1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समाजयूरोप

तेजी से बूढ़ी हो रही यूरोपीय आबादी को पेंशन मिलना होगा कठिन

निक मार्टिन
२६ अगस्त २०२४

यूरोपीय संघ के देशों को अपनी तेजी से बूढ़ी होती आबादी की पेंशन पर पहले से कहीं ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है. इसे देखते हुए कुछ सरकारें सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाना चाहती हैं. वहीं कुछ और उपायों पर भी हो रहा है विचार.

Ältere Frau überprüft Bankkonto
तस्वीर: Pond5 Images/IMAGO

यूरोप में वृद्ध लोगों की आबादी कई दशकों से लगातार बढ़ रही है. यूरोपीय संघ की मौजूदा आबादी का पांचवां हिस्सा 65 साल या उससे अधिक उम्र का है. अनुमान है कि 2050 तक यूरोप की एक तिहाई आबादी 65 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र वाली होगी. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले साल चेतावनी दी थी कि यूरोप में 2024 में पहली बार ऐसा होगा जब 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या, 15 वर्ष से कम उम्र वाली आबादी से अधिक होगी.

पिछले दो दशकों में यूरोप में आप्रवासन में भारी वृद्धि हुई है. बड़ी संख्या में दूसरे देशों से लोग यहां आकर बसे हैं. इसके बावजूद, अभी भी यहां बड़ी संख्या में ऐसे कर्मचारियों को आकर्षित करने की जरूरत है जिनकी कमाई से मिलने वाले टैक्स से सार्वजनिक पेंशन पर बढ़ते खर्च को पूरा किया जा सके. अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि 2050 तक, यूरोप में सेवानिवृत्त होने वाले हर व्यक्ति के खर्च को वहन करने के लिए दो कामगार होंगे. जबकि अभी यह संख्या तीन है.

इस बीच, यूरोपीय संघ के 27 देशों में से 17 में पेंशन पर खर्च होने वाली सालाना रकम, जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 10 फीसदी हिस्से से ऊपर पहुंच गई है. इटली और ग्रीस में, पेंशन पर जीडीपी का 16 फीसदी से अधिक हिस्सा खर्च होता है.

सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने से कर्मचारी परेशान

पेंशन से जुड़े अत्यधिक और बढ़ते खर्च से निपटने के लिए, यूरोप के कई देशों ने अपनी सार्वजनिक पेंशन प्रणाली में बदलाव किया है. इनमें सेवानिवृत्ति की उम्र को बढ़ाना भी शामिल है. उदाहरण के लिए, फ्रांस में सेवानिवृत्ति की मौजूदा उम्र 62 वर्ष है. फ्रांस ने पिछले साल इसे बदलकर 64 साल करने की योजना बनाई थी. इसे लेकर वहां महीनों तक विरोध-प्रदर्शन हुए.

नई पेंशन योजना को लेकर इतना क्यों गुस्साए पेरिसवासी

01:50

This browser does not support the video element.

यूरोप के अन्य देश भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. उदाहरण के लिए, ब्रिटेन 2040 के दशक के मध्य से लोगों को 68 वर्ष की आयु तक काम पर रखने की योजना बना रहा है. ब्रिटेन में महिलाएं पुरुषों की तुलना में 5 से 7 साल पहले सेवानिवृत्त हो जाती थीं, लेकिन पेंशन की उम्र बराबर करने के लिए उठाए गए कदम की वजह से प्रभावित महिला कर्मचारियों ने मुआवजे की मांग की.

ऊट्रेष्ट विश्वविद्यालय में यूरोपीय पेंशन कानून के प्रोफेसर हांस फॉन मेर्टन ने डीडब्ल्यू को बताया, "नीदरलैंड्स ने हाल ही में अपनी पेंशन प्रणाली में सुधार किया है, लेकिन वह अपने तय किए गए लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पा रहा है. इसके अलावा, जर्मनी, बेल्जियम, और यूरोप के कई अन्य देशों में मुझे आवश्यक सुधार नहीं दिख रहे हैं. वे अपनी कब्र खुद खोद रहे हैं यानी अपनी समस्या खुद बढ़ा रहे हैं."

किस हाल में जी रहे हैं भारत के बेघर बुजुर्ग

03:35

This browser does not support the video element.

