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समाज

बड़े शहरों में मौत का कारण बनता वायु प्रदूषण

१८ फ़रवरी २०२१

गंभीर प्रदूषण के कारण पिछले साल दुनिया के पांच सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में करीब 1,60,000 लोगों की मौत समय से पहले हुई. हालांकि लॉकडाउन के कारण हवा की गुणवत्ता में सुधार भी हुआ.

China 2018 | Smog in Xi'an
तस्वीर: picture-alliance/Imagechine/Tian Ye

ग्रीनपीस दक्षिणपू्र्व एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे बुरी तरह से प्रभावित दिल्ली थी, जिसे धरती की सबसे ज्यादा प्रदूषित राजधानी पाया गया. यहां खतरनाक पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 के कारण लगभग 54,000 मौतें होने का अनुमान है. जापान की राजधानी टोक्यो में वायु प्रदूषण के कारण 40,000 मौतें हुईं. रिपोर्टे के मुताबिक बाकी मौत शंघाई, साओ पाउलो और मेक्सिको सिटी में दर्ज हुई. रिपोर्ट में जीवाश्म ईंधन के जलने से पैदा होने वाले सूक्ष्म पीएम 2.5 के प्रभाव का अध्ययन किया गया है.

ग्रीनपीस इंडिया में जलवायु अभियान चलाने वाले अविनाश चंचल के मुताबिक, "जब सरकार स्वच्छ ऊर्जा के बदले कोयला, तेल और गैस का विकल्प चुनती है तो हमारा स्वास्थ्य है जो कीमत चुकाता है." जीवाश्म ईंधन के कारण होने वाले वायु प्रदूषण की वैश्विक कीमत आठ अरब डॉलर प्रति दिन है. ये विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का 3.3 प्रतिशत है. पीएम 2.5 के कण स्वास्थ्य के लिए सबसे हानिकारक माने जाते हैं. ये कण हृदय और फेफड़ों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं और गंभीर अस्थमा अटैक का खतरा भी रहता है. कुछ शोधों में कोविड-19 से होने वाली मौतों के उच्च जोखिम के लिए पीएम 2.5 को जोड़ा गया. रिपोर्ट में एक ऑनलाइन टूल का इस्तेमाल किया गया है, जो निगरानी साइट आईक्यूएयर से हवा की गुणवत्ता के डाटा को लेने और उसे वैज्ञानिक जोखिम मॉडल के साथ-साथ जनसंख्या और स्वास्थ्य डाटा से जोड़कर पीएम 2.5 के प्रभावों का अनुमान लगाया गया.

भारतीय शहर भी वायु प्रदूषण से प्रभावित. तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/Indraneel Chowdhury

पिछले साल मौत की उच्च संख्या के बावजूद, दुनिया भर में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन के तहत सड़कों पर गाड़ियां नहीं चलीं, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग बंद किए गए जिससे बड़े शहरों के आसमान अस्थायी रूप से साफ रहे. उदाहरण के लिए लॉकडाउन के दौरान दिल्ली की हवा की गुणवत्ता बेहतर हुई और आसमान भी चमकदार हो गया था.

वैज्ञानिकों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण कुछ प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों में भारी गिरावट से मौत कम हुई है. फिर भी ग्रीनपीस ने सरकारों से नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करने का आग्रह किया है.

एए/सीके (एएफपी)

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