कोलंबिया में शांति समझौते के बाद मिली तीन गुना नई प्रजातियां
रामांशी मिश्रा
३१ अक्टूबर २०२४
फार्क समूह के साथ 2016 में शांति समझौता होने के बाद कोलंबिया के जंगलों में वैज्ञानिक पौधों की तीन गुना अधिक प्रजातियां खोजने में सफल रहे हैं.
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कोलंबिया के जंगलों में वैज्ञानिकों को मेंढक, ऑर्किड और बीटल (एक तरह का कीड़ा) समेत कई उभयचरों और पौधों की नई प्रजातियां मिल रही हैं. 2016 में आर्म्ड फोर्सेज ऑफ कोलंबिया (एफएआरसी या फार्क समूह) और सरकार के बीच हुए शांति समझौते के बाद फार्क ने हथियार छोड़ दिए. इसके बाद वहां के कई सुरक्षित हिस्सों में वैज्ञानिकों ने प्रकृति के नए रूप देखे हैं. एक नए विश्लेषण के अनुसार, समझौते के बाद कोलंबिया में हर साल पौधों की नई प्रजातियों में तीन गुना तक इजाफा हुआ है.
लैटिन अमेरिका का सबसे बड़ा गुरिल्ला समूह फार्क कोलंबिया में सरकारी सेना के खिलाफ पांच दशकों से लड़ रहा था. इसमें दो लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई, 70 लाख लोग बेघर हो गए और 40 हजार से ज्यादा लोग गुमशुदा हैं.
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समझौते के बाद बढ़ी खोज
कोलंबिया के वनस्पतिशास्त्री ऑस्कर अलेहांद्रो-पेरेज-एस्कोबार ने एक विश्लेषण रिपोर्ट रॉयटर्स एजेंसी से साझा की है. रॉयल बॉटेनिक गार्डन किव में दर्ज लगभग 14 हजार कोलंबियाई पौधों की प्रजातियों के विश्लेषण में यह सामने आया है कि शांति समझौते के बाद के वर्षों में औसतन 178 नई खोजें प्रकाशित की गई हैं. शांति समझौते से पहले यह संख्या 57 थी.
कोलंबिया में वनों की कटाई की दर बीते 23 वर्षों में सबसे कम स्तर पर चली गई थी, लेकिन इस साल वनों के सामने संकट नए सिरे से उभरकर आया है. इस साल कई इलाकों में पड़े सूखे से आग की घटनाएं बढ़ीं तो अवैध खनन, लकड़ी काटने और सड़क निर्माण के चलते भी वनों की बलि चढ़ने का सिलसिला बढ़ा है. पर्यावरणविदों का मानना है कि कोलंबिया दुनिया की सबसे खतरनाक जगहों में से एक बन गई है. एक गैर-लाभकारी संस्था के अनुसार, यहां 79 लोगों की जान गई, जो एक किसी देश में ऐसे मामलों में जान गंवाने वालों का सबसे बड़ा आंकड़ा है.
कोलंबियाई गुरिल्ला योद्धाओं की झलक
लैटिन अमेरिका का सबसे बड़ा और सबसे पुराना गुरिल्ला समूह फार्क कोलंबिया में सरकारी सेनाओं के खिलाफ करीब 5 दशक से लड़ रहा है. इनकी महिला योद्धाएं बेहद खतरनाक मानी जाती हैं. कोलंबिया के जंगलों में इनके जीवन की झलकियां...
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/R. Abd
फार्क और सरकारी सेनाओं के बीच हिंसक संघर्ष को खत्म करने के लिए 23 मार्च तक एक शांति समझौता तैयार किए जाने का लक्ष्य है. इसमें अब तक दो लाख से ज्यादा मौतें और करीब 40,000 लोग गुमशुदा हो चुके हैं. कोलंबियाई गुरिल्ला योद्धाओं में से एक जूलियाना (तस्वीर में) का 16 साल की उम्र में उसके सौतेले पिता ने बलात्कार किया. फिर वह भाग कर फार्स में शामिल हो गयी. अब जंगलों में अलेक्सिस उसका पार्टनर है.
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करीब 7,000 की तादाद वाले फार्क लड़ाकू दस्ते में लगभग एक तिहाई महिलाएं हैं. खूफिया जानकारी इकट्ठा करना, सरकारी बलों की गतिविधियों के बारे में जानकारी देना और आम शहरियों के साथ घुल मिल कर उनसे ज्यादा से ज्यादा सूचनाएं निकालना इनके प्रमुख काम हैं. हवाना की शांति वार्ता के बाद गुरिल्ला योद्धा जूलियाना राजनीति में सक्रिय होना चाहेंगी.
