'आयरन डोम' के बाद अब नया डिफेंस सिस्टम ला रहा है इस्राएल
विशाल शुक्ला
२ फ़रवरी २०२२
इस्राएल का माना हुआ एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम भले बहुत कारगर हो, लेकिन यह महंगा भी बहुत है. इस समस्या से निपटने के लिए अब इस्राएल नई तकनीक लाने पर काम कर रहा है.
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इस्राएल के प्रधानमंत्री नफताली बेनेट ने माना है कि मिसाइलों से सुरक्षा करने वाला उनका 'आयरन डोम डिफेंस सिस्टम' काफी महंगा है और इस्राएल जल्द ही इसकी जगह लेजर टेक्नोलॉजी वाला डिफेंस सिस्टम तैनात करेगा. बेनेट ने बताया कि नई जेनरेशन की यह टेक्नोलॉजी 'लेजर वॉल' दक्षिणी इस्राएल में अगले साल तक प्रयोग में लाई जा सकती है.
लेजर वॉल तकनीक के बारे में अभी ज्यादा जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञ इसे मिसाइलों, रॉकेट और ड्रोन से सुरक्षा देने में सक्षम बताते हैं. इसे जमीन, हवा या समंदर में तैनात किया जा सकता है. ऊंचाई वाले इलाकों और बुरे मौसम में भी यह कारगर हो सकता है. यह दुश्मन की ओर से दागी गईं मिसाइलों का हवा में ही पता लगा सकता है और यह इस्राएल के मौजूदा डिफेंस सिस्टम 'आयरन डोम' से सस्ता पड़ेगा.
सस्ते एयर डिफेंस सिस्टम की जरूरत क्यों?
बेनेट मंगलवार को इस्राएल की तेल अवीव यूनिवर्सिटी के इंस्टिट्यूट फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज में बात कर रहे थे. यहां बेनेट बता रहे थे कि इस्राएल ईरान को घेरने की कोशिशों और इस्राएली इन्फ्रास्ट्रक्चर को सस्ते में नुकसान पहुंचाने में सक्षम गुरिल्ला लड़ाकों को लेकर क्या कर रहा है. बेनेट के मुताबिक इस नई टेक्नोलॉजी का मकसद इस्राएल के मौजूदा आयरन डोम और दूसरे सुरक्षा तंत्रों की मदद करना है. वह कहते हैं कि इसे सबसे पहले दक्षिण में तैनात किया जाएगा, जिधर गजा है.
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बेनेट ने कहा, "गजा से कोई भी कुछ सौ डॉलर में एक रॉकेट इस्राएल की ओर दाग सकता है, जिसे रोकने में हमें हजारों डॉलर खर्च करने पड़ते हैं. मई में हमास ने हम पर 4,000 से ज्यादा रॉकेट दागे थे. हम यह समीकरण बदलना चाहते हैं. इसमें हम ईरान के रिंग ऑफ फायर को नाकाम कर सकते हैं. यह एयर डिफेंस सिस्टम इलाके में हमारे साथियों की मदद भी कर सकता है, जो ईरान से खतरे का सामना कर रहे हैं."
इस्राएल के सुरक्षा अधिकारियों ने पिछले साल जून में अनुमान लगाया था कि यह नया सुरक्षा सिस्टम 2025 तक प्रयोग में आ जाएगा. हालांकि, अब उन्होंने इसे एयरक्राफ्ट पर तैनात करके इसका सफल परीक्षण करने की बात कही है. उनके मुताबिक यह मानवरहित एयरक्राफ्ट को रोकने में सक्षम है. साथ ही, यह लंबी और मध्यम दूरी की मिसाइलों और ड्रोन को रोकने में कारगर होगा. प्रधानमंत्री बेनेट ने कहा है कि सेना एक साल के भीतर ही इसका इस्तेमाल करने लगेगी.
अरब-इस्राएल युद्ध के वो छह दिन
1967 में केवल छह दिन के लिए चली अरब-इस्राएल के बीच की जंग में इस्राएल ने जीत हासिल की. इस जीत ने दुनिया में इस्राएल को एक ताकतवर देश के तौर पर स्थापित कर दिया. आइए जानते हैं इस जंग से जुड़ी कुछ अहम बातें.
अरब-इस्राएल युद्ध 5 जून 1967 को शुरू हुआ. सवेरे सवेरे इस्राएली विमानों ने काहिरा के नजदीक और स्वेज के रेगिस्तान में स्थित मिस्र के हवाई सैन्य अड्डों पर बम बरसाये. चंद घंटों के भीतर मिस्र के लगभग सभी विमान धराशायी हो चुके थे. वायुक्षेत्र पर नियंत्रण कर इस्राएल ने लगभग पहले दिन ही इस लड़ाई को जीत लिया था.
