45,000 साल पहले निएंडरथलों से घुले-मिले थे आधुनिक मानव
१३ दिसम्बर २०२४
वैज्ञानिकों को लंबे समय से यह पता था कि निएंडरथल और आधुनिक मानव एक दूसरे से मिले थे, लेकिन ऐसा कब हुआ था यह ठीक से नहीं मालूम था. अब वैज्ञानिक इस जानकारी के करीब पहुंच रहे हैं.
हमारे डीएनए में आज भी निएन्डरथलों की विरासत हैतस्वीर: Nikola Solic/REUTERS
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मुमकिन है कि करीब 45,000 साल पहले थोड़े समय के लिए आधुनिक मानव और निएंडरथल एक दूसरे से घुले-मिले हों. शोधकर्ताओं ने प्राचीन जींस का अध्ययन कर इस अवधि का ठीक से पता लगाया है. अभी तक इस मिलन की समयरेखा के बारे में जो जानकारी थी, यह अवधि उससे और थोड़ी हाल की है.
आधुनिक मानवों की उत्पत्ति लाखों साल पहले अफ्रीका में हुई और उसके बाद वो धीरे धीरे यूरोप, एशिया और दुनिया के अन्य कोनों में फैल गए. इस दौरान कभी, कहीं रास्ते में उन्हें निएंडरथल भी मिले, दोनों ने मिलकर प्रजनन भी किया और हमारे जेनेटिक कोड पर एक अमिट छाप छोड़ दी.
कैसे जुटाई जा रही है यह जानकारी
वैज्ञानिकों को ठीक से यह नहीं मालूम कि दोनों समूह एक दूसरे से कब और कहां मिले, लेकिन हड्डियों के प्राचीन टुकड़े और जींस अब इस गुत्थी को सुलझाने में वैज्ञानिकों की मदद कर रहे हैं.
निएंडरथलों और आधुनिक मानवों के मिलन की गुत्थी वैज्ञानिकों के लिए सबसे आकर्षक पहेलियों में से हैतस्वीर: G. Lacz/WILDLIFE/picture alliance
अध्ययन 'साइंस एंड नेचर' पत्रिका में छपा है. इसकी सह-लेखक अमेरिका के बर्कले स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की प्रिया मुर्जानी ने बताया, "इन सैंपलों से मिला जेनेटिक डेटा ज्यादा विस्तार से इस तस्वीर को बनाने में हमारी मदद कर रहा है."
टाइमलाइन का ठीक से पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने सबसे पुराने मानव आनुवांशिक नमूनों में से कुछ को देखा. यह जीन एक महिला की खोपड़ी में से मिला था, जो चेक गणराज्य में एक पहाड़ी पर मिली थी. वहां से करीब 230 किलोमीटर दूर जर्मनी के रानीस में पाई जाने वाली शुरुआती मानवों की आबादी से मिले हड्डियों के टुकड़ों का भी निरीक्षण किया गया.
उन्हें निएंडरथल के अंश मिले, जिनके मुताबिक प्रजनन करीब 45,000 साल पहले हुआ होगा. एक अलग अध्ययन में शोधकर्ताओं ने हमारे जेनेटिक कोड में पिछले 50,000 सालों में निएंडरथल डीएनए के निशानों को ट्रैक किया.
हममें अभी भी है उनका अंश
उन्हें इम्यूनिटी और मेटाबोलिज्म से संबंधित निएंडरथल जींस मिले. हो सकता है इन्हीं जींस ने शुरुआती इंसानों को अफ्रीका से बाहर जिंदा रहने में और बढ़ने में मदद की हो. हमारे डीएनए में आज भी निएंडरथलों की विरासत मौजूद है.
कैसे पता चला हमारे पूर्वजों के बारे में
इस्राएल में हाल ही में पाए गए मानव अवशेषों से मानव विकास की कहानी में नई परतें जुड़ गई हैं. एक नजर इस तरह की और भी अहम खोजों पर जो हमारे पूर्वजों और उनकी जीवन शैली पर रोशनी डालती हैं.