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फार्क की महिलाएं पूछताछ के दौरान काफी क्रूर रवैया अपनाने के लिए जानी जाती हैं. इन्हें पुरुषों के मुकाबले अपनी विचारधारा को लेकर ज्यादा कट्टर भी माना जाता है. वामपंथी विचारों वाले फार्क ने अपनी पहली लड़ाई किसानों के हक के लिए लड़ी थी. मार्क्स और चे गुएवेरा से प्रभावित ये योद्धा अपनी लड़ाई का खर्च निकालने के लिए ड्रग्स कारोबार भी करते हैं.
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कुछ साल पहले यह पता चला था कि कैसे इन गुटों में शामिल महिलाओं के गर्भवती होने का पता चलने पर उनका जबरन गर्भपात करवा दिया जाता था. अगर कोई बच्चा पैदा हो भी गया तो उसे मां से कहीं दूर ले जाया जाता था. ऐसी कई महिलाएं जो युद्ध छोड़ कर भाग निकलीं थीं, अपने खोए हुए बच्चों की तलाश में जंगलों में भटकती हैं.
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जंगलों में रहते हुए भी इन योद्धांओं की कार्यशैली काफी आधुनिक है. कास्त्रो (तस्वीर में) की ही तरह गुट की महिला सदस्य आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर बाहरी दुनिया के बराबर संपर्क में रहती हैं. हवाना में आयोजित शांति वार्ता में फार्क की ओर से कास्त्रो ने भी हिस्सा लिया था. शांति वार्ताओं को शुरु हुए करीब तीन साल हो चुके हैं.
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कम उम्र के बच्चों और बच्चियों को जबरन इस सेना में शामिल किए जाने की कई कहानियां रही हैं. लेकिन इस जंगल कैंप की तस्वीरों से ऐसा नहीं लगता. यहां लिंग के आधार पर कोई भेदभाव भी नहीं दिखता. महिला और पुरुष दोनों ही हथियार चलाने से लेकर खाना बनाने तक के सारे काम करते हैं.
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इन जंगलों में भी आमतौर पर वही खाना खाया जाता है जो कि एक गरीब दक्षिण अमेरिकी परिवार में मिलता है. चावल, अंडे, सॉसेज और बीन्स. ये अपना खाना साथ लेकर यायावरी का जीवन जीते हैं. अलेक्सिस ने बताया, "फार्क में हम पैसों को कभी हाथ नहीं लगाते, हमारे पास ड्रग्स से लेकर सिगरेट तक सब कुछ रहता है."
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41 साल के जुआन पाब्लो 35वीं फार्क फ्रंट के कमांडर हैं. पिछले 25 सालों से लड़ाई में शामिल रहे पाब्लो का मानना है, "इस लड़ाई का अंत बिना किसी विजेता के होगा." शांति समझौते के अनुसार ये गुरिल्ला योद्धा हथियार छोड़ देंगे. कोलंबिया का यह गृह युद्ध दुनिया के सबसे जानलेवा संघर्षों में गिना जाता है.
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पेरेज-एस्केबार ने रॉयटर्स से कहा, "हालांकि विश्लेषण यह दिखाता है कि शांति समझौते के बाद नई खोजें बढ़ी हैं लेकिन यह साबित नहीं करता कि यह सिर्फ शांति समझौते के कारण ही हैं."
कई नई प्रजातियां
किसी भी प्रजाति को खोज कर उनके नए होने की पुष्टि करने में कई साल लग सकते हैं. किव गार्डंस के वैज्ञानिकों द्वारा अगस्त में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, इस वर्ष कोलंबिया उन देशों की सूची में सबसे ऊपर रहा जहां पौधों की सबसे अधिक प्रजातियों की खोज की गई हो. कोलंबिया के राज्य समर्थित अलेक्जांडर फोन हुंबोल्ट बायोलॉजिकल रिसोर्स रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बीटल, मेंढक, मकड़ी समेत कई दर्जनों नई प्रजातियां खोजी हैं. यह ऐसे समय में एक बड़ी उपलब्धि है जबकि तेजी से जीव-जंतु विलुप्त हो रहे हैं.