यूरोप के सार्वजनिक खर्चों पर पहले से ही दबाव है. इस पर और दबाव डालते हुए लाखों लोग अभी भी निजी या नौकरी वाली पेंशन योजना के लिए पर्याप्त बचत नहीं कर रहे हैं, जिससे उनकी सरकारी पेंशन की भरपाई हो सके.

पिछले साल के यूरोबैरोमीटर के डेटा से पता चलता है कि यूरोपीय संघ के सिर्फ 23 फीसदी निवासियों के पास नौकरी वाली पेंशन योजना है. वहीं, 19 फीसदी के पास निजी पेंशन योजना है. ये आंकड़े यूरोपीय संघ के देशों में अलग-अलग हैं.

‘इंश्योरेंस यूरोप' द्वारा किए गए एक अलग सर्वे में पाया गया है कि 39 फीसदी लोग सेवानिवृत्ति के लिए बचत नहीं कर रहे हैं. महिलाओं और 50 साल से ज्यादा उम्र के कामगारों में यह आंकड़ा और भी ज्यादा था. जो लोग सेवानिवृत्ति के लिए बचत करते हैं वे भी निवेश से मिलने वाले फायदों से निराश हैं.

कम रिटर्न और बढ़ती महंगाई से बचतकर्ताओं को नुकसान

ब्रसेल्स में मौजूद इनवेस्टर इकाई ‘बेटर फाइनेंस' के डायरेक्टर ऑफ कम्युनिकेशन अरनॉड हौडमोंट ने डीडब्ल्यू को बताया, "पिछले दशक से, यूरोप में पेंशन संकट लगातार बढ़ता जा रहा है, क्योंकि निवेश पर रिटर्न काफी कम मिल रहा है और महंगाई उस हिसाब से काफी ज्यादा बढ़ रही है. ऐसे में मिलने वाला वास्तविक रिटर्न बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है. इससे बचत करने वाले लोगों की क्रय शक्ति में काफी कमी आयी है.”

फिनिश सेंटर फॉर पेंशन द्वारा किए गए विश्लेषण में पाया गया कि पिछले साल दुनिया भर में पेंशन पर नाममात्र रिटर्न औसतन 8 फीसदी था. वहीं, अगर कोरोना महामारी के बाद बढ़ी हुई महंगाई को ध्यान में रखें, तो यह वास्तविक रिटर्न सिर्फ 2 फीसदी ही होता है. अक्टूबर 2022 में यूरोजोन में मुद्रास्फीति की सालाना दर 10.6 फीसदी पर पहुंच गई थी.

हौडमोंट कहते हैं कि उच्च शुल्क, ऐसेट का अपर्याप्त तरीके से किया आवंटन और पेंशन योजनाओं में पारदर्शिता की कमी भी कम रिटर्न के लिए जिम्मेदार है. 

पोर्टेबल ईयू पेंशन की धीमी शुरुआत

बचत से जुड़ी समस्या हल करने के लिए मार्च 2022 में ईयू ने पैन-यूरोपियन पर्सनल पेंशन प्रॉडक्ट (पीईपीपी) की शुरुआत की. इस योजना की मदद से कर्मचारियों को अतिरिक्त पेंशन मिल सकता है. इसके तहत कोई कर्मचारी ईयू के किसी अन्य देश में जाने के बाद भी इस योजना में निवेश जारी रख सकता है और उसका फायदा पा सकता है. हालांकि सिर्फ एक देश स्लोवाकिया ने इस योजना को शुरू किया है.

फॉन मेर्टन कहते हैं, "पीईपीपी ढाई साल से लागू है. हालांकि  बड़े निवेश फंडों का कहना है कि वे अकेले पीईपीपी योजना को शुरू नहीं कर सकते. इसलिए वे अन्य पार्टनरों की तलाश कर रहे हैं."

वहीं पेंशन के मामले से जुड़े कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि पीईपीपी योजना काफी ज्यादा जटिल है और इस पर कई तरह की पाबंदियां व शर्तें लागू होती हैं. पीईपीपी को ब्लैकरॉक या फिडेलिटी जैसे निवेश फंडों के प्रतिस्पर्धी के तौर पर भी देखा जाता है. नीदरलैंड्स, नॉर्वे और जर्मन पेंशन फंड इन कंपनियों के सबसे बड़े ग्राहकों में शामिल हैं जहां लाखों यूरोपीय लोगों का पैसा जमा होता है.