तस्वीर: Imago/Keystone
कैसे छिड़ा युद्ध
स्थानीय समय के अनुसार तेल अवीव से सवेरे 7.24 बजे खबर आयी कि मिस्र के विमानों और टैंकों ने इस्राएल पर हमला कर दिया है. इस्राएल के दक्षिणी हिस्से में भारी लड़ाई की रिपोर्टें मिलने लगीं. लेकिन आज बहुत से इतिहासकार मानते हैं कि लड़ाई की शुरुआत इस्राएली वायुसेना की वजह से हुई, जिसके विमान मिस्र के वायुक्षेत्र में घुस गये.
तस्वीर: Government Press Office/REUTERS
युद्ध की घोषणा
मिस्र में 8.12 बजे सरकारी रेडियो से घोषणा हुई, “इस्राएली सेना ने आज सवेरे हम पर हमला कर दिया है. उन्होंने काहिरा पर हमला किया और फिर हमारे विमान दुश्मन के विमानों के पीछे गये.” काहिरा में कई धमाके हुए और शहर सायरनों की आवाजों से गूंज उठा. काहिरा का एयरपोर्ट बंद कर दिया गया और देश में इमरजेंसी लग गयी.
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अरब देश कूदे
सीरियाई रेडियो से भी यह खबर चली और 10 बजे सीरिया ने कहा कि उसके विमानों ने इस्राएली ठिकानों पर बम गिराये हैं. जॉर्डन ने भी मार्शल लॉ लगा दिया और इस्राएल के खिलाफ युद्ध की घोषणा करने से पहले अपनी सेना को मिस्र की कमांड में देने का फैसला किया. इराक, कुवैत, सूडान, अल्जीरिया, यमन और फिर सऊदी अरब भी मिस्र के साथ खड़े दिखे.
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सड़क पर लड़ाई
येरुशलेम में इस्राएली और जॉर्डेनियन इलाकों में सड़कों पर लड़ाइयां छिड़ गयीं और ये युद्ध जल्दी ही जॉर्डन और सीरिया से लगने वाली इस्राएली सीमाओं तक पहुंच गया. इस्राएल-जॉर्डन के मोर्चे से भारी लड़ाई की खबर मिली. सीरियाई विमानों ने तटीय शहर हैफा को निशाना बनाया जबकि इस्राएलियों ने कई हमलों के जरिये दमिश्क के एयरपोर्ट को निशाना बनाया.
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दुनिया फिक्रमंद
मिस्र और इस्राएल, दोनों को इस लड़ाई में अपनी अपनी जीत का भरोसा था. अरब देशों में गजब का उत्साह था. लेकिन विश्व नेता परेशान थे. पोप पॉल छठे ने कहा कि येरुशलेम को मुक्त शहर घोषित किया जाए. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक हुई. अमेरिकी राष्ट्रपति लिडंन बी जॉनसन ने सभी पक्षों से लड़ाई तुरंत रोकने को कहा.
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घमासान
इस्राएली सैनिकों ने गजा के सरहदी शहर खान यूनिस और वहां मौजूद सभी मिस्री और फलस्तीनी बलों पर कब्जा कर लिया. एक एएफपी रिपोर्ट में खबर दी कि इस तरह इस्राएल ने अपनी पश्चिमी सरहद को सुरक्षित कर लिया. उसकी सेनाएं दक्षिणी हिस्से में मिस्र की सेना के साथ लोहा ले रही थी.
तस्वीर: picture-alliance / KPA/TopFoto
मारे गिराए विमान
आधी रात को इस्राएल ने कहा कि उसने मिस्र की वायुसेना को तबाह कर दिया है. लड़ाई के पहले ही दिन 400 लड़ाकू विमान मारे गिराये गये. इनमें मिस्र के 300 विमान जबकि सीरिया के 50 विमान शामिल थे. इस तरह लड़ाई के पहले ही दिन इस्राएल ने अपनी पकड़ मजबूत बना ली.
रात को इस्राएली संसद नेसेट की बैठक हुई और इस्राएली प्रधानमंत्री लेविस एशकोल ने बताया कि सारी लड़ाई मिस्र में और सिनाई प्रायद्वीप में चल रही है. उन्होंने बताया कि मिस्र, जॉर्डन और सीरिया की सेनाओं को गंभीर नुकसान पहुंचाया गया है.
खत्म हुई लड़ाई
11 जून को युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर हुए और लड़ाई खत्म हुई. लेकिन इस जीत से इस्राएल ने दुनिया को हैरान कर दिया. इससे जहां इस्राएली लोगों का मनोबल बढ़ा, वहीं अंतरराष्ट्रीय जगत में उनकी प्रतिष्ठान में भी इजाफा हुआ. छह दिन में इस्राएल की ओर से गए सैनिकों की संख्या जहां एक हजार से कम थी वहीं अरब देशों के लगभग 20 हजार सैनिक मारे गए.
