सीरिया की सरकार ने विदेश में रह रहे शरणार्थियों से कहा है कि देश अब सुरक्षित है, इसलिए उन्हें स्वदेश लौट जाना चाहिए. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक रिपोर्ट में इस दावे का खंडन किया है.
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अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि सीरियाई शरणार्थी सरकारी दमन का सामना कर रहे हैं. इस तरह के जबरदस्ती के उपायों में कारावास, पूछताछ के दौरान यातना, अपहरण और यौन उत्पीड़न शामिल हैं.
सीरियाई सरकार ने सीरिया के अधिकांश हिस्सों में शांति का हवाला देते हुए शरणार्थियों की वापसी का आदेश दिया है. एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक शोधकर्ता मैरी फॉरेस्टियर ने कहा कि अब सीरिया लौटने वाले किसी भी शरणार्थी से नियमित रूप से पूछताछ की जाती है. लौटने वाले नागरिकों को संदेह के आधार पर हिरासत में लिया जाता है और प्रताड़ित किया जाता है.
रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी अधिकारी लोगों को उनके घरों से जबरन ले जाते हैं. यह भी पता चला है कि कई सीरियाई लापता हो गए हैं और कुछ का यौन उत्पीड़न किया गया है.
"आप अपनी मौत के लिए जा रहे हैं"
एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा तैयार रिपोर्ट का शीर्षक है-"यू आर गोइंग टू योर डेथ." संस्था ने 66 लोगों का साक्षात्कार लिया और उनके परेशान करने वाले अनुभवों का विवरण इकट्ठा किया. इनमें 13 बच्चे भी शामिल थे.
सीरियाई इस साल की शुरुआत में 2017 में प्रवास के बाद स्वदेश लौटे थे. अब तक, उनमें से पांच की सरकारी हिरासत में यातना के कारण मौत हो चुकी है और कम से कम 17 लापता हैं.
एमनेस्टी की रिपोर्ट सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार की स्थिति से असंगत है, जिसने इस आधार पर शरणार्थियों की वापसी का आदेश दिया है कि सब कुछ बहुत बेहतर है और देश सुरक्षित है. इस घोषणा के बाद ही कुछ क्षेत्रों में सीरियाई शरणार्थियों की वापसी शुरू हुई.
दीवारों के सहारे किलेबंदी करता तुर्की
सीरिया के बाद तुर्की ने ईरान से लगी सीमा पर भी कंक्रीट की दीवार खड़ी कर दी है. तुर्की आतंरिक सुरक्षा का हवाला देते हुए ईरान, सीरिया और इराक की सीमा पर ऐसी दीवारें खड़ी कर रहा है.
तस्वीर: Mesut Varol/AA/picture alliance
पड़ोसियों से अनबन
यूरोप और एशिया के बीच बसे तुर्की की पूर्वी और दक्षिणी सीमाएं जॉर्जिया, अर्मेनिया, ईरान, इराक और सीरिया से मिलती हैं. ईरान, सीरिया और इराक के साथ लगी सीमा को तुर्की अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता है.
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ईरान के साथ दीवार पूरी
मई 2021 में तुर्की ने ईरान बॉर्डर पर 81 किलोमीटर लंबी कंक्रीट की दीवार लगाने का काम पूरा कर लिया. दीवार तीन मीटर ऊंची और एक फुट चौड़ी है.
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पेट्रोलिंग का इंतजाम
81 किलोमीटर लंबी दीवार के भीतर गश्त लगाने के लिए एक सड़क भी बनाई गई है. दीवार पर सीसीटीवी कैमरे और निगरानी पोस्ट भी बनाई गई हैं. निगरानी पोस्टों में बुलेटप्रूफ कांच लगाया गया है.
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किससे खतरा
तुर्की के मुताबिक ईरान, सीरिया और इराक में कुर्द उग्रवादी गुट पीकेके सक्रिय रहता है. तुर्की का आरोप है कि ईरान ने भी पीकेके के 1,000 उग्रवादियों को शरण दी हैं. दीवार बनाने के पीछे यह भी एक बड़ा कारण है
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सेना की निगरानी में बनी दीवार
तुर्की की सरकार के मुताबिक दीवार बनाने के काम में सेना रात दिन जुटी रही. तुर्की का आरोप है कि ईरान की सीमा से मानव तस्करी, मादक पदार्थ और हथियार भी आर पार होते थे.
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शरणार्थी संकट को रोकना
इस दीवार के जरिए तुर्की गैरकानूनी आप्रवासियों को भी रोकना चाहता है. तुर्की में ईरान की सीमा से बड़ी संख्या में अफगान, पाकिस्तानी और ईरानी दाखिल होते रहे हैं. इनमें से ज्यादातर यूरोप पहुंचना चाहते हैं. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कुछ हफ्ते ऐसे भी थे जब हर दिन 500 अफगान तुर्की में दाखिल हुए.
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सीरिया बॉर्डर भी बंद
2018 में तुर्की ने सीरिया के साथ लगी 830 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सीमा पर भी दीवार खड़ी कर दी. तुर्की का कहना है कि इराक से लगे बॉर्डर पर भी जल्द ही दीवार पूरी कर ली जाएगी.
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प्राकृतिक दुष्परिणाम
पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस दीवार के बुरे नतीजे पूरे इलाके को परेशान करेंगे. वन्यजीव आसानी से चारे, प्रजनन और पानी की तलाश में इलाके नहीं बदल सकेंगे. दीवार बाढ़ का पानी भी रोकेगी और वेटलैंड्स को प्रभावित करेगी.
