भूटान के फैसले से असम के किसानों की रोजी-रोटी खतरे में
प्रभाकर मणि तिवारी
२५ जून २०२०
चीन और नेपाल के साथ बढ़ते विवाद के बीच अब भारत का तीसरा पड़ोसी भूटान भी आंखे तरेरने लगा है. उसने अपनी सीमा से लगे असम के गांवों में किसानों की जीवनरेखा कही जाने वाली कालानदी नदी का पानी रोक दिया है.
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नेपाल और चीन के साथ सीमा विवाद में उलझी भारत सरकार का भूटान की ओर से पेश की जा रही इस चुनौती की ओर अब तक ज्यादा ध्यान नहीं गया है. भूटान कालानदी का पानी रोकने के फैसले के खिलाफ इलाके के 26 गांवों के किसान सड़कों पर उतर आए हैं. इन किसानों ने नदी से निकलने वाली नहर का बहाव खोलने की मांग में हाइवे की नाकेबंदी की और विरोध प्रदर्शन किया.
लॉकडाउन की वजह से भूटान सरकार ने देश में बाहरी लोगों का प्रवेश बंद कर दिया है और कहा है कि भारतीय किसानों को भूटान से निकलने वाले सिंचाई चैनलों का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. इससे इलाके के हजारों किसानों की आजीविका खतरे में पड़ गई है.
इलाकेकीजीवनरेखा
भूटान की कालानदी नदी को असम के सीमावर्ती बक्सा जिले के किसानों की जीवनरेखा कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी. उस नदी से निकलने वाली कृत्रिम नहर से ही जिले के 26 गावों के किसान फसलों की सिंचाई करते रहे हैं. सिंचाई के लिए बनाई गई इस नहर का स्थानीय भाषा में डोंग कहा जाता है. वर्ष 1953 से ही स्थानीय किसान इस नहर से आने वाले पानी से ही धान की फसलों की सिंचाई करते रहे हैं.
लेकिन भारत सरकार के दूसरे पड़ोसियों के साथ उलझे होने के इस मौके हुए भूटान सरकार ने अचानक इस नहर का बहाव रोक दिया है. भूटान के इस फैसले के बाद इलाके के छह हजार से ज्यादा किसान नाराज हैं. उनका कहना है कि इससे खेती में भारी दिक्कत का सामना करना होगा. इन किसानों ने राज्य सरकार से इस मामले को केंद्र के जरिए भूटान सरकार के समक्ष उठाने की अपील की है. कालीपुर-बोगाजुली-कालानदी आंचलिक डोंग बांध समिति के बैनर तले प्रदर्शन में शामिल एक किसान नरोराम नार्जरी कहते हैं, "हमने पहले की तरह इस साल भी अपने धान के खेतों में पौधों को रोपने की प्रक्रिया शुरू की थी. लेकिन अचानक पता चला कि भूटान ने नहर के जरिए आने वाली पानी को रोक दिया है. इससे हमारे लिए भारी मुसीबत पैदा हो जाएगी.”
"कोरोना और पानी का क्या संबंध?"
समिति के एक सदस्य एस बोरगियारी कहते हैं, "हर साल धान के सीजन में हम कालानदी से मिलने वाली पानी के जरिए ही खेती करते थे. लेकिन नहर का पानी रोक देने की वजह से बीते पांच-छह दिनों से हमारे खेतों को पानी नहीं मिल रहा है.” उनका आरोप है कि भूटान सरकार ने इस फैसले के पीछे निराधार दलीलें दी हैं. कोरोना का भला नहर के पानी से क्या मतलब है? समिति के सदस्यों का कहना है कि वह लोग भूटान में छोटा-सा बांध बनाकर अपने धान के खेतों में पानी लाए थे.
कहां से निकलती हैं भारत की प्रमुख नदियां
भारत की नदियां देश की प्राचीन सभ्यताओं का एक महत्वपूर्ण अंग है. यहां नदियों की पूजा की जाती है. भारत की कई पुरानी सभ्यताओं का विकास इन नदियों के किनारे ही हुआ है. एक नजर भारत में बहने वाली प्रमुख नदियों पर.
तस्वीर: DW/R. Sharma
गंगा
गंगा भारत की सबसे प्रमुख नदियों में से एक है. यह उत्तराखंड राज्य में हिमालय के गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है. करीब 2525 किलोमीटर लंबी यह नदी उत्तर प्रदेश, बिहार होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है. इस नदी का इतिहास उतना ही पुराना माना जाता है, जितनी भारतीय सभ्यता. हिंदू इस नदी को 'मां' कहते हैं और इसी पूजा करते हैं.