इनमें सिसिलियन भी शामिल हैं जो बिना पैरों वाले उभयचर जीव का समूह है. ये जमीन के अंदर रहते हैं. हुंबोल्ट के कीट विज्ञान और अकशेरुकीय संग्रह का प्रबंधन करने वाले जॉन सीसर नेइता ने रॉयटर्स से कहा, "वह बहुत ही दुर्गम लेकिन कई जानकारियों और प्राकृतिक संपदा से भरपूर क्षेत्र थे." नेइता ने फार्क के क्षेत्र के बारे में कहा, "हम सभी वैज्ञानिक वहां जाना चाहते थे.”
वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसायटी (डब्ल्यूसीएस) के वैज्ञानिकों ने 10 अन्य उभयचर जीवों की खोज भी की है. इसमें हरा-भूरा धारीदार वर्षा मेंढक ‘प्रिस्टिमांटिस पैक्टम्पेसिस' भी शामिल है, जिसे कोलंबिया के शांति समझौते के प्रतीक के तौर पर जाना जाता है. डब्ल्यूसीएस कोलंबिया के वैज्ञानिक निदेशक, जर्मन फोरेरो ने रॉयटर्स को बताया, "शांति समझौते के बाद डब्ल्यूसीएस शोधकर्ता पूर्वी कोलंबिया के गंभीर रूप से लुप्तप्राय ओरिनोको मगरमच्छों की गिनती करने के लिए ड्रोन का उपयोग कर पा रहे थे जो पहले संभव नहीं था."
हैरान करने वाली नई प्रजातियां
पृथ्वी पर जीव जन्तुओं की अब भी ऐसी अनगिनत प्रजातियां हैं जिनके बारे में इंसान को जानकारी नहीं है. वक्त के साथ नई खोजें सामने आ रही हैं. एक नजर हाल में सामने आई नई प्रजातियों पर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S.D. Biju
भारत का रंगीन केकड़ा
पहली नजर में ऐसा लगता है जैसे लाल और पीली मिर्चें रखी हों. ताजे पानी का यह रंगीन केकड़ा भारत के पश्चिमी घाट में मिला. पश्चिमी घाट की पहाड़ियों को जैवविविधता के लिहाज से सबसे समृद्ध इलाकों में गिना जाता है. इस रंगीन केकड़ों को गुबनट्रियाना ठाकरे नाम दिया गया है. इसे खोजने वाले तेजस ठाकरे शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के बेटे हैं. उन्होंने केकड़े की पांच नई प्रजातियां खोजी हैं.
तस्वीर: Magnolia Press/Shailesh Bhotale
भूतिया सा ऑक्टोपस
ऑक्टोपस की कुछ प्रजातियां शिकार करने या शिकारियों से बचने के लिए रंग बदल लेती हैं. लेकिन हवाना के पानी में मिला यह ऑक्टोपस खास है. इसमें वर्णक नहीं हैं. यह हमेशा सफेद दिखता है और कॉमिक्स के भूतिया किरदार कैस्पर सा दिखता है.
तस्वीर: NOAA
मुर्दा फूल
माना जाता था कि रैफ्लेशिया फूल या कॉर्प्स फ्लावर हमेशा एक मीटर व्यास जितना बड़ा होता है. लेकिन फरवरी 2016 में फिलिपींस के लुजोन द्वीप में इसकी बहुत ही छोटी प्रजाति मिली. इसका व्यास सिर्फ 13 सेंटीमीटर है. इस फूल से शव जैसी बदबू आती है, जिसके चलते मांसाहारी कीट इसकी तरफ आकर्षित होते हैं. इन कीटों के जरिये फूल परागण करता है.
तस्वीर: Edwino S. Fernando
भारत का चमकदार सांप
21वीं शताब्दी में पौधों और जीवों की नई प्रजातियां खोजने के मामले में भारत सबसे अहम केंद्र रहा. ब्रिटिश और भारतीय वैज्ञानिकों की एक संयुक्त टीम ने भारत में चमकदार सांप खोजा. यह विषैला नहीं है बल्कि अपने शिकार को आकर्षित करने के लिए प्रकाश छोड़ता है. इसका नाम मेलानोफिडियम खरे रखा गया है.
तस्वीर: Varad B. Giri
शाकाहारी पिरान्हा मछली
पिरान्हा मछलियों को अब तक धारदार दांतों वाली बर्बर शिकारी माना जाता था. यह मछली कुछ ही मिनटों के भीतर इंसान या दूसरे जीवों का कंकाल में बदलने के लिए मशहूर थी. लेकिन ब्राजील में अमेजन के वर्षावनों में पिरान्हा की एक नई प्रजाति सामने आई है जो पूरी तरह शाकाहारी है. पौधे खाने वाली इस मछली को मिलोप्लस जोरोय नाम दिया गया है.
