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स्वास्थ्यसंयुक्त राज्य अमेरिका

इलाज कराने में दिवालिया हो रहे हैं अमेरिकी लोग

२५ जुलाई २०२३

अमेरिका में करीब 10 करोड़ लोग मेडिकल यानी स्वास्थ्य के लिए उठाए कर्ज में डूबे हैं. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और इलाज की बेहतरीन सुविधा वाले देश में लोगों के दिवालिया होने के पीछे यह एक बड़ी वजह है.

अमेरिकी डॉलर
अमेरिका में करोड़ो लोग इलाज के लिए कर्ज लेते हैं और उसे चुकाने के लिए उनके पास जरिया नहीं होतातस्वीर: Khaled Elfiqi/epa/dpa/picture alliance

कैंसर की बीमारी और इलाज की लगातार चलती प्रक्रिया के बाद शुरू हुए मेडिकल खर्चे ने येन बकोस्की और उनके परिवार की जिंदगी को पूरी तरह बदल कर रख दिया. चार साल बाद भी लंबे चौड़े बिल, देरी के नोटिस और वसूली की चेतावनियां जारी हैं. फ्लोरिडा शहर के पास रहने वाली, 53 साल की बकोस्की ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा,"आज तक मुझे हर हफ्ते 10-12 गोलियां भेजी जाती हैं. मैं उन्हें समझने की कोशिश करती हूं लेकिन मेरे बस का नहीं है." बकोस्की की सेहत अब ठीक है लेकिन बीते साल परिवार की आमदनी का एक चौथाई से ज्यादा हिस्सा मेडिकल बिल पर खर्च हो गया. वह अब तक काम पर नहीं लौट पाई हैं और सरकारी भत्ता ले रही हैं.

मेडिकल कर्ज लोगों के लिए ही नहीं, अस्पतालों के लिए भी एक सिरदर्द हैतस्वीर: Leon Neal/Getty Images

कर्ज का जाल: शिक्षा या स्वास्थ्य पर नहीं ब्याज पर हो रहा खर्च

जून महीने में बकोस्की हैरान रह गईं जब उन्हें एक चिट्ठी मिली जिसमें लिखा था कि उन्हें 2,600 डॉलर के जो दो बिल चुकाने थे, वो माफ किए जा रहे हैं. उन्हें इस पहल के बारे में पता नहीं था जिसमें 10 करोड़ अमेरिकी लोगों के 195 अरब डॉलर का बिल चुकाने के लिए सरकार ने सहयोग का हाथ बढ़ाया है. पीटरसन सेंटर ऑन हेल्थकेयर के मुताबिक ज्यादातर लोगों का कर्ज 1,000 डॉलर से कम है लेकिन कम तनख्वाह वाले या विकलांग लोगों पर कर्जा ज्यादा होता है. यह एक ऐसा मसला है जिसकी तरफ कोविड महामारी के बाद ज्यादा ध्यान दिया गया है. गोरे अमेरिकी लोगों के मुकाबले काले लोगों पर कर्ज की संभावना 50 फीसदी ज्यादा है. इस तरह के हालात झेल रहे लोगों के जीवन में कई बार यह चुनाव का विषय हो जाता है कि वह कर्ज उतारें या खाने और घर किराये का बिल दें. यही नहीं क्रेडिट रेटिंग पर इसका असर पड़ता है और लोगों के लिए कर्ज, बीमा या घर लेने की प्रक्रिया मुश्किल हो जाती है.  

असली दिक्कत की वजह हैं ऐसे बीमा प्लान जिनमें खर्च पहले मरीज की जेब से निकाला जाता हैतस्वीर: PantherMedia/picture alliance

कहां है दिक्कत

पिछले साल अमेरिका के उपभोक्ता वित्तीय सुरक्षा ब्यूरो की एक रिपोर्ट में कहा गया कि दूसरे उधार के मुकाबले लोग मेडिकल कर्ज प्लान नहीं करते. कर्ज लेने की उनकी क्षमता को देखते हुए ज्यादा विकल्प भी मौजूद नहीं होते. बिना बीमा वाले लोग इस तरह के कर्ज में डूबने के खतरे में रहते हैं लेकिन इंश्योरेंस लेने वाले लोग भी मेडिकल कर्ज से बच नहीं पाते. एक थिंक टैंक के हेल्थ पॉलिसी सेंटर में शोध करने वाले माइकल कार्पमैन कहते हैं कि दिक्कत उस तरह की योजनाओं से है जिनका प्रीमियम सस्ता है लेकिन लोगों को मेडिकल खर्चा उठाने के लिए अपनी जेब से पैसा देना होता. इससे पहले की बीमा कंपनी खर्च उठाना शुरू करे. लोग यह पैसा देने की स्थिति में नहीं होते.

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मेडिकल कर्ज लोगों के लिए ही नहीं, अस्पतालों के लिए भी एक सिरदर्द है. अमेरिकन हॉस्पिटल एसोसिएशन में कानून मामलों पर मुख्य सलाहकार मेलिंडा हैटन के मुताबिक नॉन-प्रॉफिट अस्पताल यानी जो मुनाफा नहीं कमाते, उनकी तरफ से दी जाने वाली वित्तीय सहायता 2019 में करीब 50 अरब डॉलर रही. यह मदद थोड़ा फर्क डाल सकती है लेकिन मेडिकल के लिए जिम्मेदार बातों जैसे इंश्योरेंस कवर की कमी या लोगों की जेब पर बोझ डालने वाले प्लान से निजात नहीं दिला सकती. जब तक इन दिक्कतों की जड़ तक ना जाया जाए, समस्या का कोई हल नहीं निकलेगा.

कर्ज में डूबे लोगों को बचाने के लिए सामाजिक-कानूनी व्यवस्था को कई स्तरों पर काम करने की जरूरत हैतस्वीर: Svyatoslav Lipinskiy/Zoonar/picture alliance

कानूनी उपाय

कर्ज माफी या मदद एक दीर्घकालिक उपाय नहीं है लेकिन जो लोग मेडिकल कर्जे की समस्या को सुलझाने के लिए कानूनी बदलाव का कैंपेन चला रहे हैं, उनके सुझाए उपाय भी विवादों में हैं. डेट कलेक्टिव नाम के संगठन के लिए काम करने वाली लिंडसी मुनियाक कहती हैं, राहत देने के लिए उठाए जाने वाले कदम जरूरी हैं लेकिन हम यह उम्मीद भी करते हैं कि जो लोग इस तरह के उपायों के हक में हैं, वह उस बुनियादी ढांचे की तरफ ध्यान देंगे जिससे यह स्थिति पैदा हो रही है.

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अमेरिका के मैरीलैंड में इसी तरह का एक कदम रहा, मुफ्त चिकित्सा सुविधा लेने के लिए आमदनी की सीमारेखा को बदलना. कुछ लोगों का यह भी मानना है कि मौजूदा कानूनों को ही इस तरह से इस्तेमाल किया जाए कि वह लोगों को मदद दे सकें. कर्ज में डूबे लोगों को बचाने के लिए सामाजिक-कानूनी व्यवस्था को कई स्तरों पर काम करना होगा. एक जरूरी बात यह समझना भी है कि कर्ज लेना कोई शर्म की बात नहीं है. इसमें कोई व्यक्तिगत समस्या नहीं है बल्कि यह पूरी व्यवस्था का मामला है.

एसबी/एनआर (रॉयटर्स)

 

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