एमनेस्टी:पश्चिम के दोहरे मापदंड से मध्यपूर्व में दमन बढ़ा
३० मार्च २०२३
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मध्य पूर्व में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर पश्चिमी देशों की चुप्पी की आलोचना की है.
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वैश्विक मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मध्य पूर्व में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चुप्पी को 'उदासीनता' बताते हुए कहा है कि यह पश्चिमी दुनिया के 'दोहरे मापदंडों' को दर्शाता है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पश्चिमी देशों से कड़ी और एकजुट प्रतिक्रिया मिली, लेकिन पश्चिमी दुनिया मध्य पूर्व में मानवाधिकारों के उल्लंघन के प्रति पूरी तरह से 'संवेदनहीन' नजर आ रही है.
एमनेस्टी का कहना है कि ये 'दोहरे मापदंड' मध्य पूर्व में शोषण को बढ़ा रहे हैं. एमनेस्टी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब मध्य पूर्व में मानवाधिकारों पर वार्षिक रिपोर्ट बेरूत के एक कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में जारी की गई.
मध्य पूर्व में मानवाधिकारों की चिंता
इस रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में मानवाधिकारों के हनन में शामिल लोगों को न्याय के कठघरे में लाने और क्षेत्र से बिना किसी भेदभाव के पलायन करने वाले लोगों के मुद्दे को हल करने की अपील की.
एमनेस्टी इंटरनेशनल के मध्य पूर्व और उत्तर अफ्रीका के उप प्रमुख आया मज्जूब ने कहा, "यूक्रेन के मुद्दे पर उन्होंने तुरंत अपनी सीमाएं खोल दीं, लेकिन सीरिया में युद्ध, लीबिया में अराजकता या लेबनान में आर्थिक संकट के साथ बिल्कुल अलग तरीका अपनाया गया."
पिछले साल अवैध रूप से यूरोपीय संघ में प्रवेश करने वाले प्रवासियों की संख्या 3,33,000 थी जो कि 2015 के बाद से सबसे अधिक संख्या है. 2015 में दस लाख से अधिक प्रवासी यूरोपीय संघ पहुंचे, जिनमें सीरिया से बड़ी संख्या थी. बड़ी संख्या में इन सीरियाई शरणार्थियों को जर्मनी ने शरण दी थी.
अमेरिका और यूरोपीय देश अक्सर सीरियाई शरणार्थियों पर खर्च किए गए अरबों यूरो का उल्लेख करते हैं, जबकि यूरोपीय संघ की सरकारों ने युद्धग्रस्त देशों के प्रवासियों और आर्थिक कारणों से अपने देश से पलायन करने वालों को अनुमति देने के लिए शरण कानूनों में बदलाव किया है. यूरोपीय अधिकारियों का कहना है कि आर्थिक कारणों से यूरोपीय संघ में आने वाले लोग शरण प्रणाली पर बोझ डाल रहे हैं और उन्हें उनके घरेलू देशों में वापस भेज दिया जाना चाहिए.
एमनेस्टी ने यूक्रेन पर रूसी हमले की अंतरराष्ट्रीय समुदाय की संयुक्त निंदा का स्वागत किया, लेकिन शिकायत की कि सीरियाई युद्ध के संबंध में ऐसी कड़ी और स्पष्ट निंदा सामने नहीं आई थी.
एए/वीके (एपी, एएफपी)
एमनेस्टी इंटरनेशनल के 60 साल
राजनीतिक बंदियों के समर्थन से लेकर हथियारों के वैश्विक व्यापार के विरोध तक, जानिए कैसे कुछ वकीलों की एक पहल मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का एक अग्रणी नेटवर्क बन गई.
