उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण को रोकने के लिए लाया गया कानून अंतर-धार्मिक विवाह करने वालों के लिए मुसीबत बन गया है. खतरा महसूस करते हुए आठ हिंदू-मुसलमान दंपतियों ने पुलिस सुरक्षा मांगी थी, लेकिन उनकी अपील ठुकरा दी गई है.
विज्ञापन
इन आठ दंपतियों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील की थी कि अदालत उन्हें सुरक्षा दिलाए और उनके वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप रोके. आठों ने अलग-अलग अपीलें दायर की थीं. आदेश भी अलग-अलग दिए हैं लेकिन आठों आदेश के शब्द एक जैसे ही हैं.
इन दंपतियों में हिंदू महिलाओं से शादी करने वाले पांच मुसलमान पुरुष और मुस्लिम महिलाओं से शादी करने वाले तीन हिंदू पुरुष हैं. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि आठों शादियां में 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम' का पालन नहीं हुआ है, इसलिए अपील को स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
क्या कहता है कानून
आदेश में यह विस्तार से नहीं बताया गया है कि इन विवाहों में धर्मांतरण रोकने के लिए लाए गए इस कानून का उल्लंघन कैसे हुआ है. 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम' को उत्तर प्रदेश सरकार अध्यादेश के जरिए नवंबर, 2020 में लाई थी. बाद में विधानसभा में विधेयक लाकर इस पर कानून बनाया गया था.
प्यार और धर्म की कशमकश
03:22
अधिनियम के सेक्शन छह में लिखा है कि अगर कोई शादी सिर्फ "अवैध धर्मांतरण" के उद्देश्य से की गई है तो उस शादी को निरस्त घोषित कर दिया जाएगा. इससे बचने के लिए धर्म बदलने वाले व्यक्ति को कम से कम 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को तय फॉर्म में सूचना देनी होगी.
उसके अलावा धर्मांतरण कराने वाले व्यक्ति को एक महीने पहले (डीएम) को तय फॉर्म में सूचना देनी होगी. इसके बाद (डीएम) पुलिस द्वारा जांच कराएंगे यह मालूम करने के लिए कि प्रस्तावित धर्मांतरण का "असली इरादा, उद्देश्य और वजह" क्या है. अगर इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन पाया जाता है तो प्रस्तावित धर्मांतरण को अवैध माना जाएगा. कानून के उल्लंघन के लिए पांच साल जेल तक सजा का प्रावधान है.
इस आदेश के बाद अंतर-धार्मिक विवाह करने वालों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. भारत में अक्सर अंतर-धार्मिक विवाह करने वालों को लेकर ऐसे मामले सामने आते रहते हैं.
विज्ञापन
अब कैसे मिलेगी सुरक्षा
कई मामलों में दंपतियों के परिवारों के सदस्य शादी से खुश नहीं होते हैं और दंपति खुद अपने ही परिवार वालों से खतरा महसूस करने लगते हैं. ऐसे में वो अदालत के पास जाकर अपील करते हैं कि अदालत उनकी सुरक्षा का इंतजाम करे. अक्सर अदालतें पुलिस को ऐसे जोड़ों को सुरक्षा देने का आदेश देती हैं. कुछ राज्यों में विशेष रूप से ऐसे जोड़ों की सुरक्षा के लिए 'सेफ हाउसेस' बनाए जाते हैं.
सितंबर 2023 में ऐसे ही एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने एक दंपति को पुलिस सुरक्षा मुहैया करवाई थी और कहा था कि संविधान का अनुच्छेद 21 सबको जीवन और निजी स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करता है, जिसके तहत सबको अपने निजी फैसले लेने का अधिकार है, विशेष रूप से शादी से जुड़े मामलों में. अदालत ने यह भी कहा था कि "एक जीवनसाथी चुनने का अधिकार धर्म से जुड़े मामलों से किसी भी तरह प्रभावित नहीं हो सकता है."
भारत में लगातार हो रही है सांप्रदायिक हिंसा
2020 के दिल्ली दंगों के बाद भी भारत के कई राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा देखने को मिली है. गुजरात से लेकर त्रिपुरा तक और दिल्ली से लेकर कर्नाटक तक, जानिये कहां कहां भड़की हिंसा.
