AI में निवेश की होड़ वैश्विक अर्थव्यवस्था को कहां ले जाएगी
निक मार्टिन
२३ फ़रवरी २०२४
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की अगली पीढ़ी के लिए उन्नत किस्म के चिप्स बनाने की एक वैश्विक होड़ मची है. ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन इस क्षेत्र में सात ट्रिलियन डॉलर के निवेश की बात कर रहे हैं.
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फरवरी की शुरुआत में ही सैम ऑल्टमैन ने उस वक्त हलचल मचा दी जब उन्होंने घोषणा की कि वे अगली पीढ़ी के कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) प्लेटफार्म्स के लिए जरूरी उन्नत किस्म के चिप्स के उत्पादन के लिए दुनिया भर में 5 से 7 खरब डॉलर का निवेश करने जा रहे हैं. ओपनएआई के सीईओ ऑल्टमैन की ओर से प्रस्तावित निवेश के इन आंकड़ों को सुनकर उद्योग जगत के कई विश्लेषक दंग रह गए. प्रस्तावित निवेश के ये आंकड़े अमेरिका के संघीय बजट के करीब एक चौथाई के बराबर है.
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस महीने की शुरुआत में रिपोर्ट दी थी कि ऑल्टमैन एआई क्षेत्र के सामने आने वाली कुछ चुनौतियों को हल करना चाहते हैं. इन चुनौतियों में चिप्स और सेमीकंडक्टर की कमी भी शामिल है जो कि उनकी अपनी फर्म ChatGPT जैसे बड़े भाषा मॉडल को और ज्यादा मजबूत और उपयोगी बनाने के लिए जरूरी हैं.
इस अमेरिकी उद्यमी ने चेतावनी दी है कि मानव मस्तिष्क से आगे निकलने में मदद करने के लिए AI को बहुत ज्यादा शक्तिशाली कंप्यूटिंग की जरूरत होगी. बिजनेस डेली के मुताबिक ऑल्टमैन ने हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात में इसके लिए संभावित निवेशकों के साथ चर्चा की है.
निवेश की अभूतपूर्व मांग
डीडब्ल्यू से बातचीत में वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग के एमेरिटस प्रोफेसर पेड्रो डोमिंगोस कहते हैं, "सात ट्रिलियन डॉलर की मांग करना ठीक नहीं है. यह तो इतनी बड़ी धनराशि है कि चिप इंडस्ट्री ने अपने पूरे इतिहास में इतना नहीं खर्च किया होगा.”
क्या इंसान की जगह ले लेंगे रोबोट?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीक में विकास ने यह डर भी पैदा कर दिया है कि ये रोबोट या ह्यूमनोएड कहीं इंसान की ही जगह तो नहीं ले लेंगे. देखिए, क्या ऐसा हो सकता है?
तस्वीर: YouTube/CNET
आइंस्टाइन जैसा बुद्धिमान और मजाकिया
हांगकांग की कंपनी हैन्सन रोबोटिक्स इंसानों जैसे दिखने वाले रोबोट बनाती है. इसका एक रोबोट है प्रोफेसर आइंस्टाइन. कंपनी कोशिश कर रही है कि यह रोबोट महान वैज्ञानिक आइंस्टाइन जितना बुद्धिमान हो जाए.
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कितना ज्यादा इंसानी
रोबोट दिखने में भी इंसान जैसे लगें, इसके लिए फ्रबर नाम के एक त्वचा जैसे पदार्थ का विकास किया जा रहा है. नैनोटेक्नोलॉजी पर आधारित इस त्वचा से बने रोबोट के हाव-भाव भी इंसानों जैसे होंगे.
तस्वीर: Stringer/AA/picture alliance
पहली नागरिक, सोफिया
सोफिया दुनिया की पहली ऐसी रोबोट है जिसके पास नागरिकता भी हासिल है. सऊदी अरब ने उसे अपनी नागरिकता दी है और वह संयुक्त राष्ट्र की इनोवेशन दूत के रूप में भी काम करती है.
