क्या स्विस आल्प्स के पिघलते ग्लेशियर बचा पाएगा नया कानून
१५ जून २०२३
स्विस आल्प्स में ग्लोबल वॉर्मिंग का असर बहुत नाटकीय है. ग्लेशियर बहुत तेजी से पिघल रहे हैं. जलवायु परिवर्तन को करीब से महसूस कर रहे स्विट्जरलैंड में जलवायु सुरक्षा से जुड़े एक प्रस्तावित कानून पर रेफरेंडम हो रहा है.
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स्विट्जरलैंड ग्लोबल वॉर्मिंग से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही जगहों में है. मार्च 2023 में पर्यावरण संगठन ग्रीनपीस ने बताया था कि स्विट्जरलैंड पर ग्लोबल वॉर्मिंग का असर वैश्विक औसत से ज्यादा है. बताया गया कि स्विट्जरलैंड में तापमान करीब दो डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है.
बढ़ती गर्मी के कारण स्विस आल्प्स की जलवायु में बदलाव की रफ्तार काफी तेज है. गर्म लहरें ज्यादा नियमित हो गई हैं. बर्फ कम गिरती है. ग्लेशियर नाटकीय तरीके से पिघल रहे हैं. 2001 से 2022 के बीच स्विस आल्प्स में बर्फ का घनत्व एक तिहाई तक कम हो गया है.
जलवायु परिवर्तन का असर महसूस कर रहे स्विस नागरिक 18 जून को हो रहे जनमत संग्रह में एक नया कानून बनाने को मंजूरी दे सकते हैं. इस जलवायु विधेयक का मकसद देश को तेजी से कार्बन न्यूट्रैलिटी की ओर ले जाना है.
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क्या है प्रस्ताव?
इस जनमत संग्रह के मुद्दों में एक विशेष कानून बनाने का प्रस्ताव शामिल है, जिसका नाम है: फेडरल ऐक्ट ऑन क्लाइमेट प्रोटेक्शन टार्गेट्स, इनोवेशन एंड स्ट्रैंथनिंग एनर्जी सिक्योरिटी. इसके तहत आयातित तेल और गैस से निर्भरता घटाई जाएगी. साथ ही, ज्यादा हरित घरेलू विकल्पों के विकास और इस्तेमाल पर भी ध्यान दिया जाएगा. इसमें 2050 तक स्विट्जरलैंड को कार्बन न्यूट्रल बनाने का भी प्रस्ताव है.
इस कानून के गठन को मजबूत जन समर्थन भी मिल रहा है. हालांकि एक हालिया सर्वे में समर्थन करने वालों के प्रतिशत में गिरावट भी देखी गई है. अभी करीब 63 फीसदी लोग प्रस्तावित विधेयक के समर्थन में हैं.
स्विट्जरलैंड, अपनी ऊर्जा खपत का तीन चौथाई हिस्सा आयात से पूरा करता है. तेल और प्राकृतिक गैस की खपत की पूरी मात्रा ही बाहर से खरीदी जाती है. नए कानून में दूसरों देशों से निर्भरता कम करने के साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषण घटाने की योजना है.
जीवाश्म ईंधनों पर प्रतिबंध की मांग
सरकार इस कानून का प्रस्ताव "ग्लेशियर इनिशिएटिव" के विकल्प के तौर पर लाई है. ग्लेशियर इनिशिएटिव, जलवायु कार्यकर्ताओं की एक मुहिम है. इसमें वे 2050 तक स्विट्जरलैंड में तेल और गैस की खपत को पूरी तरह प्रतिबंधित करने पर रेफरेंडम लाने की अपील कर रहे थे. सरकार प्रतिबंध के विचार से सहमत नहीं थी.
अब प्रस्तावित कानून में दो अरब स्विस मुद्रा की आर्थिक सहायता देने का वादा किया गया है. यह राशि हीटिंग सिस्टम में तेल और गैस की जगह क्लाइमेट फ्रेंडली विकल्पों को प्रोत्साहन देने में खर्च की जाएगी. साथ ही, हरित नवाचार से जुड़े कारोबारों को बढ़ावा देने के लिए भी मदद दिए जाने की योजना है.
