ताइवान के लोगों को रिझाने में जुटा चीन
८ फ़रवरी २०१७चीन और ताइवान के रिश्ते हमेशा जटिलताओं का शिकार रहे हैं. ताइवान 1950 से एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश की हैसियत से अस्तित्व में है. लेकिन चीन उसे अपना एक अलग हुआ हिस्सा समझता है. चीन के मुताबिक ताइवान को एक दिन चीन का हिस्सा बनना है और अगर इसके लिए ताकत का इस्तेमाल भी करना पड़ा, तो चीन हिचकेगा नहीं.
लेकिन तनाव के बीच अब चीन की सरकार ने ताइवान को लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करने की योजना बनाई है. चीनी कैबिनेट के ताइवान मामलों के कार्यालय ने कहा है कि ताइवान के लोगों को चीन में आने पर रोजगार, शिक्षा और अन्य सरकारी सुविधाएं दी जाएंगी.
सरकारी प्रवक्ता एन फेंगशान ने कहा कि इस नीति पर कब से अमल होगा, यह अभी तय नहीं है लेकिन इसका मकसद दोनों पक्षों के बीच आर्थिक और सामाजिक समेकन को बढ़ावा देना है. चीन एक देश के तौर पर ताइवान के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करता और 'एक चीन' की नीति पर जोर देता है.
देखिए चीन के पांच सिर दर्द
पिछले साल जून में ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने 'एक चीन' की नीति का समर्थन करने से इनकार कर दिया था. तब से ताइवान और चीन के बाद सरकारी सतह पर संपर्क नहीं है. उसके बाद से चीन ताइवान पर लगातार राजनयिक और आर्थिक दबाव डाल रहा है.
ताइवान के लोगों के रिझाने के लिए चीन ने पहले भी कुछ कदम उठाए हैं, हालांकि उनका ज्यादा असर देखने को नहीं मिला. माना जाता है कि चीन में लगभग दस लाख ताइवानी लोग हैं जो वहां पढ़ाई या फिर नौकरी के लिए स्थायी और अस्थायी रूप से रह रहे हैं.
निर्वासित उइगुर नेता रेबिया कदीर के प्रस्तावित ताइवान दौरे से भी चीन नाराज है. चीन समझता है कि वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस की अध्यक्ष रेबिया कदीर पूर्वोत्तर इलाके शिनचियांग को चीन से आजाद कराने की मुहिम चला रही है. कदीर आजादी समर्थक ताइवानी सॉलिडैरिटी यूनियन के निमंत्रण पर वहां जाने वाली हैं. यह पार्टी मौजूदा राष्ट्रपति साई की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की सहयोगी है.
जानिए कितनी ताकतवर है चीन की सेना
चीन सरकार के एक प्रवक्ता एन का कहना है, "हम ताइवान की किसी भी गतिविधि में कदीर के शामिल होने का विरोध करते हैं. ऐसे व्यक्ति को निमंत्रण देकर ताइवान की आजादी समर्थक ताकतें ऐसी कोशिशें कर रही हैं जिससे दोनों पक्षों के संबंधों को नुकसान होगा."
मुस्लिम उइगुर लोगों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली कदीर को चीन में पांच साल तक जेल में रखा गया था. 2005 से वह अमेरिका में निर्वासित जिंदगी जी रही हैं. वह चीन के इन आरोपों को खारिज करती हैं कि वह शिनचियांग में चीनी सरकार को हटाने की हिंसक मुहिम का समर्थन करती हैं.
भाषा और संस्कृति के लिहाज से चीन और ताइवान में बहुत समानताएं हैं. जब चीन ने 1980 और 1990 के दशक में अपनी अर्थव्यवस्था को खोला तो वहां सबसे ज्यादा निवेश ताइवान के लोगों ने किया था. लेकिन अब चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य ताकत ताइवान के लिए चुनौती साबित होती जा रही है. इन्हीं चिंताओं के बीच पिछले साल हुए चुनावों में ताइवानी लोगों ने साई को सत्ता सौंपी. वह दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ ताइवान के आर्थिक संबंधों को मजबूत कर रही हैं.
एके/वीके (एपी)