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सारे कामों में सक्षम
रोबोट बियोमनी को अमेरिकी कंपनी बियॉन्ड इमैजिनेशन ने बनाया है. यह रोबोट बर्तन धोने से लेकर इंजेक्शन लगाने तक हर तरह का काम कर सकती है. इसे अंतरिक्ष में ले जाने की भी योजना है.
तस्वीर: YouTube/CNET
कलाकार रोबोट
आइ-डा एक रोबोट-आर्टिस्ट है जिसे 'इंजीनियर्ड आर्टिस्ट' कंपनी ने बनाया है. 2019 में बना यह रोबोट दुनिया का पहला रोबोटिक आर्ट सिस्टम है और एल्गोरिदम से ड्राइंग, पेंटिंग और मूर्तियां बना सकता है.
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कौन है असली, कौन है नकली
जापानी रोबोटविज्ञानी हिरोशी इशीगुरो का बनाया यह रोबोट जेमिनोएड उनका हमशक्ल है. उन्होंने जापान के तकनीकी मंत्री तारो कोनो का रोबोटिक क्लोन भी बनाया है. जेमिनोएड अमेरिका में कई कार्यक्रम कर चुका है, बिना इशीगुरो की मदद के.
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ऑफिस वर्कर लेना
जर्मनी में 2022 में बनी लेना को ‘लीप इन टाइम‘ लैब में विकसित किया गया. वह आठ हफ्ते तक एक दफ्तर में बाकी लोगों के साथ सहकर्मी के रूप में काम कर चुकी है. वहां वह प्रेजेंटेशंस भी दे रही थी.
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एआई के खतरे
‘गॉडफादर ऑफ एआई’ कहे जाने वाले जेफ्री हिंटन ने गूगल में अपनी नौकरी छोड़ दी. वह कहते हैं कि एआई इंसानियत के लिए बेहद खतरनाक है और इसका विकास जिस तेजी से हो रहा है, बहुत जल्द बड़े बदलाव दिख सकते हैं.
डोमिंगोस कहते हैं कि ऑल्टमैन शायद करीब सात सौ बिलियन डॉलर पर समझौता कर लेंगे लेकिन यह राशि भी पूरे AI चिप सेक्टर की कीमत से भी ज्यादा है. कनाडा और भारत की संयुक्त एनालिटिक्स फर्म प्रेसीडेंस रिसर्च ने हाल ही में गणना की है कि साल 2030 तक यह उद्योग करीब 135 बिलियन डॉलर का हो सकता है.
वहीं, दूसरे लोग सोचते हैं कि जिस तरह से एआई हर तरह से इंसानों से ज्यादा स्मार्ट बनने की महत्वाकांक्षा रखता है, तो ऐसी स्थिति में ऑल्टमैन की यह कल्पना साकार में होने में ज्यादा दिन नहीं लगेगा.
सेमी अनैलिसिस संस्था में मुख्य विश्लेषक डायलन पटेल ने डीडब्ल्यू को बताया, "फिलहाल, चैटजीपीटी4 केवल टेक्स्ट है लेकिन यदि आप चित्र, वीडियो, ऑडियो और इस तरह की अन्य चीजें इसमें जोड़ते हैं तो क्या होगा? और क्या होगा यदि हम यह मान लें कि एआई सभी मोर्चों पर इंसानों से आगे निकल जाता है? इन सब में सैकड़ों, अरबों या खरबों डॉलर का खर्च आएगा.”
AI के बारे में क्या कह रहे हैं दिग्गज
18वीं शताब्दी की औद्योगिक क्रांति और फिर 20वीं शताब्दी की इंटरनेट क्रांति के बाद इंसानियत एक और बड़ी क्रांति के सामने खड़ी है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में क्या कह रहे हैं दिग्गज.
तस्वीर: Action Pictures/IMAGO
बिल गेट्स, संस्थापक, माइक्रोसॉफ्ट
इंसानों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के खतरों के बारे में चिंतित होना चाहिए.
