1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

क्या खतरे में है यूरोप का सामाजिक मॉडल?

अलेक्जांड्रा फॉन नामेन
१५ मार्च २०२४

यूरोपीय संसद के लिए प्रचार कर रहीं समाजवादी पार्टियों के एजेंडे में सामाजिक न्याय एक प्रमुख मुद्दा है. लेकिन ईयू लगातार रूसी खतरे का सामना कर रहा है, इसलिए सामाजिक खर्च के बजाय रक्षा खर्च को बढ़ावा मिल सकता है.

EU Socialists And Democrats | Iratxe Garcia Perez
तस्वीर: Beata Zawrzel/NurPhoto/IMAGO

रोम शहर के मध्य भाग में भारी पुलिस बल तैनात है. इटली की सामाजिक लोकतांत्रिक पार्टी ‘पार्तीतो डेमोक्रातिको' के मुख्यालय की घेराबंदी कर दी गई है. पूरे यूरोप से बड़े समाजवादी नेता यहां पहुंचे हैं. इनमें जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज शामिल हैं. ये नेता यूरोप के मध्य-वामपंथी विचारधारा वाले सांसदों को एकजुट करने के लिए यहां आए हैं.

इराते गार्सिया पेरेज यूरोपीय संसद में सोशलिस्ट्स और डेमोक्रैट्स की नेता हैं. उन्होंने शुक्रवार को मुख्यालय में आगामी चुनाव अभियान के बारे में जानकारी दी. उन्होंने पार्टी सम्मेलन से पहले कहा, "चुनाव अभियान का प्रमुख मुद्दा हमारे मूल्यों, लोकतंत्र और सुरक्षा की रक्षा करना है. हम सभी 27 देशों में यूरोपीय लोगों से यही वादा कर रहे हैं. हम सभी को एकजुटता, समानता और अवसरों पर आधारित भविष्य देना चाहते हैं.”

चुनाव प्रचार के लिए तैयार समाजवादी पार्टियां

समाजवादी पार्टियां जर्मनी, स्पेन, रोमानिया और डेनमार्क में सरकार का नेतृत्व कर रही हैं. वहीं, पुर्तगाल में वे कार्यवाहक सरकार चला रही हैं. अनुमान है कि अगले चुनावों के बाद भी वे यूरोपीय संसद में दूसरी सबसे बड़ी ताकत बनी रहेंगी. यूरोपीय संसद के लिए चुनाव जून की शुरुआत में होंगे. इन चुनावों में यूरोपीय संघ यानी ईयू के सभी 27 देश हिस्सा लेंगे.

लातविया में रूसी हमले का डर

04:17

This browser does not support the video element.

समाजवादी पार्टियां सामाजिक न्याय और साझा समृद्धि जैसे मूल्यों को बढ़ावा देती हैं. साथ ही यूरोप के श्रमिक वर्ग से इनसे जुड़े वादे भी करती हैं. लेकिन अब इन मूल्यों के गायब होने का खतरा हो सकता है.

दरअसल, यूरोपीय संघ रूस के खिलाफ यूक्रेन की मदद करने और अपना रक्षा खर्च बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहा है. ऐसे में यह मांग बढ़ रही है कि ईयू अपनी प्राथमिकताओं में बदलाव करे और सामाजिक खर्च में कटौती कर नई चुनौतियों से निपटने के लिए आर्थिक मदद मुहैया कराए.

क्या ज्यादा रक्षा खर्च का समर्थन करते हैं यूरोपीय?

मार्सेल श्लेपेर एक अर्थशास्त्री और म्यूनिख स्थित इफो शोध संस्थान में रक्षा नीति विशेषज्ञ हैं. वह कहते हैं कि आम जनता रक्षा खर्च का ज्यादा समर्थन नहीं करती है. उन्होंने हाल ही में अपने साथी रिसर्चर्स के साथ इस विषय पर एक नीति पत्र प्रकाशित किया है. इसमें बताया गया है कि आमतौर पर यूरोपीय लोग रक्षा खर्च बढ़ाने की जरूरत को समझते हैं. लेकिन जब रक्षा खर्च में उनके देश के योगदान की बात आती है तो उनका रवैया बदल जाता है.

मार्सेल श्लेपेर ने डीडब्ल्यू को बताया कि फिलहाल यूरोप के केवल चार देशों में 50 फीसदी से ज्यादा लोग अपनी सरकार द्वारा रक्षा खर्च बढ़ाए जाने का समर्थन करते हैं. ये देश जर्मनी, नॉर्वे, स्वीडन और बुल्गारिया हैं. इनमें से नॉर्वे यूरोपीय संघ का सदस्य नहीं है.”