तस्वीर: Picture-alliance/AP/Keystone/Israel Army
इस्राएल का दबदबा
लड़ाई के दौरान इस्राएल ने मिस्र से गाजा पट्टी और सिनाई प्रायद्वीप, जॉर्डन से वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलेम और सीरिया से गोलन हाइट की पहाड़ियों को छीन लिया था. अब सिनाई प्रायद्वीप मिस्र का हिस्सा है जबकि वेस्ट बैंक और गजा पट्टी फलस्तीनी इलाके हैं, जहां फलस्तीनी राष्ट्र बनाने की मांग बराबर उठ रही है. (रिपोर्ट: एएफपी/एके)
तस्वीर: Reuters/Moshe Pridan/Courtesy of Government Press Office
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नए एयर डिफेंस सिस्टम का मकसद क्या है?
इकलौता मकसद है सुरक्षा और कम लागत में सुरक्षा. इस्राएल को सबसे ज्यादा चिंता ईरान और हमास से है. इस्राएल के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे याकोव एमिडरर कहते हैं कि ईरान अपने रॉकेटों को 'गाइडेड मिसाइल' के तौर पर विकसित कर रहा है और वह मध्य पूर्व में इस्राएल के चारों तरफ मिसाइलें तैनात करके उसे घेरना चाहता है. याकोव इसे 'ईरान की रिंग ऑफ फायर' नाम देते हैं.
इस आकलन के पीछे तर्क दिया जाता है कि ईरान लेबनान में हिजबुल्लाह, सीरिया में लड़ाकों और गजा में हमास की हथियारों से मदद कर रहा है. इस्राएली जानकार यह तर्क भी देते हैं कि अगर ईरान इस्राएल को घेरने में कामयाब हो गया, तो इसके परमाणु कार्यक्रम को रोकना नामुमकिन होगा. ऐसे में इस्राएल की निगाहें व्यापक सुरक्षा देने वाली ऐसी तकनीक पर है, जो विरोधियों से सस्ते में निपटने में कारगर सिद्ध हो और जो सहयोगी देशों को बेची भी जा सके.
इस्राएल की सेना बचा रही है जंगल
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आयरन डोम का इतिहास क्या कहता है?
2006 में जब इस्राएल का इस्लामी गुट हिज्बुल्लाह से संघर्ष हुआ, तो हिज्बुल्लाह की ओर से दागे गए हजारों रॉकेट ने उसे भारी नुकसान पहुंचाया. दर्जनों इस्राएली मारे गए. तब इस्राएल ने ऐसी तकनीक पर काम शुरू किया, जो हवाई हमलों से इसकी रक्षा कर सके. फिर अमेरिका की मदद से इस्राएल ने एक मिसाइल डिफेंस सिस्टम विकसित किया, जिसे अप्रैल 2011 में तैनात किया गया. इसका नाम था आयरन डोम.
यह सिस्टम पता लगा सकता है कि इस्राएल के शहरों को निशाना बनाकर दागी दागी कौन सी मिसाइल रिहायशी इलाकों में गिर सकती है. फिर यह सिस्टम उस मिसाइल को हवा में ही नष्ट कर देता है. 2011 से अब तक इस्राएल के जितने भी हथियारबंद संघर्ष हुए हैं, उनमें आयरन डोम उसके लिए रक्षा कवच साबित हुआ है. इससे जान-माल का नुकसान काफी कम हुआ है, लेकिन यह सिस्टम अपने आप में काफी महंगा है.
हालांकि, इसकी सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस्राएली सेना खुद कहती है कि गजा पट्टी पर अब तक जो चार युद्ध हुए हैं, उनमें आयरन डोम मिसाइल नष्ट करने में 90 फीसदी सफल रहा है. पिछले साल इस्राएल और फलस्तीनी संगठनों के संघर्ष में इस्राएल पर हजारों रॉकेट दागे गए थे, लेकिन नुकसान फलस्तीनियों को ही ज्यादा उठाना पड़ा था, क्योंकि उनके पास इस्राएली रॉकेटों से बचने का कोई रास्ता नहीं था.
चम्मच से खोद डाली जेल की सुरंग, फलस्तीन में आंदोलन का नया प्रतीक
6 सितंबर को इस्राएल की अधिकतम सुरक्षा वाली जेल से छह फलस्तीनी कैदी सुरंग खोदकर फरार हो गए थे. कैदियों ने सुरंग खोदने के लिए कथित तौर पर चम्मच का इस्तेमाल किया. सारे फरार पकड़े गए.