तस्वीर: IANS
बेंगलुरु, 2020
अगस्त 2020 में एक फेसबुक पोस्ट को लेकर दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी. हिंसा में पुलिस स्टेशन भी जला दिए गए थे और पुलिस की फायरिंग में तीन लोग मारे गए थे. 200 से भी ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
तस्वीर: AFP/M. Kiran
त्रिपुरा, 2021
अक्टूबर 2021 में बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान हुई हिंसा के विरोध में विश्व हिंदू परिषद ने त्रिपुरा में कई जगह रैलियां निकालीं, जिनके दौरान कई मुस्लिमों के घर और दुकानें जला दी गईं और चार मस्जिदों पर हमला किया गया.
तस्वीर: Panna Ghosh/AP Photo/picture alliance
कर्नाटक, 2021
कर्नाटक के कई इलाकों में 2021 में चर्चों, पादरियों और आम ईसाईयों पर हमले किये गए. एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे साल में कर्नाटक में इस तरह के हमलों के कम से कम 30 मामले सामने आये. कई अन्य राज्यों को मिला कर इस तरह के 300 से ज्यादा मामले दर्ज किये गए.
तस्वीर: Altaf Qadri/AP/picture alliance
कर्नाटक, 2022
फरवरी, 2022 में कर्नाटक में कॉलेजों में मुस्लिम छात्राओं की हिजाब पहनने की आजादी को लेकर विवाद खड़ा हो गया था, जिसे लेकर कई महीनों तक राज्य में तनाव बना रहा. कई स्थानों पर सांप्रदायिक हिंसा भी हुई.
तस्वीर: DW
कई राज्य, 2022
अप्रैल 2022 में रामनवमी पर निकाली गई यात्राओं के बीच गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान और कर्नाटक में हिंसक झड़पें हुईं, जिनमें कई लोग घायल हो गए. गुजरात में हिंसा के दौरान एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई. दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रामनवमी पर मांसाहारी भोजन खिलाए जाने को लेकर छात्र परिषद्व और एबीवीपी के बीच हिंसक झड़प हो गई जिसमें 16 छात्र घायल हो गए.
तस्वीर: PRABHAKAR/DW
अयोध्या, 2022
अयोध्या पुलिस ने बताया कि 11 लोगों ने मिल कर शहर में सांप्रदायिक तनाव बनाने के लिए शहर की कई मस्जिदों में आपत्तिजनक पोस्टर, सूअर का मांस और कुरान के फटे हुए पन्ने डाल दिए थे. पुलिस ने इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार भी किया था.
तस्वीर: Narinder Nanu/AFP/Getty Images
दिल्ली, 2022
दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में अप्रैल 2022 में ही हनुमान जयंती पर निकाली गई एक यात्रा के दौरान हुई झड़प ने सांप्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया. हिंसा में पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हो गए.
तस्वीर: Amarjeet Kumar Singh/AA/picture alliance
पैगम्बर पर टिप्पणी विवाद, 2022
मई 2022 में भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद पर आयोजित एक टीवी डिबेट में हिस्सा लेते हुए पैगंबर मोहम्मद पर कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. टिप्पणी को लेकर कई हफ्तों तक देश के कई राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा हुई. कई मुस्लिम देशों ने भी शर्मा की टिप्पणी की निंदा की.
तस्वीर: Ajay Aggarwal/Hindustan Times/imago
राजस्थान, 2022
मई, 2022 में राजस्थान के जोधपुर में ईद के ठीक पहले अलग अलग झंडे लगाने को लेकर दो समुदाय के लोगों के बीच हिंसक झड़प हो गई. पथराव के बीच कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए जिसके बाद इलाके में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं.
तस्वीर: ANI/REUTERS
महाराष्ट्र, 2023
फिल्म 'द केरला स्टोरी' पर छिड़े विवाद की वजह से देश में कई स्थानों पर हिंसा हुई. महाराष्ट्र के अकोला में विवाद ने दंगे का रूप ले लिया जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई घायल हो गए.
तस्वीर: Payel Samanta/DW
मणिपुर, 2023
मार्च 2023 में मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने पर विचार करने के लिए कहा था, जिसके बाद से राज्य में तनाव पैदा हो गया. अप्रैल में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसक झड़पें शुरू हो गए. जुलाई तक हिंसा में 100 से भी ज्यादा लोग मारे गए और हजारों विस्थापित हो गए.
तस्वीर: ADNAN ABIDI/REUTERS
हरियाणा, 2023
हरियाणा के नूंह में 31 जुलाई को एक धार्मिक यात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी, जो धीरे धीर सोहना, पलवल, गुरुग्राम समेत कई इलाकों तक फैल गई. कम से कम छह लोग मारे भी गए, कई दुकानों और एक मस्जिद को जला दिया गया और कई मस्जिदों पर हमले किये गए.