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भारत ने लगाए आटा निर्यात पर प्रतिबंध

चारु कार्तिकेय
७ जुलाई २०२२

गेहूं के निर्यात पर बैन लगाने के बाद भारत सरकार ने आटे के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. आटा निर्यातकों को गुणवत्ता बनाए रखने के लिए पहले से सरकार की अनुमति लेनी होगी.

Nigeria Abmessen von Weizen für den Einzelhandel
तस्वीर: PIUS UTOMI EKPEI/AFP via Getty Images

भारत ने मई में यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से दुनिया में हुई गेहूं की कमी और दामों में बढ़त के बाद गेहूं के निर्यात पर बैन लगा दिया था. अब सरकार ने फैसला किया है कि आटे के निर्यात पर भी कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने कहा है कि आटा निर्यातकों को अपना उत्पाद देश से बाहर भेजने से पहले सरकार की अनुमति लेनी होगी.

विनियामक ने एक अधिसूचना जारी कर कहा, "गेहूं और आटे की आपूर्ति में वैश्विक गड़बड़ी ने कई नए खिलाड़ियों को जन्म दिया है जिसकी वजह से दाम ऊपर नीचे हुए हैं और गुणवत्ता से संबंधित भावी सवालों को भी जन्म दिया है. इसलिए भारत से निर्यात होने वाले आटे की गुणवत्ता सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है."

डीजीएफटी की अधिसूचना के मुताबिक ये प्रतिबंध 12 जुलाई से लागू होंगे. छह जुलाई से पहले जो माल सीमा शुल्क विभाग के पास पहुंच चुका होगा या जिस जहाजों पर चढ़ाना शुरू कर दिया होगा उस पर नए नियम लागू नहीं हुए होंगे. कुछ रिपोर्टों के मुताबिक भारत ने इस साल अप्रैल में लगभग 96,000 टन आटा निर्यात किया, जो कि एक साल में निर्यात में भारी उछाल है.

पिछले साल अप्रैल में सिर्फ 26,000 टन आटा निर्यात किया गया था. लेकिन 2022 में गेहूं निर्यात बढ़ा और उसी के साथ आटा निर्यात भी बढ़ा. कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया था कि मई में गेहूं निर्यात पर बैन लग जाने के बाद निर्यातकों ने जम कर आटा निर्यात करना शुरू कर दिया था.

मई 2022 में भारत के गेहूं निर्यात बैन कर देने के बाद गेहूं के वैश्विक दामों में रिकॉर्ड वृद्धि हुई थी जिसकी वजह से कई देशों ने भारत की आलोचना की थी. गेहूं भारत की मुख्य अनाज फसल है और देश चीन के बाद दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक है. 2021 में भारत में 10.9 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ लेकिन निर्यात सिर्फ 70 लाख टन के आसपास किया गया.

मार्च और अप्रैल में भीषण गर्मी की वजह से गेहूं की उपज में करीब पांच प्रतिशत की गिरावट आई थी, जिसकी वजह से देश के अंदर गेहूं की कमी की चिंताएं उठने लगी थीं. रूस और यूक्रेन दोनों वैश्विक गेहूं आपूर्ति के करीब एक चौथाई हिस्से के जिम्मेदार हैं लेकिन युद्ध की वजह से आपूर्ति श्रंखला टूट गई है और पूरी दुनिया में कमी हो गई है.

(एएफपी से जानकारी के साथ)

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