तस्वीर: Ilia Yefimovich/dpa/picture alliance
चम्मच से खोदी संकरी सुरंग
उत्तरी इस्राएल की उच्च सुरक्षा वाली गिल्बोआ जेल से छह कैदी सुरंग खोदकर फरार हो गए थे. उन्होंने इस घटना को अंजाम देने के लिए बड़ी योजना बनाई और 6 सितंबर के तड़के मौके का फायदा उठाकर सुरंग के जरिए फरार हो गए.
तस्वीर: Sebastian Scheiner/AP/picture alliance
कई महीनों से खोद रहे थे सुरंग
फरार कैदियों में से एक याकूब कादरी की वकील ने फलस्तीनी टीवी चैनल को बताया कि कैदी 6 सितंबर को फरार नहीं होने वाले थे. लेकिन उन्हें लगा कि उनकी गतिविधियां संदिग्ध हो गई हैं और हो सकता है जेल अधिकारियों को शक होने लगा था. एक और कैदी के वकील ने कहा कि सुरंग खुदाई का काम पिछले साल दिसंबर से चल रहा था.
तस्वीर: Ilia Yefimovich/dpa/picture alliance
सुरंग खोदने वाले हीरो बने
फरार हुए कैदी यहूदी देश के खिलाफ जानलेवा हमले के आरोप में गिरफ्तार किए गए थे और उन्हें गिल्बोआ की अधिकतम सुरक्षा वाली जेल में रखा गया था. जेल से फरार होने वाले कैदी फलस्तीनियों के बीच हीरो बन गए हैं. ऐसी रिपोर्टें सामने आईं कि उन्होंने सुरंग खोदने के लिए चम्मच का इस्तेमाल किया.
तस्वीर: Ismael Mohamad/UPI Photo via Newscom/picture alliance
आखिरकार पकड़े गए
खुली हवा में कैदी ज्यादा दिनों तक सांस नहीं ले पाए. इस्राएली सेना और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. सबसे पहले चार कैदियों को गिरफ्तार किया गया और फिर 19 सितंबर को बाकी के दो फरार कैदी पकड़े गए. उनकी मदद करने वाले भी दो लोग हिरासत में लिए गए.
तस्वीर: Mostafa Alkharouf/AA/picture alliance
कौन थे फरार कैदी
सभी छह भगोड़े फलस्तीनी आतंकवादी समूहों के सदस्य थे जिन्हें इस्राएल की अदालतों ने इस्राएल के खिलाफ हमले की साजिश रचने या अंजाम देने के लिए दोषी ठहराया था. इनमें सशस्त्र फलस्तीनी इस्लामी आंदोलन समूह के दो सदस्य, पिछले सप्ताह जिन अन्य चार लोगों को पकड़ा गया उनमें भगाने का कथित मास्टरमाइंड महमूद अब्दुल्ला अरदा और फतह आंदोलन के सशस्त्र विंग का नेतृत्व करने वाले जकारिया जुबैदी शामिल थे.
तस्वीर: Ahmad Gharabli/AFP/Getty Images
घटना से उठे सवाल
कड़ी सुरक्षा वाली जेल से कैदियों का फरार होना बड़ा मुद्दा बना. सुरक्षा को लेकर सवाल उठे और इस्राएली जेल सेवा को शर्मिंदा होना पड़ा लेकिन फलस्तीनियों को प्रसन्न होने का मौका दिया.
तस्वीर: Ilia Yefimovich/dpa/picture alliance
चम्मच बना प्रतीक
एक कलाकार ने गजा शहर में दीवार पर चित्र बनाए. इस पेंटिंग के जरिए फलस्तीनी प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में पारंपरिक झंडे और बैनर के साथ एक चम्मच ने भी जगह ले ली है.
तस्वीर: Mahmud Hams/AFP/Getty Images
मीडिया में छाई रही फरारी की खबरें
इस्राएल की जेल से कैदियों का इस तरह से फरार हो जाना एक नाट्कीय घटना थी, पिछले दो सप्ताह तक यह खबर मीडिया में छाई रही और इस्राएल की जेल सेवा की भारी आलोचना हुई.
तस्वीर: Youssef Abu Watfa/APA/Zuma Press/picture alliance
पकड़ने के लिए चला अभियान
इस्राएल की सेना और पुलिस ने फरार कैदियों को पकड़ने के लिए नाकेबंदी की, ड्रोन का इस्तेमाल किया और सीमाएं सील कीं. आखिरकार 19 सितंबर को उसने फरार छह कैदियों में से बचे दो कैदियों को भी पकड़ लिया. इस्राएली प्रधानमंत्री ने सुरक्षाकर्मियों को बधाई देते हुए ट्विटर पर लिखा,ऑपरेशन प्रभावशाली, जटिल और तेज था.