुद्दे हो गए हैं. इन मुद्दों का जिम्मेदार किसी और को नहीं माना जा सकता है. ऐसे में इनकी जिम्मेदारी अपने आप पुतिन के ऊपर आ जाती है."

तस्वीर: Reuters/A. Abidi

लेकिन अभी भी नेता नंबर 1

एक सरकारी एजेंसी वटसिओम के निदेशक वलेरी फ्योदरोव का मानना है कि लोगों की नाराजगी की वजह अर्थव्यवस्था की समस्याएं, कम होती जा रही आमदनी और बदतर हो चुकीं स्वास्थ्य सेवाएं हैं. लेकिन वो मानते हैं कि लोग अभी भी पुतिन पर भरोसा कर रहे हैं. वो कहते हैं,"लोग सरकार और राष्ट्रपति की ओर अलग-अलग तरीके से देखते हैं. अगर सामान्य तरीके से समझें तो पुतिन आज भी लोगों की नजरों में नंबर एक नेता हैं. पूरा देश जानता है कि पुतिन पर पूरे देश की जिम्मेदारी है." फ्योदरोव कहते हैं कि 2018 में सत्ता संभालने के बाद से उनका लक्ष्य लोगों का जीवनस्तर सुधारना और शिथिल पड़ रही रूस की अर्थव्यवस्था को गति देना है. वो कहते हैं, "लोग पुतिन को धन्यवाद देते हैं. लोग उनका सम्मान करते हैं. और उनमें अपनी उम्मीदें देखते हैं. कुछ लोग ऐसे हैं जो उनसे संतुष्ट नहीं हैं. कुछ लोग पुतिन का विकल्प चाहते हैं लेकिन फिलहाल ऐसे ज्यादा विकल्प दिखाई नहीं दे रहे हैं."

एमिली शेरविन (मॉस्को)/ऋषभ शर्मा

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