तस्वीर: CC-BY-Douglas Bastos
टैरेनटुला कंट्री सिंगर
टैरेनटुला या काले बालों वाली मकड़ी को भी 2016 में खोजा गया. इसे अमेरिकी वैज्ञानिकों ने खोजा. इसका नाम मशहूर गायक जॉन कैश से प्रेरित होकर टैरेनटुला कंट्री सिंगर रखा गया. यह मकड़ी कैलीफोर्निया जेल के उस कमरे में मिली जहां जॉन कैश ने एक गाना रिकॉर्ड किया था.
तस्वीर: CC-BY-Chris A. Hamilton
भारत का ट्री फ्रॉग
2016 में मेंढकों की कई प्रजातियां खोजी गईं. इनमें से प्रमुख है पेड़ों पर रहने वाला भारत का फ्रांकिक्सालस जेरडोनी मेंढक. माना जाता था कि यह 137 साल पहले विलुप्त हो चुका है. लेकिन पेड़ों में बने छेदों में रहने वाला यह मेंढक उत्तर भारत में मिला. तस्वीर में मादा ट्री मेंढक अंडों के साथ है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S.D. Biju
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हालांकि इस साल सशस्त्र समूह द्वारा की गई हिंसा में 100 लोगों के मारे जाने के बाद फिलहाल डब्ल्यूसीएस के कमर्चारी ओरिनोको मगरमच्छ के रहने की प्राकृतिक जगह की यात्रा नहीं कर रहे हैं.
सुरक्षा के मुद्दा पर चर्चा
कोलंबिया ने इस वर्ष के संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन, कॉप16 में सुरक्षा के मुद्दे को केंद्र में रखा है. दक्षिण-पश्चिमी कोलंबियाई शहर कैली में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम का मुख्य विषय "पीस विद नेचर (प्रकृति के साथ शांति)" रखा है. इस शिखर सम्मेलन की सुरक्षा के लिए 10,000 से अधिक सैनिक, पुलिस और संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं. आयोजन में लगभग 200 देशों के प्रतिनिधि दुनियाभर में प्रकृति को संरक्षित करने के तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं.
रॉयटर्स की रिपोर्ट में कोलंबियाई सेना के सूत्रों के हवाले से देश के कुछ जैव विविधता वाले हिस्सों में सशस्त्र समूहों के बीच भयंकर युद्ध की बात कही गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, हरे-भरे वर्षावन और गीले मौसम वाले मशहूर प्रशांत प्रांत चोको में राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेना (ईएलएन) विद्रोही क्लान डेल गोल्फो गिरोह से लड़ रहे हैं, जबकि फार्क के असंतुष्ट समूह कई अमेजन प्रांतों में आमने-सामने हैं.
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि सशस्त्र समूहों द्वारा जारी हिंसा के साथ कोलंबिया अब तेजी से पर्यावरणीय खतरों के जोखिम में भी है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल के पहले तीन महीनों में वनों की कटाई 40 फीसदी तक बढ़ गई है. अप्रैल में पर्यावरण मंत्री सुजाना मुहम्मद ने अमेजन वर्षावन में वनों की कटाई के लिए एस्टडो मेयर सेंट्रल नाम के फार्क के पूर्व लड़ाकों के एक समूह को दोषी ठहराया. उन्होंने कहा कि यह समूह बाहरी लोगों को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में प्रवेश नहीं करने देता लेकिन स्थानीय लोगों पर सहयोग करने के लिए दबाव डालता है. सुजाना मुहम्मद ने अप्रैल में एक बयान में कहा, "सशस्त्र समूह द्वारा समुदायों पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालना चिंताजनक है. वे प्रकृति को लेकर जारी संघर्ष के बीच में लेकर आ रहे हैं."
चीनी समुद्र में मिली 30 नई प्रजातियां
01:24
हाल ही में विभाजित एस्टडो मेयर सेंट्रल (ईएमसी) के गुट कैलार्का कॉर्डोबा का नेतृत्व करने वाले अलेक्जांडर डियाज मेंडोजा ने एक बयान में कहा, "समूह वनों की कटाई में शामिल नहीं है. यह स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर भविष्य बेहतर बनाने वाली प्रथाओं को बढ़ावा देने पर काम करता है." उनका कहना है कि वे ग्रीन बॉन्ड जैसे उत्पादों के माध्यम से जंगल के व्यवसायीकरण करने के सरकारी प्रयासों को रोकने के लिए प्रवेश पर पाबंदी लगाते हैं.