तस्वीर: Sven Hoppe/dpa/picture alliance
सुंदर पिचाई, सीईओ, अल्फाबेट (गूगल)
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पूरे समाज पर बड़ा असर डालेगी. समाज को इसके मुताबिक ढलने की जरूरत है. एआई के तेज विकास से फेक न्यूज और फेक फोटो का चलन भी बढ़ेगा, इससे बड़ा नुकसान हो सकता है.
तस्वीर: Fabrice Coffrini/AFP
सत्या नडेला, सीईओ, माइक्रोसॉफ्ट
हम देख चुके हैं कि एआई का अच्छा इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है, लेकिन हमें इसके छिपे हुए नतीजों से बचाव के लिए भी तैयार रहना होगा. इसके लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों को कदम उठाने होंगे.
फुल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास, इंसानी नस्ल के अंत की शुरुआत कर सकता है. जरूरत है कि हम एआई को बेहतर बनाने के साथ ही इसे इंसानियत को फायदा पहुंचाने वाला भी बनाएं
तस्वीर: Matt Dunham/AP/picture alliance
टिम कुक, सीईओ, एप्पल
हम सबको ये पक्का करने की जरूरत है कि एआई का इस्तेमाल इंसानियत के लिए फायदे के लिये हो, ना कि इंसानियत को नुकसान पहुंचाने के लिये.
तस्वीर: APPLE INC/REUTERS
जेफ बेजोस, संस्थापक, एमेजॉन
हम एआई के स्वर्णयुग की शुरुआत में है. हालिया विकास ने ऐसे दरवाजे खोल दिये हैं, जिनकी कल्पना सिर्फ साइंस फिक्शन में की जाती थी- और अभी तो हमने संभावनाओं की उपरी परत ही कुरेदी है.
तस्वीर: David Jones/Future Image/IMAGO
इलॉन मस्क, संस्थापक, टेस्ला
अगर आप एआई सेफ्टी के बारे में चिंतित नहीं हैं तो आपको होना चाहिए. ये उत्तर कोरिया से भी ज्यादा रिस्की है.
तस्वीर: Ludovic Marin/REUTERS
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AI जिस तेजी से प्रगति कर रहा है, उसके नवीनतम संकेत बताते हैं कि ओपनएआई ने पिछले हफ्ते सोरा नाम के एक नए प्लेटफॉर्म को लॉन्च किया है, जो कि किसी एक लाइन में लिखे टेक्स्ट को शॉर्ट वीडियो में बदल सकता है, वो भी उच्च गुणवत्ता में.
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तेज हुई एआई चिप की दौड़
ऑल्टमैन के इन अनुमानों के सार्वजनिक होने से पहले, दुनिया के कुछ प्रमुख देशों की सरकारों ने पहले से ही चिप उद्योग में अपनी हिस्सेदारी सुरक्षित करने या बनाए रखने की कोशिशें शुरू कर दी थीं. इन देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान और कई यूरोपीय देश शामिल हैं.
पिछले 18 महीनों में, अमेरिका ने चीनी कंपनियों को अपने यहां बने चिप्स को खरीदने से रोकने के लिए चीन पर प्रतिबंध भी लगाए हैं. लेकिन डोमिंगोस कहते हैं कि उन्नत स्तर की एआई कंप्यूटिंग पॉवर विकसित करने की चीन की क्षमता को बाधित करने के बजाय ये प्रतिबंध ‘काउंटरप्रोडक्टिव' साबित हुए.
‘द मास्टर एल्गोरिथम' पुस्तक के लेखक डोमिंगोस कहते हैं, "ऐसे कई तरीके हैं जिनसे चीन बिचौलियों के माध्यम से अमेरिकी चिप्स प्राप्त कर सकता है. लेकिन ऐसे प्रतिबंध चीन को अपनी क्षमता विकसित करने और अमेरिकी चिप्स पर कम निर्भर होने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं.”
एआई पर कैसे कानून बनाएंगी सरकारें?
एआई में हो रही तरक्की से कई चुनौतियां खड़ी हो रही हैं. दुनियाभर में सरकारें तकनीक के इस्तेमाल को लेकर कानून बनाने की कोशिश कर रही हैं. जानिए कि एआई टूल्स को रेगुलेट करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं.