ईयू को तेल बेचकर रूस ने कमाए करोड़ों

01:53

This browser does not support the video element.

श्लेपर कहते हैं कि लोग इस सवाल से बच रहे हैं कि क्या वे ज्यादा टैक्स देने के लिए तैयार हैं या फिर वे चाहते हैं कि दूसरे क्षेत्रों में हो रहे खर्चों में कटौती की जाए.

जर्मनी के सोशल डेमोक्रैट और यूरोपीय संसद के सदस्य योआखिम शूस्टर मानते हैं कि यह एक कठिन बहस है. वे यह भी कहते हैं कि इस मुद्दे पर जल्दबाजी में और बिना सोचे-समझे चर्चा की जा रही है. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि नाटो गठबंधन में शामिल यूरोपीय देश रक्षा पर रूस से तीन गुना ज्यादा खर्च कर रहे हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि यह पता लगाया जाए कि पैसा कहां खर्च हो रहा है और कहीं कोई रकम बर्बाद तो नहीं हो रही.

यूरोपीय देशों का सामाजिक खर्च

शूस्टर कहते हैं कि यह बेतुकी बात है कि रूढ़िवादी और उदारवादी हलकों के कुछ सदस्य नया कर्ज जारी करने से इंकार करते हैं और सामाजिक खर्च में कटौती करने की मांग करते हैं. शूस्टर प्रस्ताव देते हैं कि क्यों ना उच्च आय वाले लोगों पर ज्यादा टैक्स लगाया जाए.

श्लेपर इस सुझाव से असहमति जताते हैं. वह कहते हैं, "यूरोपीय देश काफी कल्याणकारी हैं. जर्मनी, फ्रांस, इटली और स्पेन जैसे देश अपनी जीडीपी का 27 से 32 फीसदी हिस्सा सामाजिक खर्च के लिए आवंटित करते हैं. वहीं, रक्षा पर दो फीसदी या उससे भी कम खर्च करते हैं.”

 

उनका मानना है कि कुल सरकारी खर्च में सामाजिक खर्च की हिस्सेदारी काफी ज्यादा है. इसलिए इसे रक्षा क्षेत्र के वित्तपोषण में कुछ भूमिका निभानी होगी. वह सुझाव देते हैं कि इसके लिए या तो सामाजिक खर्च को संघटित किया जा सकता है या फिर इसमें होने वाली बढ़ोतरी को रोका जा सकता है. 

यूरोपीय समाजवादियों के लिए कड़वी सच्चाई

यूरोपीय समाजवादियों के स्वीकार करने के लिए यह एक कड़वी सच्चाई होगी. इराते गार्सिया पेरेज ने रोम में कहा था कि हमें अपनी सुरक्षा और यूरोप के सामाजिक मॉडल की रक्षा करनी होगी. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि खर्च को समायोजित करने से पहले संसाधनों और राजकोषीय नीतियों पर भी बहस करने की जरूरत है.

एस्टोनिया के पूर्व रक्षा मंत्री स्वेन मिकसेर कहते हैं कि सामाजिक कल्याण पर खर्च में ही कटौती हो, यह जरूरी नहीं है. मिकसेर फिलहाल यूरोपीय संसद में एस्टोनिया के सोशल डेमोक्रैट्स का प्रतिनिधित्व करते हैं. वह कहते हैं कि कोविड महामारी और ऊर्जा संकट जैसी घटनाएं समाज से पहले से मौजूद विभाजन और सामाजिक असमानताओं को बढ़ाती हैं, इसलिए यह जरूरी है कि असुरक्षित लोगों की मदद की जाए और कम जोखिम झेल रहे लोगों पर ज्यादा बोझ डाला जाए.

लेकिन मिकसेर को उम्मीद है कि मतदाता ये समझेंगे कि यूरोप अपनी सुरक्षा को लेकर तत्काल खतरे से निपट रहा है. वह कहते हैं, "यह जरूरी है कि हम अपनी सेना और सुरक्षा के लिए अधिक प्रयास करें. वरना अगले कुछ सालों में ही हम बेहद असहनीय स्थिति में पहुंच सकते हैं. और इस बारे में मैं अपने मतदाताओं से झूठ नहीं बोलूंगा.”

 

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें