जलवायु परिवर्तनः आल्प्स की सर्दी में भी गर्मी का अहसास
३ जनवरी २०२३
सर्दियां अपने चरम पर हैं लेकिन आल्प्स में बर्फ ही नहीं है. जहां सफेद चोटियां हुआ करती थीं, वहां घास और मिट्टी नजर आ रही है.
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यूरोप का आल्प्स पर्वत वैसा नहीं दिख रहा है जैसा आमतौर पर साल के इन दिनों में दिखाई देता है. छितरी सी बर्फ उसकी खूबसूरती को ग्रहण लगा रही है. सर्दियां बहुत सर्द नहीं हैं. इसलिए बर्फ कम है और घास व चट्टानें नजर आ रही है. नतीजा यह हुआ है कि स्कीइंग करने वालों की छुट्टियां बेमजा हो गई हैं और व्यापारियों को भी नुकसान हो रहा है.
यूरोप में स्कीइंग का मक्का कहे जाने वाले आल्प्स पर्वत की कई चोटियों पर घास, चट्टानें और मिट्टी नजर आ रही हैं. ऑस्ट्रिया के इन्सब्रूक से लेकर स्विट्जरलैंड के विलार्स-सुर-ओलोन और क्रांस-मोनटाना व जर्मनी के लेंगरीज तक हर जगह आल्प्स की खूबसूरती पर गर्मी का ग्रहण लगा हुआ है. इससे यह डर भी पैदा हो गया है कि आने वाली गर्मियां काफी गर्म हो सकती हैं.
जर्मनी के सबसे खूबसूरत पर्वत
हर बार ऊंचाई ही अहम नहीं होती इसलिए इस बार हमने इस बार जर्मनी के पर्वतों को उनकी ऊंचाई की बजाय खूबसूरती और अनोखी खूबियों के लिहाज से चुना है.
तस्वीर: picture alliance / imageBROKER
टॉयटोबुर्ग फॉरेस्ट
टॉयटोबुर्ग फॉरेस्ट से पहाड़ों की यात्रा शुरू करना शायद सही फैसला ना हो क्योंकि इसकी सबसे ऊंची चोटी महज 468 मीटर ऊंची है. हालांकि सुदूर उत्तर में इतनी ही ऊंची हो सकती है. टॉयटोबुर्ग फॉरेस्ट की खास पहचान है हरमन मॉन्यूमेंट, कभी यह पश्चिमी दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति थी. इसके साथ ही एकस्टर्नस्टाइने चट्टानों की एक अनोखी आकृति है जो चढ़ाई करने वालों की पसंदीदा है.
तस्वीर: imago/blickwinkel/S. Ziese
हार्त्स पहाड़ी
उत्तरी जर्मनी में हार्त्स पहाड़ी सबसे ऊंचा है. इसकी सबसे ऊंची चोटी ब्रोकेन करीब 1,143 मीटर ऊंची है. यहां तक ब्रोकेनबान स्टीम ट्रेन के जरिए पहुंचा जा सकता है. गर्मियों में यहां आने वाले सैलानी पैदल यात्रा के लिए दुनिया के सबसे ऊंचे सस्पेंशन रोप ब्रिज में से एक को पार कर सकते हैं. यह ब्रिज जर्मनी के सबसे ऊंचे जलभंडार रैपबोडे डैम के ऊपर से गुजरता है.
तस्वीर: Jens Wolf/ZB/picture-alliance
बुर्ग एल्त्स आइफेल
जर्मनी के सुदूर पश्चिम में आइफेल माउंटेंस की ऊंचाई करीब 750 मीटर तक है. शानदार एल्त्स कासल सैलानियों के लिए यहां आने का एक बहाना है जो करीब 320 मीटर की ऊंचाई पर है. दिन में आइफेल के ज्वालामुखीय इलाकों की सैर करिए या फिर यहां कई दुर्गों में से किसी एक को देखा जा सकता है. रात को यहां आकाश सितारों से भर जाता है क्योंकि यहां प्रकाश प्रदूषण बहुत कम है, आंखें और तारों की चमक के बीच कोई बाधा नहीं होती.