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सीरियाई शरणार्थियों की वापसी की प्रक्रिया
स्वीडन और डेनमार्क ने कई सीरियाई शरणार्थियों के निवास परमिट को इस आधार पर रद्द कर दिया है कि राजधानी दमिश्क और इसके आसपास के अधिकांश इलाके अब सुरक्षित हैं.
इसी तरह से लेबनान और तुर्की की सरकारें सीरियाई शरणार्थियों पर स्वदेश लौटने का दबाव बढ़ा रही हैं. ऐसी भी खबरें आई हैं कि तुर्की ने कई सीरियाई शरणार्थियों को जबरन वापस भेज दिया है.
एमनेस्टी की रिपोर्ट में लेबनान, फ्रांस, जर्मनी, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात से लौटे शरणार्थियों की जानकारी शामिल है.
मैरी फॉरेस्टियर ने यह साफ कर दिया है कि देश की सुरक्षा के लिए सीरियाई सरकार का दावा जमीनी हकीकत के विपरीत है, क्योंकि लौटने वालों को अब दमन का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने विभिन्न देशों से अपील की कि वे सीरियाई शरणार्थियों को लौटाने में जल्दबाजी न करें.
एए/सीके (एएफपी, एपी)
एमनेस्टी इंटरनेशनल के 60 साल
राजनीतिक बंदियों के समर्थन से लेकर हथियारों के वैश्विक व्यापार के विरोध तक, जानिए कैसे कुछ वकीलों की एक पहल मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का एक अग्रणी नेटवर्क बन गई.
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राजनीतिक बंदियों के लिए क्षमा
1961 में पुर्तगाल के तानाशाह ने दो छात्रों को आजादी के नाम जाम उठाने पर जेल में डाल दिया था. इस खबर से व्यथित होकर वकील पीटर बेनेनसन ने एक लेख लिखा जिसका पूरी दुनिया में असर हुआ. उन्होंने ऐसे लोगों के लिए समर्थन की मांग की जिन पर सिर्फ उनके विश्वासों के लिए अत्याचार किया जाता है. इसी पहल से बना एमनेस्टी इंटरनेशनल नाम का एक वैश्विक नेटवर्क जो मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ कैंपेन करता है.
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मासूमों का जीवन बचाने के लिए
शुरुआत में एमनेस्टी का सारा ध्यान अहिंसक राजनीतिक बंदियों को बचाने की तरफ था. एमनेस्टी का समर्थन पाने वाले एक्टिविस्टों की एक लंबी सूची है, जिसमें दक्षिण अफ्रीका के नेल्सन मंडेला से लेकर रूस के ऐलेक्सी नवाल्नी शामिल हैं. संस्था यातनाएं और मौत की सजा का भी विरोध करती है.
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यातना के खिलाफ अभियान
जब पहली बार संस्था ने 1970 के दशक में यातना के खिलाफ अपना अभियान शुरू किया था, उस समय कई देशों की सेनाएं राजनीतिक बंदियों के खिलाफ इनका इस्तेमाल करती थीं. एमनेस्टी के अभियान की वजह से इसके बारे में जागरूकता फैली और इससे यातनाओं के इस्तेमाल के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का जन्म हुआ. इन प्रस्तावों पर अब 150 से ज्यादा देश हस्ताक्षर कर चुके हैं.
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युद्ध के इलाकों में जांच
एमनेस्टी के अभियान उसके एक्टिविस्टों द्वारा इकठ्ठा किए गए सबूतों के आधार पर बनते हैं. युद्ध के इलाकों में युद्धकालीन अपराधियों की जवाबदेही तय करने के लिए मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिखित प्रमाण की जरूरत पड़ती है. संस्था ने सीरिया के युद्ध के दौरान रूसी, सीरियाई और अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन के युद्धकालीन अपराधों के दस्तावेज सार्वजनिक स्तर पर रखे.
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हथियारों के प्रसार के खिलाफ
एमनेस्टी का लक्ष्य युद्ध के इलाकों तक हथियारों के पहुंचने को रोकने का है, क्योंकि वहां उनका इस्तेमाल नागरिकों के खिलाफ किया जा सकता है. हालांकि एक अंतरराष्ट्रीय संधि के तहत हथियारों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार का नियंत्रण करने के लिए नियम लागू तो हैं, लेकिन इसके बावजूद हथियारों की खरीद और बिक्री अभी भी बढ़ रही है. रूस और अमेरिका जैसे सबसे बड़े हथियार निर्यातकों ने संधि को मंजूरी नहीं दी है.
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कानूनी और सुरक्षित गर्भपात का अधिकार
एमनेस्टी के अभियानों में लैंगिक बराबरी, बाल अधिकार और एलजीबीटी+ समुदाय के समर्थन जैसे मुद्दे भी शामिल हैं. सरकारों और धार्मिक नेताओं ने गर्भपात का अधिकार जैसे मुद्दों को संस्था के समर्थन की कड़ी आलोचना की है. इस तस्वीर में अर्जेंटीना में एक्टिविस्ट राजधानी ब्यूनोस एरेस में राष्ट्रीय संसद के दरवाजों पर पार्सले और गर्भपात के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दूसरी जड़ी-बूटियां रख रहे हैं.
तस्वीर: Alejandro Pagni/AFP/Getty Images
एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क
1960 के दशक ने एमनेस्टी इंटरनैशनल बढ़ कर ऐसे एक्टिविस्टों का एक व्यापक वैश्विक नेटवर्क बन गया है जो सारी दुनिया में एकजुटता के अभियानों में हिस्सा लेने के अलावा स्थानीय स्तर पर हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुकाबला भी करते हैं. संस्था के पूरी दुनिया में लाखों सदस्य और समर्थक हैं जिनकी मदद से उसने हजारों बंदियों को मृत्यु और कैद से बचाया है. (मोनिर घैदी)