एक ऐप बताएगा कहां कितनी यौन हिंसा होती है
१० अप्रैल २०१९An app to map sexual violence
महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित हैं 'घर'
महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित हैं 'घर'
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि साल 2017 में दुनिया भर में जिन महिलाओं की हत्या की गई उनमें आधी से अधिक हत्याएं परिवार वालों ने ही की थी. स्टडी में कहा गया है कि ये मामले बताते हैं कि अब घर ही असुरक्षित साबित हो रहे हैं.
करीबियों से खतरा
महिलाओं के खिलाफ हिंसा को मिटाने के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स एवं अपराध कार्यालय (यूएनओडीसी) की ओर से जारी आंकड़ों में कहा है कि 2017 में करीब 87 हजार महिलाओं की हत्या कर हुई, जिसमें से तकरीबन 50 हजार हत्याएं मतलब 58 फीसदी महिलाओं को उनके पार्टनर, करीबी या परिवार के सदस्यों ने ही मारा है.
महिलाएं चुकाती कीमत
इसमें से 30 हजार मतलब 34 फीसदी महिलाओं को उनके पार्टनरों ने ही मारा है. आंकड़ें बताते हैं कि हर घंटे करीब 6 महिलाएं अपने जानने वाले के हाथों मारी गईं. दुनिया भर में नरहत्या (होमीसाइड) के पीड़ित करीब 80 फीसदी लोग पुरूष हैं, लेकिन महिलाओं को लिंग असमानता, भेदभाव, नकारात्मक रुढ़िवाद की कीमत चुकानी पड़ती हैं.
शक्ति असंतुलन
स्टडी में कहा गया है कि घरेलू मामलों में महिलाओं का बुरी तरह प्रभावित होना बताता है कि महिलाओं और पुरुषों के बीच शक्ति संतुलन ठीक नहीं है. इसी असंतुलन में महिलाएं सबसे अधिक प्रभावित हो रहीं हैं.
अफ्रीका और अमेरिका
स्टडी के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ हिंसा के सबसे अधिक मामले अफ्रीका और अमेरिका में नजर आते हैं. यहां महिलाओं को अपने साथी या परिवार वालों के हाथों मारे जाने का जोखिम सबसे अधिक है. अफ्रीका में हर एक लाख महिला पर 3.1 पीड़ित हैं.
ठोस प्रगति नहीं
हिंसा की सबसे कम दर यूरोप में है, जहां हर एक लाख महिला पर 0.7 फीसदी पीड़ित है. यूएनओडीसी के मुताबिक, "महिलाओं के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिए कानून और कार्यक्रमों के बावजूद" इस संकट का मुकाबला करने में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है.
असरदार तरीके
रिपोर्ट में महिलाओं पर होने वाली हिंसा के खिलाफ प्रभावी रोकथाम और ऐसी आपराधिक न्याय प्रक्रिया की आवश्यकता पर जोर दिया गया है जिसके जरिए अपराधियों को जल्द सजा तक पहुंचाया जाए. इसके साथ ही महिलाओं की सुरक्षा और संभावित पीड़ित को सशक्त बनाने जैसी बात कही गई है.
पुरुष भी हो शामिल
स्टडी में नीतियां, न्यायिक प्रणाली, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं के बीच बेहतर तालमेल की आवश्यकता को भी उजागर किया है. साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि इस पूरी सुधार प्रक्रिया में पुरुषों को भी शामिल किया जाना चाहिए. (एए/एएफपी)