चीन की सेना में एक के बाद एक कई जनरलों की बर्खास्तगी ने दुनिया की सबसे बड़ी सेना को खासा कमजोर किया है. विश्लेषक कहते हैं कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी भ्रष्टाचार की दरारों से दरक रही है.
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पिछले हफ्ते चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के नौ वरिष्ठ अफसरों को बर्खास्त कर दिया गया. सरकारी मीडिया के मुताबिक राष्ट्रीय संसद ने शुक्रवार को नौ अफसरों की बर्खास्तगी पर मुहर लगा दी. अब आगे की कार्रवाई में इन जनरलों को और कड़ी सजा भी हो सकती है.
बर्खास्त हुए ज्यादातर अफसर पीएलए की शाखा रॉकेट फोर्स से हैं. तीन रॉकेट फोर्स के पूर्व कमांडर या वाइस कमांडर हैं. एक पूर्व वायु सेना प्रमुख और एक नेवी कमांडर है जो दक्षिणी चीन सागर के लिए जिम्मेदार है. चार अफसर उपकरणों के लिए जिम्मेदार हैं. रॉकेट फोर्स पीएलए की एक बहुत अहम शाखा है जिसकी जिम्मेदारी रणनीतिक और परमाणु मिसाइलों की निगरानी है.
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शी के लिए झटका
विश्लेषक मानते हैं कि पीएलए में ऐसा होना चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए बड़ा झटका है क्योंकि पिछले कुछ समय से वह लगातार सेना को आधुनिक और ज्यादा ताकतवर बनाने की कोशिशों में जुटे हैं. शी अपनी सेना को 2050 तक ‘विश्व स्तरीय' बनाने के लक्ष्य पर काम कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने अरबों डॉलर का निवेश किया है.
2012 में सत्ता संभालने के बाद से शी ने कम्यूनिस्ट पार्टी और सरकारी अधिकारियों में फैले भ्रष्टाचार पर बेहद सख्ती दिखाई है. इनमें पीपल्स लिबरेशन आर्मी खासतौर पर उनके निशाने पररही है.
चीन ने यह नहीं बताया है कि जनरलों को क्यों हटाया गया है लेकिन कुछ विश्लेषक कहते हैं कि जो सबूत मुहैया हैं वे पीएलए रॉकेट फोर्स में उपकरणों की खरीद में भ्रष्टाचार की ओर संकेत करते हैं.
गहरी हैं जड़ें
युनाइटेड स्टेट्स इंस्टिट्यूट फॉर पीस में चीनी मामलों के विशेषज्ञ एंड्रयू स्कोबेल कहते हैं कि स्पष्ट संकेत है कि जनरलों को बर्खास्त किया जा रहा है. सिंगापुर के ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में एसोसिएट प्रोफेसर एल्फ्रेड वू कहते हैं, "कई और लोगों को हटाया जाएगा. रॉकेट फोर्स पर केंद्रित बर्खास्तगी का यह सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ है.”
कितना ताकतवर है चीन
चीन को अमेरिका ने अपने लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया था. यह चुनौती कितनी बड़ी है, इसका अंदाजा चीन की सैन्य और रक्षा क्षमताओँ पर एक नजर डालने से हो जाता है. देखिए, कितना ताकतवर है चीन.
तस्वीर: Jason Lee/Getty Images
सबसे बड़ी नौसेना
नौसेना के आकार के मामले में चीन अमेरिका को पहले ही पीछे छोड़ चुका है. उसके पास 348 युद्धक जहाज हैं जबकि अमेरिका के पास 296 जहाज हैं. इसी साल जून में उसने फूजियान टाइप 3 विमान वाहक जहाज उतारा था जो उसका तीसरा विमानवाहक है. यह जहाज उसके इंजीनियरों ने खुद बनाया है.
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विशाल बजट
चीन का रक्षा बजट अमेरिका के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर है. 2021 में उसने 270 अरब डॉलर रक्षा मद में खर्च किए, जबकि अमेरिका ने 768 अरब डॉलर. भारत तीसरे नंबर पर है और उसने 74 अरब डॉलर खर्च किए थे.
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परमाणु जखीरा
बीते साल नवंबर में अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने एक अनुमान जारी किया था जिसके मुताबिक 2030 तक चीन के पास अब से चार गुना ज्यादा यानी लगभग 1,000 परमाणु हथियार होंगे. यह अमेरिका के 5,550 हथियारों के मुकाबले काफी कम है लेकिन बढ़ने की रफ्तार बहुत तेज है.
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भविष्य के हथियार
कई रिपोर्ट कहती हैं कि चीन हाइपरसोनिक और क्रूज मिसाइलों जैसे हथियार विकसित कर रहा है जो दुनिया में कहीं भी, किसी भी सूरत में मार कर सकती हैं. हालांकि चीन हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने से इनकार करता है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले साल उसने दो रॉकेट परीक्षण के लिए दागे थे, जो असल में मिसाइल थे.
तस्वीर: Hu Shanmin/Xinhua/picture alliance
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर अटैक
यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें चीन बेहद तेजी से निवेश और विकास कर रहा है. उसकी सेना को भविष्य के युद्ध लड़ने के मकसद से तैयार किया जा रहा है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चीन के पास रोबोटिक सैनिकों जैसी अत्याधुनिक तकनीकें हो सकती हैं.