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राजनीतिक बंदियों के लिए क्षमा
1961 में पुर्तगाल के तानाशाह ने दो छात्रों को आजादी के नाम जाम उठाने पर जेल में डाल दिया था. इस खबर से व्यथित होकर वकील पीटर बेनेनसन ने एक लेख लिखा जिसका पूरी दुनिया में असर हुआ. उन्होंने ऐसे लोगों के लिए समर्थन की मांग की जिन पर सिर्फ उनके विश्वासों के लिए अत्याचार किया जाता है. इसी पहल से बना एमनेस्टी इंटरनेशनल नाम का एक वैश्विक नेटवर्क जो मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ कैंपेन करता है.
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मासूमों का जीवन बचाने के लिए
शुरुआत में एमनेस्टी का सारा ध्यान अहिंसक राजनीतिक बंदियों को बचाने की तरफ था. एमनेस्टी का समर्थन पाने वाले एक्टिविस्टों की एक लंबी सूची है, जिसमें दक्षिण अफ्रीका के नेल्सन मंडेला से लेकर रूस के ऐलेक्सी नवाल्नी शामिल हैं. संस्था यातनाएं और मौत की सजा का भी विरोध करती है.
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यातना के खिलाफ अभियान
जब पहली बार संस्था ने 1970 के दशक में यातना के खिलाफ अपना अभियान शुरू किया था, उस समय कई देशों की सेनाएं राजनीतिक बंदियों के खिलाफ इनका इस्तेमाल करती थीं. एमनेस्टी के अभियान की वजह से इसके बारे में जागरूकता फैली और इससे यातनाओं के इस्तेमाल के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का जन्म हुआ. इन प्रस्तावों पर अब 150 से ज्यादा देश हस्ताक्षर कर चुके हैं.
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युद्ध के इलाकों में जांच
एमनेस्टी के अभियान उसके एक्टिविस्टों द्वारा इकठ्ठा किए गए सबूतों के आधार पर बनते हैं. युद्ध के इलाकों में युद्धकालीन अपराधियों की जवाबदेही तय करने के लिए मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिखित प्रमाण की जरूरत पड़ती है. संस्था ने सीरिया के युद्ध के दौरान रूसी, सीरियाई और अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन के युद्धकालीन अपराधों के दस्तावेज सार्वजनिक स्तर पर रखे.
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हथियारों के प्रसार के खिलाफ
एमनेस्टी का लक्ष्य युद्ध के इलाकों तक हथियारों के पहुंचने को रोकने का है, क्योंकि वहां उनका इस्तेमाल नागरिकों के खिलाफ किया जा सकता है. हालांकि एक अंतरराष्ट्रीय संधि के तहत हथियारों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार का नियंत्रण करने के लिए नियम लागू तो हैं, लेकिन इसके बावजूद हथियारों की खरीद और बिक्री अभी भी बढ़ रही है. रूस और अमेरिका जैसे सबसे बड़े हथियार निर्यातकों ने संधि को मंजूरी नहीं दी है.
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कानूनी और सुरक्षित गर्भपात का अधिकार
एमनेस्टी के अभियानों में लैंगिक बराबरी, बाल अधिकार और एलजीबीटी+ समुदाय के समर्थन जैसे मुद्दे भी शामिल हैं. सरकारों और धार्मिक नेताओं ने गर्भपात का अधिकार जैसे मुद्दों को संस्था के समर्थन की कड़ी आलोचना की है. इस तस्वीर में अर्जेंटीना में एक्टिविस्ट राजधानी ब्यूनोस एरेस में राष्ट्रीय संसद के दरवाजों पर पार्सले और गर्भपात के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दूसरी जड़ी-बूटियां रख रहे हैं.
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एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क
1960 के दशक ने एमनेस्टी इंटरनैशनल बढ़ कर ऐसे एक्टिविस्टों का एक व्यापक वैश्विक नेटवर्क बन गया है जो सारी दुनिया में एकजुटता के अभियानों में हिस्सा लेने के अलावा स्थानीय स्तर पर हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुकाबला भी करते हैं. संस्था के पूरी दुनिया में लाखों सदस्य और समर्थक हैं जिनकी मदद से उसने हजारों बंदियों को मृत्यु और कैद से बचाया है. (मोनिर घैदी)