तस्वीर: Andreas Vitting/imageBROKER/picture alliancw
थुरिंजिया के जंगल
पूर्वी जर्मनी के थुरिंजिया के जल में भी वार्टबुर्ग कासेल नाम का एक मशहूर किला है. यहां यह अकेला नहीं है. इसके जंगल वाले इलाके में बहुत अलग अलग तरह के किले और महल मौजूद हैं जिन्हें देखा जा सकता है. वार्टबुर्ग कासल जहां कभी प्रोटेस्टेंट सुधारक मार्टिन लुथर ने शरण ली थी, केवल 411 मीटर ऊंचा है. सबसे ऊंजा है ग्रोसे बीयरबर्ग जिसकी ऊंचाई 982 मीटर है.
तस्वीर: Martin Schutt/dpa/picture alliance
एर्त्सगेबिर्गे
एर्त्सगेबिर्गे जर्मनी और चेक की सीमा पर मौजूद हैं. सर्दियों में यह इलाका बर्फ के कारण खासतौर से बेहद खूबसरत बन जाता है. वास्तव में हाथ से बने क्रिस्मस के गहने इस इलाके के गांवों में बनते हैं. ओर माउंटेंस के पास सैलानियों को दिखाने के लिए स्की के ढलानों से लेकर परीकथाओं जैसी ट्रेन के सफर. फिश्टेलबर्ग सैक्सनी का सबसे ऊंचा पर्वत है जिसकी ऊंचाई 1,215 मीटर है.
तस्वीर: Jan Woitas/dpa/picture alliance
ब्लैक फॉरेस्ट
जर्मनी का यह सबसे जाना पहचाना और मशहूर जंगल कई वजहों से लोगों को पसंद आता है. दक्षिण पश्चिमी जर्मनी का यह जंगल ना सिर्फ कम ऊंचाई वाले पर्वतों की सबसे बड़ी श्रृंखला है बल्कि सबसे ज्यादा सैलानियों की आमद के लिए भी जाना जाता है. झीलें, झरने, खूबसूरत गांव, कुकु क्लॉक्स ब्लैक फॉरेस्ट में बहुत कुछ है. सबसे ऊंचा पर्वत है फेल्डबर्ग जो करीब 1,493 मीटर ऊंचा है.
स्वाबियन यूरा देश के दक्षिण पश्चिम में है. समुद्र तल से 855 मीटर ऊंचे होहेन्त्सोलेर्न कासल से आप शानदार नजारों का मजा ले सकते हैं. कई किलों और महलों की सैर के अलावा यहां हाइकिंग, क्लाइंबिंग और इलाके में विंटर स्पोर्ट्स के भी कई ठिकाने हैं. 1,016 मीटर ऊंचा लेम्बर्ग सबसे ऊंचा पर्वत है.
तस्वीर: Robert Jank/Zoonar/picture alliance
एबेनरॉयथर झील
कई बार किसी जमीन को खूबसूरत बनाने के लिए वहां के सिर्फ पहाड़ ही काफी होते हैं, बवेरियन फॉरेस्ट के एबेनरॉयथर झील को देख कर यही महसूस होता है. यहां आप तैर सकते हैं, मछली पकड़ सकते है और हां साथ ही अद्भुत लैंडस्केप को देखने का मजा तो ले ही सकते हैं. 1,455 मीर ऊंचा लार्ज आरबोर सबसे ऊंचा है. आगर आल्प्स को छोड़ दें तो यह जर्मनी का सबसे ऊंचा पर्वत है.
तस्वीर: Thomas Schmalzbauer/Zoonar/picture alliance
आल्प्स
जर्मनी के सुदूर दक्षिण हिस्से में आल्प्स का उत्तरी इलाका और जर्मनी की सबसे ऊंची चोटी है, त्सुगस्पित्से. ऑस्ट्रिया की सीमा पर यह माउंटेन करीब 2,962 मींटर ऊंचा है. तीन माउंटेन केबल कार यहां तक आपको लेकर आती हैं. एक बार यहां पहुंच गये तो फिर नीचे झांक कर देखिएगा जरूर. यह वो जगह है जहां निश्चित रूप से ऊंचाई की अहमियत है.
तस्वीर: Angelika Warmuth/dpa/picture alliance
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फ्रांस से लेकर पोलैंड तक यूरोप के कई इलाकों में सर्दी का यह मौसम वैसा नहीं है, जैसा आमतौर पर होना चाहिए. मौसम के आंकड़े दिखाते हैं कि पोलैंड में तापमान दहाई के अंकों में पहुंच रहा है, जो इन दिनों के लिए बेहद असामान्य है. ऐसा उस वक्त हो रहा है जबकि अमेरिका के उत्तरी इलाकों ने हाल के दिनों में भयानक सर्दी और बर्फबारी देखी है.
स्विट्जरलैंड के मौसम विभाग मेटेओस्विस ने कहा है कि कई जगह सर्दियों के हिसाब से सबसे ज्यादा तापमान दर्ज हुआ है. फ्रांस की सीमा के पास यूरा रेंज में डेलेमॉन्ट स्टेशन पर साल के पहले ही दिन 18.1 डिग्री तापमान दर्ज हो चुका है. इस तरह पिछली जनवरी में बना रिकॉर्ड भी दो-ढाई से टूट गया है. अन्य शहरों में भी तापमान नए रिकॉर्ड बना रहा है.
अपने ब्लॉग पर मेटेओस्विस ने लिखा है कि "इस बार के नये साल पर लोग भूल सकते हैं कि इस वक्त सर्दियां अपने चरम पर हैं."
मेटेओस्विस में मौसम विज्ञानी आनिक हाल्डीमान कहते हैं कि पश्चिम और दक्षिण पश्चिम से आईं गर्म हवाओं ने मौसम बदल दिया है और चूंकि यह मौसम लगातार बना रहा है इसलिए हफ्ते भर से तापमान ऊंचाई पर है. उन्होंने कहा कि 2,000 मीटर से ऊंची चोटियों पर बर्फ गिरी है लेकिन नीचे आते आते इसकी मात्रा कम होती गई है. स्कीइंग के शौकीनों को उनकी सलाह है कि "थोड़ा सब्र रखें.”
वर्ल्ड कप में मुश्किल
बर्फ की कमी स्विट्जरलैंड के लिए कुछ ज्यादा ही बड़ी चिंता है क्योंकि आडेलबोडेन में शनिवार से स्कीइंग का वर्ल्ड कप शुरू होना है. आमतौर पर इसे देखने के लिए लगभग 25 हजार लोग आते हैं. ऐसे आयोजनों के लिए ही स्थानीय रिजॉर्ट भी इंतजार करते हैं. लेकिन इस वक्त होटलों के पीछे सफेद नहीं भूरी चोटियां नजर आ रही हैं, जिनके कारण उनका आकर्षण कम हो गया है.
आयोजन के निदेशक टोनी हादी मानते हैं कि इस बार की रेस सौ फीसदी कृत्रिम बर्फ पर होगी. वह कहते हैं, "जलवायु थोड़ा बहुत बदल रही है लेकिन यहां हम क्या कर सकते हैं? क्या हम जिंदगी को ही रोक दें? जिंदगी आसान नहीं है. स्की स्लोप तैयार करना ही नहीं, सब कुछ मुश्किल है.”
स्विट्जरलैंड में चली दुनिया की सबसे लंबी ट्रेन
स्विट्जरलैंड के आल्प्स पर्वत की वादियों में चलने वाली ट्रेन अपनी खूबसूरत यात्रा के लिए तो जानी ही जाती है, अब लंबाई के लिए भी जानी जाएगी. यह दुनिया की सबसे लंबी ट्रेन बन गई है. देखिए...
तस्वीर: Fabrice Cofftini/AFP
सबसे लंबी ट्रेन
29 अक्टूबर 2022 को स्विट्जरलैंड में सबसे खास ट्रेन चली. यह दुनिया की सबसे लंबी यात्री गाड़ी है.
तस्वीर: Fabrice Cofftini/AFP
दो किलोमीटर लंबाई
यह ट्रेन 1.91 किलोमीटर लंबी है. इसने आल्पस पहाड़ों के बीच 25 किलोमीटर का सफर पूरा किया.
तस्वीर: Fabrice Cofftini/AFP
100 डिब्बे
इस ट्रेन में यात्रियों के लिए सौ डिब्बे लगाए गए हैं, जिन्हें चलाने के लिए सात ड्राइवर और 21 तकनीकी सहायक काम करते हैं.
तस्वीर: Fabrice Cofftini/AFP
धीरे-धीरे चल
पहाड़ों में चलने वाली इस गाड़ी की स्पीड ज्यादा नहीं है. यह 35 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलती है.
तस्वीर: Fabrice Cofftini/AFP
प्रेडा से निकली गाड़ी
स्विट्जरलैंड की कंपनी राएतियान रेलवे द्वारा यह गाड़ी प्रेडा से फिलिजर तक चलाई गई. रास्ते में कई पहाड़ और गुफाएं पार हुईं.
तस्वीर: Lian Yi/Xinhua/picture alliance
गिनीज बुक में नाम
इस ट्रेन का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है, जहां इसे दुनिया की सबसे लंबी यात्री गाड़ी का खिताब मिला है.
तस्वीर: Lian Yi/Xinhua/picture alliance
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बहुत से देशों 2023 भी उन्हीं परेशानियों के साथ शुरू हुआ है जिन्हें 2022 लेकर आया था. स्विट्जरलैंड और फ्रांस दोनों में ही पिछला साल अब तक का सबसे गर्म साल रहा था. संयुक्त राष्ट्र के मौसम विभाग के मुताबिक पिछले आठ साल के इतिहास के सबसे आठ गर्म साल साबित हुए हैं. जल्द ही 2022 के तापमान के सारे आंकड़े जारी किए जाएंगे जिनमें तस्वीर और साफ होगी.
उधर फ्रांस का मौसम विभाग मीटियो फ्रांस कहता है कि 2022 जितने तापमान पर खत्म हुआ है, वह कुछ इलाकों में इस मौसम का सबसे ज्यादा तापमान रहा. विभाग ने कहा कि आल्प्स की दक्षिणी और उत्तरी चोटियों पर 2,200 मीटर से ऊपर तो करीब-करीब सामान्य बर्फबारी हुई है लेकिन निचली हिस्सों में बर्फ बहुत कम है. स्विस आल्प्स के दक्षिणी हिस्से में इटली के डोलोमाइट्स में इलाके की सबसे अच्छी बर्फबारी हुई है.
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आगाज तो अच्छा था
वैसे, जब सर्दियां शुरू हुई थीं तब स्कीइंग के शौकीन खुश थे क्योंकि हालात अच्छे लग रहे थे. फ्रांस में दिसंबर के मध्य में तापमान एकदम गिर गया था. कई जगहों पर भारी बर्फबारी भी हुई थी. लेकिन उसके बाद तापमान एकदम बढ़ना शुरू हो गया और निचले हिस्सों में स्थित कई रिजॉर्ट तो बंद करने पड़े क्योंकि सारी बर्फ पिघल गई थी.
फ्रांसीसी स्की रिजॉर्ट्स के संगठन डोमेन्स स्कीएबल्स डे फ्रांस के प्रतिनिधि लॉरेंट रेनॉद कहते हैं, "मौसम की शुरुआत तो अच्छी हुई थी. दिसंबर के मध्य में शीतलहर चली जिसने सबको सफेदी दे दी थी. लेकिन पिछले हफ्ते काफी बारिश हुई और तापमान बढ़ गया. इसलिए कइयों को बंद करना पड़ा.”
तेजी से पिघल रहे हैं स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर
2022 स्विट्जरलैंड के ग्लेशियरों के लिए एक नाटकीय साल रहा. आल्प्स की हिमशिलाओं ने इस साल अपना छह प्रतिशत आयतन खो दिया. यहां की बर्फ विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन का खामियाजा भुगत रही है.
तस्वीर: Sean Gallup/Getty Images
बर्फ की अनंत चादर को अलविदा
जून 2022 के अंत में ली हुई इस तस्वीर में रोन ग्लेशियर को अपनी ही बर्फ के पिघलने से बनी झील में मिलते हुए देखा जा सकता है. स्विस अकैडेमी ऑफ साइंसेज (एससीएनएटी) के मुताबिक स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर इस साल अपनी बर्फ का छह प्रतिशत आयतन खो चुके हैं, जो पहले कभी नहीं हुआ. बल्कि इससे पहले तक तो दो प्रतिशत बर्फ के कम हो जाने को "चर्म" माना जाता था.
तस्वीर: Sean Gallup/Getty Images
2000 सालों में पहली बार बर्फ मुक्त
सितंबर 2022 की इस तस्वीर में हाइकरों को सानफ्लूरोन दर्रा पार करते हुए देखा जा सकता है. नंगी जमीन देख कर यह अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता कि यह दर्रा कम से कम पिछले 2,000 सालों से लेकर हाल तक बर्फ के नीचे दबा हुआ था. सिर्फ 10 साल पहले तक यहां 15 मीटर मोटी बर्फ जमी हुई थी. स्विट्जरलैंड में ग्लेशियरों के पिघलने के कई कारण हैं: कम बर्फ का गिरना, गर्मियों में बार बार हीट वेव का आना कुछ कारण हैं.
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP/Getty Images
सहारा की धूल का असर
सर्दियों में कम बर्फ के गिरने के बाद इस साल मार्च से मई के बीच बड़ी मात्रा में सहारा से आई धूल ने ग्लेशियर के पिघलने की गति को और बढ़ा दिया. पीली धुंध में ढका हुआ यह माउंट ब्रिसेन है. प्रदूषित बर्फ ने सूरज की किरणों को और सोख लिया जिसकी वजह से ग्लेशियरों के ऊपर जमी बर्फ की सुरक्षात्मक सतह समय से पहले पिघल गई. एससीएनएटी का कहना था, "यह एक नाटकीय घटना की शुरुआत थी."
तस्वीर: URS FLUEELER/Keystone/picture alliance
ग्लेशियर को नापना
ग्लेशियरविद और स्विस ग्लेशियर मॉनिटरिंग नेटवर्क के प्रमुख माथियास हस (दाईं तरफ) अपने सहयोगियों के साथ पर्स ग्लेशियर पर गहराई नापने के डंडे लगा रहे हैं. इस नेटवर्क ने इन गर्मियों में 20 ग्लेशियरों का अध्ययन किया है जिसके नतीजे खतरनाक हैं. इस साल की शुरुआत से अभी तक तीन क्यूबिक किलोमीटर बर्फ पिघल चुकी है. हस ने एएफपी को बताया, "बहुत से बहुत ग्लेशियर के सिर्फ एक तिहाई हिस्से को बचाया जा सकता है."
तस्वीर: MAYK WENDT/Keystone/picture alliance
नष्ट होने के कगार पर
जिस तरह ग्लेशियर पिघल रहे हैं, ग्रीस ग्लेशियर जैसे ग्लेशियरों पर इस तरह हाइक करना असंभव हो जाएगा. अगर ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के पेरिस जलवायु संधि में तय किए गए लक्ष्य को हासिल नहीं किया गया तो 2100 तक आल्प्स के ग्लेशियर मोटे तौर पर गायब ही हो जाएंगे.
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP
बर्फ की गुफाएं भी लुप्त हो रही हैं
रोन ग्लेशियर में एक बर्फ की गुफा में पर्यटक घूम रहे हैं. पिछले 10 सालों में इस ग्लेशियर की हर साल औसतन पांच मीटर बर्फ पिघली है. इस बर्फ के कुछ हिस्से तो हजारों साल पुराने हैं जो जीव जंतुओं और पौधों के अवशेषों के एक तरह के अभिलेख हैं. ये अभिलेख वैश्विक जलवायु परिवर्तन के परिपेक्ष में मध्यम और लॉन्ग टर्म बदलावों के सबसे अच्छे संकेतक हैं.
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP/Getty Images
गर्म होता पानी
रोन ग्लेशियर जहां खत्म होता है वहां से 807 किलोमीटर लंबी रोन नदी शुरू होती है. नदी स्विट्जरलैंड में 246 किलोमीटर तक और फ्रांस में 543 किलोमीटर तक बहती है. गर्मियों में हीट वेव की वजह से यह नदी कुछ स्थानों पर तो पूरी तरह से सूख गई थी. सितंबर में बारिश के बाद जब नदी फिर से भर गई तब भी उसमें पानी इतना ठंडा नहीं हो सका जिससे फ्रांस में उसके किनारों पर बने परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को ठंडा किया जा सके.
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP/Getty Images
बर्फ का उपचार
'ग्लेशियर 3000' स्की रिसोर्ट में बर्फ के पिघलने का मुकाबला करने के लिए कर्मचारी बची हुई बर्फ को चादरों से ढक रहे हैं. बर्फ की परत पहाड़ों को स्थिर रखती है: ग्लेशियर जब पिघलते हैं तब पत्थरों का गिरना, स्खलन या मिटटी का स्खलन बढ़ सकता है. एक के बाद एक कर सरकार धीरे धीरे आल्प्स के कई हिस्सों को पर्वतारोहियों और हाइकरों के लिए बंद करती जा रही है.
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP
लुप्त हो चुके ग्लेशियरों का मातम
2019 की इस तस्वीर में ऐक्टिविस्ट पिजोल ग्लेशियर के लिए सांकेतिक रूप से मातम मना रहे हैं. तीन साल बाद वाकई मातम की जरूरत आन पड़ी है: पिजोल ग्लेशियर व्यावहारिक रूप से गायब हो चुका है. वाद्रे दल कोरवाश और श्वार्जबाकफर्न जैसे दूसरे छोटे ग्लेशियर भी पिघल चुके हैं. (नेले जेंश)
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP/Getty Images
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जर्मनी में भी सर्दी का तापमान बसंत जैसा महसूस हो रहा है. कई जगह तो 2 जनवरी को तापमान 16 डिग्री के आसपास रहा. माना जाता है कि जर्मनी में नव वर्ष की पूर्व संध्या अब तक की सबसे गर्म मानी जा रही है. जर्मन मौसम विभाग ने कहा है कि दक्षिण जर्मनी में चार जगहों पर तापमान 20 डिग्री रहा.
ब्रसेल्स यूनिवर्सिटी में जलवायु विज्ञान के प्रोफेसर विम थिअरी कहते हैं कि जिस धारा ने आर्कटिक से शीत हवा को अमेरिका में पहुंचाया, उसी ने यूरोप में गर्मी बढ़ाई. वह बताते हैं कि अभी हालात और बुरे हो सकते हैं. वह कहते हैं, "इस सदी के आखिर तक आल्प्स में स्कीइंग वैसी नहीं रह जाएगी, जैसी हम उसे जानते हैं.”