तस्वीर: Avi Levin/AP/picture alliance
वंश वृक्ष की एक नई शाखा
इस्राएल में खुदाई के दौरान कुछ ऐसे अवशेष मिले हैं जो एक ऐसी मानव प्रजाति के हैं जिसके बारे में आज तक कोई जानकारी नहीं थी. अभी तक यह पता चल पाया है कि यह आदिमानव 1,00,000 सालों से भी ज्यादा पहले हमारी प्रजाति यानी होमो सेपिएंस के साथ साथ ही रहता होगा.
तस्वीर: Ammar Awad/REUTERS
'नेशर रामला होमो'
ये अवशेष इस्राएल के नेशर रामाल्लाह नाम की जगह पर मिले. माना जा रहा है कि ये प्राचीन मानवों के "आखिरी उत्तरजीवियों" में से एक मानव के हैं, जिसका यूरोपीय नियान्डेरथल से करीबी संबंध हो सकता है. यह भी माना जा रहा है कि इनमें से कुछ मानव पूर्व में भारत और चीन की तरफ भी गए होंगे. पूर्वी एशिया में मिले कुछ अवशेषों में इन नए अवशेषों से मिलती जुलती विशेषताएं पाई गई हैं.
नियान्डेरथलों को लोकप्रिय रूप से अक्सर गलत छवि दिखाई गई है. उन्हें अक्सर पीठ पर कूबड़ वाले और हाथों में मुगदर लिए आदिमानवों के रूप में दिखाया जाता है. यह छवि 1908 में मिले एक कंकाल के पुराने और छिछले अध्ययनों पर आधारित है. इस कंकाल की रीढ़ विकृत थी और घुटने मुड़े हुए थे.
तस्वीर: Federico Gambarini/dpa/picture alliance
जितना हम सोचते हैं उससे ज्यादा करीबी
लेकिन 21वीं सदी में पता चला कि नियान्डेरथल आधुनिक मानव के काफी करीब थे. वो उपकरण बनाने के लिए काफी विकसित तरीके इस्तेमाल करते थे, अपने आस पास की चीजों का इस्तेमाल कर आग और ज्यादा तेजी से लगा लिए करते थे, बड़े जानवरों का शिकार करते थे और आधुनिक मानवों के साथ प्रजनन भी करते थे.
तस्वीर: Imago/F. Jason
जिस पूर्वज का नाम बीटल्स की वजह से पड़ा
'लूसी' एक महिला का कंकाल है जिसे पूरी दुनिया में पाए गए सबसे पुरानी मानव पूर्वज प्रजातियों में से माना जाता है. इसकी खोज अफ्रीका के इथियोपिया के हदर में 1974 में जीवाश्मिकी वैज्ञानिक डॉनल्ड सी जोहानसन ने की थी. जिस दिन इसकी खोज हुई उस दिन खोज के जश्न में आयोजित की गई एक पार्टी में बार बार बीटल्स का एक गाना बज रहा था - "लूसी इन द स्काई विद डायमंड्स" और उसी के नाम पर कंकाल का नाम लूसी रख दिया गया.
तस्वीर: Jenny Vaughan/AFP/Getty Images
फ्लो, उर्फ 'द हॉब्बिट'
'फ्लो' की खोज इंडोनेशिया के द्वीप फ्लोरेस में 2004 में हुई थी. होमो फ्लोरेसिएन्सिस प्रजाति की एक आदिम मानव के इन अवशेषों को 12,000 साल पुराना माना जाता है. फ्लो सिर्फ 3.7 फिट लंबी थी, जिसकी वजह से उसका नाम 'लॉर्ड ऑफ द रिंग्स' फिल्मों के एक किरदार के नाम पर 'द हॉब्बिट' रख दिया गया.