फॉन मेर्टन का कहना है कि पीईपीपी को सरल और ज्यादा सुविधाजनक बनाने की जरूरत है, क्योंकि यूरोपीय संघ के कुछ देशों में इस नई पेंशन योजना के लिए, सेवानिवृत्ति से जुड़ी अन्य बचत योजनाओं की तरह टैक्स छूट नहीं दी जाती है.

जर्मनी के केमिकल और मेटल सेक्टर से लेकर फ्रांस की राष्ट्रीय रेलवे जैसी कई यूरोपीय इकाइयों के पास खुद की व्यावसायिक पेंशन योजनाएं हैं. सामाजिक बीमा योगदान देने वाले लगभग 60 फीसदी जर्मन कर्मचारी ऐसी योजनाओं से ही जुड़े हुए हैं. बचत करने वाले लोगों खासकर शारीरिक रूप से कठिन काम करने वालों को इन योजनाओं के तहत जल्दी सेवानिवृत्त होने के विकल्प के साथ-साथ कई अन्य फायदे भी मिलते हैं.

पेंशन को ज्यादा सुविधाजनक बनाने की मांग कर रहे हैं कर्मचारी

उपभोक्ता अपने निवेश और सेवानिवृत्ति की आयु को ज्यादा सुविधाजनक बनाने की मांग कर रहे हैं. रॉबिनहुड, ईटोरो और जर्मनी के ट्रेड रिपब्लिक जैसे नियोब्रोकर्स ने कुछ हद तक यूरोप की कई बोझिल और जटिल पेंशन प्रणालियों की जगह ले ली है. ये नियोब्रोकर्स उपयोगकर्ताओं को अपना निवेश स्मार्टफोन ऐप्लिकेशन से मैनेज करने की सुविधा देते हैं.

वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराने वाली पारंपरिक कंपनियों का कहना है कि मोबाइल निवेश ऐप्लिकेशन उपयोगकर्ताओं को बिना जानकारी के और अनावश्यक जोखिम उठाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. इससे उन्हें लंबे समय में मिलने वाला रिटर्न कम हो सकता है. वहीं, नियोब्रोकर्स के समर्थकों का कहना है कि उन्होंने निवेश को सरल, सस्ता और अधिक पारदर्शी बना दिया है.

भविष्य में, यूरोप के ज्यादा से ज्यादा देशों की सरकारें स्वीडन की तरह अपने कर्मचारियों को अपनी सरकारी पेंशन बचत का कुछ हिस्सा सीधे शेयर बाजार में लगाने की अनुमति दे सकती हैं. स्वीडन के निजी पेंशन फंडों ने सामूहिक रूप से कम शुल्क लेने पर बातचीत की है. इससे सेवानिवृत्ति पर मिलने वाले फंड को बढ़ाने में मदद मिल सकती है.

फॉन मेर्टन का मानना है कि अगर कर्मचारियों को अपना निवेश मैनेज करने और सेवानिवृत्ति की उम्र तय करने के लिए ज्यादा अधिकार दिए जाएं, तो वे बचत करने के लिए अधिक प्रेरित होंगे.

दुनिया का सैन्य खर्च अपने सर्वोच्च स्तर पर

उन्होंने ईयू द्वारा संचालित पेंशन योजनाओं का हवाला देते हुए सवालिया लहजे में कहा, "क्या आप चाहते हैं कि आपकी बचत को पर्यावरण से जुड़ी परियोजनाओं में निवेश किया जाए? क्या आप इस्राएल में निवेश करना चाहते हैं? ये सब निर्णय उस व्यक्ति को लेने दें जिसका पैसा है. सामाजिक योजना से जुड़े साझेदारों या ट्रेड यूनियनों को यह क्यों तय करना चाहिए?"

वहीं, बेटर फाइनेंस के हौडमोंट चेताते हैं कि सार्वजनिक पेंशन बचत योजना से जुड़ी जिम्मेदारी को निजी पेंशन बचत योजना में स्थानांतरित करने के कारण अगले कुछ सालों में एक ऐसा संकट आ सकता है जिसके लिए बचतकर्ता तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा, "इस बात की ज्यादा संभावना है कि यूरोप में अगली पीढ़ी के लोग अपने पहले वालों से कहीं देर से रिटायर होंगे और तब भी उनकी पेंशन उनसे कम ही होगा."

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें