राजस्थान के अलवर में गौरक्षकों की पिटाई से एक व्यक्ति की मौत होने का मुद्दा जहां हर तरफ छाया हुआ है, वहीं केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि ऐसी कोई घटना हुई ही नहीं है.
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राजस्थान पुलिस का कहना है कि हरियाणा के रहने वाले पहलू खान और उनके साथी पिछले दिनों अपने जानवरों को लेकर अपने घर जा रहे थे कि अलवर में गौरक्षकों ने उन्हें घेर लिया और खूब पीटा. इस घटना में बुरी तरह से जख्मी पहलू खान ने मंगलवार को तम तोड़ दिया.
लेकिन संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने गुरुवार को राज्यसभा में बताया कि जिस तरह का मामला मीडिया में बताया जा रहा है, ऐसा कुछ भी अलवर में नहीं हुआ.
उन्होंने कहा, "जिस राज्य के बारे में जो बात कही जा रही है, जिस तरह उसे पेश किया जा रहा है, उस तरह की कोई भी घटना उस जमीन पर नहीं हुई है. जिस मीडिया रिपोर्ट की बात की जा रही है, उसकी राज्य सरकार ने पहले ही निंदा की है."
नकवी कांग्रेस के सांसद मधुसूदन मिस्त्री की तरफ से अलवर की घटना पर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे. नकवी के बयान के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, "मुझे बहुत अफसोस है कि मंत्री जी को इतनी कम जानकारी है. यहां तक कि न्यूयॉर्क टाइम्स को भी यह बात पता है लेकिन मंत्री जी इस बारे में नहीं जानते."
राज्यसभा के उपसभापति पीजे कुरियन ने इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा कि वह दोनों ही पक्षों की बातों से सहमत नहीं हैं. उन्होंने नकवी से कहा कि वह गृह मंत्री राजनाथ सिंह से इस बारे में सदन को एक रिपोर्ट सौंपने को कहें.
ये हैं भारत के बीफ खाने वाले
भारत में खानपान की आदतें केवल व्यक्तिगत पसंद नहीं बल्कि धर्म, जाति, क्षेत्र और आय पर आधारित एक जटिल समीकरण से जुड़ी हैं. देखिए सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में कौन लोग गाय या भैंस का मांस खाते हैं.
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राष्ट्रीय सैंपल सर्वे ऑफिस एनएसएसओ के 2011-12 के आंकड़ें दिखाते हैं कि भारत में करीब 8 करोड़ लोग बीफ या भैंस का मीट खाता है.
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आंकड़ों के अनुसार बीफ यानि गौमांस और भैंस का मीट खाने वाले ये लोग सभी धर्मों और राज्यों में पाये जाते हैं. इन 8 करोड़ लोगों में करीब सवा करोड़ हिन्दू हैं.
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एनएसएसओ के आंकड़ों से हाल के सालों में मीट की खपत बढ़ने का पता चलता है. इस सर्वे में करीब एक लाख लोगों से आंकड़ें इकट्ठे किए गए. देखा गया कि हफ्ते और महीने की औसत अवधि में एक परिवार खाने की किन चीजों पर कितना खर्च करता है.
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विश्व में मांस की खपत का लेखाजोखा करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था एफएओ की 2007 में जारी 177 देशों की सूची में भारत को अंतिम स्थान मिला. 43 किलो के विश्व औसत के मुकाबले भारत में प्रति व्यक्ति सालाना मांस की खपत मात्र 3.2 किलो दर्ज हुई.
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एफएओ बताता है कि दुनिया भर में लोगों की क्रय क्षमता बढ़ने, शहरीकरण और खानपान की आदतें बदलने के कारण मांस की खपत बढ़ी है. भारत में खपत विश्व औसत से काफी कम है लेकिन वह बीफ, भैंस के मांस और काराबीफ का सबसे बड़ा निर्यातक है.
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भारत में धर्म के आधार पर गाय या भैंस का मांस खाने वाला सबसे बड़ा समुदाय 6 करोड़ से अधिक मुसलमानों का है. संख्या के मामले में इसके बाद सबसे अधिक हिन्दू समुदाय आता है. जबकि प्रतिशत के अनुसार मुसलमानों के बाद ईसाई आते हैं.
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मुसलमानों के अलावा अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी/एसटी) गाय या भैंसों का मीट खाने वाला सबसे बड़ा तबका है. हिन्दुओं में इसे खाने वाले 70 फीसदी से अधिक लोग एससी/एसटी, 21 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग और करीब 7 फीसदी उच्च जातियों से आते हैं.