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अमेरिका
अप्रैल 2023 में सेनेटर माइकल बेनेट ने एक बिल पेश किया, जिसमें एआई पर नीतियां बनाने के लिए एक टास्क फोर्स के गठन का प्रस्ताव था. साथ ही, इसमें यह भी देखे जाने की बात कही गई कि निजता, नागरिक अधिकार और यथोचित प्रक्रिया पर संभावित खतरों को कैसे घटाया जाए. बाइडेन प्रशासन ने भी कहा है कि वह एआई सिस्टमों की जिम्मेदारी तय करने पर जनता की भी राय लेगी.
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ऑस्ट्रेलिया
यहां "दी साइंस एडवाइजरी कमेटी" (एसएसी) विज्ञान से जुड़े मामलों में परामर्श देने वाली मुख्य समिति है. सरकार इससे सलाह लेकर अगले कदमों पर विचार कर रही है.
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ब्रिटेन
ब्रिटेन ने मार्च में बताया था कि एआई के नियमन के लिए नया विभाग बनाने की जगह मानवाधिकार, स्वास्थ्य-सुरक्षा जैसे पक्षों को देखने वाले मौजूदा रेगुलेटरों में ही जिम्मेदारी बांटी जा रही है. फाइनैंशल कंडक्ट अथॉरिटी समेत कई सरकारी विभागों को एआई से जुड़ी नई गाइडलाइनों की रूपरेखा बनाने का जिम्मा सौंपा गया है. तस्वीर में: एआई की बनाई ब्लैक होल की एक तस्वीर.
तस्वीर: ingimage/IMAGO
चीन
चीन, एआई के इस्तेमाल और संभावित खतरों से भी चिंतित है. कारोबारी ईलॉन मस्क ने अपनी हालिया चीन यात्रा में अधिकारियों से हुई मुलाकात के बाद बताया कि चीन की सरकार अपने यहां एआई से जुड़े नियम बनाएगी. इससे पहले अप्रैल में साइबरस्पेस अडमिनिस्ट्रेशन ऑफ चाइना (सीएसी) ने जेनरेटिव एआई सेवाओं के प्रबंधन से जुड़े मापदंडों का मसौदा पेश किया था.
तस्वीर: Omar Marques/SOPA/ZUMA/picture alliance
यूरोपीय संघ
यूरोपीय संसद इसी महीने ईयू के एआई ऐक्ट का मसौदा बनाने पर वोट करने वाला है. यूरोपियन कंज्यूमर ऑर्गनाइजेशन ने भी चैटजीपीटी और अन्य एआई चैटबोट्स पर चिंता जताई है. उसने ईयू की कंज्यूमर प्रोटेक्शन एजेंसियों से इस तकनीक से लोगों को होने वाले संभावित नुकसान की पड़ताल करने की भी अपील की है.
तस्वीर: Andreas Franke/picture alliance
फ्रांस
अप्रैल 2023 में फ्रांस की डेटा प्रोटेक्शन एजेंसी सीएनआईएल ने बताया कि वह चैटजीपीटी से जुड़ी कई शिकायतों की जांच कर रहा है. इसका संदर्भ निजता से जुड़े कानूनों के संभावित उल्लंघन की आशंका के मद्देनजर इटली में चैटबॉक्स पर लगे अस्थायी बैन से जुड़ा है.
तस्वीर: Knut Niehus/CHROMORANGE/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल इनोवेशन अथॉरिटी में नेशनल एआई प्लानिंग के निदेशक जिव कत्सिर ने बीते दिनों बताया कि पिछले करीब 18 महीनों से एआई रेगुलेशन्स पर काम हो रहा है. मकसद है नई खोज, मानवाधिकार की सुरक्षा और नागरिक हितों के बीच सही संतुलन बनाना. अक्टूबर 2022 में इस्राएल ने 115 पन्नों की एआई पॉलिसी का मसौदा जारी किया था. आखिरी फैसला लेने से पहले जनता से भी फीडबैक लिया जा रहा है.