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कभी रॉकेट फोर्स के प्रमुख रहे और उसके बाद रक्षा मंत्री बने वाई फेंग भी बहुत समय से लापता हैं. वाई फेंग की जगह रक्षा मंत्री ली शांगफू को भी अक्टूबर में अचानक ही हटा दिया गया था और उसकी कोई वजह भी नहीं बताई गई थी. हटाए जाने से पहले वह भी महीनों से लापता थे. शांगफू भी उपकरण खरीद विभाग के अध्यक्ष रह चुके थे और शुक्रवार को जिन नौ अफसरों को हटाया गया है उनमें से एक उन्हीं का डिप्टी था.
विश्लेषकों का मानना है कि चीन की सेना में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है लेकिन रॉकेट फोर्स के अफसरों की बर्खास्तगी एक बड़ा झटका है. अमेरिका की जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी में इनिशिएटिव फॉर यूएस चाइना डायलॉग ऑन ग्लोबल इश्यूज में सीनियर फेलो डेनिस वाइल्डर कहते हैं, "पीएलए के इस हिस्से में नियुक्ति के लिए वरिष्ठ अफसरों की सबसे ज्यादा सख्त जांच होती है क्योंकि उन पर देश के परमाणु हथियारों की देखरेख की जिम्मेदारी होती है. और इस मामले में किसी इकलौते आदमी की बात नहीं है बल्कि कई वरिष्ठ अफसर शामिल हैं.”
कमजोर हुआ चीन
इस बर्खास्तगी का नतीजा यह हो सकता है कि अस्थायी तौर पर रॉकेट फोर्स कम से कम तब तक कमजोर रहेगी जब तक कि शी सब कुछ ठीकठाक नहीं कर पाते.
भारत और चीन की सैन्यशक्ति की तुलना
पड़ोसी और प्रतिद्वन्द्वी भारत और चीन की सैन्य ताकत को आंकड़ों के आधार पर समझा जा सकता है. यूं तो भारत चीन से सिर्फ एक कदम पीछे, दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है लेकिन शक्ति में अंतर बड़ा है.
तस्वीर: Xinhua/imago Images
भारत और चीन की तुलना
थिंकटैंक ग्लोबल फायर पावर ने चीन को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति माना है और भारत को चौथी. यह तुलना 46 मानकों पर परखने के बाद की गई है, जिनमें से 38 में चीन भारत से आगे है.
तस्वीर: Manish Swarup/AP/picture alliance
सैनिकों की संख्या
चीन के पास 20 लाख से ज्यादा बड़ी सेना है जबकि भारत की सेना में 14 लाख 50 हजार जवान हैं. यानी चीन की सेना साढ़े पांच लाख ज्यादा जवानों के साथ मजबूत है.
तस्वीर: Ding Kai/Xinhua/picture alliance
अर्धसैनिक बल
भारत में 25 लाख 27 हजार अर्धसैनिक बल हैं जबकि चीन में मात्र छह लाख 24 हजार. यानी भारत 19 लाख तीन हजार अर्धसैनिक बलों के साथ हावी है.
तस्वीर: Sourabh Sharma
रक्षा बजट
भारत रक्षा मद में 70 अरब डॉलर यानी लगभग साढ़े पांच लाख करोड़ रुपये खर्चता है. इसके मुकाबले चीन का बजट तीन गुना से भी ज्यादा यानी लगभग 230 अरब डॉलर है.
तस्वीर: Stringer/ Photoshot/picture alliance
लड़ाकू विमान
चीन के पास 1,200 लड़ाकू विमान हैं जबकि भारत के पास 564. चीन के पास कुल विमान भी ज्यादा हैं. भारत के पास कुल 2,182 विमान हैं जबकि चीन के पास 3,285.
तस्वीर: Nie Haifei/Xinhua/picture alliance
टैंक
भारत के पास 4,614 टैंक हैं जो चीन के 5,250 टैंकों से कम हैं. बख्तरबादं गाड़ियां भी चीन के पास ज्यादा हैं. उसके पास 35,000 बख्तरबंद गाड़ियां हैं जबकि भारत के पास 12,000.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
विमानवाहक युद्धक पोत
भारत के पास सिर्फ एक विमानवाहक पोत है जबकि चीन के पास दो. भारत के पास 10 डिस्ट्रॉयर जहाज हैं और चीन के पास 41.
तस्वीर: Zuma/picture alliance
पनडुब्बियां
भारत के पास 17 पनडुब्बियां हैं और चीन के पास 79.
तस्वीर: Xinhua/imago Images
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वॉशिंगटन के एक थिंक टैंक स्टिम्सन सेंटर में चाइना प्रोग्राम के डायरेक्टर युन सुन कहते हैं, "रणनीतिक परमाणु शक्ति चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा की अंतिम पंक्ति है और ताइवान मामले मेंआखिरी विकल्प भी है. चीन को इस अव्यवस्था को ठीक करने और रॉकेट फोर्स पर भरोसा वापस लाने में काफी समय लगेगा. इसका अर्थ है कि फिलहाल चीन एक कमजोर स्थिति में है.”
हालांकि सुन का मानना है कि राष्ट्रपति शी की सेना में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम एक "कभी ना खत्म होने वाला” काम है.