राजनैतिक दलों की रुख
राइट विंग स्विस पीपल्स पार्टी (एसवीपी), स्विट्जरलैंड का सबसे बड़ा राजनैतिक दल है. इसके अलावा बाकी सभी प्रमुख पार्टियां इस विधायक का समर्थन कर रही है. एसवीपी लोगों से इस विधेयक को खारिज करने की अपील कर रही है. उसका कहना है कि इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच सकता है.
एसवीपी की दलील है 25 साल से कुछ ज्यादा समय में क्लाइमेट न्यूट्रैलिटी हासिल करने के लक्ष्य का मतलब होगा जीवाश्म ईंधनों को प्रतिबंधित करना. इससे ऊर्जा तक लोगों की पहुंच प्रभावित होगी और घरों के बिजली बिल बहुत बढ़ जाएंगे. इससे पहले 2021 में एसवीपी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटाने से जुड़े एक कानून के खिलाफ माहौल बनाने में कामयाब रही थी.
विधेयक के समर्थक ऊर्जा स्वतंत्रता की जरूरत और जलवायु परिवर्तन के विध्वंसक असर पर ध्यान देने पर जोर दे रहे हैं. एक पक्ष यह भी है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से ही विदेशी ऊर्जा स्रोतों से निर्भरता घटाने की मांग हो रही थी.
तेजी से पिघल रहे हैं स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर
2022 स्विट्जरलैंड के ग्लेशियरों के लिए एक नाटकीय साल रहा. आल्प्स की हिमशिलाओं ने इस साल अपना छह प्रतिशत आयतन खो दिया. यहां की बर्फ विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन का खामियाजा भुगत रही है.
तस्वीर: Sean Gallup/Getty Images
बर्फ की अनंत चादर को अलविदा
जून 2022 के अंत में ली हुई इस तस्वीर में रोन ग्लेशियर को अपनी ही बर्फ के पिघलने से बनी झील में मिलते हुए देखा जा सकता है. स्विस अकैडेमी ऑफ साइंसेज (एससीएनएटी) के मुताबिक स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर इस साल अपनी बर्फ का छह प्रतिशत आयतन खो चुके हैं, जो पहले कभी नहीं हुआ. बल्कि इससे पहले तक तो दो प्रतिशत बर्फ के कम हो जाने को "चर्म" माना जाता था.
तस्वीर: Sean Gallup/Getty Images
2000 सालों में पहली बार बर्फ मुक्त
सितंबर 2022 की इस तस्वीर में हाइकरों को सानफ्लूरोन दर्रा पार करते हुए देखा जा सकता है. नंगी जमीन देख कर यह अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता कि यह दर्रा कम से कम पिछले 2,000 सालों से लेकर हाल तक बर्फ के नीचे दबा हुआ था. सिर्फ 10 साल पहले तक यहां 15 मीटर मोटी बर्फ जमी हुई थी. स्विट्जरलैंड में ग्लेशियरों के पिघलने के कई कारण हैं: कम बर्फ का गिरना, गर्मियों में बार बार हीट वेव का आना कुछ कारण हैं.
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP/Getty Images
सहारा की धूल का असर
सर्दियों में कम बर्फ के गिरने के बाद इस साल मार्च से मई के बीच बड़ी मात्रा में सहारा से आई धूल ने ग्लेशियर के पिघलने की गति को और बढ़ा दिया. पीली धुंध में ढका हुआ यह माउंट ब्रिसेन है. प्रदूषित बर्फ ने सूरज की किरणों को और सोख लिया जिसकी वजह से ग्लेशियरों के ऊपर जमी बर्फ की सुरक्षात्मक सतह समय से पहले पिघल गई. एससीएनएटी का कहना था, "यह एक नाटकीय घटना की शुरुआत थी."
तस्वीर: URS FLUEELER/Keystone/picture alliance
ग्लेशियर को नापना
ग्लेशियरविद और स्विस ग्लेशियर मॉनिटरिंग नेटवर्क के प्रमुख माथियास हस (दाईं तरफ) अपने सहयोगियों के साथ पर्स ग्लेशियर पर गहराई नापने के डंडे लगा रहे हैं. इस नेटवर्क ने इन गर्मियों में 20 ग्लेशियरों का अध्ययन किया है जिसके नतीजे खतरनाक हैं. इस साल की शुरुआत से अभी तक तीन क्यूबिक किलोमीटर बर्फ पिघल चुकी है. हस ने एएफपी को बताया, "बहुत से बहुत ग्लेशियर के सिर्फ एक तिहाई हिस्से को बचाया जा सकता है."
तस्वीर: MAYK WENDT/Keystone/picture alliance
नष्ट होने के कगार पर
जिस तरह ग्लेशियर पिघल रहे हैं, ग्रीस ग्लेशियर जैसे ग्लेशियरों पर इस तरह हाइक करना असंभव हो जाएगा. अगर ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के पेरिस जलवायु संधि में तय किए गए लक्ष्य को हासिल नहीं किया गया तो 2100 तक आल्प्स के ग्लेशियर मोटे तौर पर गायब ही हो जाएंगे.
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP
बर्फ की गुफाएं भी लुप्त हो रही हैं
रोन ग्लेशियर में एक बर्फ की गुफा में पर्यटक घूम रहे हैं. पिछले 10 सालों में इस ग्लेशियर की हर साल औसतन पांच मीटर बर्फ पिघली है. इस बर्फ के कुछ हिस्से तो हजारों साल पुराने हैं जो जीव जंतुओं और पौधों के अवशेषों के एक तरह के अभिलेख हैं. ये अभिलेख वैश्विक जलवायु परिवर्तन के परिपेक्ष में मध्यम और लॉन्ग टर्म बदलावों के सबसे अच्छे संकेतक हैं.
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP/Getty Images
गर्म होता पानी
रोन ग्लेशियर जहां खत्म होता है वहां से 807 किलोमीटर लंबी रोन नदी शुरू होती है. नदी स्विट्जरलैंड में 246 किलोमीटर तक और फ्रांस में 543 किलोमीटर तक बहती है. गर्मियों में हीट वेव की वजह से यह नदी कुछ स्थानों पर तो पूरी तरह से सूख गई थी. सितंबर में बारिश के बाद जब नदी फिर से भर गई तब भी उसमें पानी इतना ठंडा नहीं हो सका जिससे फ्रांस में उसके किनारों पर बने परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को ठंडा किया जा सके.
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP/Getty Images
बर्फ का उपचार
'ग्लेशियर 3000' स्की रिसोर्ट में बर्फ के पिघलने का मुकाबला करने के लिए कर्मचारी बची हुई बर्फ को चादरों से ढक रहे हैं. बर्फ की परत पहाड़ों को स्थिर रखती है: ग्लेशियर जब पिघलते हैं तब पत्थरों का गिरना, स्खलन या मिटटी का स्खलन बढ़ सकता है. एक के बाद एक कर सरकार धीरे धीरे आल्प्स के कई हिस्सों को पर्वतारोहियों और हाइकरों के लिए बंद करती जा रही है.
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP
लुप्त हो चुके ग्लेशियरों का मातम
2019 की इस तस्वीर में ऐक्टिविस्ट पिजोल ग्लेशियर के लिए सांकेतिक रूप से मातम मना रहे हैं. तीन साल बाद वाकई मातम की जरूरत आन पड़ी है: पिजोल ग्लेशियर व्यावहारिक रूप से गायब हो चुका है. वाद्रे दल कोरवाश और श्वार्जबाकफर्न जैसे दूसरे छोटे ग्लेशियर भी पिघल चुके हैं. (नेले जेंश)