तस्वीर: JOSEP LAGO/AFP/Getty Images
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वास्तव में, अमेरिकी प्रतिबंधों ने चीनी नेताओं को प्रोत्साहित किया है जिन्होंने एआई चिप उत्पादन में अपना निवेश बढ़ाने का वादा किया है.
चीन तेजी से आगे बढ़ रहा है
डायलन पटेल कहते हैं, "चीन विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखला बनाने और आगे बढ़ने के लिए अगले दशक में एआई चिप्स पर 250 अरब डॉलर की सब्सिडी दे रहा है. चीन वर्तमान में चिप निर्माण के क्षेत्र में दुनिया भर में अग्रणी ताइवान से करीब चार से पांच साल पीछे है और सेमीकंडक्टर डिजाइन में दो से तीन साल पीछे है. और मौजूदा समय में इस दौड़ को अमेरिकी चिप कंपनियां जीत रही हैं.”
अन्य देशों को AI चिप-उत्पादक देशों की सूची में प्रवेश करने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है, क्योंकि उनके पास माइक्रोसॉफ्ट की तरह कई अरब डॉलर का निवेश करने के लिए बड़ी तकनीकी कंपनियां नहीं हैं- जो ऑल्टमैन के ओपनएआई और गूगल का समर्थन करती है, जिसने पिछले साल अपनी एआई चिप को बाजार में उतारा था.
पटेल कहते हैं, "यदि जर्मनी एआई के क्षेत्र में अग्रणी बनना चाहता है, तो उन्हें इस पर सब्सिडी देनी होगी क्योंकि मर्सिडीज बेंज और डेमलर जैसी कंपनियां जरूरी नहीं कि उन्नत चिप्स पर भारी-भरकम निवेश करें.”
उन्नत चिप्स एक ‘रणनीतिक वस्तु'
‘चिप वॉर' पुस्तक के लेखक और आर्थिक इतिहासकार क्रिस मिलर ने डीडब्ल्यू को बताया कि वैश्विक शक्तियों के बीच चल रहे मौजूदा भू-राजनीतिक गतिरोध के बीच ज्यादातर देशों ने महसूस किया है कि अल्ट्रा-हाई-स्पीड चिप्स एक ‘रणनीतिक वस्तु' बन गए हैं.
कौन हैं ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन
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उन्होंने भविष्यवाणी की कि चीन जैसे निरंकुश देशों को नापाक उद्देश्यों के लिए एआई का उपयोग करने से रोकने के लिए अमेरिकी सरकार और अन्य लोग ‘इस बारे में काफी संवेदनशील होंगे कि चिप संयंत्र कहाँ स्थित हैं और उनके उत्पादन में कौन शामिल हैं.'
NVIDIA और शेयर बाजार में गिरावट
NVIDIA कंपनी एआई चिप डिजाइन में मार्केट लीडर है. कैलिफोर्निया के सांता क्लारा स्थित इस कंपनी की कीमत अब 1.8 ट्रिलियन डॉलर है, जिससे यह एएमडी और इंटेल जैसी कंपनियों के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गई है.
शेयर बाजारमें गिरावट के बावजूद निवेशकों की उम्मीदों के चलते NVIDIA की कीमतों में पिछले महीने 296.5 बिलियन डॉलर की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई. हालांकि ज्यादातर विश्लेषकों का मानना है कि यह बढ़ोत्तरी टिकाऊ नहीं है.
डोमिंगोस ने एआई के प्रति निवेशकों की मौजूदा दीवानगी की तुलना एक ‘ऐसे गुब्बारे से की है जो तब तक बहुत तेजी से फूल रहा है, जब तक कि वह फूट न जाए.'
डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहते हैं, "बहुत सारे लोग, कंपनियां और देश बहुत सारा पैसा खोने जा रहे हैं. बहुत सारा नरसंहार होने वाला है. लेकिन लंबी अवधि में देखें तो एआई इंटरनेट की तरह होगा. इन दिनों डॉटकॉम की हलचल की किसे परवाह है? इंटरनेट एक वास्तविकता है, यह सर्वव्यापी है और प्रौद्योगिकी में आगे की प्रगति का आधार है.”