तस्वीर: DW/R. Sharma
ब्रह्मपुत्र
ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत में हिमालय के अंगशी ग्लेशियर से निकलती है और यह भारत में अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है. यहां इसे दिहांग के नाम से जाना जाता है जबकि असम में इसे ब्रह्मपुत्र कहा जाता है. इसके बाद यह नदी बांग्लादेश पहुंचती है. यहां इसे जमुना कहा जाता है. गंगा नदी के साथ मिलकर यह एक डेल्टा 'सुंदरबन' का निर्माण करती है और बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है. इसकी कुल लंबाई करीब 2900 किलोमीटर है.
तस्वीर: DW/M. Zahidul Haque
यमुना
यमुना नदी भारत के उत्तराखंड स्थित बंदरपूंछ के दक्षिणी ढाल पर स्थित यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है. इसकी लंबाई करीब 1,370 किलोमीटर है. मथुरा वृंदावन होते हुए यह नदी इलाहाबाद में गंगा नदी से मिल जाती है. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि जो लोग इसके पानी में स्नान कर लेते हैं, उन्हें मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है. लेकिन अब भारत की सबसे दूषित नदियों में से एक है.
तस्वीर: Reuters/A. Fadnavis
गोदावरी
गोदावरी नदी महाराष्ट्र के नासिक जिले में त्र्यंबक के पास से निकलती है. इस नदी की कुल लंबाई करीब 1,465 किलोमीटर है. यह नदी पूर्व दिशा की ओर बहती हुई आंध्र प्रदेश के समीप बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है. गंगा की तरह ही इसे भी काफी पवित्र माना गया है. लोग इसे दक्षिण की गंगा भी कहते हैं.
तस्वीर: AP
कावेरी
कावेरी नदी का उद्गम कर्नाटक के पश्चिमी घाट में तलकावेरी से हुआ है. इसकी शुरुआत एक छोटे तालाब से होती है, जिसे कुंडीके तालाब के नाम से भी जाना जाता है. कर्नाटक और तमिलनाडु में करीब 760 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद यह नदी बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है.
तस्वीर: DW/Vasudevan Sridharan
कृष्णा
कृष्णा नदी महाराष्ट्र के महाबालेश्वर के समीप पश्चिमी घाट से निकलती है. महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश होते हुए करीब 1,290 किलोमीटर की यात्रा के बाद यह बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है. हिंदू धर्म में इस नदी का काफी महत्व है. इस नदी पर दो बड़े बांध श्रीसैलम और नागार्जुन सागर बांध बने हैं.
तस्वीर: IANS
नर्मदा
नर्मदा नदी मध्य प्रदेश के जिले अमरकंटक से निकलती है. पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली यह नदी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात होते हुए करीब 1289 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद अरब सागर में मिल जाती है. दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा सरदार सरोवर बांध नर्मदा नदी पर ही बना है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Panthaky
ताप्ती
ताप्ती नदी का उद्गम मध्य प्रदेश स्थित सतपुड़ा पर्वतमाला से हुआ है. इसकी कुल लंबाई करीब 724 किलोमीटर है. यह नदी पश्चिम दिशा की ओर बहते हुए महाराष्ट्र और गुजरात होकर अरब सागर में मिल जाती है. सूरत बन्दरगाह इसी नदी के मुहाने पर स्थित है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Chowdhury
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हर साल स्थानीय लोग वहां जाकर बांध की मरम्मत और नहर की साफ-सफाई का काम करते रहे हैं. लेकिन लॉकडाउन का हवाला देते हुए अब भूटान सरकार ने स्थानीय लोगों के सीमा पार जाने पर पाबंदी लगा दी है. इससे किसानों को धान की खेती के लिए पानी के गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है. नार्जरी कहते हैं, "सरकार को इस समस्या का शीघ्र समाधान करना चाहिए. अगर सरकार हमारी मांग पूरी नहीं करती हैं तो हम अपना आंदोलन तेज करेंगे.”
हर साल धान की बुवाई का सीजन शुरू होने से पहले स्थानीय किसान सीमा पार कर भूटान के सामद्रुप जोंखर जिले में जाकर इस नहर की साफ-सफाई और बांध की मरम्मत का काम करते थे ताकि पानी के बहाव में कोई रुकावट नहीं पैदा हो. लेकिन लॉकडाउन के कारण इस साल यह लोग वहां नहीं जा सके हैं. समिति की दलील है कि कोरोना और नहर का पानी दोनों अलग-अलग मुद्दे हैं. ऐसे में कोरोना के बहाने पानी रोकने का फैसला सही नहीं है. इससे स्थानीय किसानों के सामने भारी दिक्कत पैदा हो जाएगी.
