खशोगी मामले में फंसा सऊदी राजघराना
१९ अक्टूबर २०१८
सऊदी अरब में महिलाओं के योग स्टूडियो
सऊदी अरब में महिलाओं के योग स्टूडियो
महिलाओं के लिए सऊदी अरब पिछले एक साल में तेजी से बदला है. अब देश की महिलाएं खुद को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए योग को अपना रहीं हैं. आज से कुछ साल पहले तक सऊदी में योग को गैर-इस्लामिक माना जाता था.
योग अब खेल है
लंबे वक्त तक सऊदी अरब में योग को हिंदू धार्मिक परंपराओं का हिस्सा माना जाता रहा. इसे करना गैर इस्लामिक माना जाता था, लेकिन सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने योग को एक खेल के रूप मान्यता दी है. जिसके बाद से देश के बड़े शहरों में योग लोकप्रिय हो रहा है.
योग के लिए नफरत!
कई सौ लोगों को प्रशिक्षित कर चुकी 38 साल की नौफ मारवाई, देश में अरब योगा फाउंडेशन के नाम से एक संस्था चलाती हैं. वह योग के प्रचार-प्रसार के लिए कई सालों से काम कर रहीं हैं. उन्होंने बताया, "मुझे बहुत परेशान किया जाता था, नफरत और घृणा भरे संदेश भेजे जाते थे. पांच साल पहले तक यहां योग के बारे में सोचना भी असंभव था."
उद्योग बन रहा है योग
महिलाएं मानती हैं कि रोजाना योग करने से उनकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आए हैं. मारवाई बताती हैं, "योग को मान्यता मिलने के कुछ महीने के भीतर ही मक्का, मदीना सहित देश के कई शहरों में योगा स्टूडियो और योग प्रशिक्षकों का एक नया उद्योग खड़ा हो गया है."
मौलवियों की आपत्ति
मारवाई ने बताया कि मौलवियों को सबसे बड़ी आपत्ति "सूर्य नमस्कार" से थी. इस आसन में मंत्रों के साथ सूर्य का अभिवादन किया जाता है. एक मौलवी का तर्क था कि मुस्लिम प्रार्थनाओं में जिस तरह की शारीरिक क्रियाएं होती हैं वह शरीर के लिए पर्याप्त हैं.
योग करने वाले हिंदू हैं?
मारवाई से योग सीखने वाले कई छात्र कहते हैं कि उन पर मजहब को धोखा देने का आरोप लगता है. कई लोगों से सोशल मीडिया पर पूछा जाता है कि क्या वे हिंदू हैं? या क्या वे हिंदू हो गए हैं? लेकिन इसे सीखने वाले मानते हैं कि योग एक खेल है, और इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है.
बदलता सऊदी अरब
योग के साथ-साथ पिछले एक साल में सऊदी महिलाओं को कई अधिकार मिले हैं. अब वे अपनी मर्जी के कपड़े पहन सकती हैं, गाड़ी ड्राइव कर सकती हैं, फ्लाइंग स्कूल, सिनेमाघरों के अलावा महिलाओं के लिए जिम के दरवाजे भी खुल गए हैं.