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समाजभारत

पैंडोरा पेपर्सः सचिन तेंदुलकर, अनिल अंबानी समेत कई बड़े नाम

४ अक्टूबर २०२१

14 कंपनियों के लाखों लीक दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि दुनियाभर के राजनेताओं, अरबपतियों और अन्य मशहूर हस्तियों ने किस तरह धन बचाने और जमा करने के लिए टैक्स पनाहगाहों का इस्तेमाल किया है.

तस्वीर: ICIJ

पैंडोरा पेपर्स के नाम से चर्चित इस खुलासे में ऐसी 29 हजार कंपनियों और ट्रस्ट का पता चला है जिन्हें विदेशों में बनाया गया था. 14 कंपनियों के एक करोड़ 20 लाख दस्तावेजों का इंटरनेशनल कन्सॉर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) ने एक साल तक अध्ययन किया है जिसके बाद ऐसा दावा किया गया है कि विभिन्न देशों के व्यापारियों, उद्योगपतियों, राजनेताओं और खेल व मनोरंजन जगत की मशहूर हस्तियों ने अपना धन छिपाया.

भारत के कई बड़े नाम

इस पड़ताल में भारत का अखबार इंडियन एक्सप्रेस शामिल था. अखबार के मुताबिक इन दस्तावेजों में 300 से ज्यादा भारतीयों के नाम हैं जिनमें उद्योपति अनिल अंबानी, नीरव मोदी की बहन और किरन मजूमदार शॉ के पति जैसे लोग शामिल हैं.

तस्वीरेंः पैराडाइस पेपर्स याद हैं आपको?

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 60 से ज्यादा महत्वपूर्ण लोगों और कंपनियों की पड़ताल की गई है जिनका खुलासा आने वाले दिनों में किया जाएगा. अखबार लिखता है कि पनामा पेपर्स के खुलासे के बाद धनकुबेरों ने अपना धन छिपाने के नए तरीके खोज लिए हैं.

मिसाल के तौर पर क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने पनामा पेपर्स खुलासे के सिर्फ तीन महीने बाद ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स में अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी. सचिन तेंदुलकर के वकील ने कहा है कि उनका सारा निवेश वैध है.

अब भारतीय उद्योगपति विदेशों में कई ट्रस्ट स्थापित कर रहे हैं ताकि अपने धन को अलग अलग हिस्सों में बांटकर सरकारी निगाहों से बचा जा सकें. इनमें भारत, रूस, अमेरिका और मेक्सिको समेत कई देशों के 130 अरबपति शामिल हैं.

सैकड़ों नेताओं के नाम

विदेशों के जिन बड़े लोगों के नाम पैंडोरा पेपर्स खुलासे में उजागर किए गए हैं उनमें जॉर्डन के राजा, उक्रेन, केन्या और इक्वेडोर के राष्ट्रपति, चेक रिपब्लिक के प्रधानमंत्री और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर शामिल हैं.

इन दस्तावेजों में कम से कम 35 मौजूदा या पूर्व राष्ट्राध्यक्षों के नाम लिए गए हैं. दस्तावेज दिखाते हैं कि किस तरह किंग अब्दुल्ला द्वितीय ने मैलिबु, कैलिफॉर्निया, वॉशिंगटन और लंदन में अपनी 100 मिलियन डॉलर की संपत्तियां बनाने के लिए कर से राहत देने वाली जगहों पर कंपनियों का एक नेटवर्क खड़ा किया.

अमीर होने से डरता एक गरीब देश

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चेक रिपब्लिक के प्रधानमंत्री आंद्रेय बाबिस ने उस विदेशी निवेश को छिपा लिया, जिसके जरिए दक्षिणी फ्रांस में 2.2 करोड़ डॉलर का एक बंगला खरीदा.

दस्तावेजों में लगभग 1,000 विदेशी कंपनियों के बारे में पता चला है जिन्हें दुनियाभर के 336 मंत्रियों, नेताओं और सरकारी अधिकारियों ने स्थापित किया था. इनमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के कैबिनेट मंत्री और उनके परिजन भी शामिल हैं.

अमीरों के नए तरीके

इंडियन एक्सप्रेस लिखता है, "पैंडोरा पेपर्स दिखाते हैं कि धन-मशीन दुनिया के हर हिस्से में सक्रिय है. अमेरिका समेत दुनिया के सबसे अमीर देशों की वित्तीय राजधानियां भी इनमें शामिल हैं. अमेरिका और यूरोप में स्थित वैश्विक बैंक, वकालत कंपनियां और अकाउंटिंग फर्म भी इस व्यवस्था को मदद करते हैं.”

मिसाल के तौर पर पैंडोरा पेपर्स से पता चला कि दुनियाभर के बैंकों ने पनामा की एक वकालत कंपनी एल्कोगल (Alemán, Cordero, Galindo & Lee - Alcogal) की मदद से कम से कम 3,926 ग्राहकों के लिए विदेशों में कंपनियां स्थापित कीं. इस कंपनी के दफ्तर न्यूजीलैंड, उरुग्वे और यूएई में भी हैं. इस कंपनी ने ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स अमेरिकी बैंक मॉर्गन स्टैनली के आग्रह पर 312 कंपनियां बनाईं.

14 कंपनियों से मिले जिन दस्तावेजों की पड़ताल के आधार पर डॉयचे वेले की टर्किश सेवा समेत दुनिया के 150 मीडिया संस्थानों के 600 से ज्यादा पत्रकारों ने जो रिपोर्ट छापी हैं, वे 1996 से 2020 तक के हैं. और जिन कंपनियों व ट्रस्ट बनाने की बात हो रही है वे 1971 से 2018 के बीच स्थापित हुईं.

वीके/एए (एएफपी, डीपीए)

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