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रबर की गोलियां ले रही हैं लोगों की जानेंः एमनेस्टी

१५ मार्च २०२३

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दुनिया भर में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस द्वारा रबर की गोलियों के इस्तेमाल और बल के अन्य अवैध इस्तेमाल की निंदा की है.

कश्मीर में पैलेट गन के पीड़ित अशरफ वानी
कश्मीर में पैलेट गन के पीड़ित अशरफ वानीतस्वीर: DW

एमनेस्टी ने 30 देशों में पुलिस द्वारा रबर की गोलियों और आंसू गैस सहित प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग पर एक अध्ययन रिपोर्ट जारी की है.

एमनेस्टी ने एक बयान में कहा, "शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस द्वारा बल प्रयोग की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिनमें कई लोग घायल हुए हैं और यहां तक कि मारे भी गए हैं.”

संगठन ने इस प्रकार के उपकरणों के उपयोग पर कड़े वैश्विक नियमों की आवश्यकता पर बल दिया है. दुनिया भर में पुलिस यह कह कर इन गोलियों और अन्य हथियारों का इस्तेमाल करती है कि ये "कम गंभीर हथियार" हैं.

रबर की गोलियां कर रहीं अंधा

एमनेस्टी ने कहा कि उसने पिछले पांच वर्षों में 30 से अधिक देशों में शोध किया है. सर्वेक्षण में दक्षिण और मध्य अमेरिका, यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका और अमेरिका में रबर की गोलियों, रबरयुक्त बकशॉट और आंसू गैस के ग्रेनेड का सीधे तौर पर प्रदर्शनकारियों पर इस्तेमाल किया गया.

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मानवाधिकार संगठन ने ओमेगा रिसर्च फाउंडेशन के साथ प्रकाशित "माई आई एक्सप्लोडेड" नामक एक रिपोर्ट में कहा, "कम घातक कानून प्रवर्तन हथियार के अक्सर लापरवाह और अनुपातहीन इस्तेमाल से हजारों प्रदर्शनकारियों और पास खड़े लोगों को अपंग बना दिया गया है और दर्जनों मारे गए हैं."

एमनेस्टी ने कहा, " आंखों की चोटों में खतरनाक वृद्धि हुई है, जिसमें आंखों की पुतली को नुकसान, रेटिना को नुकसान या दृष्टि का पूर्ण नुकसान शामिल है."

आंसू गैस के उपयोग से जुड़े खतरे

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने चिली, कोलंबिया, इक्वाडोर, फ्रांस, ईरान, इराक, ट्यूनीशिया और वेनेजुएला समेत कई अन्य देशों में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आंसू गैस के प्रत्यक्ष उपयोग के उदाहरणों का भी दस्तावेजीकरण किया है. रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2019 में चिली में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले छोड़े जाने के कारण 30 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी.

कश्मीरियों की आंखें ही क्यों फूटती हैं?

एमनेस्टी ने कहा कि इराक में सुरक्षा बलों ने ऐसे खास ग्रेनेड का इस्तेमाल किया जो प्रदर्शनकारियों पर सामान्य आंसू गैस के गोलों से 10 गुना भारी थे. इससे 2019 में कम से कम दो दर्जन मौतें हुईं.

विभिन्न देशों के कुछ प्रदर्शनकारियों ने हड्डी और खोपड़ी के फ्रैक्चर, मस्तिष्क की चोटों, आंतरिक अंगों के टूटने और यहां तक कि मौत होने की सूचना दी.

एमनेस्टी इंटरनेशनल और ओमेगा रिसर्च फाउंडेशन उन 30 अंतरराष्ट्रीय संगठनों में शामिल हैं जो ऐसे हथियारों के उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक वैश्विक संधि की मांग कर रहे हैं.

एए/वीके (एएफपी, रॉयटर्स)

 

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