क्या नेपाल की राह पर है भूटान
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि भूटान ने शायद नेपाल से प्रेरित होकर ही यह फैसला किया है. राजनीतिक पर्यवेक्षक विश्वनाथ दत्त कहते हैं, "भूटान हमारा मित्र देश है और अपनी तमाम जरूरतों के लिए काफी हद तक भारत पर निर्भर रहा है. हर मुसीबत के समय सरकार उसका साथ देती रही है. लेकिन शायद उसने नेपाल से प्रेरित होकर ही यह कदम उठाया है.” ध्यान रहे कि नेपाल ने हाल में बिहार सरकार के अधिकारियों को सीमा पर तटबंधों की मरम्मत से रोक दिया था. उसने दावा किया था कि वह इलाका उसकी सीमा में है.
दत्त कहते हैं, "असम के सीमावर्ती इलाकों में भूटानी नदियों के पानी से सिंचाई की परंपरा दशकों पुरानी है. लेकिन हाल के बदलों में भूटान सरकार की मानसिकता कुछ हद तक बदली है. वह बारिश के सीजन में तो पानी के बहाव पर अंकुश लगाने को कोई प्रयास नहीं करती. नतीजतन खासकर पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाके पानी में डूब जाते हैं. लेकिन अब कोरोना की दलील देते हुए उसने सिंचाई के लिए पानी बंद कर दिया है.” उनका कहना है कि राज्य और केंद्र सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर इस समस्या के शीघ्र समाधान की दिशा में पहल करनी चाहिए.
दुनिया की नौ बड़ी नदियां कुल मिलाकर समंदर में जितना पानी छोड़ती हैं, अमेजन उससे ज्यादा पानी अकेले डिस्चार्ज करती है. एक नजर सबसे ज्यादा पानी वाली दुनिया की सबसे बड़ी नदियों पर.
तस्वीर: AP
15. मिसीसिपी (अमेरिका)
औसत प्रवाह: 4,800 घन मीटर प्रति सेकेंड
तस्वीर: Reuters
14. सेंट लॉरेंस (कनाडा, अमेरिका)
औसत प्रवाह: 16,800 घन मीटर प्रति सेकेंड
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. A. Clary
13. लेना (रूस)
औसत प्रवाह: 16,871 घन मीटर प्रति सेकेंड
तस्वीर: AP
12. पराना (ब्राजील, पराग्वे, अर्जेंटीना)
औसत प्रवाह: 17,290 घन मीटर प्रति सेकेंड
तस्वीर: picture-alliance/L. Avers
11. जापुरा (कोलंबिया, ब्राजील)
औसत प्रवाह: 18,620 घन मीटर प्रति सेकेंड
तस्वीर: Reuters/N. Doce
10. येनिसे (चीन, रूस)
खाड़ी में औसत जल प्रवाह: 19,600 घनमीटर प्रति सेकेंड
तस्वीर: Reuters/I. Naymushin
09. ब्रह्मपुत्र (चीन, भारत)
पद्मा में संगम के दौरान औसत जल प्रवाह:19,800 घनमीटर प्रति सेकेंड
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Talukdar
08. रियो डे ला प्लाटा (अर्जेंटीना, उरुग्वे)
खाड़ी में औसत जल प्रवाह: 22,000 घनमीटर प्रति सेकेंड
तस्वीर: picture-alliance/Lonely Planet Images
07. नेग्रो (कोलंबिया, वेनेजुएला, ब्राजील)
अमेजन में संगम के दौरान औसत जल प्रवाह: 28,400 घनमीटर प्रति सेकेंड
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Brandt
06. यांगत्से (चीन)
खाड़ी में औसत जल प्रवाह: 30,166 घनमीटर प्रति सेकेंड
तस्वीर: Getty Images/AFP/Str
05. मादेइरा (बोलिविया, ब्राजील)
खा़ड़ी में औसत जल प्रवाह: 31,200 घनमीटर प्रति सेकेंड
तस्वीर: Imago/imagebroker/F. Kopp
04. गंगा (भारत)
खाड़ी में औसत जल प्रवाह: 38,129 घनमीटर प्रति सेकेंड
तस्वीर: picture-alliance/robertharding/S. Forster
03. ओरिनोको (कोलंबिया, वेनेजुएला)
खाड़ी में औसत जल प्रवाह: 40,000 घनमीटर प्रति सेकेंड
तस्वीर: picture alliance/WILDLIFE/P. Oxford
02. कॉन्गो (कॉन्गो, डीपीआर कॉन्गो)
खाड़ी में औसत जल प्रवाह: 41,200 घनमीटर प्रति सेकेंड
तस्वीर: picture alliance/africamediaonline
01. अमेजन (ब्राजील, कोलंबिया, पेरू)
खाड़ी में औसत जल प्रवाह: 2,09,000 घनमीटर प्रति सेकेंड