तस्वीर: AP/STR/picture alliance
दो पैरों पर चलने का सबूत
1924 में दक्षिण अफ्रीका के ताउन्ग में शरीर रचना विशेषज्ञ रेमंड डार्ट ने एक खदान में पाई गई एक विचित्र सी खोपड़ी का निरीक्षण करने पर पाया कि वो एक तीन साल के आदिमानव की थी, जिसका उन्होंने नाम रखा ऑस्ट्रेलोपिथेकस अफ्रिकानस. ये करीब 28 लाख साल पहले जीवित रहा होगा और इसे मानवों के दो पैरों पर चलने का प्रारंभिक सबूत भी माना जाता है. इससे मानवों के अफ्रीका में विकास होने की अवधारणा को भी बल मिला.
तस्वीर: imago stock&people
डीएनए से मदद
2008 में पुरातत्वविद माइकल शून्कोव को रूस और कजाकिस्तान की सीमा पर अल्ताई पर्वत श्रृंखला के काफी अंदर एक गुफा में एक अज्ञात आदिमानव के अवशेष मिले. आनुवांशिकी विज्ञानियों ने पाया कि इन अवशेषों के माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए का संबंध एक अज्ञात पूर्वज से था. इन्हें उस गुफा के नाम पर डेनिसोवियन्स कहा गया. ये भी अफ्रीका से ही निकले थे, लेकिन शुरुआती नियान्डेरथल और होमो सेपिएंस से अलग.
तस्वीर: Maayan Harel/AP/picture alliance
होमो सेपिएंस के नए रिश्तेदार
2015 में दक्षिण अफ्रीका की राइजिंग स्टार गुफाओं में कम से कम 15 लोगों के 1,500 से भी ज्यादा अवशेष मिले थे, जिनमें होमो नलेडी समूह के शिशुओं से लेकर बुजुर्ग तक शामिल थे. हालांकि विशेषज्ञों के बीच इनकी पहचान को लेकर सहमति नहीं थी: क्या ये प्राचीन मानव थे या प्रारम्भिक होमो इरेक्टस?
प्राचीन मानवों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों में भी हमारे अतीत के सुराग होते हैं. कोलंबिया के चिरिबिकेट राष्ट्रीय उद्यान में पाए गए ये गुफा चित्र 22,000 साल से भी ज्यादा पुराने हैं. कुछ दूसरे पुरातत्व-संबंधी सबूतों के साथ ये चित्र इस अवधारणा के ओर इशारा करते हैं कि आज उत्तर और दक्षिणी अमेरिका कहे जाने वाले इलाके में मानवों का 20,000 से 30,000 साल पहले कब्जा था.
तस्वीर: Jorge Mario Álvarez Arango
अभी तक के सबसे प्राचीन गुफा चित्र
2021 में ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया के पुरातत्वविदों को इंडोनेशिया के सुलावेसी में और भी पुराने गुफा चित्र मिले. ये लिखित इतिहास के पहले के इंडोनेशियाई सूअरों की तस्वीरें थीं जो ओकर नाम के एक अकार्बनिक पदार्थ से बनाई गई थीं जिसकी कार्बन-डेटिंग नहीं हो पाती है. तो शोधकर्ताओं ने चित्रों के इर्द-गिर्द चूने के स्तंभों की डेटिंग की और पाया कि सबसे पुराने चित्र को कम से कम 45,500 साल पहले बनाया गया होगा.
तस्वीर: Maxime Aubert/Griffith University/AFP
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त्वचा का रंग, बालों का रंग और नाक की बनावट जैसे आज के जेनेटिक निशानों की जड़ें अब विलुप्त हो चुके हमारे पूर्व पड़ोसियों तक जा सकती हैं. हमारे जेनेटिक कोड में डेनिसोवन नाम के एक और विलुप्त इंसानी कजिन के निशान भी हैं.
स्मिथसोनियन ह्यूमन ओरिजिन्स कार्यक्रम के निदेशक रिक पॉट्स बताते हैं कि भविष्य में होने वाले जेनेटिक अध्ययन इस गुत्थी को सुलझाने में वैज्ञानिकों की मदद कर सकते हैं कि हम किस-किस के डीएनए से बने हैं. उनका कहना है, "वैज्ञानिक अनुसंधान के कई वाकई सम्मोहक क्षेत्रों में से एक है: आखिर हम हैं कौन?